RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
पूनम की मधुर आवाज एक बार फिर से मनोज के कानों में गूंजने लगी,,,, भले ही वह थोड़ा गुस्से में बोली थी लेकिन यह भी मनोज के लिए बड़ा करार दायक था। मनोज की सांसें भी ऊपर नीचे हो रही थी जब से वह पूनम को झाड़ियों के बीच पेशाब करते हुए देखा है तब से उसकी आंखों के सामने बार बार उसकी मदद मस्त गोरी गोरी गांड नजर आने लगती थी,,, अभी भी पूनम उसके आगे ही खड़ी थी जिसकी वजह से मनोज की नजर उसकी कमर के नीचे के घेराव पर ही जा रही थी।,,,,, मनोज कुछ देर तक खामोश ही रहा उसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी वह बस एक टक पुनम की कमर के नीचे वाले भाग कोई देखे जा रहा था,,, और यह बात पूनम को बिल्कुल भी पता नहीं थी इसलिए वह एक बार फिर उससे बोली,,,,।
क्या काम है इस तरह से मेरा रास्ता क्यों रोक रहे हो,,,
( पूनम फिर से उसकी तरफ देखे बिना ही बोली बेला को पूनम का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगता था लेकिन कर भी क्या सकती थी।)
वो,,, वो,,,,,,पुनम,,,,
अरे वो वो ही करते रहोगे या इससे आगे भी कुछ बोलोगे,,,,,
वो,,,, मैं तुम से बोला था ना इंग्लिश की नोट्स के लिए,,,,,
हां,,,, तो,,,,,,
तो,,,,,, क्या,,,,, तुम्हारी इंग्लिश की नोट पूरी है।
हां पूरी है ना,,,,,,,
तो क्या तुम मुझे अपनी इंग्लिश के नोट्स दे सकती हो,,,,,, और तुम ही तो कही थी कि मैं पूरी कर लूंगी तो जरुर दूंगी,,,,,,
( मनोज इतना कहकर उसके लहराते बालों को देखने लगा जो की बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे और सुबह से बड़ी ही मादक खुशबू आ रही थी,,, मनोज के बदन में तो जैसे किसी ने उत्तर घोल दिया हो इस तरह से वह उसकी खुशबू में एकदम मस्त होने लगा था,,,, उसे ऐसा लग रहा था कि पूनम आज भी उसे कोई बहाना बनाकर टाल जाएगी,,, क्योंकि अब तक वह ऐसा ही करती आई थी कोई और लड़की होती तो उसके अकड़ पन का जवाब मनोज अच्छी तरह से दे देता लेकिन ना जाने क्यों पूनम के प्रति वह अभी तक नरमी ही दिखा रहा था।,,,, पूनम अभी भी दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी थी और मनोज उसे ही देखे जा रहा था कभी उसके लहराते बालों को तो कभी कमर के,,नीचे के ऊन्नत घेराव को,,,,
( मनोज अपने सपनों की रानी की खूबसूरती को अपनी आंखों से निहार ही रहा था कि तभी पूनम उसकी तरफ पलटी और बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ से अपनी एक टांग को हल्के से ऊपर की तरफ उठा कर उस पर बैग रखकर बैग को खोलि और उसमें से अंग्रेजी कि नोट निकालकर मनोज की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,।
यह लो और अपना काम पूरा करके मुझे जल्दी से लौटा देना,,,,
( मनोज को तो बिल्कुल भी यकीन नहीं था की पूनम उसे अंग्रेजी की नोट देगी यह देख कर बेला और सुलेखा भी दंग रह गई,,,, ऊसे भी अपनी आंखों पर बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि वह जानतीे थीे कि पूनम कभी भी किसी लड़के को अपनी नोट्स नहीं देती,,,,, लेकिन यह हकीकत ही था पूनम अपने हाथों से मनोज को अपने नोट्स दे रही थी मनोज के लिए तो जैसे कुदरत ने कोई तोहफा दे दिया हो वह अंदर ही अंदर एकदम से आनंदित हो उठा,,,, और झट से पूनम के हाथों से नोट पकड़ते हुए बोला,,,,,।
थैंक्यू पूनम थैंक यू तुम नहीं जानती कि तुमने आज मेरी कितनी बड़ी मदद कर दी है। मैं इंग्लिश के सब्जेक्ट में अभी बहुत पीछे हुं तुम्हारी नोट से मुझे काफी मदद मिलेगी,,,,
कोई बात नहीं वैसे भी दूसरों की मदद करने में मुझे काफी अच्छा लगता है और मैं चाहूंगी कि तुम जल्द से जल्द अपना काम खत्म करके मुझे मेरी नोट्स वापस लौटा दो गे,,,,,
जरुर,,,,, मैं पूरी कोशिश करुंगा अपना काम खत्म करने की और जल्द से जल्द से मैं यह नोट वापस लौटाने की,,,,
( मनोज की यह बात सुनकर पूनम हल्के से मुस्कुरा दी और बिना कुछ बोले अपने रास्ते जाने लगी मनोज तो उसे वहीं खड़ा देखता ही रह गया उसकी खूबसूरती का पूरी तरह से वह कायल हो चुका था। आप मुस्कुराते हुए इतने करीब से उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरी कायनात मुस्कुरा रही हो,,,
पूनम अपने रास्ते चली जा रही थी बेला और सुलेखा उसे देख देख कर मुस्कुरा रही थी लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी,,,
पूनम की चाल एकदम से बदल गई थी वह बहुत ही इतरा आकर चल रही थी,,,, बेला और सुलेखा को बार बार उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए पाकर वह बोली,,,
तुम दोनों आज इतना दांत क्यों निकाल रही हो,,,,,
हां,,,,,, हां अब तो बोलोगी ही,,,,
अब तो बोलोगी ही,,,,,, इसका क्या मतलब हुआ मैं कुछ समझी नहीं,,,,।
अब ज्यादा अनजान बनने की कोशिश मत करो पूनम,,,, आज कैसे मुस्कुरा कर उसे अपनी इंग्लिश की नोट थमा दी,,, पहले तो कैसे कहती थी कि मुझे इन सब लफड़ो में बिल्कुल नहीं पड़ना है। और आज क्या हो गया,,,
आज क्या हो गया,,, अरे तुम दोनो एकदम बुद्धू हो क्या मैंने उसे अपनी इंग्लिश की नोट दी हुं। ऊसे कोई अपना दिल निकाल कर नहीं देदी हूं जो तुम दोनों इस तरह से बातें कर रही हो,,,,,
अरे क्या भरोसा आज तुमने इंग्लिश की नोट निकालकर दी हो कल दिल भी दे सकती हो और वैसे भी तो दिल के आदान-प्रदान की शुरुआत भी तो स्कूल में किताबों के लेनदेन से ही होती है।( बेला इतना कहकर हंसने लगी और साथ में सुलेखा भी हम दोनों को हंसता हुआ देखकर पूनम को गुस्सा आने लगा और वह गुस्सा करते हुए बोली।)
अरे बुद्धू मैं उसे अपनी इंग्लिश की नोट तो क्या नोट्स का एक पन्ना भी नहीं देने वाली थी लेकिन वह कई महीनों से लगातार मांग रहा था इसलिए मुझे उस पर तरस आ गई इसलिए मैं उसे दे दी,,,,,
अच्छा यह बात है महीनो से मांग रहा था इसलिए उस पर तरस आ गई और तुमने उसे इंग्लिश की नोट दे दी,,,, यही कहना चाहती हो ना तुम,,,,,, वाह पूनम रानी तो आज बड़ी दयालु हो गए कोई महीने से पीछे पड़कर दिन रात एक कर के तुमसे इंग्लिश की नोट्स मांगा तो यह उस पर तरस खा कर के जो काम आज तक नहीं की है वह काम करते हुए उसे अपनी इंग्लिश की नॉट्स थमा दी,,,,( इतना कहते हुए बेला वहीं रुक गई और उसे देखकर पूनम भी खड़ी हो गयी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि बेला क्या कहना चाहती है वह बड़े आश्चर्य से बेला की तरफ देख रही थी और बेला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,,) पूनम आज तो उसने तुम्हारे पीछे पढ़कर इंग्लिश की नोट्स मांग ली और तुमने भी उस पर तरस खाकर उसे नोट्स दे दी लेकिन जरा सोचो,,, कहीं वह जिद करके तुम्हारी ये ( उंगली से बुर की तरफ इशारा करके) मांग लिया,,,,तो,,,, तो क्या तुम तरस खाकर उसे अपनी ये भी दे दोगी,,,,,
( बेला की बातों का मतलब समझते ही वह गुस्सा करते हुए उसे मारने को हुई,,,, लेकिन बेला चालाक थी वह इतना कहते ही भागते हुए स्कूल में प्रवेश कर गई और उसके पीछे-पीछे पूनम,,,,,,,, पूनम को मनोज धीरे-धीरे अच्छा लगने लगा था इसी वजह से उसने ना चाहते हुए भी इंग्लिश के नोट्स उसे दे दी थी,,, दूसरी तरफ मनोज इसे अपनी सबसे बड़ी कामयाबी समझ रहा था उसे यकीन हो गया था कि उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने में यह नोट्स ही मदद करेगी,,,,)
शाम के वक्त घर पर सभी लोग अपने-अपने काम में लगे हुए थे पूनम भी आंगन में झाड़ू लगाते हुए साफ सफाई कर रही थी। लेकिन उसका ध्यान मनोज पर ही था ना जाने उसका मन क्यों इस तरह से व्याकुल होने लगा था,,,, अब तो उठते-बैठते सोते जागते बस उसी का ख्याल आने लगा था। मन ही मन वह भी मनुष्य प्यार करने लगी थी लेकिन अपने परिवार की याद आते ही उसका प्यार हवा में फुर्र हो जाता था क्योंकि घर वालों से हिदायत नुमा एक प्रकार की धमकी ही मिली थी,,,की अगर घर की किसी भी लड़की का जिक्र इस तरह के लफड़ों में हुआ तो उन से बुरा कोई नहीं होगा,,,,, लेकिन दिल तो आखिर दिल है कैद में कहां रहने वाला है। अपने मन को लाख बनाने के बावजूद भी मन के अंदर मनोज का ख्याल आ ही जा रहा था,,, । तभी वह झाड़ू लगाते लगाते मनोज को याद करते हुए एक जगह पर बैठ गई,,,,, जब भी वह मनोज को याद करती तो उसके बदन में अजीब प्रकार के सुरसुराहट होने लगती थी। तभी उसकी संध्या चाची को रसोई में साफ सफाई की जरूरत पड़ी तो वह पूनम को आवाज देने लगी लेकिन पूनम तो अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी वह भला अब कहां किसी की बात सुनने वाली थी। बार-बार बुलाने पर भी पूनम की तरफ से कोई भी जवाब ना पाकर रसोईघर से संध्या बाहर आई,,,,,,
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