RE: Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दु�...
अब कमरे में ये हालत थी. कि मेरे बिस्तर पर पड़ी दोनो गरम जवानियाँ बहुत शौक और प्यार से एक दूसरे की गरम फुद्दियो को चाट चाट कर एक दूसरे की चूत को अपनी अपनी ज़ुबान से ठंडा करने में मसरूफ़ थी.
फिर कुछ ही लम्हों बाद आख़िर कार सपना और में एक दूसरे के मुँह में अपनी अपनी फुद्दि का गरम और नमकीन पानी छोड़ कर एक दूसरे के जिस्म पर ढेर हो गईं.
इस के बाद हम दोनो एक दूसरे की बाहों में लिपट कर लेट गई. और फिर उधर ही सो गईं.
दूसरी सुबह मेरी आँख खुलने से पहले ही सपना मुझे चुदाई के इस नये मज़े से पर्चित करवा कर अपने घर वापिस जा चुकी थी.
नींद से जागने के बाद कुछ देर अपने बिस्तर पर नंगे लेटे हुए में अपने और सपना के दरमियाँ होने वाले रात के इस हसीन वाकिये को याद कर के शरम के साथ साथ फिर से गरम होने लगी थी.
अपने बिस्तर पर लेटे हुए मेरी नज़र पास पड़े क्लॉक पर पड़ी. तो देखा कि सुबह के 8 बजने वाले हैं.
“ओह्ह्ह आज दोपहर तक तो यासिर ने वापिस आ जाने है,इसीलिए मुझे उठ कर अपनी और घर की सफाई कर लेनी चाहिए” घड़ी पर टाइम देखते ही में एक दम से शावर लेने बाथरूम में घुस गई.
नाश्ते के बाद घर की सफाई की तो तब तक यासिर की फ्लाइट का टाइम हो चुका था.
जब दोपहर के तकरीबन एक बजे के बाद यासिर घर आए. तो उन का लटका हुआ चेहरा देख कर में समझ गई. कि यासिर को कोई मसला पेश आ गया है.
“क्या हुआ ख़ैरियत तो है” अपने शौहर के परेशान चेहरे को देख कर मैने पूछा.
“आज के बाद तुम ना तो सपना से मिलो गी और ना उसे फोन करो गी” मेरे सवाल के जवाब में जब यासिर ने ये बात कही. तो मेरा दिल उछल कर मेरे हलक में आ गया.
“यासिर को कहीं मेरे और सपना की रात वाली हरकत का ईलम तो नही हो गया” ये सोच कर मेरी शकल भी रोने वाली बन गई.
मगर फिर भी डरने के साथ में यासिर से पूछ बैठी “क्यो ऐसी क्या बात हो गई है”
“जो कांट्रॅक्ट में और विनोद साइन करने बॅंकाक गये थे,वो हमें नही मिल सका, मेरी ग़लती ना होने के बावहूद विनोद अब मुझे इस बात का कसूर वार ठहरा रहा है, इसी बात पर मेरा और उस का झगड़ा हो गया है, इसीलिए हमारी दोस्ती आज से ख़तम बसस्स्स्स्सस्स” यासिर ने गुस्से में जब सारी बात बताई. तो ये कहानी सुन कर मेरी साँस में साँस आई.
“ठीक है जैसा तुम कहो मेरी जान” यासिर की बात का जवाब देते हुए में किचन में चली गई. और अपने शौहर के लिए खाना निकालने लगी.
इस दिन के बाद एक महीना ना ही यासिर ने जॉब के अलावा विनोद से कोई फालतू बात चीत की. और ना ही सपना ने मुझ को फोन किया.
शायद यासिर की तरह विनोद ने भी गुस्से में उसे मुझ से मुलाकात करने से मना कर दिया था.
इस दौरान महीने के आखरी हफ्ते में मेरे पीरियड्स शुरू हो गये. अपने पीरियड्स के दौरान मुझे यासिर के लंड की बहुत तलब महसूस हुई.
मगर अपनी माहवारी के खून की वजह से में अपने शौहर का लंड अपनी फुद्दि में नही ले पाई.
“हाईईईईईईईईईईई आज नहाने के बाद में पूरी रात यासिर के लंड की सवारी करूँगी” पीरियड्स के आखरी दिन बाथरूम में अपनी फुद्दि की शेव करने और नहाने के दौरान में अपने शौहर के लंड के बारे में सोच कर गरम होती रही. और फिर यासिर के ऑफीस से अपने से पहले नहा कर पाक सॉफ हो गई.
उड़ दिन में तो अपने शौहर के लंड के लिए खुश हो रही थी. जब कि यासिर घर आया. तो वो भी काफ़ी खुश नज़र आ रहा था.
“आज ख़ैरियत तो है,बहुत खुश नज़र आ रहे हो जान” यासिर के चेहरे पर इतने दिनो बाद ये मुस्कुराहट देख कर मैने पूछा.
“आज विनोद ने मुझ से अपनी ग़लती की माफी माँगी है और साथ ही आज शाम हम दोनो को अपने नये मकान की खुशी में रखी गई पार्टी में इन्वाइट किया है,इसीलिए जल्दी से जाने की तैयारी करो” घर के अंदर आते ही यासिर ने मुझे इतला दी.
“आप एक दूसरे से राज़ी हो गये हैं, तो ये तो अच्छी बात है ना” मैं भी यासिर को यूँ खुश देख कर मुस्कारने लगी.
|