Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
03-11-2019, 12:49 PM,
#15
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
पूनम अरे, ओ पूनम (इतना कहते हो गए संध्या पूनम के करीब पहुंच गई लेकिन फिर भी पूनम पर जैसे किसी बात का फर्क ही नहीं पड़ रहा था,,,, वह पूनम को कंधे से पकड़कर उसे झक जोड़ते हुए बोली,,,,)

कहां खोई हुई है तू तुझे कुछ सुनाई दे रहा है या नहीं,,,

( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम जैसी नींद से जागी हो इस तरह से हड़बड़ा सी गई,,,,,)

कककक,,, क्या हुआ चाची क्या हुआ,,,,,,

अरे होगा कुछ नहीं लेकिन तू कहां खोई हुई है कि तुझे कुछ पता ही नहीं चल रहा है।
( पूनम अपनी हालत पर खुद ही शर्मा गई,,, करे भी क्या वह तो मनोज के ख्यालों में खोई हुई थी,,,, फिर भी बहाना बनाते हुए बोली,,,,।)

कुछ नहीं चाची थोड़ी थकान की वजह से नींद लग गई थी,,,,

अरे वाह रे आजकल की लड़कियां थोड़े से काम में ही इतना थक जाती है कि ऊन्हैं कहीं भी नींद आने लगती है।अच्छा,,, जाओ जाकर रसोई घर साफ कर दो मुझे रसोई तैयार करना है,,, सुजाता कहां रह गई कब से उसे सब्जी लाने भेजी हूं लेकिन कहीं पता ही नहीं है,,,,,, ( संध्या की बात सुनते ही पूनम झट से रसोई घर में जाकर सफाई करने लगी,,,, संध्या सुजाता का इंतजार करने लगी जिसे वह खेतों में हरी सब्जियां लेने भेजी थी।,,,, लेकिन सुजाता खेतों में सब्जी लेने ही नहीं बल्कि अपने आशिक से भी मिलने गई थी इसलिए तो उसे देर हो रही थी,,,,,। सोहन से वह कुछ महीनों से छुप-छुपकर मिलती थी सोहन उनके पड़ोस में ही रहता था। पढ़ाई लिखाई और ना तो कमाई,,, इन तीनों से उसका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था,,,, बाप शहर में अच्छे से कमाता था इसलिए बिना किसी चिंता फिक्र के वह सारा दिन गांव में आवारा गर्दी किया करता था। सुबह पूनम के वहां दूध लेने आया करता था और सुजाता से उसकी नजरें मिल गई.

सोहन सुजाता की खूबसूरती पर फिदा हो गया था,,,, खूबसूरती क्या चीज होती है यह उस लट्ठ के पल्ले कहां पड़ने वाला था वह तो औरतों के बदन के उतार चढ़ाव को ही देख कर मस्त हो जाया करता था,,,, ऐसा नहीं है कि पूनम के घर आकर उसे सिर्फ सुजाता ही अच्छी लगी वह तो पूनम के घर की सारी औरतों को पसंद करता था,,,, उसे सबसे ज्यादा खूबसूरत,,,,, खूबसूरत क्या,,, अच्छे बदन वाली पुनम की संध्या चाची लगती थी। क्योंकि संध्या की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी बड़ी नजर आती थी और उनकी बड़ी बड़ी गांड देखकर वह हमेशा मस्त हो जाया करता था। पूनम की ऋतु चाची भी उसे बेहद अच्छी लगती थी और उसी तरह से पूनम तो उसे चांद का टुकड़ा लगती थी लेकिन किसी के भी साथ उसकी दाल गलने जैसी नहीं थी यह उसे भी अच्छी तरह से मालूम था। इसलिए उन लोगों के साथ वह ज्यादा मेल जोल बड़ा ही नहीं पाया वह तो सुजाता से थोड़ा बहुत बातें करते करते,,,, उसके साथ उसका टांका भीड़ गया यह साफ तौर पर मोहब्बत नहीं थी बल्कि एक दूसरे के प्रति आकर्षण ही था। सुजाता के बदन में कामाग्नि भरी हुई थी जो की शादी की उम्र के बावजूद भी अभी तक कुंवारी थी इसलिए उसके बदन को एक मर्द की जरूरत थी। जो की उसके जवानी के रस को पूरी तरह से नीचोड़ सके,,,, इसलिए चुप चुप करो बाहर खेतों में सोहन से मिला करते थे और आज भी जब संध्या ने उसे खेतों से सब्जी लाने भेजी थी तो वह सब्जी लेने के बहाने सोहन से मिल रही थी। खेतों में जंगली झाड़ियां खूब ज्यादा उगी हुई थी जिसकी वजह से शाम के वक्त दूर-दूर तक किसी को कुछ नजर नहीं आ पाता था इसी का फायदा उठा कर के वह सोहन से मिल रही थी।
सोहन सुजाता के करीब आते ही ़ झट से उसके बदन से लिपटने लगता था। रोज की तरह आज भी वह सुजाता को अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूमने लगा,,,, कुंवारी सुजाता अपने होठों पर मर्द की फोटो का इस तरह से ही पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती थी। उत्तेजना के मारे वह भी शुभम के बदन से लिपट गई। शुभम तो मौका पाते ही अपनी हथेलियों को उसके पीठ से लेकर के उसके नितंबो तक फीराने लगा,,,, शुभम की दोनों हथेलियां जैसे ही सुजाता के नितंबों पर पहुंचती वैसे ही सोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो जाता और तुरंत सुजाता की गांड को जितना हो सकता था उतना अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए उसे नोचने खसोटने लगता,,,, सोहन की इस हरकत से सुजाता के बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगती,,,, वह पागलों की तरह सुजाता की गुलाबी होठों को चूसते हुए उसके पूरे बदन पर अपनी हथेली फीराता रहता। सोहन को पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था।पेंट मे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर के गदर मचा रहा था वह सुजाता को चोदना चाहता था। इसलिए वह सुजाता कि गुलाबी होठों पर से अपने होंठ को हटाता हुआ अपने हाथ से उसकी कुर्ती के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए बोला,,,

ओहहहह मेरी रानी आज तो खोल दो अपनी सलवार को (इतना कहने के साथ ही हुआ अपने हाथ नीचे ले जाकर के सलवार की डोरी पर रखकर खोलने को हुआ ही था की,,,, सुजाता झट से उसका हाथ पकड़ कर उसको रोते हुए बोली,,,,)

नहीं मेरे राजा अभी बिल्कुल नहीं सही समय और सही मौका आने पर मैं खुद ही अपनी सलवार खोल कर तुम्हें अपना खजाना सौंप दूंगी,,,,,


क्या रानी प्यार में ऐसा भी कोई करता है क्या जब भी मेरा मूड बनता है तब तुम कोई ना कोई बहाना बनाकर बात को टाल जाती होै देखो तो सही मेरा लंड कितना खड़ा हो गया है।

( लंड खड़ा होने की बात सुनते ही सुजाता के बदन में गुदगुदी होने लगी उसकी बुर में उत्तेजना का रस घुलने लगा,,, उसी से रहा नहीं गया और वह हाथ आगे बढ़ाकर पेंट के ऊपर से ही सोहन के खड़े लंड को टटोलने लगी। लंड के स्पर्श मात्र से ही उसकी बुर फुलने पिचकने लगी,,,, सुजाता बड़े अच्छे से पैंट के ऊपर से ही लंड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए बोली,,,)

वाहहह सोहन तेरा लंड,,, तो सच में एकदम से खड़ा हो गया है।


तो क्या इसीलिए तो कह रहा हूं कि,,,,, बस एक बार एक बार मुझे चोदने दे,,,,,
( इच्छा तो सुजाता की भी बहुत होती थी चुदवाने की लेकिन क्या करती परिवार वालों से अभी उसे बहुत डर लगता था उसका बस चलता तो इसी समय सोहन के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवा ले लेती,,,,, लेकिन इच्छा होने के बावजूद भी वह अपनी इच्छा को मारते हुए बोली,,,,,)

नहीं सोहन मेरे राजा मैं सच कह रही हूं सही मौका मिलने पर मैं तुझे अपना सब कुछ सौंप दूंगी,,,,


लेकिन अभी क्या अभी तो मेरी हालत एकदम खराब हो गई है एक काम करो तुम एक बार मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर हिला दो मुझे शांति मिल जाएगी,,,,


नहीं सुमन मुझे देर हो रही है मुझे सब्जी लेकर घर जाना है।


देखो कोई बहाना मत बनाओ बस एक बार एक बार इसे अपने हाथ से पकड़ लो मैं और कुछ करने को नहीं कहूंगा,,,
( इतना कहने के साथ ही सोहन जल्दी-जल्दी अपना पेंट की बटन खोलकर लंड को बाहर निकाल लिया,,,, हवा में लहरा रहे काले लंड को देखकर सुजाता की तो सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा आज पहली बार वह लंड देख रही थी,,, उससे भी रहा नहीं गया औरं हांथ को आगे बढ़ाकर सोहन के लंड को जैसे ही पकड़ी और उसकी गर्मी जैसे ही उसकी हथेली में महसूस हुई,,,ही थी की अपने नाम की गुहार दूर से आती सुनाई देते ही वह एकदम से हड़बड़ा,,, गई,,,, और तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच ली,,, सोहन भी कुछ ही दूर से आती आवाज को सुनकर एकदम से सकते में आ गया था और जल्दी-जल्दी अपने पेंट को पहन लिया,,,,, सुजाता भी जल्दी जल्दी नीचे बिखरे हुए सब्जियों को उठाकर अपने,,, दुपट्टे में रखकर खेतों से बाहर आ गई,,,, खेतों के बाहर उसकी बड़ी भाभी खड़ी थी जो कि,,,, थोड़ा गुस्सा करते हुए बोली,,,,,

इतनी देर कहां लगा दी सुजाता कब से संध्या इंतजार कर रही है।


कहीं नहीं बादी सब्जियां ठीक से नहीं मिल रही थी इसलिए अच्छी-अच्छी ढूंढने में समय लग गया।

अच्छा जा जल्दी जा कर अच्छे से सब्जियां काट दे,,,

जी भाभी,,,,( इतना कहते ही सुजाता भागते हुए घर में चली गई)
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