RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
( इतना कहने के साथ ही वहां ठहाके लगाकर हंसने लगी और साथ में उसकी बुआ भी हंसने लगी पूनम अपनी चाची की बात सुनकर थोड़ा सा शरमा गई लेकिन वह इन सब बातों को नजरअंदाज कर देती थी। तभी संध्या बोली।)
क्या यार तुम भी सबके सामने बोल देती हो,,,, हमारी देवर जी की तो तुम्हें रात भर सोने नहीं देते होंगे क्या करें यार,,,ईन मर्दों का तो कुछ समझ में ही नहीं आता है,,, कब खड़ा हो जाता है कब बैठ जाता है यह सारा दिन लोगों को भी नहीं पता चलता जब तक बैठा रहता है तब तक फुर्सत रहती है लेकिन जैसे ही खड़ा हो जाता है। हमारी नींद हराम कर देते हैं। ( संध्या बहुत धीमे से बोली थी वह ऐसा समझ रही थी कि उसकी बातें पूनम नहीं सुन रही है,,, जबकि पूनम सब कुछ सुन लेती थी लेकिन ऐसा बर्ताव करती थी की उसे कुछ सुनाई नहीं दिया,,,,,। अक्सर पूनम की चाची के बीच इस तरह की गंदी बातें होती रहती थी जिसे सुनकर पूनम के बदन में भी कुछ देर के लिए हलचल सी मच जाती थी। लेकिन वह अपने मन को कभी भी ऐसी बातें सुनकर बहकने नहीं देती थी। सभी लोग उठ कर अपने अपने कमरे की ओर जाने ही वाले थे कि तभी उसकी संध्या चाची बोली।
अरे यार मुझे तो पेशाब लगी है चलो चलकर लेते हैं।
( संध्या की बात सुनकर पूनम की छोटी चाची चुटकी लेते हुए बोली।)
हां हां कर लो पूरी तैयारी के साथ जाना भाई साहब के पास ताकि उन्हें कोई परेशानी ना हो,,,,,
( इतना कहकर फिर से हम लोगों के बीच हंसी का फुवारा छूट पड़ा)
क्या यार तुम सब भी बात का बतंगड़ बनाती हो चलो सोना भी है कि नहीं,,,,,
हां हमको तो पता है कि तुम कितना सोओगी और भाई साहब को सोने दोगी,,,,
( अपनी दोनों चाची की बात सुनकर पूनम मन ही मन मुस्कुरा रहीे थी,,,,बाते करते हुए वह लोग घर के पीछे खाली जगह पर चले जाएं जहां पर वह लोग रात के समय के साथ किया करते थे। वहां पहुंचते ही पूनम की छोटी-चाची संध्या से बोली,,,,
लो अब बिल्कुल भी देर मत करो,,,, कर लो पेशाब भाई साहब वहां तुम्हारा इंतजार कर कर के तड़प रहे होगे,,,,,
रितु तो कुछ ज्यादा ही बंदूक कर रही है आज तेरा समय है तो बोल ले मेरी बारी आएगी तब मैं भी तुझे बिल्कुल नहीं छोडूंगी।
( इतना कहकर संध्या थोड़ा आगे बढ़ गई। चारों तरफ गहरा अंधेरा छाया हुआ था अक्सर रात को यह लोग इधर ही पेशाब करने आया करती थी क्योंकि अंधेरा भी कुछ ज्यादा ही होता था और किसी को कुछ नजर भी नहीं आता था।
संध्या धीरे धीरे करके अपनी साड़ी उपर की तरफ उठाने लगी। वैसे तो इतने अंधेरे में कुछ नजर नहीं आ रहा था बस ऐसा लग रहा था कि कोई साया खड़ा है। तभी संध्या पेशाब करने के लिए नीचे बैठ गई,,,, उन लोगों को भी संध्या के रूप में बस एक काली परछाई नीचे बैठते हुए नजर आई,,,, जैसे ही संध्या पेशाब करना शुरू की ऊसकी बुर से सीटी की आवाज आने लगी,,,, और ऊस आवाज को सुनते ही रितु ने तुरंत टॉर्च जला दी,,,, टॉर्च के जलते ही संध्या की बड़ी-बड़ी और एकदम गोरी गांड टॉर्च की रोशनी में चमक उठी,,,, जिस पर रितु पूनम और से सुजाता की नजर पड़ते ही वह लोगों की आंखो में भी चमक भर गई। लेकिन इस तरह से टॉर्च जलाने पर,,,,, संध्या दोनों हाथ अपनी गांड पर रखकर उसे छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए रितु को टॉर्च बंद करने के लिए बोली और रितु शरारत करते हुए टॉर्च बंद नहीं कर रहे थे जिसकी वजह से,,,, संध्या थोड़ा सा उस पर नाराज भी हुई और जल्दी से पेशाब करके उठते हुए बोली,,,,
क्या रितु तुम पागल हो गई हो क्या इस तरह से टॉर्च जलाती हो अगर कोई देख ले तो,,,,,,
अरे दीदी देख भी लेगा तो क्या होगा तुम्हारी मदमस्त गांड देख कर तो वह पागल ही हो जाएगा,,,, और वैसे भी तो गांड देख कर चेहरे का पता थोड़ी चलता है।
( रितु की यह बात सुनकर सिंध्या हंस दी,,,, रितु संध्या को टॉर्च ़ थमाते हुए बोली लो पकड़ो और मुझे भी पेशाब करना है। इतना कहने के साथ ही वह संध्या को टॉर्च थमाकर आगे बढ़ी और वह भी अपनी साड़ी उठाकर नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी,,,, इस बार संध्या को भी शरारत सुझी और उसने भी टॉर्च जला दी,,,, और रीतु की भी बड़ी बड़ी गांड चमक ऊठी लेकीन रीतु जरा भी एतराज नही की और वह बिंदास होके पेशाब करने के बाद ही ऊठी,,, सुजाता का भी यही हाल हुआ,,,, पुनम को जब संध्या पेशाब करने को बोली तो वह शर्म के मारे मना कर दी। ओर वो लोग अपने अपने कमरे मे चले गए।
सुबह जल्दी-जल्दी पूनम नहा धोकर तैयार हो गई लेकिन फिर भी उससे पहले ही उसकी सहेलियां आकर उसके घर के बाहर खड़ी होकर उसका इंतजार कर रही थी। संध्या जल्दी-जल्दी पूनम को चाय नाश्ता करने को दि,,,, संध्या के चेहरे पर रात की थकान साफ नजर आ रही थी,,,, जिसे देखकर पूनम की रितु चाची बोली,,,,
क्या दीदी लगता है भाई साहब ने रात भर तुम्हें सोने नहीं दिया,,,,,,,,
तू फिर शुरू हो गई,,,,, अच्छा ने पूनम यह चाय और नाश्ता बाहर तेरे दादाजी बैठे होंगे उन्हें देते हुए स्कूल चले जाना,,,,,
अच्छा चाची में देते हुए स्कूल चले जाऊंगी,,, तुम बिल्कुल चिंता मत करो,,,
( इतना कहने के साथ ही पूनम ने संध्या के हाथों से चाय और नाश्ता लेकर बाहर बरामदे में बैठे अपने दादा जी को देते हुए अपनी सहेलियों के साथ स्कूल की तरफ जाने लगी,,,,, पूनम सादगी में भी बेहद खूबसूरत लग रही थी उसकी बालों की लटे चेहरे पर बार-बार बिखर जा रही थी जिसे वह अपनी उंगलियों से पीछे कर ले रही थी यह रूप यह निखार इतना गजब का था कि पूनम की हम उम्र लड़कियां भी उसकी दीवानी सी हो गई थी कुछ लड़कियां हमेशा पूनम की खूबसूरती सें जला करती थी। लेकिन सोनम को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था। वह अपने में ही मस्त रहतीे थी। दुनियादारी की फिक्र उसमे बिल्कुल भी नहीं थी। तीनों आपस में बातें करते हुए स्कूल की तरफ बढ़े चले जा रहे थे। पूनम मनोज वाली बात को बिल्कुल भूल चुकी थी उसे जरा भी याद नहीं था कि मनोज उसके पीछे पड़ा हुआ है। जिसके बारे में सोचकर कल वह बेहद चिंतित थी लेकिन रात भर में ही वह सारी बातों को भूल चुकी थी इसलिए तो वह बेफिक्र होकर स्कूल की तरफ आगे बढ़ी जा रही थी। तभी बेला उसे मनोज की बात याद दिलाते हुए बोली।
देखना पूनम आज भी वह लड़का वहीं खड़ा होगा,,,,
( बेला की यह बात सुनकर एक बार फिर से उसके बदन में कपकपी सी दौड़ गई,,,, उसे फिर से मनोज याद आ गया,,,, उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट होने लगी। बेला की बात सुनकर वह कुछ भी बोल नहीं पाई,,,,,, कुछ देर पहले जिसके चेहरे पर खुशी की आभा साफ झलक रही थी मनोज का नाम सुनते ही उसकी सारी हंसी ओझल हो गई,,, पूनम एक बेहद संस्कारी लड़की थी इसलिए उसका नाम किसी लड़के से जुड़े यह उस को बिल्कुल भी मंजूर नहीं था उसे अपने परिवार की इज्जत मर्यादा मान सम्मान का अच्छे से ख्याल था। इसलिए वह इस तरह के चपेड़ों में बिल्कुल भी नहीं पड़ना चाहती थी। आखिरकार उसके दिल की धड़कने तेज होने लगी उसकी नजर एक बार बार नीचे झुक जा रही थी उसके बदन में अजीब से डर का माहौल बन चुका था।
वो फिर से मनोज को उसी मोड़ पर खड़े देख चुकी थी वह डर रही थी लेकिन बेला और सुलेखा दोनों मुस्कुरा रहे थे।
उसके पैर आगे बढ़ाएं नहीं बढ़ रहे थे। मनोज लगातार उसे ही घूरे जा रहा था। अजीब कसमसाहट भरी स्थिति उसके सामने खड़ी हो गई थी। खैर जैसे तैसे करके पूनम आगे बढ़ गई। और जैसे ही कुछ दूरी पर पहुंची उसकी जान में जान आई। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,
वह घरवालो से ऐसी बाते करने से डर रही थी।,,,,, वह पहले भी इसी तरह से खड़ा होकर उसे घूमता रहता था लेकिन पहले उसे यह नहीं पता था कि वह किस के लिए खड़ा रहता है और किस को घूमता रहता है इसलिए वह बिना किसी झिझक बिना किसी डर के आती जाती रहती थी लेकिन जब उसे मनोज के मन में क्या चल रहा है इसका भान हुआ तो,, उसके लिए स्कूल आना जाना दुभर हो गया ।अब तो यह रोज का हो गया था,,,, तकरीबन 8:00 10 दिन ऐसे ही बीत गए पूनम रोज डरते हुए उसको जाति और डरते हुए स्कूल से वापस घर आती वह ऐसी स्थिति में पहुंच गई थी कि किसी को कुछ बताने लायक भी नहीं थी उसे इस बात का डर था कि घर वालों को बताने पर कहीं घर वाले गलत न समझ बेठे ,,,, दूसरी तरफ मनोज जी काफी परेशान हो गया था उसे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था इतने दिनों से तुम किसी भी लड़की के पीछे इतना परेशान नहीं हुआ था वह जिस लड़की को चाहता उस लड़की से फ्रेंडशिप कर लेता था लेकिन पूनम के पीछे उसे कुछ ज्यादा ही पापड़ बेलने पढ़ रहे थे और पूनम की तरफ से उसे जरा सा भी इशारा नहीं मिल रहा था।
और वह मन में ठान लिया था कि पूनम को किसी भी तरह से पटा कर ही दम लेगा। पूनम का रवैया देख कर पूनम के प्रति उसका आकर्षण और भी ज्यादा बढ़ गया था उसे लगने लगा था कि पूनम के साथ उसे बहुत मज़ा आएगा। क्योंकि इतने से वह भी अच्छी तरह से समझ गया था कि पूनम दूसरी लड़कियों की तरह बिल्कुल भी नहीं है वह कुछ खास है इसलिए तो अब पूनम के पीछे पीछे घूमने में उसे मजा आने लगा था लेकिन बात ना बनती देखकर वह अंदर ही अंदर गुस्सा भी करने लगा था। पूनम से बातचीत तो दूर पूनम कभी उसके सामने ठीक से खड़ी भी नहीं हुई थी और उससे बातचीत कराने का ठेका उसने बेला को दे रखा था लेकिन बेला और सुलेखा दोनो इस में नाकाम सी नजर आ रही थी।
एक दिन रिशेष के समय बेला उसे अकेले में मिल गई। मनोज थोड़ा गुस्से में था क्योंकि उसने वादा कि थी की वह पूनम से उसकी जान पहचान करवा देगी लेकिन अभी तक उसने उससे बात तक नहीं करवा पाई थी। वह ऊंची नीचे पतली सी पगडंडी पर चली जा रही थी,,, चारों तरफ जंगली झाड़िया और खेत लहलहा रहे थे। बेला भी खूबसूरत थी। भरे बदन की थी थोड़ी मोटी सी थी उसकी बड़ी-बड़ी नितंब बहुत ही शानदार नजर आती थी। मनोज जल्दी-जल्दी उसके पीछे गया और पीछे से उसकी बांह पकड़ कर जोर से अपनी तरफ घुमाते हुए बोला।
बेला तुमने मुझसे वादा किया था कि पूनम से मेरी जान पहचान करवा दोगे लेकिन तुमने अभी तक उससे बात भी नहीं करवा पाई हो।
( जिस तरह से मनोज नें उसकी बांह कसकर पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया था अगर उसकी जगह कोई और होता तो वह उसके गाल पर थप्पड़ रसीद कर देती और ऐसा करने के लिए वह अपना हाथ उठाई भी थी लेकिन मनोज को देखकर उसका हाथ खुद बखुद रुक गया। और मनोज की बात को अनसुना करते हुए मुस्कुरा कर बोली।)
हाय मेरी जान कभी हमसे भी तो प्यार से बात कर लिया करो आखिर पूनम में ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं है उसके पास भी वही सब है जो कि मेरे पास है। ( बेला अपने हाथ से अपने बदन के ऊपर से नीचे तक इशारा करते हुए बोली।,, बेला की इस अदा पर वह उसके बदन को ऊपर से नीचे की तरफ देखने लगा और उसकी नजर बेला की बड़ी बड़ी चूचीयो के ऊपर आकर अटक गई,,,, चूचियों पर नजर पड़ते ही जैसे मनोज का गुस्सा कहीं फुर्र हो गया लेकिन उसके मन में पूनम पूरी तरह से बस चुकी थी। किस लिए वह बेला से फिर से बोला लेकिन थोड़ा नरम लहजे में)
देना तुम ऐसा क्यों कर रही हो तुम तो मुझसे वादा की थी कि तुम मेरी जान पहचान करवा दोगी लेकिन ऐसा क्यों नहीं कर रही हो,,,,
मनोज पूनम दूसरी लड़कियों की तरह नहीं है पता है जब से उसे यह मालूम हुआ है कि तुम उसके आगे पीछे घूमते रहते हो तब से वह कितना डर कर रहती हैं। आते जाते वह तुम्हारी वजह से एकदम सहमी सहमी सी हो गई है। वह तो अपने चाचा से बताने वाली थी लेकिन उसे मैंने ही मना कर दीजिए कहकर कि अगर तूने बताई थी तो उन्हें ही कुछ गलत लगेगा कि तू ही पहले कुछ बोली होगी तभी वह पीछे पड़ा है इसलिए वह खामोश हो गई।( बेला मनोज को झूठी बात बनाते हुए बोले ताकि मनोज उसके साथ अच्छे से पेश आए और उसे विश्वास दिला सके कि वह उसकी बात उससे करा कर रहेगी,,,, लेकिन बेला के मन में कुछ और भी था वह मनोज के विश्वास के साथ साथ उसका प्यार भी पाना चाहती थी जो कि प्यार नहीं बल्कि एक वासना ही थी,,, दिला मनोज के साथ संबंध बनाना चाहती थी। बेला की बनी बनाई बात सुनकर मनोज को उस पर थोड़ा विश्वास हुआ तो उसका गुस्सा पूरी तरह से शांत हो गया और वह बोला।)
देखो मनोज तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं तुमसे वादा की हो तो उसे जरुर निभाऊंगी मैं तुम्हारी जान पहचान सब कुछ पूनम के साथ करवा दूंगी लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह इधर उधर देख कर यह जानने की कोशिश करने लगी कि कहीं कोई उन्हें इस जगह पर देख तो नहीं रहा है लेकिन दूर दूर तक कोई भी नजर नहीं आ रहा था। बेला का इशारा खेला खाया मनोज अच्छी तरह से समझ रहा था,,, तभी तो उसकी नजर अभी भी बेला की बड़ी बड़ी चूचीयो पर ही टिकी हुई थी। तो भी वह अन्जान बनता हुआ बोला।)
क्या चाहती हो तुम,,,,,,
तुम्हारा प्यार तुम्हारा सब कुछ,,,,( बेला बड़ी हुई नशीली आंखों से मनोज की आंखों में देखते हुए बोली,,,, मनोज भी उसकी नशीली आंखों में डूबता हुआ इधर उधर देख लिया विशेष पूरी होने में अभी भी कुछ समय का वक्त था उसने तुरंत बेला का हाथ पकड़ा और उसे झाड़ियों के बीच ले गया बेला बिना ना नुकुर किए उसके साथ झाड़ियों में चली गई। झाड़ियां बड़ी घनी और लंबी लंबी थी जिसकी वजह से अंदर का कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। मनोज जल्दी-जल्दी उसका हाथ पकड़ कर एक घने पेड़ की छांव के नीचे ले गया यह जगह बिल्कुल सुरक्षित है यहां ऐसे भी कोई आता जाता नहीं था। मनोज पूनम पर मर मिटा था लेकिन उसकी जो आदत थी लड़कियों के साथ मस्ती करने कि वह कहां बंद होने वाली थी काफी दिनों से पूनम के चक्कर में उसने किसी लड़की की चुदाई नहीं किया था इसलिए बेला का इशारा एक बार फिर से उस को एकदम से चुदवासा बना दिया,,,, मनोज इस तरह से उसका हाथ पकड़कर झाड़ियों में ले जा रहा था बेला बहुत खुश हो रही थी उसकी बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी थी। बेला का यह पहली बार नहीं था,,,,, उसने भी काफी लड़कों से चुदवा चुकी थी। और आंखों ही आंखों में वह मनोज को पसंद करने लगी थी लेकिन मनोज पूनम के पीछे हाथ धो कर पड़ा था इसलिए अपना फायदा देख कर ही उसने मनोज को यह कही थी कि वह पूनम से उसकी जान पहचान करवा देगी ताकि ईसी बहाने वह भी बहती गंगा में हाथ धो ले। और यह सोच उसका इरादा आज सफल होने जा रहा था झाड़ियों के बीच घने पेड़ के नीचे पहुंचते ही मनोज पागलों की तरह बेला को अपनी बाहों में भर कर ऊसके गुलबी होठो को चूसने लगा,,,
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