RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई तुम्हरीईईईईईई ये सुडोल रानें और इन के दरमियाँ तुम्हारी पैंटी में कसी ये गरम फुद्दि मुझे पागल कर देगी ये सायराआआआ जानंननननणणन्” कमरे की हल्की रोशनी में अपनी प्यासी निगाहों को मेरी टाँगों के दरमियाँ दौड़ाते हुए विनोद ने जब अपने होंठों पर अपनी ज़ुबान घुमाई.
तो अपने शौहर के अलावा किसी और मर्द के मुँह से अपने जिस्म के पोषीदा खासोसी हिस्सों की तरफ सुन कर शरम के मारे मैने एक दम पेंटी में कवर अपनी चूत पर अपने हाथ रख दिए.
इस से पहले कि में सोफे से उठ कर अपने आप को संभाल पाती. कि दूसरे ही लम्हे मेरे पहलू में बैठा विनोद भी नीचे को झुका. और सोफे पर गिरे हुए मेरे जिस्म के ऐन उपर लेट कर फिर से मेरे गालों पर अपनी गरम ज़ुबान फेरने लगा.
(कहते हैं कि हर औरत के जिस्म में एक हिसा ऐसा होता है. जिसे औरत का "हॉट बटन" कहा जाता है.
वो हिस्सा औरत की चूत का दाना,मम्मो के निपल्स,नेवेल,गान्ड का सुराख,पैरों की उंगलियाँ या तलवे वग़ैरह, जिस्म की कोई भी जगह हो सकती है.
और किसी औरत को प्यार करते वक्त जब एक मर्द औरत के जिस्म वो ख़ास हिस्सा अपने हाथों या होंठों से तलाश करने में कामयाब हो जाता है.
तो उस के बाद वो औरत बे इंतेहा गरम हो कर अपना सब कुछ उस मर्द को सोन्प देने पर तूल जाती है. और ये ही सब उस रात मेरे साथ भी हुआ.)
मेरे जिस्म के उपर लेटते ही विनोद ने इस बार दो हरकतें एक साथ कीं.
एक तो उस ने अपने हाथ को नीचे ला कर मेरी टाँगों के दरमियाँ रखे मेरे हाथ को जबर्जस्ती परे हटा कर, पैंटी में कवर मेरी चूत को अपने हाथ में जैसे ही दबोचा.
तो विनोद के हाथ के दबाव और गर्मी से में ना चाहते हुए भी सिस्क उठी “हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”.
इस के साथ विनोद ने मेरे गालों को चूमते चूमते अपने मुँह को नीचे किया.
और ज्यों ही विनोद ने अपनी गरम ज़ुबान से मेरे कान को चूमते हुए मेरे कान के अंदर अपनी गरम और नुकीली ज़ुबान घुमाई. तो सर से पैर तक मेरे सारे वजूद में सरूर की एक तेज लहर दौड़ गई.
फिर मेरे कान को चूमते हुए विनोद के मुँह का रुख़ मेरी नेक की तरफ हुआ. और मेरी सुराही दार लंबी गर्दन पर अपनी गरम ज़ुबान फेरते हुए विनोद ने जैसे ही अपने दाँत मेरी गर्दन पर गाढ़े. तो विनोद की इस हरकत ने मेरे सारे वजूद को एक दम हिला कर रख दिया.
विनोद के दाँतों की वजह से ना सिर्फ़ मेरे मुँह से दर्द भरी एक “अह्ह्ह्ह” निकली.
बल्कि साथ ही नीचे से मेरी चूत ने भी अपनी पानी एक दम से विनोद के गरम हाथ पर खारिज कर दिया.
(मेरे कान और गर्दन का नरम गोश्त ही मेरे जिस्म का वो ख़ास हिस्सा था. जिसे शादी के तकरीबन दो साल बाद भी मेरा अपना शौहर यासिर तलाश करने में नाकाम रहा था.
मगर औरत के मामले में विनोद शायद यासिर से ज़्यादा माहिर खिलाड़ी था. इसी लिए मेरे शौहर के दोस्त ने मेरी ये कमज़ोरी पकड़ने में ज़रा देर नही लगाई थी.)
विनोद के हाथों,होंठों और गरम ज़ुबान ने मुझे पहले ही इंतिहा गरम कर दिया. कि मेरी चूत का पानी बह बह कर ना सिर्फ़ अब मेरी पैंटी को बल्कि साथ ही साथ मेरी सुडोल रानों को भी गीला करने लगा था.
मगर इस के साथ ही रही सही कसर मेरे कानों और नेक पर फिरती विनोद की गरम ज़ुबान ने निकाल दी.
मेरी गर्दन को चूमते हुए विनोद के दाँत ज्यों ही मेरी नेक के गोश्त में पेवस्त हुए.
तो में अपने उपर काबू ना रख पाई.और मुज़मत करता मेरा वजूद एक दम से ढीला पड़ता चला गया.
“उफफफफफफफफ्फ़ ये मेरे जिस्म को क्या हो रहा है,लगता है विनोद की इन सारी हरकतों के असर में खो कर मेरा जिस्म विनोद के आगे हार मानने लगी हूँ, नहियीईईईईईई चाहिए कुछ भी हो मुझे अपनी इज़्ज़त बचानी है” अपने जिस्म को विनोद की गरम हरकतों के आगे हथियार डालता देख कर मेरे दिमाग़ में ख्याल आया.
लेकिन विनोद के हाथों और होंठों में कुछ ऐसा जादू था. कि में चाहते हुए भी अब की बार अपनी जगह से एक इंच भी ना हिल सकी.
इस दौरान विनोद ने एक बार फिर मेरी गर्दन के गोश्त को अपने मुँह में भर कर दाँत से काटा.
तो मज़े के हाथों बे हाल होते हुए मैने सोफे से अपनी भारी गान्ड उपर उठाई. तो मेरी मोटी फुद्दि विनोद के हाथ में मज़ीद कस्ति चली गई.
जिस की वजह से विनोद के सख़्त हाथ की एक मोटी उंगली पहली बार मेरी चूत के उभरे हुए दाने से टकरा गई.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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