Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 02:54 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
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अगली सुबह जब आँख खुली तो देखा …सुबह के 5 बजे मुझे नीलम मामी मेरे कंधे से हिला कर उठा रही थी…

नीलम: उठो 5 बज गये हैं…उठ कर थोड़ा सा पढ़ लो…

में अपनी आँखे मलता हुआ खड़ा हुआ…और बाथरूम में घुस गया…में जब फ्रेश होकर रूम में आया, तो जो मेने देखा उसे देख कर में एक दम से हैरान रह गया…नीलम मामी सामने मेरे बेड पर लेटी हुई थी…उसकी पीठ मेरीए तरफ थी…उसकी बॉडी कर्व को देख में पागल सा हो गया…उसकी वो पतली कमर ने मुझ पर नज़ाने क्या जादू सा कर दिया था..जो में अपने होश को खो बैठा…

पीछे से उसकी गोरी नागिन से बल खाती हुई कमर को देख मेरा लंड एक दम से तन गया.. रात को नीलम मामी को नजीबा का भी ख्याल रखना होता था...नजीबा अकेली चल कर बाथरूम नही जा सकती थी….वो शायद नींद ना पूरी होने के कारण बेड पर लेटी सो गयी थी… ऐसे में किसी की नींद कैसे पूरी हो सकती है…इसीलिए वो यहीं सो गये…शायदा कल रात से बहुत थकि होंगी…मेने ये सोच कर बेड पर आकर बैठ गया…और पीछे नीलम मामी के भरे हुए मस्त जिस्म को देखने लगा

क्या मस्त और सेक्सी बदन था नीलम मामी का… 38 साइज़ के कसे हुई मम्मे…नीचे गठीला और भरा हुआ पेट और नागिन सी बाल खाती कमर उफ़फ्फ़ बुन्द तो पूछो ही मत क्या गोल मटोल बुन्द थी…में अपने आपे से बाहर हो गया…नीलम को देख कर मेरा लंड एक दम से सख़्त हो कर, मेरी शॉर्ट में झटके खाने लगा…मेने विंडो से बाहर देखा…

बाहर अभी भी अंधैरा था…अब मेरे दिमाग़ में वासना का तूफान उठ चुका था…मेने जल्दी से लाइट ऑफ की,और बेड पर नीलम के पीछे लेट गया…मेरे और नीलम मामी के बीच सिर्फ़ 7-8 इंच का फाँसला था…

नीलम मामी के इतना करीब लेटे होने कारण…मेरा लंड मेरे अंडरवेर में हलचल मचाए हुए था…अब मुझसे रहा नही जा रहा था…में मामी के करीब खिसक गया..मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा…में डर रहा था..कि कहीं मामी जाग ना जाए… पर वासना के नशे में आकर में आगे खिसक गया…और नीलम मामी से एक दम चिपक गया…मेरा तना हुआ लंड अब नीलम मामी की शलवार के ऊपेर से उसकी बुन्द पर रगड़ खा रहा था…में काफ़ी देर ऐसे ही लेटा रहा…जैसे में नींद में हूँ….

जब थोड़ी देर तक मामी नही हिली…तो मैं हिम्मत करके और करीब खिसक गया…और मेरा लंड नीलम मामी की बुन्द पर और दब गया…नीलम मामी ने पतली सी शलवार कमीज़ पहनी हुई थी….और नीचे पैंटी भी पहनी हुई थी…जिसके कारण मेरा लंड उनकी बुन्द की दर्रार में नही जा पा रहा था..पर वैसे ही लेटा-2 अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से पकड़ कर नीलम मामी की गदराई हुए बुन्द पर रगड़ने लगा…

में साथ में मामी के ऊपेर नज़र जमाए हुआ था…पर वो बिल्कुल शांत लेटी हुई थे..अब मेरा लंड बिल्कुल अकड़ चुका था…और में फारिघ् होने के बिकुल करीब था… मेने अपना एक हाथ नीलम मामी की चिकनी और मखमल जैसे गोरी कमर पर रख दिया… 

इस बार नीलम मामी थोड़ा सा हिली..और फिर से शांत पड़ गये…पर उसके हिलने से मेरा लंड नीलम की शलवार और पैंटी को दबाता हुआ उसकी बुन्द की दर्रार में थोड़ा सा अंदर के जानिब दब गया था.. मुझे ऐसे लगा. जैसे वो जान बुझ कर कर रही हैं…पर में श्योर नही था… इसीलिए में वैसे ही लेटा रहा…

सुबह के 5: 30 बज चुके थे…में अभी भी जगा हुआ था…अचानक नीलम मामी करवट लेकर सीधी हो गयी…और फिर उठ कर बैठ गयी…में अपनी आँखों को बंद किए हुए था… पर थोड़ा सा आँख खोल कर देख रहा था…में उसके फेस के रियेक्शन को नोट करना चाहता पर. उसके फेस पर तो कोई भी एक्सप्रेशन नही थे…

नीलम मामी ने मेरे हाथ को अपने हाथ से हटा कर नीचे रख दिया…और उठ कर चली गयी…मामी के जाते ही में भी उठ गया…और पढ़ने लगा…

में 8 बजे तक पढ़ता रहा…फिर नहा कर तैयार होकर नीचे आया..तो देखा नीलम मामी डिन्निंग टेबल पर नाश्ता लगा रही थे…वो मुझे देख कर मुस्कुराइ और बोली….”अच्छा हुआ तुम आ गये…में तुम्हे ही बुलाने जा रही थे… बैठो नाश्ता कर लो……मैं वही बैठ गया…नीलम चाइ और नाश्ता प्लेट में लगाने लगी…में नीलम की आँखों को पढ़ने की कॉसिश कर रहा था…पर पूरा टाइम मेरी नज़रें उससे नही मिली…नाश्ते के बाद में बाहर आ गया…बाइक ली और कॉलेज चला गया.. और फिर अपने दोस्तो से नोट्स लेकर उसके फोटो स्टेट कॉपीस करवाए….और फिर में घर वापिस आ गया...में थोड़ी देर हाल में बैठ नीलम को घर का काम करते हुए देखता रहा…पर वो अपने काम में बिज़ी थी…हां बीच-2 में एक दो बार ये ज़रूर पूछा कि भूक तो नही लगी…

फिर में नजीबा के पास चला गया….उससे इधर उधर की बातें करने लगा…ऐसे ही टाइम पास होता रहा…नीलम घर का काम करते हुए कभी अंदर आती तो कभी बाहर…मुझे सारा कुछ मिट्टी में मिलता नज़र आ रहा था…आख़िर कार मेने अपने मन को समझा लिया..था कि वो सुबह शायद ज़्यादा थकि हुई थी..इसीलिए उन्होने सोने से पहले ये नही देखा कि वो कहाँ सो रही हैं…

में उठ कर अपने रूम में आ गया…और पढ़ने लगा…दोपहर के 3 बज रहे थे..में काफ़ी देर तक पढ़ता रहा, आख़िर कब तक किताबों के साथ सर फोड़ता… बोर होकर नीचे आ गया…जब नीचे पहुँचा तो, देखा कि, नजीबा भी बाहर सोफे पर बैठी हुई टीवी देख रही थी….और नीलम मामी सोफे पर बैठी कोई मॅगज़ीन पढ़ रही थी….मैं भी वही बैठ कर टीवी देखने लगा….पर मेरा ध्यान बार-2 नीलम मामी की तरफ जा रहा था…जो सोफे पर बैठी एक मॅगज़ीन पढ़ रही थी…पर अब में कर भी क्या सकता था…में अपने आप को टीवी के साथ बिज़ी रखने की कॉसिश कर रहा था…

खैर जैसे तैसे रात हुई…अगले दिन मेरा पहला एग्ज़ॅम था…इसीलिए में खाना खाने के बाद सीधा ऊपेर आ गया, और पढ़ने लगा… में रात के 12 बजे तक पढ़ता रहा. फिर मुझे नींद आने लगी…और में बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गयी.मुझे पता नही चला…पर उस दिन सोने से पहले में 5 बजे का अलाराम सेट कर दिया था…पर में सुबह अलार्म बजाने से पहले ही उठ गया था…

जैसे ही में उठा…मेरे दिमाग़ में एक प्लान आया…मेने जल्दी से उठ कर अलार्म ऑफ किया और.अपना शॉर्ट्स और टी-शर्ट उतार कर रख दी…में अब सिर्फ़ अंडरवेर में था…और में बेड पर लेट गया. मुझे नीचे से कुछ आवाज़ आ रही थे...शायद नीलम मामी उठ चुकी थी….मैं सोच रहा था कि, क्या आज नीलम मामी मुझे उठाने के लिए ऊपेर आएँगी या नही…..

में अपने दिल की धड़कने संभालते हुए इंतजार करने लगा…थोड़ी देर बाद मुझे ऊपर चढ़ते कदमों की आवाज़ आई.मेने आँखों को हल्का सा बंद कर लिया…में पीठ के बल लेटा हुआ था…और मेरा तना हुआ लंड मेरे अंडरवेर को आगे से ऊपेर उठाए हुआ था….मेने जानबूज कर अपनी रज़ाई को अपनी रानो तक उतार दिया था….

तभी मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी…रूम में 0 वाट का बल्ब जल रहा था…में नीलम मामी को देख रहा था…वो अंदर आई और बेड के किनारे आकर खड़ी हो गयी…
उसने मुझे एक बार देखा..मेरे फेस पर देखते हुए उसने मुझे आवाज़ लगाई…समीर उठ जाओ 5 बज गये हैं…पर में जान बुझ कर गहरी नींद में सोने आक्टिंग करता रहा.

नीलम मामी ने मुझे दो बार और आवाज़ लगाई…पर में हिला भी नही, और वैसे लेटा रहा…फिर वो थोड़ा सा झुक कर मुझे अपने हाथ से हिलाने लगी…पर में ऐसे ही लेटा रहा,मुझे उठता ना देख, वो बेड के किनारे बैठ गयी…और एक उबासी के साथ अंगड़ाई लेते हुए मेरी तरफ देखने लगी…

नीलम: समीर उठो ना.. देख कितना टाइम हो गया है….

पर में जानबूझ कर थोड़ा सा हिला और फिर से वैसे ही लेट गया…नीलम ने मेरी ओर देखा…उसे देख कर ऐसा लग रहा है था, कि उसे बहुत नींद आ रही थी..

फिर वो हुआ जिसकी मुझे ज़रा भी उम्मीद नही थी…वो मेरी तरफ पीठ करके लेट गयी. मेरे दिल की धड़कने बढ़ गये…लाखों सवाल मेरे मन में उठने लगे… क्या वो जान बुझ कर ऐसे मेरे साथ लेटी है, अगर उसे नींद आ रही थी, तो वो नीचे जाकर भी सो सकती थे..शायद वो जान बुझ कर ही सोई है…नही -2 हो सकता है..वो ज़्यादा थकि हूँ हों…मैं करीब 5 मिनट तक यही सब सोचता रहा….
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