RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“मैं तुम्हें बाद में जी भरकर दिखा दूंगी। अभी तुम उन्हें चूसो बस…” कोमल ने उसे वापस अपनी ओर खींचा।
“यह कितने कड़क हैं…” उसने उनको अपनी मुट्ठी में लेकर मसलते हुए कहा।
“जोर से…” कोमल फुसफुसाई।
“तुम्हें आदमी की जोर-जबर्दस्ती पसंद है… है न…” उसने उन मम्मों को जोर-जोर से भींचना और मसलना शुरू कर दिया।
“हाँ प्रेम, मेरे साथ इसी तरह पेश आओ, जैसे कि मेरा पति नहीं करता…” उसे यह कहने में कोई संकोच नहीं हुआ। आखिर वो प्रेम से दोबारा तो कभी मिलने से रही।
“तुम्हें देखकर कोई यह नहीं मान सकता कि इतनी उच्च-स्तरीय दिखने वाली औरत ऐसी चुदक्कड़ होगी…”
“यह सच है प्रेम, इतने सालों में मैं अपने पति को उस तरह से चोदने के लिये नहीं मना पाई जैसा कि मुझे पसंद है… तुम तो उसी तरह करोगे जैसा कि मुझे पसंद है… है न प्रेम… मैं तुम्हारे लिये कुछ भी करूंगी… तुम्हारा लण्ड चूसूंगी और उसका रस भी पियूंगी…”
प्रेम वापस कोमल के मम्मे चूसने लगा। कोमल ने उसकी चड्ढी उतार दी। वो उसका लण्ड चूसना चाहती थी। प्रेम का लण्ड मुक्त हो गया।
“मुझे खुशी है कि यह काफ़ी बड़ा है…” वो शायद सुनील के लण्ड से बड़ा और थोड़ा मोटा भी था- “मुझे अपनी चूत में मोटे और बड़े लण्ड ही पसंद हैं…”
“इसे पूरा उतार दो और फ़िर देखो की यह तुम्हारे अंदर कैसा लगेगा…” प्रेम ने कोमल के रहे-सहे वस्त्र उतारते हुए कहा। कोमल अब पूरी तरह नंगी थी। सिर्फ उसके पैरों में ऊँची एंड़ी के सैंडल बंधे हुए थे। प्रेम ने जब कोमल की चमचमाती चिकनी चूत देखी तो उससे रहा नहीं गया और उसने अपना मुँह कोमल की चूत में घुसेड़ दिया। वो उस अमृत का पान करना चाहता था।
“नहीं प्रेम, मैं तुमसे अपनी चूत अभी नहीं चटवाना चाहती। पहले मैं तुम्हारा लण्ड चूसना चाहती हूँ। पहले मेरे मुँह को वैसे ही चोदो जैसे तुम मेरी चूत को चोदोगे…”
प्रेम ने एक सैकंड की भी देर किये बिना अपना लण्ड कोमल के हसीन चेहरे के आगे झुला दिया- “मेरे लण्ड को अपने मुँह में डालो…” उसने कहा।
“ऊँहहहफ़…” जब प्रेम ने सारा लण्ड उसके मुँह में पेल दिया तो कोमल का मुँह भर गया। लण्ड का मुँह उसके गले तक पहुंच रहा था। प्रेम ने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया। कोमल के गाल फ़ूलने-पिचकने लगे। प्रेम ने जब अपने नीचे हो रहे दृश्य को देखा तो उसका तन्नाया हुआ लण्ड और सख्त हो गया। उसे लगा कि वो झड़ने वाला है।
“हाँ बेबी, पी जाओ…” उसने अपना रस कोमल के फ़ूले हुए मुँह में छोड़ते हुए कहा।
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