Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 03:06 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
Mera pyaar meri souteli maa our behan
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और वो सख़्त से मोटी गर्म रोड के जैसी चीज़ मेरी फुद्दि के सूराख को फेलाती हुई अंदर घुस गयी…इससे पहले कि मैं कुछ सोच या समझ पाती…”हहान की आवाज़ के साथ उसने एक और ज़ोर दार धक्का मारा…और वो चीज़ मेरी फुद्दि की दीवारो को रगड़ती हुई फुद्दि की गहराइयों मे उतर गयी…मस्ती की तेज लहर मेरे जिस्म को झींझोड़ गयी…अब तब तक मैं समझ गयी थी कि, वो ऊपेर लेटा हुआ लड़का आसिफ़ नही बसीर है…

पर उसके लंड की रगड़ को अपनी फुद्दि की अन्द्रूनी दीवारों पर महसूस करके मैं इतनी गरम हो गयी थी कि, मैं कुछ बोलने की कॉसिश भी नही कर पा रही थी…वो कुछ पलों के लिए रुका….और फिर मेरे मम्मे को मूह से बाहर निकाल कर मेरी नेक पर अपने होंटो को रगड़ने लगा……”क क कॉन बसीर तुम हो क्या….” मैं अजीब से हालात मे फँस गयी थी…..”हां चाची जी मैं हूँ…..” उसने उखड़ी हुई सांसो से कहा…..”ये ये तुम क्या आह ओह बसीर ओह नही ये ये ये ग़लत है आह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” मेने जैसे ही उसे रोकना चाहा….उसने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….मेरी गीली फुद्दि मे उसका लंड फिसलता हुआ अंदर बाहर होने लगा था….उसके लंड की रगड़ को अपनी फुद्दि की दीवारो मे महसूस करके मैं एक दम से मदहोश होती चली गयी….

करीब एक साल बाद फुद्दि मे लंड लेने के कारण मैने अपने हथियार डाल दिए…बसीर ने अपनी दोनो बाहों को नीचे लेजाते हुए, मेरी टाँगो के घुटनो के नीचे से डालते हुए मेरी टाँगो को ऊपेर उठाने की कॉसिश करना शुरू कर दिया… “अह्ह्ह्ह चाची जी प्लीज़ अपनी टाँगे थोड़ा उठा लो ना….” ये सब करते हुए भी वो अपना लंड लगतार मेरी फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था….भले ही उसके लंड की लंबाई मेरे शोहार के लंड के बराबर ही थी….

पर उसके लंड की मोटाई मेरे शोहार के लंड से कही ज़यादा थी…जिसके कारण मुझे अपनी फुद्दि उसके लंड पर बेहद कसी हुई महसूस हो रही थी….और उसके लंड की रगड़ मुझे अपनी फुद्दि पर उससे कही ज़्यादा महसूस हो रही थी….जब हाशिद के पापा मुझे चोदते थे…..शायद इसी कारण मैं बेहद गरम हो गयी थी….”ना नही बसीर ये ये ये सब ठीक नही है…..” मेने उखड़ी हुई काँपती आवाज़ मे कहा….उसने एक ज़ोर दार धक्का मार कर अपना लंड जड तक मेरी फुद्दि मे घुसा दिया…और वही रुक कर बोला….” तो जो आप आसिफ़ के साथ कर रही थी वो ठीक है क्या….? बसीर की बात सुन कर मैं एक दम घबरा गयी…..”क क क्या मैने उसके साथ क्या किया है….”

बसीर: बनो मत चाची मैने आज शाम को खुद भैंस वाले कमरे मे तुम्हे आसिफ़ को अपने मम्मे चुस्वाते हुए देखा था…जब मैने आसिफ़ से पूछा तो उसने मुझे डर के मारे सब कुछ बता दिया है…. अब उसे अपने पास सुलाने के बहाने उसे अपना दूध पिलाना चाहती हो….”

मैं: पर आसिफ़ कहाँ है…

बसीर: वो अब्बा जी के पास सो गया है….

आसिफ़: चाची प्लीज़ कुछ नही होता अपनी टाँगे उठा लो….और मज़े करो….

मैं: नही बसीर नही मुझसे नही होगा ये सब ग़लत है….(मेने अपनी आख़िर कॉसिश करते हुए कहा….)

बसीर: देखो चाची मैं जानता हूँ कि, तुम्हे लंड चाहिए…जो मेरे पास है…ये बात हम दोनो के बीच मे रहेगी….आसिफ़ तो अभी बहुत छोटा है…इसीलिए वो आपका ये राज़ छुपा ना रख सका..नादान है वो….प्लीज़ उठा लो ना…..

उसने अपने लंड को कॅप तक मेरी फुद्दि से बाहर निकाला और कस कस के तीन चार शॉट ऐसे लगाए कि, मेरा पूरा बदन हिल गया….थप-2 की आवाज़ पूरे रूम मे गूँज गयी….इतने जबरदस्त धक्के हाशिद के अब्बू ने भी कभी नही लगाए थी….सेक्स क्या होता है चुदाई क्या होती है…ये तो आज मुझे पता चल रहा था….उसके इन तीन-2 चार धक्कों ने तो जैसे मेरी फुद्दि मे सुरंग ही खोद डाली थी…इतना पानी मेरी फुद्दि से निकल रहा था कि,

मुझे अपनी बुन्द के द्वार मे वो लैस्दार चिप चिपा पानी सॉफ महसूस हो रहा था….”अह्ह्ह्ह अब्ब्ब उठा भी लो चाची जान…..” उसने फिर से धीरे-2 अपने लंड को फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए कहा…मैं भी अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी…मेरी टाँगे खुद ब खुद ऊपेर उठने लगी थी….उसने मेरी टाँगो को घुटनो से मोड़ दिया…अब मेरी टाँगो के घुटने मेरे मम्मों पर दबाए हुए थी….

बसीर ने मेरे घुटनो को पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिए….उसका लंड कॅप तक मेरी फुद्दि से बाहर आता और फिर से मेरी फुद्दि की गहराइयों मे समा जाता…उसका लंड भी मेरी फुद्दि के पानी से भीग चुका था…हर बार जब उसका लंड मेरी फुद्दि मे घुसता तो मेरी फुद्दि से निकले लैस्दार पानी की वजह से पक-2 की आवाज़ आती….

मुझे यकीन नही हो रहा था कि, मैं अपने इस छोटे से भतीजे से कैसे अपनी फुद्दि चुदवा रही हूँ….तभी अचानक से रूम मे चारो ओर रोशनी फेल गयी…बसीर अपने साथ टॉर्च लेकर आया था….जो मेरे जेठ जी आर्मी के कॅंप से लेकर आए थी…..अब मैं उसकी आँखो के सामने अपनी टाँगे उठाए हुए लेटी थी…और जैसे ही मुझे इस बात का अहसास हुआ तो मैं एक दम से शरामशार हो गयी….मेने अपनी बाहों से अपनी मम्मों को ढक लिया और बसीर की तरफ देखा….वो मेरी तरफ देखते हुए, मेरी फुद्दि मे अपने लंड को अंदर बाहर करता हुआ मुस्करा रहा था…..
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