Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दुबई में
03-01-2019, 11:18 AM,
#48
RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
विनोद की सजी सजाई कार से बाहर आते ही मेरी नज़र विनोद के घर पर पड़ी.

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ अपनी शादी की खुशी में ना सिर्फ़ विनोद ने अपनी कार को डेकोरेट किया हुआ है, बल्कि उस के साथ साथ मेरे नये शौहर ने घर के सामने और उपर लाइट्स लगा कर अपने घर को भी अच्छी तरह सज़ा रखा है”शादी की खुशी में विनोद के घर के उपर और बाहर चमकती हुई रंग-बि-रंगी लाइट्स को रोशन देख कर मैने अपने दिल में खुश होते हुए सोचा. 

“आओ तुम्हारा नया घर आ गया मेरी जान” में अभी अपनी सोच में गुम थी. कि विनोद की आवाज़ मुझे अपने कान में सुनाई दी.

अपने नये शौहर की ये बात सुनते ही में एक दम से होश में आई.



और फिर विनोद के हाथ में हाथ डाल कर उस के साथ साथ चलते हुए अपने नये घर के मेन दरवाज़े की तरफ चल पड़ी.

विनोद के घर के दरवाज़े की तरफ जाते हुए मुझे अहसास हुआ कि मेरी शादी के ल़हेंगे पर होने वाले काम की बदोलत मेरा लहंगा इतना भारी हुआ है.कि अब विनोद के साथ चलते वक्त मुझे अपना ये लहंगा अपनी कमर से फिसल फिसल कर नीचे जाता हुआ महसूस हो रहा था. जिस की वजह से मुझे इस वक्त चलने में बहुत प्राब्लम हो रही थी.

विनोद ने जब मुझे फूँक फूँक कर अपने कदम उठाते देखा. तो उस ने फॉरन मेरी परेशानी देखते हुए एक दम प्यार से मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपने साथ चिपकाया और बोला ““चलो में तुम्हारी हेल्प करता हूँ मेरी जान”

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ लगता है कि विनोद मेरे जिस्म के नसीब-ओ-फ़र्ज़ को पढ़ लेने के साथ साथ मेरे दिल की बातें भी पढ़ लेता है” विनोद ने जब मुझे पकड़ कर एक दम अपने साथ लिया. तो विनोद की इस हरकत के बारे में सोचते हुए शरम के मारे अपने ही आप में सिमट कर रह गई.

विनोद के घर के दरवाज़े के सामने आ कर यासिर ने चाभी से दरवाज़े का लॉक खोला.तो में फॉरन एक दम अपना पावं बढ़ा कर घर के अंदर दाखिल होने लगी. 

” ज़रा एक मिनट रूको,क्योंकि और रस्मो के साथ साथ हमारे यहाँ एक और रसम भी है, जिस को पूरा करने के लिए, तुम चावलो से भरे इस लोटे को अपने पावं से उलटो, और फिर महावर की इस थाली में अपने पावं को भिगो कर अपने नये घर में अपने कदम दाखिल करो मेरी जान”. मैने नई नवली दुल्हन की हैसियत से ज्यों ही विनोद के घर में दाखिल होने के लिए अपना पावं उठाया. तो मेरे नये शौहर विनोद की आवाज़ एक दम मेरे कनों से टकराई.

विनोद की ये बात सुनते ही घर के अंदर जाते ही मेरे कदम एक दम थम से गये. और फिर विनोद की हिदायत पर अमल करते हुए मैने घर के मेन दरवाज़े पर पड़े हुए लोटे को पावं से ठोकर मार कर गिराया. 



साथ ही विनोद की मदद से सामने पड़ी थाली में एक एक कर के अपने पैरों को भिगोने के बाद में अब अपने माथे पर विनोद के नाम का संदूर और अपने गले में विनोद के नाम का मंगल सूत्र पहन कर छम छम कर के अपने पीछे अपने कदमों के निशान बनाती विनोद की हिंदू पत्नी की हैसियत से उस के सुहाग रात वाले बेडरूम में दाखिल हो गई.

विनोद के बेड रूम में आते ही मैने अपने कमरे का जायज़ा लिया.

तो देखा कि विनोद ने अपनी और मेरी सुहाग की सेज को बहुत शानदार तरीके से सज़ा रखा था.

कमरे की सारी वॉल्स पर गुलाब ही गुलाब की लाडियाँ लटकी हुई थी. 

इस के साथ साथ कमरे के एक कोने में रखे हुए बेड पर भी गुलाब के फूलों की पत्तियाँ ही पत्तियाँ बिखरी पड़ी थी.

जिन की भीनी-भीनी खुश्बू से पूरा कमरा महक रहा था.

“लो मेरी जान अपने नये बेड पर की गई सजावट को अच्छी तरह देख लो, क्योंकि आज रात को जो खेल मैने इस बिस्तर पर तुम्हारे साथ खेलना है, इस की वजह से सुबह तक इस बिस्तर की वो हालत नही रहे गी जो अभी इस वक्त है सायरा” मुझे अपने साथ अपने कमरे में ला कर विनोद ने मेरे साथ साथ अपनी सुहाग की सेज का जायज़ा लेते हुए यासिर के सामने ये अल्फ़ाज़ कहे . 

तो विनोद की बात को सुन कर शरम और खुशी के मिले जुले अहसास से मेरे गाल सुर्ख हो गये. और अपनी जिन्सी हवस के हाथों मजबूर हो कर मैने अपने शौहर यासिर के सामने ही विनोद के गले में अपनी बाहें डाल दीं.

“रात काफ़ी हो रही है,इसीलिए तुम लोग आराम करो, में भी साथ वाले कमरे में जा कर सोने के लिए लेट जाता हूँ” मुझे यूँ खुद सुपुर्दगी से अपने नये शौहर विनोद के गले में बाहें डालते देख कर यासिर शायद समझ गया कि अब शादी वाला असल काम स्टार्ट होने वाला है. 

इसी लिए वो विनोद और मुझे कमरे में अकेला छोड़ कर अपने कमरे में जाने के लिए बाहर निकल गया.

“ओह तुम नही जानती कि तुम्हें अपनी पत्नी बना कर मुझे कितनी खुशी हुई है,मगर अपनी सुहाग रात का आगाज़ करने से पहले में किचन से पानी की बॉटल ले आना चाहता हूँ,इसीलिए तुम बिस्तर पर बैठो में अभी किचन से हो कर आता हूँ मेरी जान” यासिर के बाहर निकलते ही विनोद ने मेरे मुँह में मुँह डाल कर मुझे आज एक महीने बाद एक भरपूर किस की. और मुझे छोड़ कर कमरे के साथ बने किचन की तरफ चला गया.

“हाईईईईईईईईईई आज की रात एक बार फिर मेरी चूत को विनोद के अनकट लंड का वो ही मज़ा हासिल होने वाला है, जिस मज़े की तलब ने मेरी चूत में एक आग बरपा कर रखी है, उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ देखूं तो सही,मेरी चूत तो इस लम्हे के इन्तिजार में केसे पानी पानी हो रही है” विनोद के किचन में जाते ही मेने गले में पड़े अपने दुपट्टे को उतारा. 

और इस के साथ ही अपनी चोली के खुले गले अपने मोटे और भारी मॅमन को चलकाटी हुई में फुलो की पत्तियों से सजे हुए अपने सुहाग के बिस्तर पर बैठ गई.



“उफफफफफफ्फ़ अपनी टाँग चोली में कसे हुए अपने इन मम्मो को शान से उठा हुआ देख कर ऐसे लगता है कि मेरे मम्मो को भी ईलम है कि आज उन पर किसी किसी गैर का हाथ लगने वाला है, जब कि मम्मो के साथ साथ मेरी चूत भी दूसरे लंड की खुशी मे खुश है” बिस्तर पर बैठे बैठे मुझे पहले तो ये ख्याल आया.

और इस के साथ ही में अपने असल शौहर यासिर के बारे में सोचाने लगी थी. 

जो आज एक बार फिर अपनी जवान और गरम बीवी को एक मर्द के साथ रात बसर करने के लिए छोड़ कर खुद साथ वाले कमरे में आराम करने चला गया था.

यासिर के बारे में सोचते सोचते मेरे ज़हन में एक आइडिया आया.

तो अपने दिमाग़ में आने वाले इस ख्याल को सोचते ही मेरी पहले से गरम और पानी पानी छोड़ती चूत में जिन्सी हवस की एक ऐसी लहर उठी जिस ने मेरे जवान और गरम वजूद में एक नई आग भड़का दी.

“ज़रा जल्दी से इधर मेरे पास आना यासिर” अपने दिमाग़ के कोने में आने वाले इस ख्याल से गरम होते हुए मेरे मुँह से बे इकतियार ये अल्फ़ाज़ खुद ब खुद निकल पड़े.

“हां जान क्या बात है” मेरी आवाज़ को सुनते ही यासिर एक दम ऐसे दौड़ता हुए आया,जेसे वो साथ वाले कमरे में नही बल्कि दरवाज़े के साथ ही खड़ा मेरी आवाज़ का मुंतजार था.

“ विनोद ज़रा किचन में गया है,उस के आने तक तुम मुझे प्यार करूऊओ यासीर्र्र्र्ररर” कमरे में आ कर यासिर ज्यों ही मेरे करीब हुआ. तो मैने बिस्तर से एक दम उठ कर अपने असली शौहर के मुँह में मुँह डालते हुए कहा.

“ओह क्या कर रही हो तुम,विनोद अभी किचन से वापिस आ जाएगा सायराआआआआआआ” अपने होंठों से मेरे होंठ मिलाते ही यासिर ने एक दम कमरे के दरवाज़े की तरफ देखा और फिर साथ ही मुझे अपनी बाहों में कसने लगा.

लगता था मेरे साथ साथ मेरे शौहर यासिर के दिमाग़ पर भी जवानी की गर्मी का नशा चढ़ कर बोल रहा था. 

इसी लिए ज्यों ही मैने यासिर के होंठों में अपने गरम होंठ पैवस्त किए . 

तो यासिर ने एक लम्हा ज़ाया किए बिना अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह में डालते हुए साथ ही साथ अपने एक हाथ को नीचे ला कर मेरे लहंगे के उपर से मेरी गरम चूत को अपने हाथ से मसलने लगा था.
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