Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
03-11-2019, 12:50 PM,
#19
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
मनोज पूनम का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था। जब भी उसे समय मिलता तो वहां पूनम की दी हुई नोट्स को अपने बैग में से बाहर निकाल कर घंटो उसे देखता ही रहता उसकी लिखावट पर अपनी उंगलियों का स्पर्श करके एक अद्भुत सुख की अनुभूति करता रहता,,, कभी-कभी तो वह उसके लिखावट को अपने होठों पर रखकर चूम लेता,,, कुछ दिनों से यही चल रहा था हालांकि उसे तो उस नोट्स में से अपना अधूरा काम पूरा करना नहीं था बस उसे अपने पास रख कर ऐसा प्रतीत होता था कि उसके पास पूनम की नोट ना हो करके पूनम खुद उसके करीब है।,,,, पूनम को दिया गया दो-तीन दिन का वक़्त भी मनोज ने यूं ही बिता दिया आखिरकार उसे उस नोट्स को तो लौटाना ही था,,, मनोज को पूनम से अपनी प्रेम का इजहार भी करना था लेकिन उसे किस तरह से अपने प्रेम का इजहार करना है समझ में नहीं आ रहा था।
उसने बहुत सी लड़कियों को प्रेम का इजहार करके अपने प्रेम के जाल में फंसा रखा था। लेकिन पूनम को किन शब्दों में वह अपने दिल की बात बयां करें इस बारे में उसे बिल्कुल भी नहीं सूझ रहा था। वह अपने कमरे में बैठकर पूनम की दी हुई नोट के पन्ने पलट रहा था कि तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी,,,, और वह,, इस बार अपने मुंह से नहीं बल्कि अपने प्रेम का इजहार को अपने शब्दों में डालकर कागज पर लिखने की ठान लीया,,, और अपने मन की बात को उस कागज पर उतार दिया,,,, और कागज के नीचे अंत में अपना नाम लिखकर साथ में पूनम का भी नाम लिख कर अपना मोबाइल नंबर भी लिख दिया,,,,,, उसे अपने ऊपर विश्वास था कि पूनम जरूर उसके लिए प्रेम पत्र को पढ़कर उसके प्यार को स्वीकार कर लेगी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं अगर पूनम ने उसके लिए प्रेम पत्र को पढ़कर फाड़ दी तो सारे अरमान धरे के धरे रह जाएंगे,,,,, वह इस खत को इंग्लिश की नोट में आखरी पन्नों के बीच रख कर अपने बैग में रख दिया क्योंकि उसे कल नोट्स को वापस लौटाना था।

दूसरी तरफ पूनम रात को अपने कमरे में सोते हुए मनोज के बारे में ही सोच रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने मनोज का चेहरा नजर आ जा रहा था उसका हंसता हुआ उसकी बोली भाषा उसका स्टाइल सब कुछ पूनम को अच्छा लगने लगा था। कड़ाके की ठंडी में रजाई ओढ़ कर मनोज के ख्यालों की गर्माहट से उसका बदन सुकून अनुभव कर रहा था। कभी उसे जांघों के बीच खुजली सी महसूस हुई तो वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर सलवार के ऊपर से ही,,, बुर के उपसे हुए भाग पर खुजलाने लगी,,,,,,की तुरंत उसके जेहन में सोहन का ख्याल आ गया,,, और सोहन का ख्याल आते ही उसकी आंखों के सामने उसके पैंट में बना जबरदस्त तंबू नजर आने लगा,,,, उस नजारे को याद करके पूनम के बदन में उत्सुकता के कारण सुरसुराहट सी दौड़ने लगी,,,, इतना तो उसे पता ही था की सोहन के पेंट में जिस वजह से तंबू बना हुआ है उसके पीछे उसकी जांघों के बीच के हथियार ही जिम्मेदार था,, उस हथियार को सामान्य भाषा में लंड के उपनाम से जाना जाता है यह भी,,, उसे अच्छी तरह से पता था,,,, लेकिन उन शब्दों का उच्चारण वह अभी तक मन से ही जानती थी कभी भी वह उन शब्दों को अपनी जुबान पर आने नहीं दी थी,,,,। उसे इस बात से हैरानी हो रही थी क्या उस अंग में इतनी ज्यादा ताकत होती है कि वह पेंट के आगे वाले भाग को इतना उठा देता है कि तंबू जैसा दिखने लगता है,,,, उस बारे में सोच कर उसके बदन की सुरसुराहट बढ़ने लगी थी,,,। उसके मन में इस बात को लेकर उत्सुकता होना लाजमी ही था क्योंकि उसने अभी तक किसी बड़े लड़के या एक संपूर्णता मर्द के लंड को कभी भी अपनी आंखों से नहीं देख पाई थी। उसने अभी तक सिर्फ बच्चों के ही लंड को देखी थी जिनके छोटे छोटे लंड को लंड नहीं बल्की नुनु जेसे शब्दों से जाना जाता था,,, इसलिए वह मर्दों के लंडके आकार लंबाई और उसकी मोटाई के बारे में बिल्कुल ही अनजान थी। उसे यह भी नहीं पता था कि मर्दों का लंड सुषुप्तावस्था में एकदम बच्चे की तरह हो जाता है और उसमें रक्त के तेज परिभ्रमण के कारण उसकी लंबाई में वृद्धि होने के कारण वह पूरी तरह से लंड में तब्दील हो जाता है और तब जाकर के,,, औरत की बुर में प्रवेश करने लायक बन जाता है। लेकिन पूनम इन सब बातों से बिल्कुल भी अनजान थी,, इसलिए तो वहां सोहन के तंबू के बारे में इतना कुछ सोच रही थी लेकिन उसके बारे में सोचते हुए उसे अपनी बुर के अंदर से कुछ चिपचिपा सा रिसाव होता महसूस होने लगा तो वहां उत्सुकतावश अपने हाथ को बुर. ़ के ऊपरी सतह पर रख कर,,, जानना चाहि कि ऐसा क्यों हो रहा है तो ऊसे कुछ समझ में नहीं आया कि यह गीला गीला क्यों हो गया है उसे बस ऐसा लगने लगा कि शायद तेज पेशाब लगने की वजह से पेशाब की बूंदे अपने आप ही बुर से बाहर आने लगी हैं,,,,, और उसे तेज पेशाब का एहसास भी हो रहा था और वैसे भी प्राकृतिक रूप से उत्तेजनात्मक परिस्थिति में पेशाब लग ही जाती है। सुबह जल्दी से अपने बिस्तर पर से ऊठी कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी,,, वह अपने बदन पर गर्म साल लपेट कर जल्दी से कमरे से बाहर आ गई,,, वह घर का मुख्य दरवाजा खोलने चली ही थी की,,,, उसे पीछे से बर्तन गिरने की आवाज आई और वह तुरंत पीछे मुड़कर देखी तो उसकी ऋतु चाची अपने कमरे से बाहर चली आ रही थी। उन्हें देखते ही वह बोली,,,,

क्या हुआ चाची अभी तक आप सोई नहीं,,? 
( पूनम बहुत धीमे से बोली थी जो कि सिर्फ उसकी चाची को ही सुनाई दे ताकि उसकी आवाज सुनकर दूसरा कोई न जग जाए,,,, तभी उसकी चाची कुछ बोलती से पहले ही उसके कमरे से उसके चाचा की आवाज आई,,,,।)

जल्दी आना ज्यादा देर मत लगा देना,,,

आ जल्दी आ रही हूं वहां कोई मैं सोने नहीं जा रही हूं जरा सा भी सब्र नहीं हो रहा है,,,,,( रितु यह बात फुसफुसाते हुए बोली थी लेकिन उसकी कहीं बात पूनम के कानों तक पहुंच गई अपने चाचा की बात सुनकर और चाची का जवाब सुनकर उसे समझते देर नहीं लगी कि सारा माजरा क्या है,,,, इसका साफ-साफ मतलब था कि उसके चाचा और चाची चुदाई का खेल खेल रहे थे,,,, जो कि आगे भी खेला जाना बाकी था इसलिए वहां पूनम की चाची को जल्द ही आने के लिए बोल रहे थे पूनम को सब कुछ समझते ही उसके चेहरे पर मुस्कुान फैल गई। उसकी चाची उसे मुस्कुराते हुए देख ली।,,,,
और थोड़ा चिढ़ते हुए बोली,,,,

तू क्यों हंस रही है,,,,

कुछ नहीं चाची बस ऐसे ही हंसी आ गई,,,

मैं सब जानती हूं कि तुझे हंसी क्यों आ गई तू जहां दांत निकाल कर हंस रही है पर तेरे चाचा इतनी कड़ाके की ठंडी में भी शांति से नहीं सोते,,,,,,( इतना कहते हुए वह खुद ही घर का मुख्य दरवाजा खोलकर बाहर आ गई और साथ ही पूनम भी,,,, चांदनी रात होने के कारण सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था हां लेकिन चारों तरफ कोहरा छाया हुआ था बाहर ठंडी कुछ ज्यादा हीं थी,,,, दोनों को जोरों से पेशाब लगी हुई थी पूनम घर के पीछे की तरफ जाने लगी तभी ऋतु उसे रोकते हुए बोली,,,,


अरे वहां कहां जा रही है।

अरे वही जो करने आए हैं,,,,

लेकिन तू घर के पीछे इतनी रात गए क्यों जा रही है पागल तो नहीं हो गई है,,, सब साथ में रहे तभी वहां जाया कर,,,

क्यों चाची,,,? 

अब यह भी तुझे बताना पड़ेगा कितने आवारा लफंगे घूमते रहते हैं ऐसे अकेले पाकर कोई कुछ भी कर सकता है,,,, चल ऊधर सामने कर लेते हैं,,,,( इतना कहकर वह आगे आगे चलने लगी और पूनम उनके पीछे पुनम मन में सोच रही थी कि उसकी चाची सच ही कह रही है,,, इस तरह से अकेले घर के पीछे और वहां भी पेशाब करने जाना मतलब मुसीबत मोल लेने के बराबर है,,,, तभी उसके मन में सुबह वाली बात याद आ गई जब सोहन अपने पैंट में बना तंबू बिना किसी शर्म के उसे दिखाते हुए हंस रहा था ऐसे लोगों से बचकर रहने में ही भलाई है,,, वह मन मे यही सोच रही थी कि तब तक उसकी चाची रुक गई,,, और एक बार मन में तसल्ली करते हुए अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगे कि कहीं कोई छुप कर उन्हें देख तो नहीं रहा है चारों तरफ कोहरे का धुंध फैला हुआ था इतनी दूर तक देख पाना मुश्किल ही था।
फिर भी आदत अनुसार निश्चिंत कर लेना चाहती थी और सब को निश्चित कर लेने के पश्चात वहां धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी ठीक उसके पीछे पूनम खड़ी होकर के इधर-उधर नजरे घुमाते हुए अपनी चाची को देख ले रही थी,,,, जो की उसके सामने अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और यह कोई नई बात नहीं थी अक्सर वह लोग साथ में ही बातें करने के पश्चात घर के पीछे पेशाब करने जाया करते थे और वहां इसी तरह का दृश्य हमेशा ही देखने को मिलता था। धीरे-धीरे करके उसकी ऋतु चाची ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,, कमर तक साड़ी के उठते ही
रितु चाची के पिछवाड़े का सारा भूगोल पूनम के सामने खुली किताब की तरह नजर आने लगा,,,, घर में रितु चाची का रंग सबसे ज्यादा गोरा था इस वजह से कोेहरा होने के बावजूद भी,,, उसकी मदमस्त भरावदार बड़ी बड़ी गांड किसी बल्ब की तरह चमक रही थी,,,, पूनम पहली बार अपनी चाची की मदमस्त गोरी गांड को नहीं देख रही थी वह काफी बार देख चुकी है लेकिन इस कड़ाके की सर्दी में और कोहरे से छाई धुंध में भी जिस तरह से,,, उसकी गांड बल्ब की तरह चमक रही थी यह देखकर पूनम की आंखें भी चमक गई वह टिकटिकी लगाए,, अपनी चाची की गांड को ही देखे जा रही थी जो कि वह अब नीचे बैठ कर पेशाब करना शुरू कर दी थी,,, तभी पूनम का ध्यान गया कि उसकी चाची नहीं आज पैंटी नहीं पहन रखी थी और पहेली भी होंगी तो वह शायद कमरे में चाचा के साथ मस्ती करते समय उतारकर आई है यह सब ख्याल उसके दिमाग में आने लगा था एक पल के लिए तो यह सब सोचकर उसके बदन में भी उत्तेजना की सुरसुरी फैल गई,,,, मन में तो आया कि वह अपनी चाची से पूछ ही ले कि तुम्हारी पैंटी कहां है तब देखे कि वह क्या बोलती है। लेकिन शर्म के मारे वह पूछ ना सकी लेकिन अपनी चाची को पेशाब करते हुए देखकर उनकी मदमस्त गांड पर नजरें गड़ाए हुए वह बोली,,,,

चाची तुम्हारी गांड बहुत खूबसूरत है ।(गांड शब्द पूनम के मुंह से पहली बार निकला था इसलिए उसके बदन में रोमांच सा फ़ैल गया,,, पूनम की बात सुनकर पेशाब करते हुए ही रितु मुस्कुरा कर बोली,,,)

देखना नजर मत लगा देना ईसी के तो तेरे चाचा दीवाने हैं अगर नजर लगा दी तो शायद वह मुझ पर इतना ध्यान भी नहीं देंगे,,,,

तब तो चाची उस पर नींबू मरचा लटका कर घूमा करो क्योंकि इस तरह से कोई देखेगा तो उसकी नजर लगेगी ही लगेगी,,,,( इतना कहकर वह हंसने लगी तब तक उसकी चाची के साथ कर चुकी थी वह खड़ी होते हुए साड़ी को ठीक से झाड़ते हुए अपने कपड़ों को दुरुस्त कर ली और उससे बोली,,,)

अगर ऐसा है तो फिर घर में सब को ही लिंबू मरचा लटका कर घूमना पड़ेगा,,,, क्योंकि अपने घर में तो सभी औरतों की गांड बेहद खूबसूरत है । (इतना कहकर वह भी हंसने लगी और हंसते हुए बोली)

अब तू भी जल्दी से कर ले वरना मैं चली जाऊंगी,,,, तेरे चाचा इंतजार कर रहे हैं,,,,।

( अपनी चाची की बात सुनकर पूनम भी आगे बढ़ी और धीरे-धीरे अपने सलवार की डोरी को खोल दी उसकी चाची की भी नजर उसके ऊपर टिकी हुई थी,,,, डोरी के खुलते ही पूनम पेंटी सहित अपनी सलवार को पकड़ कर नीचे जांघो तक कर दी,,, सलवार को नीचे सरका आते ही उसकी उजली उजली गौरी गांड वातावरण में गर्माहट फैलाने लगी,, पूनम की खूबसूरत गांड पर अभी तक किसी मर्द के हाथों का स्पर्श नहीं हुआ था इसलिए उसकी गांड का घेराव सीमित मर्यादित रूप में ही था। जिसकी वजह से पूनम की गांड हल्की-हल्की कठोर लगती थी लेकिन ऐसी थी नहीं वह एकदम रुई की तरह नरम नरम थी तभी तो कमर पर हल्की सी बलखाहट आते ही उसमें इतनी लचक अा जाती थी कि,,, गांड के बीच की फांक रबड़ की तरह इधर उधर फैलने लगती थी ऋतु के देखते ही देखते पूनम नीचे बैठ कर पेशाब करना शुरू कर दी और वातावरण को अपने बुर के अंदर से आ रही मधुर आवाज की ध्वनि से,,, शुमधुर कर दी,,,, पूनम की खूबसूरत मदमस्त गांड को देखते हुए उसकी ऋतु चाची बोली,,,,

पूनम तुमको तो दो दो मिर्ची और नींबू लटकाने पड़ेंगे,,,

ऐसा क्यों चाची (वह पेशाब करते हुए ही बोली,,,,)

हम लोगों से भी ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी गांड है इसलिए,,,,


क्या चाची तुम भी बस,,,,

अरे सच पूनम मैं सच कह रही हूं,,,,, बहुत ही किस्मत वाला होगा जिसे तुम मिलोगी और तुम्हारी यह खूबसूरत गांड,,, 

धत्त,,,, चाची कैसी बातें करती हो,,,,( इतना कहने के साथ ही वह जल्दी से खड़ी होकर के,,, अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी और खूबसूरत नज़ारे पर पर्दा डाल दी,,, लेकिन किस्मत वाले अपनी चाची की बात को सुनते ही उसके जेहन में मनोज का ख्याल आ गया था जिसका ख्याल आते ही उसके बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी।
बाहर ठंड ज्यादा थी इसलिए बाहर रुकने का कोई मतलब नहीं था वह दोनों जल्दी से घर में प्रवेश कर गई,,,

सुबह उठकर पूनम जल्दी जल्दी नहाकर स्कूल जाने के लिए तैयार हो गई उसकी दोनों सहेलियां भी आ गई दूसरी तरफ मनोज अपने लिखे प्रेम पत्र को उसकी इंग्लिश के नोट्स में रखकर उसे देने के लिए उसी मोड़ पर खड़ा होकर उसका इंतजार करने लगा,,,, पूनम के मन में भी बेचैनी छाई हुई थी वह भी मनोज से मिलने के लिए आतुर थी इसलिए अपनी सहेलियों के साथ वह स्कूल जाने के लिए निकल गई।
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