RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
“आप के कौन से बच्चे घर में अकेले हैं, जो आप को इतनी जल्दी जाने की पड़ गई है,चलिए अंदर चल कर बात करते है और साथ में गप शॅप करते हैं” मेरी बात के जवाब में विनोद फिर बोला. और हमारे कहने के बावजूद उस ने हमें अपने घर से जाने की इजाज़त ना दी.
“जब विनोद इतना इसरार कर रहा है,तो चलो थोड़ी देर और रुक जाते हैं” यासिर ने जब देखा कि विनोद नही मान रहा. तो उस मेरी तरफ देखते हुए कहा. और फिर विनोद के साथ घर के अंदर चल पड़ा.
सपना और विनोद कर घर एक मिनट भी मज़ीद रुकने के लिए मेरा दिल तो नही मान रहा था.
मगर एक फर्मा बर्दार बीवी की तरह ना चाहते हुए भी मुझे अपने शौहर की बात माननी पड़ी. और सपना के साथ साथ में भी विनोद और यासिर के पीछे चलती हुई उन के टीवी लाउन्ज में पहुँच गई.
आज शाम को अपना घर दिखाते वक्त शायद जल्दी में सपना मुझे अपने इस कमरे का विज़िट करवाना भूल गई थी.
इसीलिए ज्यों ही टीवी लाउन्ज में आ कर में एक दम उस का जायज़ा लेने लगी.
विनोद का टीवी रूम अगर चे काफ़ी बड़ा था. मगर इस के बावजूद उस में दरमियाने साइज़ के सिर्फ़ दो ही छोटे छोटे सोफे आमने सामने पड़े हुए थे.
में टीवी लाउन्ज में एंटर होते हुए अभी उसे देखने में ही मसरूफ़ थी. कि इतने में सपना ने एक दम से यासिर का हाथ पकड़ा और मेरे शौहर को मेरी नज़रों के सामने अपने साथ सोफे पर बिठा लिया.
मुझे अपनी सहेली की इस हरकत पर बहुत हैरत हुई. मगर में इस बार भी खामोश रही.
अभी में सपना की तरफ से होने वाली हरकत से संभलने नही पाई थी. कि इतने में विनोद ने एक दम मेरा हाथ पकड़ा और मुझे तकरीबन जबर्जस्ती अपने साथ दूसरे सोफे पर बैठते हुए बोला “आप इधर मेरे साथ बैठ जाएँ सायरा भाभी”.
विनोद की ये हरकत इतनी अचानक थी. कि मुझे संभलने का मोका ही ना मिला और में एक दम उस के साथ एक ही सोफे में धँसती चली गई.
इस से पहले कि में विनोद से कुछ कहती. मैने हैरतजदा चेहरे के साथ सामने बैठे अपने शौहर यासिर की तरफ देखा.
मुझे यकीन था कि मेरे गैरत मंद शौहर को अपनी शरीफ बीवी का यूँ किसी गैर मर्द के साथ इतने नज़दीक हो कर एक ही सोफे पर बैठना एक आँख नही भाएगा. और वो मुझे साथ ले कर जल्दी से हमारे घर की तरफ चल पड़े गा.
मगर मेरी तव्क्को के भदकस जैसे ही मैने यासिर की तरफ देख कर आँखों ही आँखों में उस की मदद चाही.
तो अपनी गैरत के हाथों मजबूर हो कर मेरी मदद के लिए आने की बजाय. मेरे शौहर यासिर ने आँखों ही आँखों में मुझे विनोद के पास ही बैठा रहने की इल्तिजा की.
“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरे शौहर को हो क्या गया है आज” यासिर की आँखों में छुपी इस इल्तिजा को पढ़ते ही मेरे दिल में ख्याल आया. और में ना चाहते हुए भी विनोद के साथ एक ही सोफे पर बैठी रही.
ज्यों ही हम सब एक दूसरे के आमने सामने सोफे पर बैठ गये. तो विनोद ने अपने हाथ को बढ़ा के पास की दीवार पर लगे बटन से कमरे की लाइट्स को भी ऑफ कर दिया.
कमरे की रोशनी ऑफ होते ही एक लम्हे के लिए कमरे में एक दम से अंधेरा सा छा गया हो.
मगर इस के साथ ही विनोद ने अपने पास पड़ा रिमोट उठ कर कमरे की दीवार पर लगा हुआ बड़ी स्क्रीन वाला टीवी ऑन किया.
जिस के ऑन होते ही कमरे में थोड़ी रोशनी सी हुई. और टीवी की स्क्रीन पर इंडियन मूवीस का सॉंग्स चालू शुरू हो गये.
टीवी के ऑन होते ही मेरी नज़र सामने बैठे अपने शौहर यासिर और सहेली सपना पर रही. तो देखा कि वो दोनो हंस हंस कर बहुत ही धीमी आवाज़ में आपस में कुछ बातें कर रहे थे.
एक तो टीवी पर चलने वाले सॉंग्स की आवाज़ कुछ ज़्यादा थी. दूसरा यासिर और सपना भी बहुत धीमी आवाज़ में बोल रहे थे.
इसीलिए कमरे के दूसरे कोने में बैठे होने की वजह से मुझे उन की आवाज़ सुनाई नही दे पा रही थी.
“ सायरा भाभी आप को अपना दिया हुआ ये ड्रेस पहना देख कर मुझे बहुत ही खुशी हुई है, और सच पूछे तो ये सूट आप पर सज़ा भी बहुत है” में सोफे पर बैठी अभी यासिर की तरफ देखने में मसरूफ़ थी. कि इतने में मेरे साथ बैठा हुआ विनोद मेरे और नज़दीक हुआ. तो उस की मज़बूत और सख़्त टाँगे पहली बार मेरी गुदाज टाँगों के साथ टकरा गईं.
विनोद का जिस्म मेरे जिस्म से जैसे ही पहली बार टकराया. तो शरम कर मारे मेरे जिस्म से पसीना छूट गया. और में छोटे से सोफे पर और सिमट कर रह गई.
अभी में विनोद के जिस्म के साथ हो अपने जिस्म टच हो जाने के सदमे से बाहर नही निकली थी. कि इतने में कमरे के दूसरी तरफ से सपना के कहक़हे (लाफटर) की आवाज़ कमरे में गूँज गई.[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=8631&start=25#top][/url]
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