Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 02:50 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
.”ये क्या है…” नाज़िया ने शॉपर की तरफ देखते हुए कहा…

.इसे पहन लो… सोच लेना कि तुम मेरी आख़िरी ख्वाहिश पूरी कर रही हो….” उसके बाद में फिर से ऊपेर आ गया….

मेने मुस्कुराते हुए कहा और ऊपेर आ गया….कपड़े चेंज किए….और टी-शर्ट और पाजामा पहन कर नीचे आ गया….आख़िर कार वक़्त आ ही गया था…आज नाज़िया एक बार फिर से मेरे लंड के नीचे लेटने वाली थी…..और यही सोच -2 कर मेरा लंड लोहे की रोड की तरफ सख़्त खड़ा होकर झटके खा रहा था…चेंज करने के बाद में नीचे आया तो देखा कि नाज़िया अपनी अम्मी के रूम में सोफे पर बैठी थी….मुझे देख कर वो एक दम से खड़ी हो गयी…और उसकी नज़र सीधे मेरे पाजामे में बने तंबू पर पड़ी….और उसने एक दम से अपनी नज़रें झुका ली….

वो नज़रें झुका कर खड़ी थी, और बीच -2 में मेरी तरफ देख रही थी….उसके हाथ पैर अंजाने डर के कारण काँप रहे थी….वो सोच समझ नही पा रही थी, कि वो जो करने जा रही हे, ग़लत है या ठीक…..पर नाज़िया के पास इतना सोचने का टाइम नही था.. मैं उसके बिल्कुल पास आ चुका था…मेने नाज़िया की कमर के दोनो और अपने हाथ रख लिए…पतली सी नाइटी के ऊपेर से मेरे हाथों को अपनी कमर पर महसूस करके, नाज़िया के बदन में कपकपि दौड़ गयी….और आने वाले पलों के बारें में सोच कर उसके दिल ने धड़कना बंद कर दिया….

नाज़िया को ऐसे बिना कोई विरोध के खड़ा देख कर मेरी हिम्मत बढ़ने लगी. पर उसका हाल नाज़िया से भी बुरा था…मेने कभी सोचा भी नही था, कि नाज़िया जैसी बहुत ही खूबसूरत और भरे हुए जिस्म की मालकिन मेरे सामने ऐसे खड़ी हो गी…अपने सामने खड़ी उस अप्सरा जैसी खूबसूरत औरत को देख कर मेरे हाथ पाँव भी काँप रहे थे… मेरे दिल की धड़कन भी तेज चल रही थी….

मेने नाज़िया को उसकी कमर से थामते हुए, धीरे -2 उसे अपनी तरफ सरकाने लगा. हम दोनो के जिस्मो का फाँसला हर पल कम हो रहा था….जैसे -2 हम दोनो के जिस्म नज़दीक आ रहे थे.. नाज़िया की आँखें धीरे-2 बंद होती जा रही थी…आख़िर कार मेने हिम्मत करके नाज़िया को अपनी बाहों में भर कर अपने जिस्म से चिपका लिया….नाज़िया मेरी बाहों में कसमसा गयी… 

नाज़िया ने अपनी आँखें बंद कर रखी थी…उसके होंठ थरथरा रहे थे…जिसे देख कर मेरी आँखों में चमक आ गयी…मैं अपनी किस्मत पर बड़ा इतरा रहा था….आख़िर कार मैं आज नाज़िया के गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठो का रस पीने वाला था.. मेने नाज़िया की ओर देखते हुए, उसके थरथरा रहे गुलाबी रसीले होंठो की तरफ अपने होंठो को बढ़ाना चालू कर दिया….

नाज़िया अपने फेस और होंठो पर मेरी साँसों को महसूस करके मचल उठी….पर अगले ही पल उसके दिमाग़ में ये आ गया कि, वो मुझे को किस से आगे नही बढ़ने देगी. चाहे कुछ भी हो जाए….वो अपनी इज़्ज़त को बर्बाद नही होने दे गी….

मेने एक बार फिर से नाज़िया की ओर देखा…..और अपने होंठो को नाज़िया के नाज़ुक होंठो पर रख दिया….नाज़िया एक दम से कसमसा गयी…..मेने नाज़िया को अपनी बाहों में और कस लिया….और धीरे -2 नाज़िया के होंठो को चूसने लगा…..नाज़िया अपने होंठो को बंद किए हुए थी…पर मैं जी भर के नाज़िया के होंठो को रस पीना चाहता था….इसीलिए मेने सिर्फ़ नाज़िया के नीचे वाले होंठ को अपने दोनो होंठो में दबा लिया…जिससे नाज़िया के दोनो होंठो में थोड़ा सा गॅप बन गया….और मोका देखते हुए, मेने नाज़िया के नीचे वाले होंठ को अपने दोनो होंठो में ले लिया….और ज़ोर -2 चूसने लगा….ना चाहते हुए भी नाज़िया के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गयी…

मेरे हाथ नाज़िया की कमर पर अपना कमाल दिखा रहे थे…..मैं कमर को सहलाता हुआ धीरे-2 अपने हाथों को नाज़िया की बुन्द की तरफ लेजा रहा था…नाज़िया मुझसे एक दम चिपकी हुई थी….नाज़िया की मस्त कर देने वाले मम्मे मेरी चेस्ट में धन्से हुए थे….नाज़िया का बदन मेरी बाहों में धीरे-2 ढीला पड़ने लगा….

जिसे मैं अच्छी तरह समझ रहा था…..ना चाहते हुए भी नाज़िया की फुद्दि में नामी आने लगी थी….नाज़िया अपनी पैंटी में आए हुए गीले पन को सॉफ महसूस कर पा रही थी…मेने नाज़िया को गरम होते देख अपने हाथों को नाज़िया की बुन्द पर रख दिया. नाज़िया मेरे हाथों को अपनी नाइटी के ऊपेर से अपनी बुन्द पर महसूस करके मचल उठी…..पर वो बोली कुछ नही…बल्कि उसके होंठ और खुल गये…मैं पागलों की तरह नाज़िया की होंठो को चूसने लगा…मेने धीरे -2 नाज़िया की बूँद के दोनो पार्ट्स को दबाना शुरू कर दिया…..

नाज़िया के बदन में मस्ती के लहर दौड़ गये….नाज़िया के हाथ जो कुछ देर पहले मेरे कंधों पर थे…अब वो दोनो हाथ मेरे सर के पीछे आ चुके थे…और वो अपने हाथों से धीरे-2 मेरे बालों को सहला रही थी… नाज़िया एक दम मदहोश हो चुकी थी….वो अब अपने आप पर काबू नही रख पा रही थी…नीचे मेरा लंड भी अब अपनी औकात पर आ चुका था….और वो नाज़िया की फुद्दि के लिप्स पर नाइटी और पैंटी के ऊपेर से लगा हुआ रगड़ खाने लगा…….



नाज़िया की फुद्दि में सरसराहट दौड़ गयी….जैसे ही उसी अपनी नाइटी और पैंटी के ऊपेर से मेरा लंड अपनी फुद्दि के लिप्स पर महसूस हुआ, उसने अपनी बाहों को मेरी पीठ पर कस लिया……जिसे देख कर मेरे हिम्मत और बढ़ गयी….और मैं धीरे- 2 नाज़िया की बुन्द से नाइटी को पकड़ कर ऊपेर उठाने लगा……नाज़िया इतनी मस्त हो चुकी थी, कि उसे पता नही चला कि उसकी नाइटी उसकी रानो से ऊपेर तक उठ चुकी ही. मुझ को अपना मकसद पूरा होता हुआ नज़र आ रहा था…..
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