RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
अब मेरी फ्रॉक के बटन खोल कर विनोद ने मेरी फ्रॉक को नीचे से पकड़ कर उपर किया. तो दूसरे ही लम्हे ब्रेज़ियर में कसे मेरे भारी जवान मम्मो के साथ साथ पैंटी में छुपी हुई मेरी प्यासी चूत और मेरा गरम और जवान भरा हुआ जिस्म विनोद की गरम नज़रों के सामने आ गया.
“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ मुझ से अब मज़ीद सहा नही जा रहाआआआअ मेरी ज़ाआाआआअँ”मेरे नीम नंगे जिस्म को देख कर विनोद की हवस की आग और भड़क उठी. और उस के सबर का पैमाना लबरेज हुआ तो एक दम सिसकता हुआ बोला.
इस के साथ ही विनोद ने मेरी छोटी सी पैंटी को अपने हाथों में पकड़ा. और मेरी पैंटी को एक दम से उतार कर मेरी जवान फुद्दि को अपनी प्यासी और भूकि निगाहों के सामने पूरे तौर पर नंगा कर दिया.
मेरी छोटी सी पैंटी के मेरे जिस्म से उतरते ही मेरी वो गरम और प्यासी चूत जिसे आज मैने बड़े अरमानो के साथ खास तौर पर अपने शौहर यासिर के लिए अच्छी तरफ से सॉफ कर के तैयार किया था.
बिना बालों के सॉफ,मुलायम और फूली हुई मेरी वो ही चूत मेरे शौहर यासिर की बजाय अब उस के हिंदू दोस्त विनोद के सामने अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ बिल्कुल नंगी हो गई थी.
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इतनीईीई खूबसूरत फुद्दिईईईईईई मैने अपनी पूरी ज़िंदगी में नहियीईईईई देखी” मेरी शेव्ड चूत को यूँ अपनी नज़रों के सामने एक दम नंगा पा कर विनोद तो जैसे बोखला सा गया. और वो अपनी पॅंट में तने हुए अपने लंड को पॅंट के उपर से ही अपने हाथ में मसल्ते हुए मुझ से कहने लगा.
ये बात कहते ही विनोद ने मेरी पैंटी को मेरी चूत से उतार कर नीचे फैंकने की बजाए मेरी पैंटी को अपने मुँह और नाक के नज़दीक किया.
और मेरी बारीक सी पैंटी को अपनी नाक से सूंघते हुआ बोला “उफफफफफफ्फ़ तुम्हारी इस पैंटी में से आती, तुम्हरीईई चूत की खुश्बू ने मुझे इतना पागल कर दिया है,तो तुम्हारी फुद्दि के साथ अपना मुँह लगाने के बाद मेरा क्या हाल हो गया सायराआआआअ”
मेरी शादी के बाद अपना शौहर यासिर ही एक वो वाहिद मर्द था. जिस ने मेरे बदन का हर पोशेदा हिस्सा पूरा नंगा देखा था.
और शादी के बाद वैसे तो यासिर भी अकसर मेरे हुश्न की तारीफ करते रहते थे.
लेकिन मेरे जिस्म के हर हिस्से को पूरा नंगा देखने के बावजूद यासिर ने मेरे जिस्म के किसी भी नंगे हिस्से की इस तरह के अल्फ़ाज़ में कभी तारीफ नही की थी. जिस तरह के नंगे अल्फ़ाज़ में विनोद इस वक्त कर रहा था.
आम हालत में अगर कोई गैर मर्द मेरे जिस्म की तरफ ग़लत नज़र भी डालता. तो मुझे एक दम बुरा लग जाता था.
मगर आज अपने शौहर के हिंदू दोस्त से अपने जवान भरे हुए जिस्म और खास तौर पर अपनी प्यारी और गरम चूत की यूँ खुलम खुल्ला तारीफ सुन कर मुझे शरम आने की बजाय मेरी जिन्सी भूक पहले से ज़्यादा तेज हो गई.
और में तो अपनी जिन्सी हवस के हाथों मजबूर हो कर इन विनोद की इन सब बातों का मज़ा लेते हुए अपनी चूत का पानी खारिज किए जा रही थी.
मेरी फूली हुई प्यासी चूत की तारीफ करते ही विनोद ने मेरी पैंटी को एक तरफ रखा. और फिर मेरी खुली टाँगों के दरमियाँ बैठे हुए विनोद ने दूसरे ही लम्हे मेरी गुदाज रानों को अपने हाथ से पकड़ कर मेरी टाँगों को मज़ीद चौड़ा कर दिया.
विनोद के इस तरह मेरी टाँगों को अपने हाथों से चौड़ा करने के दौरान मेरी रानों के साथ साथ मेरी गरम फुद्दि के फूले हुए लिप्स भी एक दम से विनोद की प्यासी आँखों के सामने ऐसे खुल गये कि मेरी टाँगों के दरमियाँ झुके हुए विनोद को अब मेरी फुद्दि के अंदर का पिंक हिस्सा भी वाजिया तौर पर नज़र आने लगा था.
“हाईईईईईईईईईईई तुम्हारी फुद्दि का अन्द्रुनि हिस्सा कितना गुलाबी है, और इस गुलाबी चूत से उठने वाली ये भीनी भीनी सी महक कितनी मज़े दार है मेरी जान”
मेरी चूत के होंठों को अपने दोनो हाथों से खोलते हुए विनोद अपने मुँह को मेरी खुली पिंक चूत के होंठों के इंतिहाई नज़दीक लाया. और मेरी चूत में से खारिज होती हुई मेरी फुद्दि की खुसबू को अपनी नाक के ज़रिए सूंघते हुए बोला.
विनोद का मुँह अब मेरी शेव्ड चूत के इतने नज़दीक था. कि उस के मुँह से निकलने वाली गरम सांसो की गर्मी मुझे अपनी चूत के खुले लबों से गुज़र कर अपने दिमाग़ तक पहुँचती हुई महसूस होने लगी थी.
“हाईईईईई विनोद के मुँह में इतनी तपिश है,तो इस के लंड में कितनी गर्मी हो गी”अपने शौहर के दोस्त के मुँह की गर्मी को महसूस करते हुए पहली बार मेरे ज़हन में अपने शौहर के लंड के अलावा किसी गैर मर्द ले लंड का ख्याल आया.
तो मुझे अपनी इस सोच पर खुद भी हैरत हुई. मगर इस के साथ ही मेरी फुद्दि पहले से ज़्यादा गरम होने लगी थी.
इधर में अभी विनोद के मुँह से निकलती हुई गरम सांसो को ही अपनी चूत के लबों से टकराते हुए महसूस कर के मज़े लेने में मसगूल थी.
कि दूसरी तरफ मेरी चूत की खुश्बू को सूंघते हुए विनोद ने एक दम अपना मुँह मेरी चूत के मज़ीद नज़दीक किया.
और फिर देखते ही देखते अपने सख़्त होंठ मेरी जवान,नर्म-ओ-मुलायम चूत के फूले हुए होंठों पर रखते हुए मेरी फुद्दि के होंठों को अपनी मुँह में ले कर बाहर की तरफ खैंचा .
“ओह हाईईईईईईईईईईईई उफफफफफफफफफफफफ्फ़” विनोद का यूँ मेरी चूत के लिप्स को अपने मुँह में भर कर ज़ोर से खैंचने की वजह से दर्द के मारे मेरे जिस्म को ना सिर्फ़ एक दम झटका सा लगा.
बल्कि इस के साथ ही सरूर की एक लहर सर से ले कर पावं तक मेरे सारे जिस्म में दौड़ गई. और अपनी चूत का पानी छोड़ते हुए मेरे मुँह से सिसकियों का एक तूफान जारी हो गया.“अहह,ओह उफफफफफफ्फ़” [url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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