RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
इधर ज्यों ही विनोद के हाथ का दबाव पैंटी में कसी मेरी नरम चूत और उस के अंदर छुपे हुए चूत के दाने पर पड़ा.
तो दूसरी तरफ टीवी पर एक नया सॉंग गूंजने लगा.
"बे खुदी में सनम
उठ गए जो कदम
आ गए आ गए आ गए पास हम"
इस गाने को सुनते ही मैने भी अपने जवान जिस्म की हवस के हाथों मजबूर हो कर बे खुदी के आलम में मेरे बाज़ू खुद ब खुद अपने जिस्म के उपर झुके विनोद की गर्दन की जानिब गये.
विनोद तो शायद इसी पल का इंतेज़ार कर रहा था. क्योंकि मेरे मुँह खोलते ही विनोद ने अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह में डाल कर मेरी गरम ज़ुबान को अपनी लंबी ज़ुबान से काबू किया. और मेरे होंठों और ज़ुबान को अपने होंठों और ज़ुबान से चूसने लगा.
मेरे होंठों और ज़ुबान का रस पीते पीते विनोद ने अपने एक हाथ को मेरे मोटे और बड़े मम्मे पर रखा कर ज्यों ही ज़ोर से मसला.तो विनोद की इस हरकत ने तो जैसे मेरी जान ही निकाल दी.
“ककककककककककककक आहिस्ताआआआआआआआआ प्लेआस्ीईईईई” विनोद के हाथ की सख्ती से ज्यों ही मेरा नरम मुलायम मम्मा दबा. तो विनोद के हाथ की सख्ती को महसूस करते हुए मैने हल्की आवाज़ में कहा.
“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्याआआअ गुदाज और बड़े मम्मे हैं तुम्हारे,ऐसे लगता है कि जैसे मैने मम्मा नही, बल्कि जेल्ली से भरा हुआ कोई गुब्बारा पकड़ लिया है, इसी लिए मेरे हाथ तुम्हारे मम्मे पर से फिसले जा रहे है हैं सायराआआआआआआ” कहते हुए विनोद ने अपने पूरा हाथ खोल कर मेरी छाती पर रखा.
तो देखते ही देखते मेरा पूरा लेफ्ट मम्मा विनोद के हाथ में समा गया.
मेरी भारी छाती को हाथ से आहिस्ता आहिस्ता मसल्ते हुए विनोद अपना मुँह मेरे होंठों से हटा कर मेरी छाती पर ले आया. और मेरी फ्रॉक के गले में से झुकते हुए मेरे मोटे मम्मो के दरमियाँ अपना मुँह रख कर मेरे क्लीवेज़ को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा.
ज्यूँ ज्यूँ मेरी जवान और गुदाज छातियों पर विनोद की गरम ज़ुबान फिरती गई.
त्यु त्यु मेरे मेरी फुद्दि में गर्मी और मेरी छातियों में सख्ती सी आती गई.
अपनी गरम ज़ुबान को कमीज़ के उपर से ही मेरे भारी मम्मो पर पड़ने के साथ साथ विनोद ने मेरी फ्रॉक के सामने के बटन्स को अपने हाथ से खोलना शुरू कर दिया.
“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ यासिर के बाद आज उस का दोस्त मुझे अपने हाथ से नंगा करने लगा हाईईईईईईईईईईई” विनोद के हाथ को अपनी छाती के उपर लगे बटन खोलते पा कर मेरा जहन में ख्याल आया. और में इस ख्याल से और भी पिघलती चली गई.
मगर फिर भी शरम के मारे मैने विनोद के हाथ पर अपना हाथ रखा. और आहिस्ता से बोली “प्लेआस्ीईई ऐसाआआआ ना करिए विनोद्द्द्द्द्द्द”
“कएसााआआआ ना करू मेरी ज़ाआाआआअँ” मेरी बात का मतलब अच्छी तरह समझने के बावजूद विनोद शायद मुझे तंग करने के मूड में था. इसीलिए उस ने जान बूझ कर मुझे ऐसा कहा.
“हाईईईईईईईई मुझे बे लिबास ना करो विनोद” विनोद की बात को सुनते ही मैने जवाब दिया.
“मेरी जान जो मज़ा दो जवान जिस्मो का आपस में नंगा हो कर मिलने में है,वो कपड़े पहन कर नही,और वैसे भी में तो कब से तुम्हारे इस हसीन जिस्म के दीदार को तरस रहा हूँ,और अब जब मोका मिला है तो इस का पूरा फ़ायदा ना उठाओ ,तो ये तुम्हारे इस दिल कश हुष्ण की भी तोहीन होगी सायराआआअ”
विनोद ने बहुत प्यार और जोश से मेरे मम्मो के बटन खोलते हुए ये अल्फ़ाज़ अपनी ज़ुबान से अदा किए.
तो उस के लफ़्ज़ों में खोती हुई में ना चाहते हुए भी उस का साथ देने लगी.
मेरी लंबी फ्रॉक तो मेरे एक दम सोफे पर गिरने की वजह से पहले ही मेरी पावं से सरक कर मेरी चूत तक आन पहुँची थी.
जिस की वजह से मेरे जिस्म का निचला हिस्सा तो पहले ही विनोद की प्यासी आँखों के सामने नीम नंगी हो चुका था.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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