Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
03-11-2019, 12:50 PM,
#18
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
मनोज के साथ साथ पूनम की भी रातों की नींद दिन का चैन खो चुका था। पूनम को भी सोते जागते उठते बैठते बस मनोज का ही चेहरा नजर आता था। जब से वह पैर फिसलने की वजह से मनोज के ऊपर गिरी है तब से तो वह उसके ख्यालों में पूरी तरह से खो चुकी है। उसे भी अब रास्ते में मनोज के खड़े रहने का बेसब्री से इंतजार रहने लगा,,, वह सामने से तो कुछ नहीं बोलती थी लेकिन उसके बोलने का इंतजार उसे हमेशा रहने लगा। बेला उसे बातों ही बातों में उसका नाम लेकर छेड़ देती थी,,,, लेकिन अब पूनम को भी मनोज का नाम लेकर एक छेड़खानी का मजा आने लगा था लेकिन वह बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोला को डांट. देती थी। पूनम के हृदय में भी मनोज के नाम का अंकुर अब अंकुरित होने लगा था। दूसरी तरफ मनोज की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी उसने तो अभी तक अपनी आंखों से ही पूनम के भजन का जायजा लेते हुए नापतोल किया था। लेकिन पूनम को गिरते-गिरते संभालने में जिस तरह से वह अपनी हथेलियों का उपयोग ऊसको उठाते समय उसके खूबसूरत बदन के उतार-चढ़ाव के रुपरेखा के अवलोकन करने में लगाया था तब से तो उसके सांसो की गति जब भी वह उसको याद करता तीव्र हो जाती थी।,,,, मनोज उसको अर्धनग्न अवस्था में उसके भरे हुए नितंब को तो देख लिया था और कपड़ों के ऊपर से उसे स्पर्श करने का सुख भी बहुत चुका था लेकिन इतने से दीवाना दिल कहां मानने वाला था वह तो उसको पूरी तरह से निर्वस्त्र देखना चाहता था और वह भी अपनी बाहों में,,,, यह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सपना था। मनोज के मन में पूनम को लेकर उसके प्रति प्यार के साथ साथ वास्ना का गंदा मिश्रण भी था मनोज ज्यादातर उसे भागने की ही इच्छा रखता था। लेकिन पूनम के मन में उसके प्रति प्यार पनप रहा था।,,, यूं ही एक दूसरे को देखते देखते ही चार-पांच दिन और गुजर गए,,,,, 

पूनम के घर पर गाय भैंसों का तबेला होने की वजह से कभी-कभी उसे भी गाय भैंस का दूध निकालना पड़ता था। उसे यह काम तो बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन फिर भी जब मजबूर हो जाती थी तो उसे करना ही पड़ता था उसी तरह से आज भी सभी को काम में व्यस्त होने की वजह से पूनम को ही दूध निकालना था और सुबह सुबह गांव के सभी लोग पूनम के घर दूध खरीदने आ जाया करते थे। पूनम अपने आप को दूसरे कामों में व्यस्त करने में लगी हुई थी ताकि कोई उसे दूध निकालने के लिए ना बोले और वैसे भी उसे आज कोई दिक्कत भी नहीं थी क्योंकि आज छुट्टी का दिन था लेकिन फिर भी वह दूध निकालना पसंद नहीं करती थी,,,, इसलिए वह घर के अंदर झाड़ू लगाने लगी,,,, तभी दूध लेने के लिए उधर सोहन आ गया,,,, सभी दिनों में उसकी मां भी दूध लेने आती थी लेकिन रविवार के दिन छुट्टी की वजह से वही घर पर दूध लेने आता था इसकी एक खास वजह थी। उसे मालूम था कि छुट्टी के दिन पुनम हीं दूध निकालती थी,,, और उसे आंख भर कर देखने का इससे अच्छा मौका दूसरे किसी भी दिन नहीं मिल पाता था,,,,, वह घर के आंगन में आकर आवाज लगाते हुए बोला,,,,,, 

चाची,,,,,,,,, वो,,,,, चाची दूध लेना है,,,,, कब से खड़ा हूं कौन निकाल कर देगा,,,,,,,


अरे मुझे सुनाई दे रहा है बहरी नहीं हूं जो इतनी जोर से चिल्ला रहा है,,,,, ( पूनम की मम्मी सोहन को बोलते हुए उसकी तरफ घूम गई जो कि अभी तक रस्सियों पर धुले कपड़े डाल रही थी,,,, और कपड़े डालने की वजह से उसके भारी-भरकम नितंबों में गजब की धड़कन हो रही थी और उसी नितंबों की धड़कन को देखते हुए सोहन मस्त होता हुआ उन्हें आवाज लगाया था। )

अरे चाची गुस्सा कांहे रही हो,,,, दूध ही तो मांग रहे हैं थोड़ी ना तुम्हारी गाय भैंस मांग ले रहे हैं,,,,,,

अच्छा तू मांगेगा तो मिल जाएगा,,,,, दिन में सपना देख रहा है क्या,,,

अरे चाची मांगने से मिल गया होता तो अब तक ना जाने क्या क्या मांग लिया होता,,,, 

क्या क्या मांग लिया होता,,,( पूनम की मम्मी गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)


अरे कुछ नहीं चाहती मैं तो मजाक कर रहा हूं और वैसे भी मुझे बहुत देर हो रही है जल्दी से दूध निकाल कर दे दो,,,,( पूनम की मां का गुस्सा देखते हुए वह बोला,,,,।)

पूनम,,,, जा बेटा जाकर जल्दी से दूध निकाल कर दे,,दे,,,, देख नहीं रही है कितना उतावला हुआ है,,,, अंदर घर में झाड़ू लगाना बंद कर और जल्दी आ,,,,( इतना कहने के साथ हीवह फिर से कपड़ों को रस्सी पर डालने लगी,,,, उसकी आवाज सुनकर सुजाता जो की छत की सफाई कर रही थी वह छत के ऊपर खड़ी होकर उसको देख कर मुस्कुराने लगी,,,,, तो हिंदी जवाब में हाथ हिलाते हुए उसे हवा में ही चुंबन को गेंद बनाकर उसकी तरफ उछाल दिया,,,, वह भी नजरें बचाकर जैसे कि किसी गेंद को लपक रही हो इस तरह से लपकते हुए उसे अपनी कुर्ती में डाल दी,,, सुजाता की यह अदा देखकर सोहन खुश हो गया,,,, और वह अपने मन की इच्छा को इशारों से दर्शाता हुआ,,, एक हाथ के अंगूठे और उंगली को जोड़कर गोल बना लिया और दूसरे हाथ की एक लंबी वाली उंगली को,,, ऊस गोलाई मे डालकर अंदर बाहर करते हुए उसे चोदने की ईच्छा बता दिया,,, पूनम की बुआ तो सोहन की इस हरकत को देखकर पूरी तरह से गंनगना गई,,,, और उसके इस इशारे को कोई और भी ना देख ले इसलिए वह झट से पीछे कदम हटा ली,,,, कब तक घर में से संध्या बर्तनों का ढेर हाथों में लिए बाहर आने लगी तो सोहन की नजर सीधे उसके बड़े बड़े ब्लाऊज से झांक रहे चुचियों पर गई,,,, सोहन चूचियों को खा जाने वाली नजर से देख रहा था,,, जिस पर संध्या की नजर गई तो वह अपने बदन को उसकी नजरों से छुपाते हुए गुस्से में बोली,,,,

क्या काम है,,,,, ऐसे क्या उल्लुओं की तरह घूर रहा है।

दददद,,, दुध,,,, दुध,,,, चाहिए कब से इंतजार कर रहा हूं,,,,
( सोहन समझ गया कि संध्या उसकी चूचियों को घूरते हुए उसे देख लि है,,, इसलिए हकलाते हुए बोला,,,, और उन दोनों की आवाज सुनकर पूनम की मम्मी जौकी कपड़े रस्सी पर डाल चुकी थी वह उनकी तरफ घूमते हुए बोली,,

अरे तू अभी तक यहीं खड़ा है,,,,, पूनम कहां गई,,,

दीदी वह तो अंदर वाले कमरे में झाडू लगा रही है । (संध्या बर्तन मांजने के लिए नीचे बैठते हुए बोली,, और उसे देखते देखते सोहन अपनी नजरों को बेठती हुई संघ्या के भारी भरकम गद्देदार गांड को देखने लगा,,,,, और उसे देखते हुआ लंबी आहें भरने लगा,,,। )

यह लड़की देना इसे कब से आवाज लगा रही हूं लेकिन यह है कि कुछ सुनती ही नहीं,,,,
( उसका यह कहना था कि तभी अंदर के कमरे से पूनम दुपट्टे को अपनी कमर से बांधते हुए बाहर आई और बोली,,,,)

क्या मम्मी आप भी ना तुम्हें अच्छी तरह से मालूम है कि मुझे दूध निकालना अच्छा नहीं लगता फिर भी मुझे ही कहती हो,, 


बेटा तुझे मालूम तो है की आज के दिन तेरे चाचा बाजार जाते हैं और वहां से घर के जरुरतों का सामान लेकर आते हैं।
और उन्हें आते आते ही दोपहर हो जाएगी,,,, इसलिए कह रही हूं जा बेटा जल्दी से दूध निकाल कर उन्हें चारा भी दे दे,,,

चाची मैं अब और कितनी देर तक इंतजार करूं,,,,( सोहन उन लोगों की बहुत सारी देखते हुए बीच मे हीं बोल पड़ा,,,, लेकिन उसकी नजर अब पूनम के बदन के उपर घूम रही थी,,,, और यही ताक-झांक करने के लिए तो वह आज के दिन दूध लेने आता था और उसे आंख सेंकने के लिए काफी कुछ नजर आ ही जाता था,,,, उसे इस बात से ही तसल्ली थी कि भले ही वह उन औरतो के नंगे बदन के दर्शन नहीं कर पाता था लेकिन वह उन औरतों के खूबसूरत बदन के उतार-चढ़ाव का जायजा कपड़ो के ऊपर से ही भली भांति ले लेता था। इतने से ही सप्ताह भर तक लंड हिलाने का काम चल जाता था। वह प्रतिदिन अपनी प्यास को अपने ही हाथों से मुठ मारकर बुझाता था,, हालांकि मुठ मारते समय उसकी कल्पना हो की अभिनेत्री रोज ही कोई ना कोई और होती थी कभी वह सुजाता को याद करके,,, मुट्ठ मारता था तो कभी संध्या के भरावदा़र गद्देदार नितंबों की थिरकन तो कभी उसकी बड़ी बड़ी चूचियां का सहारा लेता था,,,तो कभी रीतु के खूबसूरत दूरियां बदन को याद करके तो कभी पूनम की मां की गांड को याद करके मुट्ठ मारता था और जब कभी उसके बदन में कामोत्तेजना का असर अपना जलवा दिखाता तो वह पूनम के खूबसूरत बदन की कल्पना करके बहुत ही तीव्र गति से अपने लंड को हिलाते हुए पूनम की कल्पना में ही उसके साथ संभोग सुख का सपना देखते हुए अपना पानी निकाल देता था।,,,,)

आ रही हूं ऐसा लग रहा है कि दूध नहीं मिलेगा तो भूचाल आ जाएगा,,,,,,,,
( सोहन पूनम की जवानी के रस को अपनी आंखों से पीते हुए बोला,,,)

तो दे दो ना कितनी देर से तो खड़ा हूं,,,,,

( इतना कहने के साथ ही पूनम आगे आगे चलने लगी और सोहन भी उसके पीछे हो चला सोहन कोे जाते हुए देख रही 
संध्या गुस्से में मन ही मन में बड़ बड़ाते हुए बोली,,,,)

निठ्ठल्ला कहीं का।,,,, 

क्या हुआ किसे गाली दे रहीे हैं,,,,,
( पूनम की मां संध्या को बड़बड़ाते हुए देख कर बोली,,,)

अरे इसी सोहन को देखते ही नहीं हो इसे बात करने का ढंग बिल्कुल भी नहीं है जब देखो तब औरतों के बदन को घुरता रहता है।

जाने दे उसकी तो आदत ही ऐसी है,,,,( इतना कहकर दोनों फिर से अपने अपने काम में लग गए,,,, दूसरी तरफ पूनम आगे आगे चली जा रही थी दुपट्टे को कमर से बांधने की वजह से,,, कमर के नीचे वाला भाग जो कि अब काफी उभरा हुआ नजर आ रहा था पूनम के हर चाल के साथ-साथ वह बड़े ही उन्मादक अंदाज में मटक रहा था। जिसको देखते हुए सोहन बार-बार अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल दे रहा था। पूनम की गदराई जवानी सोहन के बदन में कड़कड़ाती ठंडी में भी गर्मी पैदा कर रही थी। पूनम की बलखाती कमर के साथ साथ उसकी मटकती हुई गांड कभी दांएं को लचकती तो कभी बांए को,,, और उसके साथ-साथ सोहन कि काम लोलुपता से भरी आंखें भी दाएं बाएं घूम रही थी।,,, तभी वह आगे चल रही पूनम से बात करने की कोशिश करते हुए बोला,,,,,।

पूनम तुम हमेशा छुट्टी के दिन ही क्यों दूध निकालती है बाकी के दिन क्यों नहीं निकालती,,,,

क्यों तुम्हें कोई तकलीफ है क्या,,,( पूनम सोहन की तरफ बिना देखे ही बोली,,,)

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन वह क्या है कि तुम दूध अच्छा दिखाती हो मेरा मतलब है कि दूध अच्छी तरह से निकालती हो,,,( सोहन झट से अपनी कही बात को संभालते हुए बोला वैसे उसका इरादा दूसरा ही था,,,, पूनम उसके कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी तो वहां लुच्चे भरी मुस्कुराहट से उसे देखने लगा,,,)
वैसे सुना है पूनम की तुम पढ़ने में काफी होशियार हो,,,,

किसने कहा,,,,

गांव वालों ने और किसने कहा,,,,, गांव वाले बता रहे थे कि तुम इंग्लिश में काफी तेज हो,,,, और हमें तो ठीक से ABCD भी नहीं आती,,,,,
( इस बार पूनम उस पर गुस्सा नहीं हुई लेकिन चेहरे का एक्सप्रेशन गुस्से वाला ही था उसे अंदर ही अंदर सोहन कि इस बात पर खुशी होने लगी,,, लेकिन वह आगे से कुछ भी नहीं बोली)
कभी जरुरत पड़े तो हमें भी कुछ बता देना,,, हमें इंग्लिश बिल्कुल भी पढ़नी नहीं आती,,,

ठीक है,,, ठीक है,,, ( पूनम आंखें तैरते हुए बोली,,,, तब तक वह तबेले के अंदर आ गई और भैंस को पूचकारते हुए बाल्टी लेकर उसके थन के नीचे लगाते हुए बैठ गई,,,, सोहन ठीक उसके करीब ऐसे खड़े हो गया जहां से भैंस के दूध के साथ-साथ पूनम के भी दूध अच्छी तरह से नजर आने लगे,,,, पूनम इस तरह से बैठी हुई थी की कुर्ती में से झांक रहे दोनों दूध सोहन को साफ साफ नजर आ रहे थे,,, शायद सोहन की किस्मत भी बड़े जोरों पर थी क्योंकि पूनम ब्रा नहीं पहनी हुई थी वह रात को सोते समय,, तंग होने की वजह से उसे रात को ही निकाल दी थी,,, जैसे-जैसे पूनम भैंस के थन को पकड़ कर खींच खींच कर दूध निकालती वैसे वैसे बदन में जलन जलन की वजह से उसके दोनों नारंगीया भी कुर्ती के अंदर उच्छल कूद मचाने लगती,,, और उन दोनों कबूतरों को फड़फड़ाता हुआ देखकर सोहन का अंडर वियर तंग होने लगा था। पूनम बड़े मजे से बाल्टी के अंदर दूध का धार छोड़ते हुए थन में से दूध निकाल रही थी,,, और सोहन उसकी कुर्ती में झांकता हुआ बोला,,,,

लगता नहीं है कि इसमें ज्यादा दूध होगा,,,,,( सोहन उत्तेजना के मारे थूक को गले में निगलता हुआ बोला,,)

यह तो देखने वाली बात है देखना में धीरे धीरे करके पुरी बाल्टी भर दूंगी,,,( पूनम,, सोहन की बात का मतलब समझे बिना ही बड़े ही औपचारिक ढंग से बोल रही थी,,)

भगवान करे जैसा तुम कह रही हो ठीक वैसा ही हो तभी तो मजा आएगा,,,( मजा वाली बात सुनकर पूनम सोहन की तरफ आश्चर्य से देखें तो सोहन बात को बदलते हुए बोला,,,)
मतलब कि अच्छा लगेगा कि तुम्हारे कहने से बाल्टी भर गई,,,

( पूनम फिर से उसकी बात पर गौर ना करते हुए दूध निकालने लगी धीरे धीरे करके आधी बाल्टी भर गई थी,,, सोहन लगातार अपनी नजरें कुर्ती के अंदर गड़ाए हुए था नजरों को तेज कर के वह बड़े गौर से कुर्ती के अंदर के खजाने को निहारने में लगा हुआ था,,,, कुर्ती में छिपा यह एक अनमोल और अमूल्य खजाना था जिसका मोल दुनिया की किसी भी कीमती चीज से चुकाकर हासिल नहीं किया जा सकता था,,,, यह अनमोल खजाना किस्मत और प्यार की बदौलत ही पाया जा सकता था और उस खजाने को सोहन अपनी नजरों से चुरा रहा था। नजरों को काफी जोर देने पर उसे पूनम की भूरे रंग की निप्पल नजर आने लगी,,,, जिस पर नजर पड़ते ही सोहन की तो हालत खराब होने लगी उसके बदन में उत्तेजना के सुरसुराहट दौड़ने लगी,,,, उसके पैंट में तंबू सा बन गया उसकी अंडरवियर काफी तंग होने लगी,,
पूनम के संतरो की निप्पल किसी स्ट्रो की तरह लग रही थी,,,
जिसको मुंह में भरकर दूधीया रंग के संतरो के स्वादिष्ट रस को पिया जा सके,,, सोहन की तो इच्छा कर रही थी कि यही पकड़ कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरु कर दे,,
लेकिन मन में एक कसक उठकर शांत हो जाती थी क्योंकि वह जानता था कि ऐसा होने वाला नहीं है। पूनम ऐसी लड़की नहीं थी हां अगर पूनम की जगह उसकी बुआ होती तो सोहन जरूर अपनी मनमानी कर सकता था। उसके मन में इस बात को लेकर भी काफी उत्तेजना थी कि पूनम के घर में जितनी भी औरतें थी सब का बदन एकदम मदमस्त था। सब की सब गदराई जवानी की मालकिन थी। चाहे उनके पास छोटी-छोटी संतरे जैसी चूचियां हो या फिर खरबूजे की तरह बड़ी-बड़ी मजा सब में भरा हुआ था। सोहन मन ही मन में सोच रहा था कि अगर पूनम की छोटी-छोटी संतरे जैसी चूचियों को मुंह में भरकर पीना हो तो किस्मत बन जाए,,, यह सब सोचकर उसका अंडरवीयर ऐसा लग रहा था मानो लंड के भार से अभी फट जाएगा,,, पैंट के अंदर ग़दर मचाया हुआ था। पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था। धीरे-धीरे करके पूनम ने दूध से पूरी बाल्टी लबालब भर दी,,, भरी हुई बाल्टी देखकर पूनम बहुत खुश हुई,,,, और खुश होते हुए बोली,,

देखा कहती थी ना कि मैं यह पूरी बाल्टी दूध से भर दूंगी,,,,

( वह सोहन से बोल रही थी लेकिन सोहन का ध्यान तो कहीं और लगा हुआ था वह पूनम की छोटी-छोटी चूचियों को देखने में व्यस्त था,,, तभी तो वह पूनम की बात पर ध्यान दिए बिना ही जवाब देते हुए बोला,,,,।)

हां लेकिन बहुत छोटी छोटी हैं,,,

छोटी छोटी है,,,, क्या छोटी छोटी है,,,,, (इतना कहने के साथ ही वह नजरें उठाकर सोहन की तरफ देखीे तो उसे अपनी कुर्ती में झांकता हुआ पाकर एकदम से सकपका गई और शर्म के मारे अपने कपड़े को ठीक करने लगी,,,, और सोहन हड़बड़ाकर अपनी बात बदलते हुए बोला,,,,)

ममममम,,,, मेरा बर्तन छोटा,,,,,,, छोटा है,,,, वरना एकाद लीटर और ले लिया होता,,,,
( पूनम समझ गई थी कि उसकी नजर किस पर थी और उसकी किस्मत खराब थी कि आज उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसकी वजह से उसे इतना तो मालूम ही था कि सोहन को कुर्ती कें अंदर बिना ब्रा के उसकी नंगी चूचियां बहुत साफ नजर आती होंगी इस बारे में सोच करवा एकदम से शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, वह समझ गई थी कि सोहन इन चुचीयों के बारे में ही कब से बातें किए जा रहा था और वह बुद्धू की तरह समझ नहीं पा रही थी।,, वह गुस्से से बोली,,,)

लाओ अपना बर्तन,,,,

मे तो कबसे देने को तैयार हूं लेकिन तुम ही टाइम लगा रही हो,,,, ( इतना कहते हुए वह बर्तन पूनम को दबाने लगा जिससे वह अपनी पेंट में बने तंबू को छिपा रखा था उस जगह से बर्तन हटाकर पूनम को थमाते समय सोहन बिल्कुल भी अपने तंबू को छिपाने की कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि वह मन ही मन किया जा रहा था कि पूनम की नजर उस तंबू पर पड़ जाए और ऐसा हुआ भी,,, सोहन के हाथ से बर्तन थामते समय अचानक ही पुनम की नजर उसके पैंट में बने तंबू पर चली गई,,,, और पूनम पेंट में बने उस तंबू को देखकर एकदम से सिहर गई,,, सोहन जान गया था कि पूनम की नजर उसके पेंट में बने तंबू पर पड़ चुकी है इसलिए वह दांत दिखाते हुए हंस रहा था,,,, और पूनम मन ही मन गुस्सा कर रही थी,,,, उसे शर्म भी बेहद महसूस हो रही थी लेकिन सोहन को कुछ बोल सकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं थी उससे कहती थी तो क्या कहती,,,, क्योंकि पूनम उस तरह की लड़की नहीं थी कि इस बारे में भले ही गुस्से में ही सही उससे कुछ कह सके,,, वह जल्दी जल्दी बाल्टी से दूध उसके बर्तन में निकाल कर उसे थमा दी,, वह कुटिल हंसी हंसते हुए चला गया पूनम वहीं खडी सोहन को जाते हुए क्रोध और लज्जा के साथ देखती रही। पूनम के सामने पहली बार किसी ने इस हद तक अश्लील हरकत की थी जिसकी वजह से पूनम का पूरा बदन गनगना गया था। पूनम भी उम्र के ऐसे दौर से गुजर रही थी कि सोहन के पेंट में बने तंबू के अंदर के अंग के बारे में सोच कर उस की उत्सुकता बढ़ने लगी थी।
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