RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
मनोज रोज इसी तरह से उस मोड़ पर खड़ा होकर पूनम से इंग्लिश की नोट्स मांगने लगा था लेकिन बार बार पूरा ना होने का बहाना बनाकर मनोज की बात को वह टाल जा रही थी। मनोज को इस बात का फायदा जरूर हुआ था कि अब वह सीधे पूनम से ही बात करता था। पूनम से बातें करने में उसे इतना ज्यादा मजा आता था कि इस बात का एहसास मनोज के सिवा दूसरा कोई भी नहीं कर सकता था। उसकी सुरीली आवाज उसके कानों में पडते ही उसके बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगती थी। उससे बात करते समय उस पल का एहसास उसे चरमोत्कर्ष के एहसास के बराबर लगता था। दो-चार दिन तक ऐसा ही चलता रहा स्कूल जाते समय और स्कूल से आते समय रोज मनोज उसे उसी मोड पर मिलता है और उससे इंग्लिश की नोट्स मांगता। लेकिन बार बार कोई न कोई बहाना बनाकर पूनम इंकार कर देती थी पूनम का यह व्यवहार बेला और सुलेखा को भी अच्छा नहीं लगता था। लेकिन वह कर भी क्या सकती थी कोशिश तो उन दोनों की पूरी थी कि मनोज के साथ उसका व्यवहार अच्छा हो जाए लेकिन कोई भी रास्ता नजर नहीं आ रहा था शिवाय नोट्स के लेने देने के सिवा,,,,
मनोज पूरी तरह से पागल हो चुका था पहले की अपेक्षा अब तो ज्यादा तड़प बढ़ गई थी। पूनम को हासिल करने की लालसा उसके मन में दिन-ब-दिन और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी। पूनम के नजदीक जाते ही उसके बदन से बड़ी ही मादक खुशबू उसके नथुनों में जाती थी जिनका मादक एहसास ही उसे पूरी तरह से काम ज्वर में जलने के लिए मजबूर कर देता था। मनोज का मन सूखे पत्ते की तरह फड़फड़ा रहा था वह दिन रात किसी जुगाड़ में रहता था कि कैसे वह पूनम को हासिल करें लेकिन पूनम कोई आम लड़की की तरह नहीं थी कि जरा सी मुस्कान और स्टाइल दिखाने पर लड़कों पर फिदा हो जाए। इसलिए तो मनोज की नाक में भी दम आ गया था पूनम के इर्द गिर्द चक्कर काटते-काटते लेकिन पूनम को इस बात का जरा भी एहसास तक नहीं था वह तो अपने में ही पहले की ही तरह मस्त रहती थी हां बस थोड़ा सा अपने आप को मनोज से संभाल कर ही रखती थी।
मनोज किसी भी तरह जुगाड़ कर के पूनम को हासिल करना चाहता था। लेकिन उसका कोई भी जुगाड़ सफल नहीं हो पा रहा था। का मन ही मन यही सोचता रहता था कि जब पूनम एकदम सादगी में भी पूरे कपड़ों में भी उसके बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ा देती है तो अगर वह उसे बिना कपड़ो के उसकी खूबसूरती का रसपान कर ले तब तो उसके बदन में पूरी तरह से भूकंप ही आ जाए। यही सब सोच सोच कर उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो रही थी। अब मनोज का मन पूनम को नंगी देखने का कर रहा था वह कौन उनकी खूबसूरती को उसके नग्नावस्था मैं देखना चाहता था हालांकि उसने तो ढेर सारी लड़कियों को नंगी देख चुका था और उनके बदन से खेल भी चुका था। लेकिन वाली अच्छी तरह से जानता था कि वह लड़की हो मैं और पूनम में जमीन आसमान का फर्क है इसलिए तो इतना व्याकुल हो चुका था वह उसे नंगी देखने का जुगाड़ बना रहा था लेकिन ऐसा कोई भी जुगाड़ उसकी नजर में सफल होता दिख नहीं रहा था जिससे कि वह पूनम को नंगी देख सके।
पूनम के ख्याल मात्र से ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी। उसके लंड का तनाव अपनी सीमा पार कर चुका था जिसे वह अपने हाथों में ले कर के फिर से हिलाने लगा था पूनम के बदन के पोर पोर की कल्पना करके वह मस्त हुआ जा रहा था। तभी उसके मन में एक युक्ति सूझी,,,
अपनी लंड को पेंट में से बाहर निकालकर धीरे धीरे से लाते हुए उस युक्ति को अंजाम देने की सोच रहा था जिसमें उसकी मदद सिर्फ बेला ही कर सकती थी,,,,, उसे अपना प्लान सफल होता नजर आने लगा और वह मन ही मन खुश होने लगा लेकिन पूनम के ख्याल में खो कर वो पूरी तरह से मुक्त हो चुका था और वह अपने लंड को जोर जोर से हिलाने लगा। उसकी सांसे तीव्र गति से चलने लगी और जिस तरह से उसकीे सांसे चल रही थी उसी तरह से उसका हाथ ऊसके लंड पर चल रहा था। और अगले ही पल उसने जबरदस्त कल्पना किया कि उसका लंड पूनम की खूबसूरत रसीली और टाइट बुर में प्रवेश कर गई है और तभी उसके लंड ने पानी छोड़ दिया। पूनम के खूबसूरत बदन की कल्पना करके हस्तमैथुन करने में भी जो चरमोत्कर्ष का एहसास होता था उसे किसी की चुदाई करने में भी अब नहीं हो पाता था। इसलिए तो वहपूनम के ख्याल में डूबा रहता था।
दूसरे दिन वह स्कूल में पूनम से बचाकर बेला को इशारा करके अपने पास बुलाया ताकि पूनम उसे देख ना पाए,,,,, मनोज के इशारे पर तो वह कहीं भी कभी भी आ सकती थी इसलिए वह बेहद खुश होकर के स्कूल के पीछे वाली जगह पर मनोज से मिली,,,,, बेला को लग रहा था कि इस तरह से एकांत में बुलाकर वह फिर से,,,, उसकी जमकर चुदाई करना चाहता है तभी तो वह इस तरह से एकांत मैं उसे बुला रहा था। बेला खुशी खुशी स्कूल के पीछे वाली जगह पर पहुंच गई जहां पर मनोज पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था वहां पर पहुंचते ही बेला मुस्कुराते हुए बोली,,,,।
क्या जान लगता है आज फिर से तुम्हारा मूड बन गया है इसलिए मुझे तुम अकेले में बुला रहे हो,,,,
हां कुछ ऐसा ही समझो लेकिन तुम्हें एक काम करना है कैसे करना है यह मैं नहीं जानता लेकिन तुम कर सकती हो इतना जरुर जानता हूं,,,,,
( मनोज की बात सुनकर बेला को कुछ समझ में नहीं आया कि मनोज क्या कहना चाहता है इसलिए वह बोली।)
तुम कहना क्या चाहते हो यह तो बताओ,,,,,,
देखोगे ना तुम यह तो अच्छी तरह से जानती हो कि मैं मन ही मन पूनम से बेहद प्यार करने लगा हूं,,,( इतना कहते हुए मनोज दो कदम आगे बढ़कर बेला के हाथ को अपने हाथ में लेकर उसे सहलाते हुए उसे प्यार करने लगा बेला तो इतने में ही प्रसन्न हो गई उसका मन झनझना गया। और वह मनोज को जवाब देते हुए बोली।)
हां मैं अच्छी तरह से जानती हूं तभी तुम उसके पीछे पागलों की तरह घूमते रहते हो और हम जैसों का ख्याल ही नहीं करते,,,,,,
नहीं ऐसी बात नहीं है देना मैं तुमसे भी प्यार करता हूं तभी तो तुम्हें यहां बुलाया हूं वरना तुम्हें क्यों बुलाता,,,
अपने मतलब से ही बुलाए हो वरना तुमको इतनी निष्ठुर हो गए हो कि मेरी तरफ ठीक से देखते भी नहीं हो,,,,,
बेला तुम समझती नहीं हो तुम भी मुझे बहुत अच्छी लगती हो तभी तो मैं अपने दिल की बात तुम्हें बताता हूं।
( मनोज की बातें सुनकर मेरा मन ही मन प्रसन्न होने लगी कुड़ी यही तो मनोज की खासियत थी कि अपने बातों से ही हूं लड़कियों के मन को बहला देता था उन्हें अपने वश में कर लेता था। इसलिए तो यह जानते हुए भी कि मनोज पूनम के प्रति पूरी तरह से उसका आशिक हो चुका है लेकिन फिर भी बैला मनोज की दीवानी हो गई थी इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली।)
अच्छा ठीक है लेकिन यह तो बताओ कि यह कौन सा काम है कि जो मैं कर सकती हूं।
( मनोज अच्छी तरह से जानता था कि जिस काम के लिए वह बेला के पास आया है उस काम को करने के लिए बिना जल्दी तैयार नहीं होंगे इसलिए उसे उसको अच्छी तरह से फुशलाना पड़ेगा,,, और मनोज अच्छी तरह से जानता था कि बेला को किस तरह से फुसलाया जा सकता है,,,, इसलिए वह बेला को अपने करीब खींच कर अपने एक हाथ से समीज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाने लगा जिससे बेला भी उत्तेजित होने लगी,,,, और उसकी चूची को दबाते हुए बोला।)
बेला यह जो काम है तुम किसी से बताना नहीं लेकिन तुम्हें करना ही पड़ेगा,,, अगर तुम मेरा यह काम कर दी तो हमेशा मैं तुम्हें खुश रखूंगा (और इतना कहते हुए वह बेला का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया जो कि इस समय पेंट के अंदर गदर मचाए हुए था।, बेला का हाथ उस पर पड़ते ही बेला की बदन में सिहरन सी दौड़ गई,,, उसकी सांसे ऊपर-नीचे हो गई,,,,, मनोज समझ गया कि अब इससे अपने मतलब की बात करना ठीक रहेगा,,, वह एकदम उत्तेजना में बेला की चूची को दबाते हुए बोला,,,)
बेला आई लव यू,,,,,
लव यू टू मनोज,,,,,( बेला खुश होते हुए बोली)
बेला उस दिन झाड़ियों में मैंने तुम्हारी जम के चुदाई किया,,,, कसम से मुझे बहुत मजा आया मुझे यकीन नहीं हो रहा कि तुम्हारी बुर एकदम टाइट और रसीली है,,,,( बेला तो अपने बदन की तारीफ मनोज के मुंह से सुनकर एकदम गदगद हो गई।) उस पल का मजा में बार बार लेना चाहता हूं।
मैं तैयार हूं मनोज,,,,,, ( बेला झट से बोली,,,)
मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेला,,, लेकिन उससे पहले तुम्हें मेरा एक काम करना होगा,,,,( इतना कहते हुए मनोज ने जोर से उसकी चूची को दबाया की बेला की सिसकारी निकल गई।)
क्या करना होगा मनोज,,,,,( बेला सिहरते हुए बोली।)
तुम्हें रीशेष. के समय पूनम को उसी झाड़ियों तक लाना होगा।
( मनोज कि यह बात सुनते ही देना कि तो सांस ही अटक गई उसे कुछ समझ में नहीं आया कि मनोज क्या कह रहा है लेकिन जो भी कह रहा था वह बिल्कुल गलत ही था देना यह समझ रही थी कि झाड़ियों में पूनम को लाना मतलब मनोज उसके साथ कुछ गलत करना चाहता है। उसको इसका आभास होते ही अंदर तक सिहर उठी। और डरते हुए. बोली।)
नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकती मनोज कुछ ऊंच नींच हो गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे। नहीं मनोज तुम कुछ भी कर लो लेकिन मैं ऐसा नहीं करुंगी प्यार व्यार की बात तक सब कुछ ठीक था लेकिन इस तरह के कदम मैं नहीं उठा सकती।
( बेला शंका जताते हुए बोली,,,, बेला की बात सुनकर मनोज को अपना प्लान फेल होता नजर आने लगा लेकिन वह समझ रहा था कि बेला कुछ और ही समझ रही है इसलिए वह बात मानने से इनकार कर रही हैं,,,, मनोज बेला का हाथ पकड़कर झोपड़ी की तरफ ले जाने लगा जहां पर कोई भी आता जाता नहीं था। बेला कुछ समझ पाती इससे पहले ही वह बेला को झोपड़ी में ले आया और आते ही उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा,,,, कुछ ही सेकंड में बेला का तन बदन सूखे हुए पत्ते की तरह कांपने लगा क्योंकि मनोज ने तुरंत उसके होठों को चूसते हुए एक हाथ से उसके सलवार की डोरी खोलकर सलवार नीचे गिरा दिया था। और अपने हाथ को उसकी पैंटी में डाल कर उस की रसीली बुर को मसलने लगा जो कि ईस समय एकदम पनिया गई थी।
मनोज की इस हरकत पर बेला एकदम से मचल उठी,,,,
|