Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 02:55 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
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मैने नीलम के फेस की तरफ देखा…नीलम की आँखे अभी भी बंद थी…साँसें तेज़ी से चल रही थी…और वो अपने होंठो को दाँतों में दबाए हुए थी…

में: नीलम तुम्हारी फुद्दि बहुत गरम और टाइट है…देखो ना मेरा लंड कैसे तुम्हारी फुद्दि के पानी से भीगा हुआ है…

पर ये बात सुनते ही, नीलम ने अपने होंठो को दाँतों से निकाल लिया….और मेरी बात को सुनते ही उसके होंठो पर स्माइल आ गयी…पर ना तो उसने अपनी आँखों को खोला और ना ही वो कुछ बोली….शायद वो बोलना ही नही चाहती थी….में अपने लंड को धीरे-2 अंदर बाहर करने लगा…लंड नीलम की फुद्दि से बह रहे काम रस से चिकना हो कर धीरे-2 अंदर बाहर हो रहा था…नीलम ने एक बार फिर से अपने होंठो को दाँतों से काटना शुरू कर दिया था….

में नीलम के मम्मो को चूस्ते हुए अपने लंड को पूरा बाहर निकाल-2 कर शॉट मार रहा था… लंड फच-2 की आवाज़ से अंदर बाहर हो रहा था…नीलम ने अपनी टाँगों को घुटनो से मोड़ कर मेरी कमर के ऊपेर रख लिया था… ताकि वो मेरे लंड को अपनी फुद्दि की गहराइयों में महसूस कर सकें….

में: अहह नीलम तुम्हारी फुद्दि सच में बहुत टाइट हैई….मेरे लंड को अपने अंदर लेकर दबा रही हैं….

में नीलम के फेस की तरफ देखते हुए…अपने लंड को उसकी फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था…पर नीलम बिना कुछ बोले अपनी आँखों को बंद किए लेटी रही…में नीलम को बुलवाना चाहता था….चाहे एक वर्ड ही सही….में सीधा हो कर घुटनो के बल बैठ गया….और नीलम की टाँगों को घुटनो से पकड़ कर धीरे-2 अपने लंड को उसकी फुद्दि से बाहर निकालने लगा…मेरे लंड का कॅप नीलम की गीली और गरम फुद्दि की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ बाहर आने लगा….

जैसे ही मेरा लंड कॅप तक नीलम की फुददी से बाहर निकला…मैने एक गहरी साँस ली... और अपनी पूरी ताक़त लगाकर एक जोरदार धक्का मारा…लंड का कॅप पूरी तेज़ी से नीलम की फुद्दि की दीवारों को फैलाता हुआ. अंदर घुस गया…धक्का इतना ज़बरदस्त था, कि नीलम के मूह से अहह की हल्की सी चीख निकल गयी…

अब मैने ये मान लिया था…कि में चाहे जितनी भी कॉसिश करूँ…नीलम नही बोली गी.. में वापिस नीलम के ऊपेर झुक गया, और नीलम के मम्मो को चूस्ते हुए अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा…लंड फ़च-2 की आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा…मेरे हर धक्के के साथ नीलम के मूह से हल्की से उन्घ की आवाज़ निकल जाती…और कभी आह सीईइ की आवाज़ सुन जाती…. लंड अब आसानी से नीलम की फुद्दि के अंदर बाहर हो रहा था…

मैने नीलम के मम्मो को छोड़ कर अपने होंठो को नीलम के रसीले होंठो की तरफ बढ़ा दिया…और नीलम ने जैसे ही मेरे होंठो को अपने होंठो पर महसूस किया…नीलम ने अपने होंठो को खोल लिया…में नीलम के गुलाबी रस से भरे होंठो को चूसने लगा… नीलम भी मेरा पूरा साथ दे रही थी….मैने धीरे-2 अपने धक्को की रफ़्तार को और बढ़ा दिया…नीलम का बदन अकड़ने लगा…और वो तेज़ी से अह्ह्ह्ह अहह सीईईईईई उंह करने लगी… नीलम फारिघ् होने के करीब थी…में और जोश में आकर अपने लंड को और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा…आख़िर कार नीलम का बदन अकड़ गया…और उसने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग करके तेज़ी से साँस लेना शुरू कर दिया….

और फिर नीलम एक दम से तड़पते हुए पुरस्कून हो गयी…..मैने भी फुल स्पीड से घस्से मारने शुरू कर दिए…..और ऐसे 2- शॉट मारे कि, पूरा रूम पक -2 फॅट्चग-2 की आवाज़ो से गूँज उठा….”ओह्ह्ह मामी मैं फारिघ् होने वाला हूँ….जल्दी बताओ कहाँ पानी निकालु….जल्दी…” जैसे ही मैने कहा तो, नीलम ने अपने दोनो हाथो को तकिये से हटा मेरी पीठ को अपनी बाज़ुओं में ज़ोर से कस लिया….उसके मम्मे मेरी चैस्ट पर दब गये…और अगले ही पल नीलम ने अपनी टाँगो को उठा कर मेरी कमर पर रखते हुए सरगोशी से भरी आवाज़ में कहा…”अंदर फारिघ् होना समीर…सीईइ….” नीलम की बात सुनते ही मेरे लंड से लंबी-2 पिचकारियाँ निकालने लगी… और मैने नीलम की फुद्दि को अपने गरम लावे से भरना शुरू कर दिया…

में भी पूरी तरह थक चुका था…मेरा लंड रह-2 नीलम की फुद्दि के अंदर झटके खा रहा था….जिसे महसूस करके बीच-2 में नीलम का जिस्म भी काँप जाता….वो मेरी पीठ पर अपने हाथ फेर रही थी…थोड़ी देर बाद में नीलम के ऊपेर से हट कर उसकी बगल में लेट गया…और अपनी साँसों को दुरस्त करने लगा…

थोड़ी देर बाद मैने देखा…नीलम उठ कर अपने पैरों को लटका कर बेड के किनारे बैठ गयी…उसने अपनी पैंटी को उठाया…और झुक कर पहनने लगी…जैसे ही उसने अपने पैंटी पहनी…और वो उसके बाद अपने हाथों को पीछे लेजा कर अपनी ब्रा के हुक्स को बंद करने की कोशिस करने लगी…

में उसके पीछे लेटा हुआ सब देख रहा था…में नीलम को बुलाना नही चाहता था…पर उनसे उसकी ब्रा के हुक्स बंद नही हो रहे थे.. में उठ कर नीलम के पीछे बैठ गया…और अपने हाथों को उसकी ब्रा के स्ट्रॅप्स पर रख दिया…जैसे ही मेरे हाथ उसके हाथों से टकराए…नीलम ने अपने हाथों को झट से आगे कर लिया…मैने नीलम के ब्रा के हुक्स को बंद कर दिया…फिर नीलम पीछे देखे बिना ही अपनी नाइटी ठीक करने लगी…नाइटी ठीक करके…वो खड़ी हो गयी…और नीच जाने लगी….

मैने आगे बढ़ कर उनका हाथ पकड़ लिया….नीलम वहीं रुक गयी…में बेड से खड़ा हुआ…उसके पीछे से उसके पास जाकर उससे लग गया…मैने नीलम को अपनी तरफ घुमा लिया.. इस बार मैने पहली बार नीलम की आँखों को खुला देखा…जो उसके पुरस्कून होने को बयान कर रही थे…उसके होंठो पर हल्की सी मुस्कान थी…मैने अपने होंठो को नीलम के होंठो की तरफ बढ़ाना चालू कर दिया…नीलम ने अपनी आँखों बंद कर ली…और में नीलम के होंठो को अपने होंठो में लेकर किस करने लगा. हम दोनो 2 मिनट तक एक दूसरे को किस करते रहे…

जब नीलम ने अपने होंठो को मेरे होंठो से हटाया…तो उसकी आँखे शरम के मारे झुकी हुई थी…

में: नीलम आज तो में आप को पा कर बहुत खुस हूँ…आप को कैसा लगा…क्या में आप को खुस कर पाया…

नीलम ने हां में सर हिला दिया….और नीचे जाने लगी…पर मैने नीलम का हाथ पकड़ा हुआ था…

नीलम: (कांपति हुई आवाज़ में) नजीबा उठने वाली है….

में और कुछ नही बोला, और नीलम का हाथ छोड़ दिया…नीलम नीचे चली गयी…और में बाथरूम में घुस कर फ्रेश होने लगा….जब में फ्रेश हो कर नीचे आया तब नजीबा बाहर सोफे पर बैठी नाश्ता कर रही थे…मैं भी उसके पास जाकर बैठ गया….और उसके साथ बातें करने लगा…थोड़ी देर बाद नीलम मामी मेरे लिए भी खाना ले आई…..खाना खाने के बाद मैने अपने और नजीबा के बर्तन उठाए और किचिन में रखने चला गया…

मैने किचिन के सिंक में बर्तन रखे…..तो नीलम ने मूड कर मेरी तरफ देखा… उसके होंठो पर दिलकश मुस्कान थी….”मैं ले आती….तुम क्यों तकलीफ़ कर रहे हो…” नीलम की बात का मैने कोई जवाब नही दिया….नीलम अपने काम में बिज़ी थी… और उसकी पीठ मेरी तरफ थी….मुझे पता था कि, नजीबा चल कर किचिन की तरफ नही आ सकती….मैने मोका देखते हुए, नीलम को पीछे से अपने बाज़ुओं में भर लिया,.. मेरी इस हरक़त से नीलम एक दम से चोंक गयी…..

नीलम: ये क्या कर रहे हो…नजीबा देख लेगी.….

में: वो कैसे देख लेगी.….

और मेने नीलम की अपनी तरफ घुमाया और उसकी कमर में अपनी बाहों को कस कर उससे चिपक गया….और उसके होंठो को किस करने लगा…

नीलम: (अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग करते हुए) नही अभी नही…पहले मुझे नाश्ता बनाने दो….

में: (नीलम से अलग होते हुए) जी पर में आप से कुछ पूछ सकता हूँ…

नीलम: (नाश्ते को प्लेट में डालते हुए) जी पूछिए…

में: नीलम जब आप भी यहीं चाहती थी..तो आप ने पूरा टाइम मेरे से कोई बात क्यों नही की…

नीलम: वो में बस मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था..और मेरे बोलने की हिम्मत नही हो रही थे…अच्छा समीर अब तुम जाओ…नजीबा को शक ना हो जाए,… कि तुम इतनी देर से किचिन में क्या कर रहे हो…

मैं: ठीक है…..अब फिर कब आप मुझ पर मेहरबान होंगी….
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