Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
03-11-2019, 12:48 PM,
#12
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
अरे पहले लातो (इतना कहने के साथ ही वह खुद ही उसके कंधे पर से दुपट्टा खींच ली और उसे एक अच्छी साफ जगह बिछा कर उसमे सारे बेर डाल दी,,, और उसके बगल में आकर खड़ी हो गई अभी तक देना अपनी सलवार की डोरी खोल ही नहीं थी बस उसी तरह से खड़ी थी वह इंतजार कर रही थी कि पूनम भी उसके पास आकर के पेशाब करें,,,, बेला को अभी तक मनोज के वहां होने का एहसास तक नहीं हुआ था लेकिन इतना जरूर जानती थी कि वह घनी झाड़ियों के पीछे जरुर छिपा होगा,,,, ऐसा मौका छोड़ दे,,,, वह इतना बेवकूफ नहीं था। बल्कि वह तो खुद ऐसे मौकों की तलाश में रहता है।
धीरे-धीरे झाड़ियों के बीच का नजारा गरमाने लगा था मनोज और गुल्लू दोनों झाड़ियों के पीछे छिपकर दोनों लड़कियों की हरकत पर नजर रखे हुए थे और पूनम जो कि इन सब बातों से बिल्कुल अंजान थी इसलिए एकदम बेझिझक बर्ताव कर रही थी और बेला थी कि उसकी सलवार उतरने का इंतजार कर रही थी,,,,, बेला और पूनम दोनों झाड़ियों की तरफ पीठ करके खड़ी थी,,,,, मनोज एक दम शांत हो करके उन दोनों की तरफ देख रहा था गजब का नजारा बना हुआ था वह मन में यही सोच रहा था कि एक साथ दो दो लड़कियों की मदमस्त गांड का नजारा उसे देखने को मिलेगा,,,, खास करके पूनम की गांड का,,, जिसे देखने के लिए वह ना जाने कितने दिनों से तड़प रहा था। जिस तरह से वह दोनों खड़ी थी उसे देखकर मनोज की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और साथ ही उसके बदन में उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी जिसका असर सीधे उसके पैंट के अंदर तनाव में आ रहे उसके लंड पर पड़ रहा था। बेला और पूनम की हरकत से मनोज को लगने लगा था कि अब वह नजारा उसकी आंखों के सामने आने वाला है जिसके लिए उसने यह पूरा जुगाड़ लगाया था। अगले नजारे के इंतजार की उत्सुकता में उसके दिल की धडकन थम गई थी उसकी आंखें सामने पूनम पर ही टिकी हुई थी,,, तभी बेला नें अपनी सलवार की डोरी खोल कर सलवार को नीचे की तरफ सरकाने ,,, यह देख कर तो मनोज को कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा,,, लेकिन इसका असर गुल्लू पर कुछ ज्यादा ही पड़ने लगा उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,, अभी तो वह पूरी तरह से सलवार को नीचे सरका भी नहीं पाई थी कि
गुल्लू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,,, अगले ही पल पूनम भी अपनी सलवार की डोरी खोलकर धीरे धीरे उसे नीचे सरकाने लगी,,,, यह नजारा देख कर तो मनोज के साथ ही अटक गई उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगे तो आप बड़े ही बेताब नजरों से झाड़ियों के पीछे से इस नजारे का रसपान कर रहा था। पूनम तो निश्चित थी,,,, इसलिए बड़े ही सहज ढंग से अपनी सलवार की डोरी खोल चुकी थी।
अगले चलचित्र पर से पर्दा उठने वाला था जिसका इंतजार धड़कते दिल से मनोज कर रहा था। पूनम अपनी सलवार को नीचे पूरी तरह से सरकाती इससे पहले ही बेला अपनी पेंटिं को नीचे खींचकर सरकाने लगी। और अगले ही पल उसकी गोल गोल गांड पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई जिसे देखकर एक पल के लिए मनोज की भी हालत खराब होने लगी साथ ही गुल्लू का लंड पूरी तरह से पजामे में तन गया। भले ही मनोज पूरी तरह से पूनम के प्रति आकर्षित था लेकिन एक जवान लड़की की मदमस्त गांड देखकर एक पल के लिए उसकी भी सांस अटक गई थी। बेला यह अच्छी तरह से जानती थी कि मनोज झाड़ियों के पीछे छिपा हुआ है लेकिन कहां छुपा हुआ है यह उसे नहीं मालूम था। लेकिन फिर भी अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही उभार कर मनोज की तरफ दिखाने लगी,,,, बेला की इस अदा पर गुल्लू के साथ साथ मनोज भी पूरी तरह से फिदा हो गया,,,,, मनोज इस बात से पूरी तरह के आसपास कथा की बेला तो उसके हाथ में पूरी तरह से ही है लेकिन उसे पूनम को पता ना था इसलिए बेला की तरफ से उसे कोई भी चिंता नहीं थी वह तो बेला को जब चाहे तब उसकी मद मस्त गांड और बुर का मजा ले सकता था।
देना तू अपनी गांड को निर्वस्त्र करके नीचे पेशाब करने बैठ गई थी और पूनम को बैठने का इंतजार कर रही थी जो कि उसकी उंगलियां आज उसकी मखमली लाल रंग की पैंटी पर थी जोकि पूनम के गोरे गोरे बदन पर बेहद खूबसूरत लग रही थी। यह नजारा बेहद सांसो को रोक देने वाला था ऐसा लग रहा था कि जैसे बर्फीले शहर में तूफान चल रहा हो,,,, और ऐसे ठंडे पवन में भी ऐसा नजारा देखकर गर्मी छूट रही हो,,,, मनोज के माथे पर तो पसीने की बूंदे ऊपस आई थी।तभी मनोज के बदन में पूरी तरह से हलचल होने लगी क्योंकि पुनम,, धीरे-धीरे अपनी पैंटी को नीचे सरकाने लगी थी। जैसे-जैसे पेंटिं नितंबों पर से अनावृत हो रही थी वैसे वैसे पूनम की गोरी गोरी गांड पीली धूप में किसी सोने की तरह चमक रही थी। मनोज का लंड पूरी तरह से तनाव में आ चुका था। मनोज का अंतर्मन बेहद पसंद नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था कि बरसो की तपस्या फल रही हो। धीरे-धीरे करके पूनम ने अपनी पैंटी को नीचे जाघो तक सरका दी,,, उसकी नंगी गांड बेहद खूबसूरत लग रही थी मनोज तो उसकी गांड को देखकर एकदम मदमस्त हो गया और उसके मुंह से एक गर्म आह निकल गई,,,,, मनोज में अभी तक न जाने कितनी लड़कियों की और औरतो की नंगी गांड को देख चुका था। लेकिन जिस तरह की गांड पूनम की थी उस तरह की मदहोश कर देने वाली बड़ी फुर्सत से तराशी हुई गांड वह जिंदगी में पहली बार देख रहा था। पूनम की गोलाकार और उभरी हुई मदमस्त कर देने वाली भरपूर भराव दार,, गांड को देखकर वह मन ही मन सोचने लगा कि अगर सबसे खूबसूरत गांड की कोई प्रतिस्पर्धा हो तो ऐसी प्रतिस्पर्धा में पूनम बाजी मार ले जाए। मनोज यह सब सोचकर मन ही मन बहुत खुश होने लगा गुल्लू की तो हालत खराब हुए जा रही थी वह एकदम उत्साहित हो गया था और उत्साहित होता हुआ बोला।

बे भैया ईसकी गांड को देख कर तो मेरी हालत खराब हो रही है। ( गुल्लू आगे कुछ बोल पाता इससे पहले ही मनोज ने उसका मुंह कस कर दबा दिया,,, उसके कान में गुस्साते हुए बोला।)
अबे हरामखोर तुझे बोलने को किसने कहा मुंह को ताला लगा और शांति से बस देख,,,,,,

( कुल्लू समझ गया था कि सिर्फ देखने तक का ही प्लान बना हुआ है इसलिए वह भी मुंह को ताला लगा कर सामने के नजारे का मजा लूटने लगा,,,,, मनोज की आंखें पलकें झपकाना भूल गई थी उसकी जिस्म में सांस आना भूल गई थी,,, वह बूत बना पूनम को देखे जा रहा था। पूनम की पैंटी भी उसकी जांघों तक आ चुकी थी,,,, उसके उन्नत उभार लिए नितंबों के बीच की गहरी दरार किसी नहर से कम नहीं लग रही थी। उस बीच की नहर में किसी को भी डूबने की इच्छा हो जाए और वही इच्छा मनोज को भी हो रहा था। पूनम के नितंबों में गजब का कसाव था गजब की गोलाई थी और गांड के उभार जहां पर खत्म होते हैं उधर की मस्त लकीर भी साफ साफ नजर आ रहे थे। मनोज तो बस देखता ही रह गया बेला पेशाब करते हुए पूनम की तरफ नजरें ऊठा कर उसके भी नीचे बैठ कर पेशाब करने का इंतजार कर रही थी और पूनम सिंह की उसी तरह से खड़े होकर चारों तरफ नजरें घुमा कर पूरी तरह से आश्वस्त हो जाना चाहती थी कि वहां किसी दूसरे की हाजिरी ना हो,,,,, बेला उसे इस तरह से इधर उधर देखते हुए पाकर बोली,,,,,

अरे यहां कोई दूसरा नहीं है तू बैठ जा,,,,,

( और बेला की बात सुनकर पूनम भी नीचे बैठ कर पेशाब करने लगी,,,,,ऊफ्फ्फ्फ,,,, क्या गजब का कामोत्तेजक और कलात्मक तरीके का नजारा था ऐसा लग रहा था खुद कामदेव ने इस नजारे की प्रकृति को तैयार किया है। मनोज ने अब तक सब कुछ देखा था लेकिन इस तरह का काम उत्तेजना से भरपूर उत्तेजनात्मक नजारा कभी नहीं देखा था।
जहां उन्मादक नजारा देखकर वहां अपने आपको धन्य समझने लगा था।
हरि हरि झाड़ियों के बीच इस तरह का नजारा बड़ी किस्मत वाले को ही देखने को मिलता है। पूरा वातावरण बिल्कुल पूरी तरह से शाथ था बस पंछियों की कलरव की आवाज के साथ साथ अब बेला और पूनम के पेशाब की धार जहां से निकल रही थी।

उसी जगह से बेहद सुरीली सीटी की आवाज भी उस मनोहर वातावरण को और भी ज्यादा उन्मादक बना रहा था। मनोज की तो पल पल हालत खराब होते जा रही थी। पूनम की भरपूर गांड हरी हरी घास होने के बावजूद भी एक दम साफ नजर आ रही थी। मनोज की सांसे तीव्र गति से चल रही थी।
ईतना कामुक और उत्तेजक नजारा उसने आज तक नहीं देखा था और ना ही अपने अंदर इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव किया था। 
गुंल्लु भी यह नजारा देख कर आश्चर्य के साथ अपना मुंह खुला का खुला छोड़ दिया था। दोनों के लंड का हाल इतना ज्यादा खराब हो चुका था कि उन्हें इस बात का डर था कि कहीं गरम होकर उनका लंड पिघल ना जाए। मनोज तो ना जाने कैसी अपने आप को संभाले हुए था वरना ऐसा नजारा देखकर अब तक वह अपनी मनमानी कर चुका होता वह तो पूनम की वजह से शायद अपने संयम को रोक रखा था। अपनी मनमानी कर के वह पूनम की नजरों से गिरना नहीं चाहता था इसलिए अपने आप को रोके हुए था।
बेला और पूनम दोनों पेशाब कर चुकी थी। बेला और पूनम दोनों खड़ी हो गयी,,, बेला को पता था कि इतने में तो मनोज मस्त हो गया होगा,,,, बेला अपनी सलवार ऊपर चढ़ा कर डोरी बांधने लगी,,,,, बेहद कामोत्तेजक दृश्य पर अब पर्दा पड़ने वाला था क्योंकि पूनम भी अपनी पैंटी को पहन चुकी थी और सलवार को उपर की तरफ ले ही जा रही थी कि,,,, बेहद ऊत्तेजना का अनुभव कर रहे गुल्लू का पैऱ अचानक फिसल गया,,,, वह गिरते गिरते बची तो गया क्योंकि उसका हाथ मनोज ने थाम लिया लेकिन इस अफरा-तफरी अपने पीछे हो रही ईस तरह की हलचल से पूनम एक दम सकते मे आ गई और एक पल भी गंवाएं बिना वह झट से अपनी सलवार को ऊपर करके डोरी बांधते हुए पीछे की तरफ घूम कर देखी थी कि तब तक मनोज गुल्लू को अपनी तरफ खींच कर झाड़ियों में छुपा लिया था। पूनम जहां पर यह हलचल हुई थी वहां की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए बोली,,, 

लगता है कि यहां कोई है,,,,,
( बेला तो जानती थी कि वहां कौन है इसलिए वहां पूनम ना जा सके इसलिए बहाना बनाते हुए बोली।)

अरे यार कोई भी नहीं है देख नही रहीै चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है।

अरे नहीं मुझे ऐसा लगा कि पीछे कोई है। ( इतना कहते हुए अपने कदम आगे बढ़ाती रही,,,, बेला को समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे किस तरह से रोके क्योंकि वह जानती थी अगर आगे जाएगी तो जरूर उधर मनोज उसे नजर आ जाएगा,,,, और यही डर मनोज के मन में भी था अगर आज वह उसे झाड़ियों में छिपा देख लेगी तो जो थोड़ी बहुत बात बनती नजर आ रही थी वह भी बिगड़ जाएगी। जिस तरह से पूनम आ गए धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही थी वह समझ गई थी कि यहां तक जरूर पहुंचाएं की इसलिए वह गुल्लू के कान में धीरे से बोला।)

देख गुल्लू अगर आगे भी ईसी तरह का और लड़की चोदने का मजा लूटना चाहता है तुझे क्या मैं बोलता हूं वैसा ही करना पूनम को जरा सी भी भनक नहीं आनी चाहिए कि मैं इधर छुपा हुआ हूं। 
( मनोज गुल्लू को कुछ और समझा पाता इससे पहले ही पूनम बोली।)

कौन है उधर जो कोई भी है बाहर आ जाए वरना मैं आज प्रिंसिपल से बोल कर उसकी शिकायत करुंगी,,,,,, 

( मनोज को अब पक्का यकीन हो गया कि पूनम देख लेगी पूनम आगे की तरफ बढ़ती चली आ रही थी बेला उसे रोक भी नहीं पा रही थी मनोज समझ गया कि अब गड़बड़ हो सकती है इसलिए उसने गुल्लू को धक्का देकर आगे कर दिया,,,, गुल्लू भी पूनम के सामने आ गया गुल्लू कुछ समझ पाता इससे पहले ही,,,,, बेला ऊसका हाथ पकड़ कर खींच ली और झूठ मूठ का उसे मारना शुरू कर दी,,, बेला जानती थी कि गुल्लू मनोज का दोस्त है और मनोज भी उसके साथ इसी झाड़ियों में छिपा हुआ है अगर वह उसे अपनी तरफ नहीं खींचती तो हो सकता है पूनम उसे देख ले इसलिए वह जल्दी से उसे अपनी तरफ खींचने ताकि पूनम आगे ना बढ़ सके,,,,, गुल्लू को वहां देखते ही पूनम सब समझ गई की,,,, गुल्लू लड़कियों को देखने के बहाने ही झाड़ियों में छिपा हुआ था इसलिए उसे मारने लगी एक दो तमाचे उसके गाल पर भी जड़ दीए,,,, और उसे मारते हुए बोली,,, 

हरामजादे हरामखोर बदतमीज तुझे शर्म नहीं आती लड़कियों को इस तरह से छुपकर देखते हुए तेरे घर में मां बहन नहीं है क्या,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह उसके गाल पर दो चार थप्पड़ और रसीद कर दी,,, बेला पूनम को पकड़ते हुए बोली )
बस कर पुनम इतना बहुत हो गया कितना मारेगी उसे,,,,

अरे मेरा बस चले तो इसको मार ही डालो देख नहीं रही थी कितनी बेशर्मी के साथ यह हम दोनों को देख रहा था छी,,,,
इतना बदतमीज और गंदा लड़का मैंने आज तक नहीं देखी उसके घर में मां बहन नहीं है क्या जो दूसरी लड़कियों को झांकता रहता है। 
( गुल्लू को तो कुछ समझ में नहीं आया बेवजह बलि का बकरा जो बन गया था उसे मौका मिलते ही झट़ से वहां से भाग खड़ा हुआ,,,,, पूनम गुस्सा करते हुए झाड़ियों से बाहर आ गई,,,,,, मनोज अभी भी अंदर झाड़ियों में छिपा हुआ था पूनम का गुस्सा देख कर उसे उस पर और भी ज्यादा प्यार आने लगा।)
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