Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
02-28-2019, 11:57 AM,
#19
RE: Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
अदिति- हां मुझे जलन हो रही है......और कुछ.......अच्छा बता नाश्ता में क्या लेगी.......ठंडा या गरम.......

पूजा- गरम तो मैं ऑलरेडी बहुत हूँ....चल तू मुझे ठंडा ही पिला दे....फिर पूजा मेरी तरफ देखकर धीरे से मुस्कुरा पड़ती है.....मैं भी उसकी बातों को सुनकर एक प्यारी सी स्माइल दे देती हूँ............

हमारी बातों के दरमियाँ पूजा ने एक ऐसी हरकत की जिससे मेरा कलेजा बाहर को आ गया.....उसने अपने दोनो हाथों से मेरे दोनो निपल्स को अपनी चुटकी में पकड़ा और उसे कसकर मसल दिया.....उसकी इस हरकत पर मेरे मूह से एक ज़ोर की सिसकारी फुट पड़ी.......ना चाहते हुए भी मैं शरम से पानी पानी हो गयी........शरम की वजह से मेरा चेहरा एक दम लाल पड़ चुका था.......अब भी मेरा जिस्म थर थर कांप रहा था.......कुछ लज़्जत से और कुछ एग्ज़ाइट्मेंट से.......मेरी दशा को देखकर पूजा मुस्कुराए बिना ना रह सकी......

पूजा- अदिति.......जब मैं तेरे साथ ऐसा कर रही हूँ तो तेरा ये हाल है....तो कसम से अगर कोई लड़का तुझे छुएगा तब तू क्या करेगी.....ऐसे में तो तू शरम से मर जाएगी.......

अदिति- प्लीज़ पूजा स्टॉप दिस.......मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता........

पूजा भी रुक जाती है और मेरे चेहरे को बड़े ध्यान से देखने लगती है.......सच तो ये था कि मुझे पूजा की ये हरकत अच्छी लगी थी मगर मैं उपरी तौर से उससे गुस्सा होने का झूठा दिखावा कर रही थी........पूजा की उस हरकत से मेरी चूत एक बार फिर से गीली हो चुकी थी...........तभी थोड़ी देर बाद पापा और विशाल भी आ जाते है.......घर पर नयी बाइक आ गयी थी......मैं और पूजा फिर हाल में जाते है और वही पूजा सोफे पर बैठ जाती है.......

पापा अपने कमरे में चले जाते है.....विशाल वही सामने के सोफे पर बैठा हुआ था.....और मैं पूजा के लिए स्नॅक्स और कोल्ड ड्रिंक लेने किचन में चली जाती हूँ.......कमरे में कुछ देर तक खामोशी छाई रही मगर थोड़ी देर बाद मुझे पूजा और विशाल की बातें सुनाई देने लगी.......अंदर ही अंदर मैं एक बार फिर से पूजा से जल सी गयी थी......मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था कि वो विशाल से कोई बात करें.......

इससे पहले मेरी ना जाने कितनी सहेलियाँ आया करती थी मेरे घर पर......विशाल मेरी अधिकतर सहेलियों से बातें भी किया करता था....तब मुझे ऐसी फीलिंग्स नहीं होती थी......फिर आज ऐसा क्या हो गया था मुझे जो ये सब मैं सोच रही थी......क्यों मुझे ऐसा बार बार लग रहा था कि विशाल को कोई मुझसे चुरा लेगा......क्या मैं अब विशाल से प्यार करने लगी थी.........मगर प्यार तो मैं उससे पहले भी करती थी........

तो आज क्या मेरा प्यार बदल चुका था......क्या मेरी सारी फीलिंग्स विशाल के प्रति बदल चुकी थी.......क्या मेरे देखने का नज़रिया विशाल के प्रति अब धीरे धीरे बदल रहा था.........यक़ीनन मैं अब विशाल से प्यार करने लगी थी......

थोड़ी देर बाद मैं उनके करीब गयी तो वो दोनो फिर से मुझे देखकर खामोश हो गये........थोड़े देर तक यू ही गप्सप होती रही फिर पूजा अपने घर चली गयी.......पूजा के जाते ही मम्मी भी थोड़े देर में घर आ गयी और फिर उन्होने नयी बाइक की पूजा वगेरह की.......

शाम को मैं मम्मी के साथ किचन में थी......वैसे आज मैं विशाल के बारे में कुछ ज़्यादा ही सोच रही थी...........विशाल के प्रति मेरी दीवानगी अब बढ़ती जा रही थी......पता नहीं आने वाले वक़्त को आगे क्या मंज़ूर था.

मैं किचन में इस वक़्त विशाल के बारे में ही सोच रही थी......मम्मी मेरी बगल में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी....अचानक मेरे दिमाग़ में कुछ ख्याल आया और मैं मम्मी से तुरंत बोल पड़ी.......

अदिति- मम्मी आज मुझे पूरी और पनीर खाने का बहुत मन हो रहा है....प्लीज़ आज आप मेरे लिए वही बनाओ ना......मम्मी मुझे एक नज़र देखी रही फिर वो मुस्कुराते हुए फ्रीज़ के पास गयी और उसमे से पनीर निकाल कर वही मेरे सामने उसे बनाने लगी.......

स्वेता- क्या बात है बेटी.....चल खैर कोई बात नहीं.....आज तेरा मन है तो यही सही.......वैसे ये विशाल की पसंदीदा डिश थी......तो स्वाभाविक सी बात थी जो चीज़ विशाल को अच्छी लगती है वो तो मुझे भी अच्छी लगेगी इसमें अब कोई दो राई नहीं थी.........मैं भी मम्मी को देखकर मुस्कुरा पड़ी और उनकी हेल्प करने लगी.......

शाम को जब विशाल की नज़र खाने पर पड़ी तो वो खुशी से मानो खिल सा उठा........मैं उसकी हर एक हरकत पर उसे देखकर मुस्कुराते रही........पता नहीं क्यों आज मुझे विशाल अब और भी प्यारा लगने लगा था.......उसके लिए अब मेरी दीवानगी बढ़ती जा रही थी......शायद ये प्यार ही तो था जो अब धीरे धीरे मेरे दिल में उसके प्रति धीरे धीरे सुलग रहा था.......मगर विशाल के दिल में कहीं कोई ऐसी वैसी मेरे लिए कोई भावना नहीं थी.......

खाना खाने के बाद मैं बिस्तेर पर जाकर काफ़ी देर तक करवट बदलती रही........मेरा अब नींद और चैन दोनो लूट चुके थे.......दिल में हमेशा मीठी मीठी सी चुभन होती रहती थी......ना जाने कब तक मैं ऐसे ही विशाल के बारे में सोचती रही और फिर मैं नींद में धीरे धीरे डूबती चली गयी.......

आज सुबेह जब मेरी आँख खुली तो सबसे पहले मेरे जेहन में विशाल का ख्याल आया....फिर उसकी वो बाइक......उसपर मैं और विशाल एक साथ.....ये सब ख्याल आते ही एक बार फिर से मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी........मैं फ़ौरन अपने बिस्तेर से उठी और बाथरूम में चल पड़ी.....मैने अच्छे से बाथ लिया और हमेशा की तरह आज भी मुझे विशाल बाहर मेरा इंतेज़ार करता दिखाई दिया.....
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RE: Incest Kahani उस प्यार की तलाश में - by sexstories - 02-28-2019, 11:57 AM

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