Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
03-11-2019, 12:50 PM,
#22
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
पूनम खाना खा चुकी थी रात के करीब 11:00 बज रहे थे वह सारे काम काज कर के एक दम खाली हो चुकी थी सब अपने अपने कमरे में चले गए थे सब के जाने के बाद पूनम भी धड़कते दिल के साथ अपने कमरे में प्रवेश की,,, उसके मन में मनोज के लिए लेटर के बारे में सोच-सोच कर पूरे बदन में सुरसुराहट की लहर दौड़ रही थी। पूनम को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसके लिए लेटर में क्या लिखा होगा वह बस उत्सुकतावश उसे जल्द से जल्द पढ़ना चाहती थी।
वह अपने कमरे में प्रवेश करते ही जल्दी से दरवाजा बंद करके कुंडी चढ़ा दी,,,, कड़कड़ाती की ठंडी में भी उसके पसीने छूट रहे थे। एक अजीब सी हलचल उसके मन में मच रही थी जिसकी वजह से उसका गला सूख रहा था। वह टेबल पर रखा अपना बैग लेकर बिस्तर पर आराम से बैठ गई और बैग को खोलकर अपनी इंग्लिश की नोट्स को बाहर निकाल ली,,, पूनम को उत्सुकता के साथ-साथ थोड़ा डर भी लग रहा था कि पता नहीं उसने उस लेटर में क्या लिखा होगा। वह इंग्लिश की नोट्स को बैग पर रखकर उसके पन्नों को पलटने लगी,,, वह जल्दी-जल्दी पन्नों को पलट रही थी लेकिन उसका लिखा एकभी लेकर उस नोट्स में दिखाई नहीं दे रहा था,,,, वह पन्नों को पलट भी रही थी और साथ में यह भी सोच रही थी कि कहीं मनोज ने उसके साथ मजाक तो नहीं किया,,,,,, एक पल के लिए तो उसे मनोज पर गुस्सा आने लगा और मैंने सोचने लगी कि अगर यह सच में उसने मजाक किया है तो आज के बाद उसके लाख बोलने के बावजूद भी उससे बात तक नहीं करेगी,,,, यह सब वह मन में सोच ही रही थी कि तभी इंग्लिश के नोट्स में से उसका लिखा लेटर नजर आया,,,, उसका गला सूखने लगा, वह लेटर को अपने हाथ में लेकर पढ़ना शुरू की,,,

मेरी प्रिय पूनम,,,
तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो लगती हो क्या तुम सच में बहुत खूबसूरत हो इस धरती पर तुमसे ज्यादा खूबसूरत है मैंने आज तक किसी और लड़की को नहीं देखा,,, जबसे मैंने तुमको देखा हूं ना जाने मुझे क्या हो गया है कि हर जगह बस तुम ही तुम दिखाई देती हो,, सोते जागते उठते बैठते बस मुझे तुम्हारा ही ख्याल रहता है,,, तुम्हे देखे बिना मेरे दिल को जरा भी करार नहीं आता,, यहां तक की सपनों में भी मुझे तुम ही तुम नजर आती हो,, पूनम सच कहूं तो मुझे तुमसे प्यार हो गया है मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगा तुम्हारे मन में क्या है यह मैं बिल्कुल भी नहीं जानता इसलिए तो मैं इस लेटर के जरिए तुम्हें अपने मन की बात बता रहा हूं। तुम्हें देखकर मेरे दिल में कुछ-कुछ होता है अगर तुम्हें भी मुझे देख कर कुछ कुछ होता हो,, तो मेरे इस लेटर का जवाब जरुर देना अगर लिख ना पाओ तो नीचे लिखा मोबाइल नंबर मेरा ही है मुझे बस एक मिस कॉल मार देना मैं समझ जाऊंगा कि तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए कुछ कुछ होता है।

आई लव यू,,,,,


पूरा लेटर पढ़ने के बाद पूनम के बदन से ऐसी कड़ाके की ठंड में भी पसीना टपक रहा था,,,, कुछ पल के लिए तो उसे समझ में ही नहीं आया कि वह क्या पढ़ रही है। क्योंकि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई उसे भी लेटर लिख सकता है। उसने आज तक किसी भी लड़के की तरह मुस्कुरा कर नहीं देखी थी ना ही किसी से बात की थी और ना ही कभी भी, किसी लड़के को अपनी बातों की वजह से गलतफहमी पैदा होने दी थी,,, इसलिए उसे आज तक किसी ने भी इस तरह से अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत भी नहीं की थी लेकिन मनोज के साथ बस थोड़ा बहुत बात जरूर करी थी जिसका परिणाम यह आ रहा था कि वह उसे प्रेम पत्र लिखकर देभी चुका था,,,, पूनम का बदन कांप रहा था। वह यह सोचकर पूरी तरह से घबरा गई कि वहां तीन-चार दिनों से उसके दिए लेटर को अपने बैग में रखे हुए थी,,, जिसकी खबर उसे बिल्कुल भी नहीं थी अगर कहीं यह लेटर उसके घर वालों को मिल जाता तब उसका क्या हाल होता यह सोचकर पूनम का पूरा वजूद का कांप गया,,,,
पूनम मनोज के लिए लेटर को देखकर और उसे पढ़कर परेशान सी हो गई,,, वह बिस्तर पर लेट कर सोना चाहती थी लेकिन नींद उस से कोसों दूर थी। अब वह क्या करें कैसे करें क्या कहें मनोज से इन सब के बारे में सोच कर हैरान हुए जा रही थी क्योंकि मनोज ने उससे उसके पत्र का जवाब मांगा था लेकिन उसके दिए पत्र का जवाब देने की हिम्मत पुनंम में बिल्कुल भी नहीं थी। उसे मनोज के बारे में सोच कर उसकी हरकत के बारे में सोच कर उसे गुस्सा आने लगा वह सोचने लगी कि अगर कहीं जाने पर उसके घरवालों के हाथ लग जाता तब उसका क्या होता क्या सोचते,, उसके घर वाले उसके बारे में,,, क्योंकि वह जानती थी कि उसके घर वाले उस पर बहुत भरोसा करते थे वह जानते थे कि पूनम कभी भी इस तरह की हरकत नहीं करेगी जिसकी वजह से परिवार की बदनामी हो,,, इसलिए वह मन में ठान ले कि आप मनोज से वह बात ही नहीं करेगी ना ही उसकी तरफ देखेगी इसी ने उसकी और उसके परिवार की भलाई है यह सोचकर वह कब नींद की आगोश में चली गई उसे पता नहीं चला,,,,

जैसा वह मन में सोची थी ठीक उसी तरह से बर्ताव करने लगी अब आते जाते वह मनोज की तरफ देखती भी नहीं थी वह कुछ बोलना चाहता था,,,, तो उसके बोलने से पहले ही वहां से चल देती थी,,,, पूनम के इस तरह के व्यवहार के कारण मनोज काफी परेशान हो गया था उसे लगने लगा था कि उसका प्यार शुरू होने से पहले ही समाप्त हो गया था उसे इस बात का बेहद पछतावा भी होता था कि उसने पूनम को पत्र लिखकर दिया है क्यों क्योंकि जब तक उसने उसे पत्र लिखकर नहीं दिया था तब तक तो पूनम उससे बातें तो करती थी लेकिन अब तो वह उसकी तरफ देखती भी नहीं थी। पूनम भी कब तक इस तरह से मनोज को धिक्कारने का दिखावा करती रहती,,, उसे यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मनोज को पूनम के लिए कुछ कुछ होता था तो पूनम को भी मनोज के लिए कुछ कुछ जरूर होता था बस उसे डर था तो समाज और उसके परिवार का इसलिए वह अपने मन की बात उसे बता नहीं पा रही थी लेकिन जितना बेचैन मनोज था उससे ज्यादा पूनम तड़प रही थी।
दूसरी तरफ उसकी बुआ सुजाता की बुर में पूरी तरह से खलबली मची हुई थी,,,, उसकी जवानी का जोश उबाल मार रहा था,,, बुर की खुजली उसके बर्दाश्त के बाहर थी,,, वह अपनीे बुर में सोहन के मोटे लंड को लेकर चुदना चाहती थी।। लेकिन ना तो उसे मौका मिल रहा था और ना ही वह इस तरह के कदम उठाने की हिम्मत दिखा पा रही थी,,,,, क्योंकि उसे भी अपने परिवार वालों का डर था,,, लेकिन जवानी का जोश उबाल मार कर सारी मर्यादा को तोड़ ही देती है,, ऐसे ही 1 दिन शाम को वह अपने खेतों में टहल रही थी सब्जी तोड़कर घर ले जाने के बहाने,,,, वह जानबूझकर देर कर रही थी,,, क्योंकि ऊसे सौहन का इंतजार था। वह अच्छी तरह से जानती थी कि उससे मिलने के बहाने वह खेतों के चक्कर जरूर मारता था,,,, शाम ढल रही थी अंधेरा छाने लगा था और यही सही मौका भी था उससे मिलने का,,,
खेतों में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था वह सब्जियां तोड़ भी रही थी और इधर-उधर चकर पकर नजरें दौड़ाकर सोहन को देखभी ले रही थी कि कहीं वह आ तो नहीं रहा है,,,
वह सब्जियां झुक कर तोड़ ही रही थी कि तभी सोहन ने उसे पीछे से आकर उसकी पतली कमर में अपने दोनों हाथ डालकर पकड़ लिया,,,,,

ओहहहहहहह,,,,,, मां,,,, ( इस तरह से एकाएक पीछे से पकड़े जाने की वजह से सुजाता एकदम से डर गई,, और उसके मुंह से चीख निकल गई लेकिन तुरंत सोहन उसके मुंह पर अपना हाथ रखकर दबाते हुए बोला,,।)

डरो मत मैं हूं जानेमन,,,


सोहन तू,, तू तो मुझे डरा ही दिया था,,,

तू सच में डर गई,,,,,

तो क्या ईस तरह से पकड़ेगा तो डर तो लगेगा ही,,,,


अरे मेरी जान मैं तो समझा कि तू बहुत बहादुर है,,,,,
( सोहन अभी भी उसे पीछे से पकड़े हुए था कि गोल-गोल गांड का स्पर्श पाकर उसको पूरी तरह से खड़ा हो गया सुजाता की गांड के बीचो-बीच सलवार सहीत धंसे जा रहा था। जिसका एहसास सुजाता को भी अच्छी तरह से हो रहा था और वह इस स्पर्श की वजह से उत्तेजित हुए जा रही थी। सोहन आव देखा ना ताव कमर में डाले हुए हाथ को ऊपर की तरफ ले जाकर कुर्ती के ऊपर से ही उसकी गोल-गोल चूचियों को दबोच लिया,,,, और उसे ऊपर से ही दबाते हुए बोला।

मेरी रानी एक चुम्मा तो दे दो कब से मैं तड़प रहा हूं तुम्हारे गुलाबी होंठ को चूमने के लिए,,,
( सोहन की यह बात सुनकर उसके बदन में सुरसुराहट होने लगी,,, उसका भी बहुत मन कर रहा है कि सोहन उससे जो चाहता है वह सब कुछ करें लेकिन फिर भी वह यह नहीं जताना चाहती थी कि उसे भी यही सब करना है इसलिए सोहन से बोली,,,।)
धत्त,,,, तू पागल हो गया है क्या,,,,,

हां मैं पागल हो गया हूं रानी तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी खूबसूरत बदन को देखकर,,, अब तो तुम्हें चुमे बिना मेरा मन नहीं मानेगा,,,,( इतना कहते हुए सोहन उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा सोहन की इस हरकत की वजह से सुजाता का पूरा बदन कामोत्तेजना से भर गया वैसे भी अगर औरतों को उनकी गर्दन के ऊपर के हिस्से पर चुंबन किया जाए तो उनकी उत्तेजना कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगती है और यही सुजाता के साथ भी हो रहा था। सुजाता उत्तेजना के मारे अपने नितंबों को और पीछे की तरफ ठेलने लगी क्योंकि सोहन का खड़ाा लंड उसकी गांड के बीचो-बीच ठोकर लगा रहा था। सुजाता सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनते हुए बोली,,,।

सोहन मुझे कुछ चुभ रहा है मुझे छोड़ो,,,,

मैं जानता हूं मेरी जान कि तुम्हें क्या चुभ रहा है। और तुम भी जानती हो कि क्या चुभ रहा है।,,,

मुझे नहीं मालूम सोहन कि क्या चुभ रहा है तुम ही बता दो क्या चुभ रहा है,,,,( सुजाता शरारती अंदाज में बोली।)

अच्छा मेरी रानी ज्यादा नादान बनने की कोशिश मत करो,,
( सोहन अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए सुजाता को जैसे कि चोद रहा हो इस तरह से करते हुए) पूरा का पूरा लंड बिना आवाज कीए बुर में निगल जाओगी और मुझ से पूछ रही हो कि क्या चुभ रहा है,,,, सुजाता अब तो तुम्हारी बात सुनकर मुझे तुम्हें चोदने का मन करने लगा है। चलो ना अपनी सलवार उतारो,,, मेरा लंड तुम्हारी बुर में जाने के लिए तड़प रहा है।

सोहन की तो ऐसी खुली बातें सुनकर सुजाता की बुर से पानी टपकने लगा उसका भी मन हो गया कि सोहन के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवा ले,,,, लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा सोहन बेहद उत्तेजित नजर आ रहा था वह जोर जोर से कुर्ती के ऊपर से ही सुजाता की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया था रह रह कर सुजाता के मुंह से सिसकारी की आवाज़ आ रही थी वह डर के मारे इधर-उधर नजरें घुमा कर देख भी ले रही थी कि कहीं को आ तो नहीं रहा,,, सुजाता पूरी तरह से चुदवाने का मन बना ली थी लेकिन यह अपने मुंह से कहने में शर्म आ रही थी,,,, सोहन लगातार उसे अपनी सलवार उतारने के लिए बोल रहा था क्योंकि वह पूरा उत्तेजित होकर के भरा पड़ा था। वह उसे समझाते हुए बोला,,,।

सुजाता यही सही मौका है आज तुम्हें चोदने का पूरा मौका हम दोनों के पास है देख लो चारों तरफ कोई नजर नहीं आ रहा है और वैसे भी पर बड़ी-बड़ी झाड़ियो और खेतों के बीच हमें कोई भी नहीं देख पाएगा,,,,( सोहन की बात सुनकर सुजाता भी इधर उधर देख कर पूरा इत्मीनान कर ली थी लेकिन फिर भी उसे डर लग रहा था कि कहीं कोई देख ना ले एक तो उसके मन में समाज का डर भी था और जवानी की उमंगे भी थी,, जवानी के जोश से भरी हुई सुजाता पर बदन की जरूरत,, तन का साथ भारी पड़ने लगा,,,, समाज के डर और परिवार के डर को वह कुछ देर के लिए एक तरफ रख दी,,, सोहन बार-बार उस पर दबाव डाल रहा था सलवार की डोरी खोल कर उसके लिए रास्ता बनाने के लिए,, सुजाता भी पूरी तरह से मन बना ली थी अब खुलकर तो वह उसी से नहीं बोल सकती थी कि हां मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूं इसलिए वहां बात को दूसरे शब्दों में बोली,,

सोहन मुझे डर लग रहा है कहीं कोई देख लिया तो,,,
( कहीं कोई देख लिया तो,,, औरतों के मुंह से कही गई यह बात हमेशा औरतों की संमति की मोहर लगाती है। खेला खाया सोहन सुजाता के मन की बात समझ गया,,,। और वह बोला,,,

अरे कोई नहीं देखेगा तो ज्यादा अंधेरा पूरी तरह से छा चुका है। जल्दी से सलवार उतार दो,,,,

( सुजाता को फिर भी मन में डर बना हुआ था,,, दो कदम की दूरी पर ही सूखे घासों का ढेर लगा हुआ था,,, सुजाता उस तरफ देखते हुए बोली,,,।)

सोहन यहां नहीं उस घास के पीछे वहां कोई नहीं देख पाएगा,,,,

तुम्हारी जैसी मर्जी चलो जल्दी चलो,,,,

मैं पहले वहां जाती हूं तुम तब तक खड़े होकर नजर रखना मैं तुम्हें जल्दी ही बुलाऊंगी,,,,( ऐसा कह कर सुजाता उस घास के ढेर के करीब जाने लगी,,, सोहन को तो गुस्सा आ रहा था लेकिन क्या करता आज उसे सुजाता कि बुर चोदने को मिल रही थी इसलिए वह शांति से सुजाता के नखरे सहता रहा,, सुजाता घास के ढेर के पीछे पहुंचते ही एक बार फिर से चारों तरफ नजर दौड़ा ली,,, पूरी तरह से इत्मीनान कर लेने के बाद वह अपनी सलवार की डोरी को खोलकर पेंटी सहित जांघो तक नीचे सरका दी,,,, सुजाता पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी उसकी बुर से मदन रस की बूंदें टपक रही थी वह पीछे नजरें घुमा कर सोहन की तरफ देखते हुए बोली,,,

जल्दी आओ मेरे पास समय नहीं है,,,,
( सोहन तो उसकी आवाज सुनते ही जल्दी से घास के पीछे पहुंच गया जहां पर सुजाता पहले से ही अपनी सलवार को घुटने तक सरकाकर खड़ी थी,,,, यह नजारा देखते ही सोहन जोश से भर गया,,, वह जल्दी से सुजाता को झुक़ने के लिए बोला,,,, लेकिन सुजाता को कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि यह उसके लिए पहली ही बाहर था और तो हम तो पहले से ही खिला खाया था उसे सब मालूम था कि क्या करना है इसलिए वह खुद ही सुजाता की पीठ पर अपना हाथ रखकर उसे आगे की तरफ झुकाते हुए उसे उसकी गांड को थोड़ा सा उठाने के लिए बोला मुझे आता नहीं सोहन के कहे अनुसार ही अपनी गांड को थोड़ा सा बाहर की तरफ निकालकर हवा में उठा दी,,,, सुजाता की कुंवारी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी सुजाता की यह अदा देख कर किसी का भी लंड पानी छोड़ दे,,, सोहन तो कई औरतों के मदन रस से अपनी प्यास बुझा चुका था इसलिए वह संभल गया जल्दी से वह भी अपने पजामे को नीचे सरका कर अपने मोटे लंड को बाहर निकाल लिया,,, और अंधेरे में भी अपने लंड को पकड़कर उसके सुपाड़े को लंड की सुपाड़े से ही टटोलकर सुजाता की बुर से सटा दिया,, सुपाड़ा का स्पर्श बुर पर होते ही सुजाता का पूरा बदन गनगना गया उसकी तो सांसे ही अटक गई,,,
सोहन अपने लंड के सुपाड़े को बुर के अंदर धीरे-धीरे सरकाते हुए बोला,,,

ओह मेरी रानी तुम तो बहुत पानी छोड़ रही हो,,,

जल्दी करो सोहन मुझे देर हो रही है घर जाने के लिए,,,,,

तुम चिंता मत करो मेरी जान( इतना कहने के साथ ही उसने आधा लंड सुजाता की बुर में घुसा दिया,,, दर्द के मारे सुजाता के मुंह से कहरने की आवाज़ आ रही थी,,, यह तो भला हो उस मोटे ताजे बैगन और ककड़ी का जिसे तू चाहता अपनी बुर में डाल डाल कर मोटे लंड को अंदर जाने के लिए जगह बना चुकी थी वरना इस समय वह चिल्ला चिल्ला कर पूरे गांव को इकट्ठा कर ली होती,, सोहन सुजाता की गोल-गोल गांड को सहलाते हुए अगले ही पल जोर का धक्का लगाया कि पूरा लंड उसकी बुर में समा गया,,, सोहन को मालूम था कि उसकी इस हरकत पर सुजाता जोर से चिल्ला देगी इसलिए वह धक्के के साथ ही अपना एक हाथ आगे ले जाकर उसके मुंह को बंद कर दिया और उसकी चीख़ गले में ही अटक गई,,,,, सुजाता को बहुत दर्द हो रहा था वह उसे निकालने के लिए बोलना चाहती थी,,, लेकिन सोहन जानता था कि एक बार बड़ी तेजी से लंड बुर में चला जाए तो लड़कियों को ज्यादा दर्द होता है और वह उसे निकालने के लिए जरूर बोलती है इसलिए वह उसके मुंह को वैसे ही दबाए रहा और धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर बाद सुजाता को भी मज़ा आने लगा और उसके मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी तो सोहन अपना हाथ उसके मुंह से हटा लिया और उसे चोदने का मजा लूटने लगा,,, थोड़ी देर बाद दोनों एक साथ अपना पानी छोड़ दिए सुजाता जल्दी से अपने कपड़े पहन कर खेतों से भाग गई,,,, घर पर पहुंचने पर जब उसे पूछने लगे कि देर किस लिए हुई तो वह सहेली से बातें कर रही थी ऐसा बहाना बनाकर असली बात को छुपा ले गई,, सुजाता बहुत खूब थी क्योंकि आज पहली बार उसकी बुर में किसी लंड का प्रवेश हुआ था। ऊसकी बुर का इस तरह से उद्घाटन होगा उसने कभी सोची भी नहीं थी,, लेकिन अपनी बुर की धमाकेदार उद्घाटन से वह बेहद खुश थी।

रात को खाना खाने के बाद पूनम अपने कमरे में काफी बेचैन नजर आ रही थी। मनोज को लेकर उसके दिल में अलग अलग से ख्याल आ रहे थे और इंसानों की वजह से उसकी आंखों में नींद नहीं थी। अपनी चाची से वह मोबाइल मांग कर लाई थी, क्योंकि मोबाइल की उनको अभी जरूरत नहीं थी उसके चाचा जो वापस लौट आए थे।,,, मनोज के लिए पूनम की बेचैनी और कड़क बढ़ती जा रही थी वह मोबाइल पर गाने सुन रही थी। गाना गा रही हीरोइन की तरह ही उसका भी हाल हो गया था,,,, वह कान में हैंड्स फ्री लगाकर आंखों में नींदे ना दिल में करार मोहब्बत भी क्या चीज होती है यार,,,

इस गाने को बार-बार लगाकर सुन रही थी लेकिन इस गाने में पूनम की बेचैनी को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था।
उससे रहा नहीं जा रहा था और वहां टेबल पर रखा अपना स्कूल बैग लेकर आई और उसमें से अपनी इंग्लिश की नोट निकाल ली जिसने की आखिरी पन्ने पर नंबर लिखा हुआ था और यह नंबर मनोज का ही था। पूनम किसी के हाथ ना पड़ जाए इसलिए उसके दिए लेटर को तो वह फाड़ कर फेंक दी थी लेकिन उसमें लिखा नंबर अपनी नोटबुक में लिख ली थी
उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी वह मन ही मन में सोच रही थी कि वह नोटबुक में लिखे नंबर को वह डायल करें कि ना करें,,, दिल कह रहा था कि वह नंबर डायल करें और दिमाग से रोक रहा था आखिरकार दिमाग हार गया और दिल जीत गया वह दिल की सुनी और कांपते उंगलियों से मोबाइल की कीपैड पर नोटबुक में लिखे नंबर को डायल करने लगी।
जैसे ही नंबर डायल करके वह मोबाइल को कान पर लगाई तो सामने मोबाइल की घंटी बज रही थी,,,, वह फोन कट करने के बारे में सोच ही रही थी कि सामने से फोन उठ गया,,,
और जैसे ही सामने से आवाज आई,,,,

हेलो कौन,,,,

इतना सुनते ही, पूनम का बदन कांपने लगा और वह झट से फोन काट दी,,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था ना जाने उसके बदनन में अजीब प्रकार की हलचल महसूस हो रही थी।,,, कुछ देर तक वह ऐसे ही बैठी रही,,, उसका मन थोड़ा शांत हुआ कि तभी मोबाइल की घंटी बजने लगी वह स्क्रीन पर नंबर देखी तो उस नंबर को देख कर एक बार फिर से उसके बदन में कपकपी से मच गई,,,, और वह झट से मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया।
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