RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
अब कमरे में ये हालत थी. कि एक तरफ मेरा शौहर यासिर अपने दोस्त विनोद के अनकट हिंदू लंड से निकले हुए नमकीन पानी को मेरी मुस्लिम चूत में से चाट चाट कर ख़ाते हुए मेरी चूत को अच्छी तरह से सॉफ कर के पाकीज़ा करने में मसरूफ़ था.
जब कि दूसरी तरह अपने शौहर यासिर की इस दीवाना वार चटाइ की वजह से मेरे जिस्म में एक अजीब सी हलचल मची हुई थी.
इसी दौरान तीसरी तरफ मेरे पहलू में लेटा हुआ मेरा इंडियन ठोकू अपने दोस्त यासिर को अपनी बीवी की चूत से उस का वीर्य ख़ाते देख कर हैरान होते हुए अपने मोटे लंड को हाथ में पकड़ कर अपनी मूठ लगाने में मसरूफ़ था.
इसी दौरान ही जब कुछ देर बाद में अपने उपर काबू ना रख पाई तो मेरी चूत ने एक बार फिर अपना पानी छोड़ दिया.
मेरी चूत से निकलने वाला ये पानी विनोद के लंड के पानी से मिक्स हो कर मज़ीद नमकीन हो गया.
फिर मेरी चूत का ये नमककेन पानी मेरी फुद्दि से निकल कर मेरे बाहर को उमड़ा. और मेरी टाँगों के दरमियाँ झुक कर मेरी चूत से अपने मुँह जोड़े मेरे प्यारे शौहर यासिर के मुँह में गिर कर मेरे शौहर के प्यासे मुँह को भरने लगा था.
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरे लंड के छोड़े हुए पानी को इतनी दीवानगी से अपनी बीवी की चूत से चाट कर तुम ने ये साबित कर दिया है , कि तुम्हें वाकई ही अपनी बीवी से बहुत ही ज़्यादा मुहब्बत है,और इस मुहब्बत की खातिर तुम कुछ भी कर सकते हो यासिर” अपने दोस्त यासिर को मेरी फुद्दि में से निकलने वाले मिक्स पानी को यूँ मज़े से चाटते देख कर विनोद ने अपने लंड को अपने हाथों से मसल्ते हुए कहा.
थोड़ी देर मेरी चूत से निकलने वाले पानी से अपना पेट भरने के बाद मेरी टाँगों के दरमियाँ में से उठ कर यासिर बिस्तर से उतरा. और विनोद के लंड और मेरी चूत के पानी से भीगे हुए अपने होंठों पर मज़े से अपनी लंबी ज़ुबान फेरते हुए बोला “अब तुम लोग आराम करो और में भी जा कर अपने कमरे में सोता हूँ”
इस से पहले कि विनोद और में यासिर को दूसरे कमरे में जाने से रोक पाते. यासिर ने इधर उधर बिखरे अपने कपड़े समेटे और फिर एक दम कमरे से बाहर निकल गया.
“उफफफफफफफफफफ्फ़ में तो तुम्हारे इस हसीन सेरपे और तुम्हारी तंग और गरम चूत को ही हासिल कर के तुम्हारा दीवाना बन चुका था, मगर यासिर को इतने शौक से मेरे लंड से निकले वीर्य को खाते देख कर में तो यासिर का भी बहुत गेर्वेदा हो चुका हूँ मेरी सायरा बेगम” यासिर के कमरे से बाहर जाते ही विनोद ने मुझे अपनी बाहों में भरते कर मेरे मम्मो को अपने हाथों से मसल्ते हुए ये बात कही. तो विनोद को यूँ मुझे अपनी सायरा बेगम पुकारने पर मेरी चूत में जलती जिन्सी आग एक बार फिर से भड़काने लगी थी.
मैने जोश-ए-जज़्बात में मस्त होते हुए विनोद के होंठों के साथ अपने लब जोड़ दिए.
विनोद और मेरे होंठों का आपस में एक बार फिर मिलाप हुआ. तो मेरे रस भरे लबों से मेरे होंठों का रस चाटने के साथ साथ विनोद के हाथ मेरी गुदाज और भारी चुचियों पर फिसलते हुए मेरी जवानी का मज़ा लेने लगे.
में और विनोद दिन भर की मसरूफ़ियत और फिर ज़ोर दार चुदाई की वजह से काफ़ी थक चुके थे.
इसीलिए कब मुझे और विनोद को नीद आ गई इस बात का हम दोनो को पता ही नही चला और हम दोनो मियाँ बीवी की हैसियत में एक दूसरे की बाहों में सो गये.
आज मेरी ज़िंदगी में ये दूसरा मोका था जब में विनोद के साथ एक ही बिस्तर पर सो रही थी.
विनोद के लंड का मज़ा एक बार फिर हाँसिल करने के बाद मुझे अपना वजूद बहुत हल्का फूलका महसूस हो रहा था.
इसी लिए में दुनिया से बे नायाज़ हो कर अपने नये शौहर विनोद की बाहों में एक पूर सकून नींद के मज़े लेने में मसरूफ़ हो गई थी.
नज़ाने रात का ये कौन सा पहर था. जब अपनी नींद के दौरान मुझे एक ख्वाब आया. कि जेसे में पेट के बल बिस्तर पर उंड़ी (उल्टी) हालत में पड़ी हुई हूँ.
जब कि पीछे से किसी की गरम और नुकीली ज़ुबान तेज़ी के साथ मेरी गरम फुद्दि पर चल रही है. जिस की वजह से मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल रही हैं.
ये ख्वाब आते ही मेरी आँखे नींद से एक दम खुद ब खुद ही खुल गई. तो मुझे अहसास हुआ कि जो कुछ में नींद की हालत में महसूस कर रही थी.वो सिर्फ़ एक सपना नही था.
बल्कि में हक़ीकत में अपने पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. और इस दौरान हवा में उठी मेरी गान्ड के दरमियाँ अपना मुँह डाल कर विनोद पीछे से मेरी फुद्दि को चाटने में मसरूफ़ था.
“हाईईईईईईईईईईईईई लगता है तुम्हारा दिल मेरी चूत से अभी भरा नही मेरी जान” विनोद की गरम ज़ुबान को पीछे से अपनी चूत पर चलता हुआ महसूस कर के में सिसकी.
“उफफफफफफफफफफफ्फ़ तुम्हारी चूत और जवानी ऐसी चीज़ नही, जिस से इंसान का दिल एक ही बार में भर जाए, तुम्हारी फुद्दि और गरम जवानी का स्वाद तो में अपनी पूरी ज़िंदगी भी लेता रहूं, तो फिर भी ये कम है मेरी सायरा जानू” मेरी बात के जवाब में विनोद ने ये बात कही. तो अपने हिंदू आशिक़ के मुँह से अपनी मुस्लिम चूत और पाकीज़ा हुश्न की तारीफ सुन कर मेरी फुद्दि एक बार फिर अपना पानी छोड़ने लगी.
कुछ देर मेरी चूत को अपनी ज़ुबान से चोदने और चाटने के बाद विनोद ने मेरी गान्ड को अपने हाथ से थोड़ा मज़ीद उपर की तरफ किया. तो में पेट के बल बिस्तर पर लेटे लेटे एक घोड़ी की तरह बिस्तर पर विनोद के सामने झुकती चली गई.
मुझे इस स्टाइल में बिस्तर पर लेटा कर विनोद भी मेरी टाँगों के दरमियाँ में से उठ कर अपने घुटनों के बल बिस्तर पर मेरे पीछे खड़ा हुआ. और इस के साथ ही उस ने अपने हाथों से मेरी दोनो टांगे को खोल दिया
जिस वजह से मेरी चूत पीछे से उभार कर बाहर को निकल आई. और मेरी फुददी का मुँह पीछे से थोड़ा सा खुल गया.
इस के साथ ही विनोद अपने लंड को हाथ से पकड़ कर मेरी पानी पानी होती हुई चूत पर अपना लंड रख कर रगड़ने लगा.
“हाईईईईईई क्यों अपनी बीवी की चूत को इस तड़पा रहे हो मेरे साजना, आगे बढ़ो और जल्दी से अपने लौडे को अपनी इस गरम बीवी की प्यासी चूत में डाल भी दो नाआआ मेरे सरताज” विनोद के लौडे का मोटा टोपा अपनी चूत से टच होते हुए महसूस कर के में बे ताब हो गई. और सिसकते हुए अपनी जान विनोद से इल्तिजा करने लगी थी.
सच्ची बात ये थी कि मेरी चूत उस वक्त फिर से बे इंतिहा गरम हो चुकी थी. और मेरी चूत की गर्मी का एलाज़ उस वक्त सिर्फ़ और सिर्फ़ विनोद का मोटा बड़ा लंड ही था.
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