RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
अपनी शादी के लिए सजाई गई स्टेज पर चढ़ते ही यासिर ने स्टेज पर एक कोने में रखी हुई दूसरी फुलो की माला मेरे हाथ में पकड़ा दी.
“आप दोनो अब अपने होने वाले जीवन साथी के गले में ये माला डाल दो” फुलो की माला मेरे हाथ में आते ही पास खड़े पंडित जी ने हम दोनो से कहा.
तो मैने अपनी माला विनोद के गले में और विनोद ने अपने हाथ में पकड़ी हुई फूलों की माला मेरे गले में डाल दी.
“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ आज मेरी जान मेरे लिए इतनी सज धज कर आई है, कि दिल करता है अभी सब के सामने तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल कर तुम्हारी फुद्दि का फुद्दा बना दूं”मेरे गले में अपने नाम की माला डालते हुए विनोद ने आहिस्ता से मेरे कान में सरगोशी की. तो में चूत से पानी निकाल कर मेरी गुदाज रानों को भिगोने लगा था.
“अब आप दोनो एक दूसरे के साथ अग्नि के साथ फेरे लोगे” में और विनोद ज्यों ही एक दूसरे के गले में फूलों की माला डाल कर फारिग हुए. तो पंडित जी ने कहा और इस के साथ ही उस ने दो कपड़ों की गिरह बना कर उस कपड़े का एक सिरा विनोद और कपड़े का दूसरा सिरा मेरे कंधे पर रख कर हमे अपनी शादी के साथ फेरे लगाने का कह दिया.
मैने पंडित जी की बात पर अमल करते हुए हिंदू मज़हब के मुताबिक विनोद के पीछे पीछे चलते अग्नि के साथ फेरे लगा कर विनोद का हमेशा साथ निभाने की कसम खाई.
जिस दौरान मंदिर के पंडित सब हिंदू मज़हब के मुताबिक अपनी पूजा पाठ में मसरूफ़ रहे.
अग्नि के साथ फेरो से फारिग होने के बाद विनोद ने मेरी उंगली और मैने विनोद की उंगली में शादी की उंगूठी पहनाई.
फिर विनोद ने मेरी माँग में संदूर डालने के बाद मेरे गले में अपने नाम का मंगलसूत्र पहना कर हिंदू रस्मो रिवाज के मुताबिक मुझे अपनी पत्नी बना लिया.
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ विनोद के अनकट हिंदू लौडे ने मेरी पाकीज़ा मुस्लिम चूत पर जो रगड़ लगाई थी, उस रगड़ ने मुझे इतना पागल कर दिया है, कि एक शादी शुदा पाकिस्तानी मुस्लिम औरत होते हुए भी में आज एक इंडियन हिंदू मर्द से अपनी दूसरी शादी कर के विनोद की दूसरी बीवी चुकी हूँ” शादी की सारी रस्मों से फारिग होते ही मेरे दिल में ये ख्याल आया.
वैसे तो एक पाकिस्तानी मुसलमान की हैसियत से हिंदू शादी की ये सारी रस्मो रिवाज तो मैं इंडियन चेनल स्टार प्लस और कई इंडियन मूवीस में हज़ारों बार देख चुकी थी.
मगर एक मुसलमन औरत होते हुए आज खुद इन रस्मों से गुज़र कर अपने आप को एक हिंदू मर्द विनोद की बीवी बनते हुए देख और सोच कर मेरी चूत में एक अजीब सी गरमी चढ़ चुकी थी.
जो गर्मी मुझे यासिर से अपना असल निकाह पढ़वाते हुए भी नही चढ़ि थी. और में अच्छी तरह जानती थी कि मेरी इस गर्मी का इलाज अब सिर्फ़ और सिर्फ़ विनोद के अनकट लंड में ही छुपा हुआ था.
हिंदू मज़हब के मुताबिक की गई शादी की इन सारी रस्मों से गुज़र कर विनोद की बीवी बनते हुए मेरे पहले शौहर यासिर समेत हाल में मौजूद सब लोगो ने हमे शादी की मुबारकबाद दी.
तो मेरी चूत में लगी हुआ जवानी और जिन्सी हवस की आग एक दम अपनी बुलंदी पर जा पहुँची.
और अपनी इस चूत की गरमी से बे हाल होते हुए में सब लोगो के सामने ही विनोद की चौड़ी जवान और मज़बूत छाती के साथ चिपकती चली गई.
क्योंकि मुझे ये ख्याल आया था. कि आज जब सारी दुनिया के सामने में विनोद के हाथों से उस के नाम का मंगल सूत्र पहन कर और उस के हाथों से अपनी माँग में सिंदूर लगवा कर विनोद की पत्नी ऑर दुल्हन बन ही चुकी हूँ तो अब शरम केसी.
“चलो अब तुम्हारी पिया घर रुखसती का वक़्त आन पहुँचा है सायरा” अपने जज़्बात के हाथों मजबूर हो कर में ज्यों ही विनोद के साथ लिपटी. तो मेरे पहले शौहर यासिर ने मेरे कान में हल्की आवाज़ में कहा.
अपनी बात ख़तम करते ही यासिर ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे शादी के मंडप से उतार कर सामने रखी हुई एक डॉली में बैठा दिया.
ज्यों ही में डोली में बैठी तो दूसरे लोगो के साथ साथ मेरा पहला शौहर यासिर भी मेरी डोली को कंधा देते हुए मुझे विनोद की शादी के लिए सजाई गई कार में छोड़ने चला आया.
“उफफफफफफफफफफ्फ़ आज से दो साल पहले में इसी यासिर की दुल्हन बन कर उस के घर आई थी, और आज अपने उसी शौहर के सामने में एक और मर्द की बीवी बन के ना सिर्फ़ अपने नये शौहर के घर विदा हो रही हूँ, बल्कि मेरी दूसरी शादी की डोली आज मेरा पहला शौहर खुद भी उठा कर मुझे एक दूसरे मर्द के साथ रुखसत कर रहा है” अपने असली शौहर यासिर को यूँ इतने प्यार से मेरी डोली उठाते देख कर मेरी चूत फिर से अपना पानी छोड़ने लगी.
यासिर ने मुझे विनोद के साथ कार की पिछली सीट पर बिठाया .और खुद विनोद की कार ड्राइव करते हुए विनोद के घर की तरफ चल पड़ा.
“हाईईईईईईईईईईईईईई ये में क्या देख रही हूँ, आज से दो साल पहले में इसी यासिर के साथ कार की पिछली सीट पर बैठ कर अपने ससुराल गई थी ,और आज में एक नये शौहर के साथ कार की बॅक सीट पर बैठी हूँ, जब कि मेरा आलसी शौहर कार चलाते हुए मुझे मेरे नये घर की तरफ ले जा रहा है” अपने आप को विनोद के साथ कार की बॅक सीट पर बैठे और यासिर को एक शॉफर की तरह कार चलाते देख कर मैने सोचा तो मेरी चूत विनोद के मोटे ताज़े सख़्त लंड के लिए मचलने लगी.
में अब अपनी नज़रें झुकाए एक नई नवेली दुल्ह्न की हैसियत में विनोद के पहलू में बैठी थी. आने वाले पल के इंतिज़ार में अपनी चूत का पानी छोड़े जा रही थी.
जब कि मेरे साथ बैठा मेरा नया खाविंद विनोद बहुत हवस भरी निगाहों के साथ दुल्हन बने हुए मेरे गरम वजूद को अपनी नज़रों से चोदने में मसरूफ़ था.
थोड़ी देर के सफ़र के बाद हम विनोद के घर आन पहुँचे.
तो विनोद ने एक दम उतर कर मेरी साइड वाला दरवाज़ा खोला और मुझे बहुत प्यार से अपनी सजी हुई कार से बाहर निकाला.
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