03-01-2019, 11:14 AM,
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sexstories
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RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
में अभी टिकटकी बाँधे विनोद के लंड को देखने में मसरूफ़ थी. कि इतने में विनोद अपने अंडरवेअर को अपने जिस्म से अलग कर के मेरी नज़रों के सामने पूरा नंगा हो गया.
“यासिर के लंड को देखने के बाद से में तो आज तक ये ही समझती रही थी,कि सब मर्दो के लंड एक जैसे और एक ही साइज़ के होते हैं.
मगर विनोद का लंड ना सिर्फ़ लंबाई में मेरे शौहर यासिर के लंड से काफ़ी लंबा है,
बल्कि विनोद के लंड की चौड़ाई भी यासिर के लंड के मुक़ाबले में काफ़ी ज़्यादा है,
और उपर से लंड पर लगी फालतू स्किन ने सोने पर सुहागे का काम करते हुए विनोद के लंड की टोपी को टोपा बना दिया हाईईईईईईईईईईईईईई,अच्छा आज मुझे समझ आई है, कि जिस तरह हर औरत की चूत और मम्मो का साइज़ मुक्तलाफ होता है,उसी तरह सब मर्दो के लंड का साइज़ भी मुक्तलफ ही होता है”विनोद के लंड को पहली बार अपनी प्यासी आँखों के सामने हाइयर हुए देखते और अपनी फुद्दि के गरम पानी को चूत से खारिज करते हुए मैने अपने जेहन में यासिर और विनोद के लंड का आपस में मोज़ना किया. तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि विनोद के इस बड़े लंड का यासिर के छोटे लंड से कोई मुकाबला और मोज़ना ही नही है.
अब कमरे में इस वक्त हालत ये थी. कि इधर में अपनी साँस रोके सोफे पर अपनी टाँगे चौड़ी किए पड़ी हुई विनोद के मोटे लंड को देख देख कर अपनी चूत का पानी छोड़ने में मसरूफ़ थी.
उधर दूसरी तरफ विनोद सोफे के सामने खड़े हो कर मेरी खुली टाँगों में से मेरी गरम और प्यासी चूत में से रास्ता हुए मेरी चूत के पानी को देख देख कर अपने मोटे लंड की मूठ लगा कर अपने हिंदू लंड को मेरी मुस्लिम चूत में जाने के लिए तैयार करने में मसरूफ़ था.
मेरी फुद्दि जो मेरे पीरियड्स की वजह से पिछले एक हफ्ते से ज़्यादा वक्त से नही चुदि थी.
वो इस वक्त बे तहाशा गरम हो कर एक लंड माँगने पर मजबूर हो चुकी थी.
इस वक्त कमरे के हल्के अंधेरे में विनोद का मोटा, लंबा और तगड़ा मेरी नज़रों के ऐन सामने खड़े हो कर मुझे दावते गुनाह दे रहा था.
जब कि मेरी प्यासी चूत अपनी जिन्सी हवस के हसर में जाकर कर अपने आप को विनोद के अकडे हुए लंड के हवाले करने के लिए अपने लब खोलने लगी थी.
फिर जब इधर विनोद अपने लंड को अपने हाथ से मसलता हुआ आशिस्ता आहिस्ता मेरे करीब होने लगा था.
तो दूसरी तरफ मेरे दिल और दिमाग़ में एक बार फिर से एक गुनाह और सवाब की एक जंग शुरू हो चुकी थी.
मेरा दिमाग़ मुझे समझा रहा था. कि “अभी भी वक्त है, इस गुनाह से बाज़ आ जाओ.और अपनी इज़्ज़त बचा कर बाहर निकल जाओ, वरना विनोद का ये मोटा लंबा लंड तुम्हारी चूत की धज्जियाँ उड़ा देगा ,सायरा”.
जब कि मेरा दिल मुझ से कह रहा था. कि “ जब तुम्हारा यासिर तुम्हें एक दूसरे मर्द के साथ वक्त गुज़ारने के लिए खुद तैयार कर के इधर लाया है, तो तुम्हें इस मर्द के सामने अपनी टाँगे खोलने में क्या ऐतराज है सायराआ”.
“नहियीईईईईईईई ये मर्द एक हिंदू है, और में कैसे अपनी पाकीज़ा मुस्लिम चूत में एक हिंदू मर्द का लंड ले सकती हूँ भला” मेरे दिमाग़ ने फिर मुझे समझाते हुए कहा.
लगता था कि मेरे अंदर की मशराकी औरत अचानक एक बार फिर से जाग उठी थी.और अब वो मेरे उपर लानत मालमंत करते हुए मुझे इस गुनाह भरे अमल से रोकने की कोशिस कर रही थी.
“लंड और चूत,सिर्फ़ लंड और चूत ही होते है, उन का कोई मज़हब नही होता,ऐसे मोके रोज़ रोज़ नही मिलते, इसीलिए इस सुनहरे मोके से फ़ायदा उठाते हुए तुम भी आज एक नये लंड का मज़ा चख लो,नही तो सारी ज़िंदगी पछताओगी सायराआआआ” मेरे दिमाग़ की आवाज़ कम होते ही मेरे दिल ने मेरा होसला बढ़ाते हुए मुझे सलाह दी.
अभी में अपने दिल और दिमाग़ की इसी कश मकश में मुब्तेला थी. कि इतने में कमरे के दूसरे कोने से मुझे यासिर की सिसकी भरी आवाज़ सुनाई दी “ओह तुम्हारी चूत का तो जवाब नही सपनााआआआअ”.
अभी में यासिर की आवाज़ सुन कर चौंकी थी. कि दूसरे ही लम्हे मुझे सपना की आवाज़ भी सुनाई दी.“तुम भी तो बहुत मज़े दार चोदते हो मेरी जान,हाआईययययी उफफफफफफ्फ़ ऐसे ही चोदो मुझे यासीर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर”
“उफफफफफफफफफफ्फ़ विनोद की हरकतों और अपने जिस्म की हवस में डूबते हुए में तो भूल ही गई थी,कि हमारे अलावा यासिर और सपना भी इसी कमरे में माजूद हैं” यासिर और सपना की आवाज़ अपने कान में पड़ते ही मुझे एक दम होश आया और मैने कमरे के दूसरे कोने की तरफ देखा.
जहाँ नशे की हालत में टन हो कर मेरा शौहर यासिर, अपने दोस्त विनोद की बीवी और मेरी सहेली सपना को घोड़ी बना कर पीछे से “टका ठक” चोद कर अपने लंड की तसल्ली करने में मसरूफ़ था.
“ये ठीक है कि एक मशराकी औरत की हैसियत से मुझे अपनी चूत की हिफ़ाज़त करनी चाहिए,मगर इस के साथ साथ एक अच्छी बीवी होने के नाते, अपने शौहर की तरहकी हासिल करने में अपना हिस्सा डालना भी तो मेरा फ़र्ज़ बनता है ना, और अगर मेरे शौहर की प्रमोशन का रास्ता मेरी फुद्दि से हो कर जाता है,तो एक मशराकी औरत होते हुए मुझे आज हर हालत में अपने शौहर की फाइल पर विनोद के साइन ले कर ही घर जाना चाहिए” इधर मेरे जेहन में ये ख्याल आया.
तो दूसरी तरफ कमरे में लगे टीवी की स्क्रीन पर एक और गरम गाना स्टार्ट हो गया.[/url]
“आजा गुफ़ाओं में आ
आजा गुनाह कर लो”
इंडियन मूवी अक्स के इस गाने में रवीना टॅंडन,अमिताभ और एक दूसरे आक्टर के साथ गुनाह करने में मसरूफ़ थी.
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