Hindi Sex Stories By raj sharma
02-26-2019, 09:39 PM,
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
तभी काकी मुझे अपने गोद मे बैठा कर हंसते हुए बोली अरे बेटा मैने तेरी माँ और चाची का सूसू खूब देखा है और तेरी नानी का भी सूसू देखा है, और उसकी मालिश भी खूब की है और कह कर हँसने लगी. मैं काकी की गोद मे बैठा हुआ था और सब लोग आपस मे बाते कर रहे थे और चाची तेल की कटोरी और चादर बिछा रही थी मालिश के लिए. और तभी वो बात हो गई जिसने मेरी पूरी जिंदगी बदल कर रख दी. और मैं लंड खड़ा होने के बाद से ही अपने घर की तीनो औरतो को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोदने का मज़ा ले पा रहा हूँ.


दरअसल हुआ यूँ कि काकी मुझे अपनी गोद मे बैठाए हुए मेरे लंड को सहला रही थी और माँ से बाते भी कर रही थी तभी पता नही उन्हे क्या सूझा कि उन्होने मेरे लंड का सुपाडा पकड़ कर चमड़ा पीछे करने लगी, जैसे ही उन्होने चमड़ा पीछे करने की कोशिश की मैं चिल्लाने लगा, सब लोग चौंक कर मुझे देखने लगे और पूछा कि क्या हुआ मैने रोते हुए कहा कि सूसू मे दर्द हो रहा है, काकी ने मुझे उठा कर आराम से चारपाई पर लेटा दिया और माँ और काकी मेरे लंड को देखने लगी, जब जब माँ मेरे चमड़े को पीछे करने की कोशिश करती तो मैं रोने लगता.


तभी काकी ने माँ से कहा “बेटी इसका तो चमड़ा सुपाडे से बिल्कुल चिपका हुआ है, क्या तुम लोगो ने इस पर कभी तेल लगा कर खोलने की कोशिश नही की, तो चाची ने कहा कि “काकी हम लोगो को तो कुछ भी नही पता है”, और माँ और दीदी की ओर इशारा करते हुए बोली कि “हम तीनो की बुर मे भी चमड़ा खोलने या बंद करने का कोई चक्कर नही है”, और फिर तुम भी तो हमे नंगा कर के ही मालिश करती हो, और ऐसी कोई बात तुमने नही बताई.


तो काकी बोली कि “हां तुम दोनो की मालिश मे तो बुर मे चमड़ा खोलने का कोई मतलब नही लेकिन बिटुवा की मालिश मे तो लंड का चमड़ा खोलना ही पड़ेगा, और बेटे के तो पैदा होने के बाद से लोग सुपाडे का चमड़ा खोल कर तेल लगाते है और मालिश करते है. तभी माँ बोली “ काकी अब तो ये बताओ कि ये कैसे ठीक होगा” तो काकी ने कहा कि रोज धीरे धीरे सुपाडे के चमड़े मे तेल डाल कर खोलने की कोशिश करनी पड़ेगी नही तो बाद मे देखेंगे कि क्या करना है, “मतलब” माँ बोली, तो काकी ने कहा कि “बेटी इस समय बिटुवा की उमर 10-11 साल की हो गई है और पैदाइश के बाद से एक भी दिन चमड़ा ना खुलने की वज़ह से चमड़ा सुपाडे से एकदम चिपक गया है अगर मालिश से खुल जाता है तो ठीक है नही तो इसका चमड़ा कटवाना पड़ेगा. 


हज़ारो लोग ऐसा करते है, कोई बड़ी बात थोड़े ही है. माँ बोली “काकी बाद मे कोई दिक्कत तो नही ना होगी”, तो काकी ने कहा अरे ऐसा कुछ नही है काहे डरती हो, मैं भी तो तुम लोगो की मालिश करने आती हूँ ना तो इसकी भी मालिश कर दिया करूँगी और सुपाडे पे तेल भी लगा कर खोलने की कोशिश करूँगी और तुम लोगो को बता भी दूँगी फिर तुम दोनो मे से जिसे भी जब मौका मिले बस चमड़ा खोलने की कोसिश करते रहना” माँ बोली ठीक है”, तब काकी ने कहा अच्छा लाओ आज मैं तुम दोनो के साथ साथ इसकी भी मालिश कर देती हूँ. 


फिर काकी ने चाची से कहा “बिटिया जा छत पर चादर बिछा दे और तेल ले कर चल” और मुझे गोद मे लेकर काकी छत पर चलने लगी, पीछे पीछे माँ भी आ गई, और चादर बिछाने के बाद सब लोग वही बैठ गये, काकी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और अपने पैरो को फैला कर अपनी साड़ी को अपनी जाँघो तक खींच कर सिकोड लिया और मुझे अपने पैरो पर इस तरह लिटाया कि मेरे दोनो पैर उनकी कमर के दोनो तरफ हो गये और मेरा लंड उनके एकदम पेट के पास सट गया फिर उन्हो ने हाथ मे तेल ले कर मेरी जाँघो पर मालिश शुरू की. माँ और चाची बड़े ध्यान से मेरी मालिश देख रही थी. 


तभी काकी ने मेरा सुपाडा पकड़ते हुए माँ और चाची से कहा कि देखो चमड़े पर इस तरह से तेल गिरा कर थोड़ा थोड़ा खोलो और ज़रूरत पड़े तो अपना मूह सुपाडे के पास लेजा कर ज़ोर से फुन्को और इतना कह कर मेरे सुपाडे के पास मूह रख कर मेरे लंड पर फूकने लगी, जब वो फूँकने लगी तो पहली बार मुझे दर्द के बज़ाय गुदगुदी हुई और अच्छा लगा और मैं हँसने लगा ये देख कर माँ ने थोड़ी राहट की साँस ली और सब हँसने लगे, काकी भी खुश हो कर मुझे माँ और चाची के सामने चिढ़ाने लगी और कहा “देखा काकी की सूसू देखने का नतीज़ा, अब तो काकी का सूसू नही देखेगा मेरा बिटुवा.” मैं बोला “देखूँगा” ये सुन कर कर सब हंस पड़े.


तब काकी ने माँ से कहा कि “अच्छा बेटी अब आओ तुम्हे तेल लगा दूं” तो माँ बोली कि “ काकी तुम छोटी को (यानी कि चाची को) तेल लगा दो मैं तब तक इसके लंड की मालिश करती हूँ और चमड़ा खोलने की कोशिश करती हूँ ताकि ग़लती होने पर तुम मुझे अभी बता दो, काकी ने कहा ठीक है और मुझ से बोली कि “जा बेटा माँ से मालिश करवा और चाची से कपड़े उतार कर लेटने को कहा” तो चाची जो सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लॉज मे ही थी अपना पेटिकोट उठा कर लेट गई तो काकी ने कहा “क्या हुआ आज अपना पेटिकोट नही उतारेगी” तो चाची ने हंसते हुए कहा कि “हां काकी इन सब बातो के चक्कर मे मैं तो भूल ही गयी थी चलो अच्छा है कि आज दीदी तेल नही लगवाएँगी और मेरी देर तक मालिश होगी”.

ये सुन कर माँ हँसने लगी और अपना पेटिकोट उपर सिकोड़ने लगी ताकि मुझे पैर पर लिटा कर मालिश कर सके, जब माँ ने मेरे पैरो को अपनी कमर के दोनो तरफ फैला कर मुझे लिटाया तो मेरा लंड उनके पेट से टकराने लगा चूँकि माँ ने सिर्फ़ पेटिकोट ही पहना हुआ था तो उनके नाडे वाली जगह जो नीचे तक एकदम खुली हुई थी माँ की बुर दिखाई पड़ रही थी तो चाची ने कहा कि “क्या दीदी तुमने तो सिर्फ़ नाम का ही पेटिकोट पहन रखा है


तुम्हारी सारी चीज़ तो वैसे ही दिख पर रही है और पेटिकोट भी तेल तेल से खराब हो रहा है” “और वैसे भी तुम नंगी हो कर ही तेल लगवाती हो तो उतार ही दो और आराम से बिटुवा को तेल लगाओ, अब तो काकी भी अपनी बालों वाली बुर दिखाने मे शरमाती नही है”, और सब हँसने लगे तो काकी ने कहा कि बेटा मेरी बुर मे क्या रखा है और कौन सा लंड इसमे जाने को बेकरार है कि मैं बालों को हटाऊ, तो चाची ने कहा कि “अरे काकी मैं तो तुम्हारे कपड़े पर तेल लगने की वज़ह से कह रही हूँ वैसे भी तुम्हारी झान्टो वाली बुर तो दिखाई ही पड़ रही है.”


तब तक माँ जो अपना पेटिकोट उतार चुकी थी हंसते हुए चाची से बोली “क्या छोटी आज तो तू काकी के पीछे ही पड़ गई” और सब लोग आपस मे मज़ाक करने लगी, पेटिकोट उतारने के बाद मेरा लंड पूरी तरह माँ के शरीर से सट गया था, और माँ बड़े ध्यान से मेरे सुपाडे के चमड़े को तेल से भर कर अपने मूह से फूकने की कोशिश करने लगी, चूँकि माँ पहली बार ये कर रही थी कभी कभी उसका मूह मेरे सुपाडे से टकरा जाता था और उसके मूह पर तेल लग जाता था ये देख काकी ने मज़ाक किया “ क्या बेटी मैने तो सिर्फ़ फूँकने के लिए कहा था तू तो उसे चाटने ही लग गई” और सब हँसने लगे.


माँ भी मज़ाक करते हुए बोली “अरे काकी सुपाडा चूसने का भी अपना ही मज़ा होता है” और फिर बेटे के सुपाडे के तो क्या कहने एकदम मुलायम बस चूस्ते ही रहो” तभी चाची बोली “तो ठीक है दीदी कल से मैं ही बिटुवा को तेल लगाया करूँगी” और सब हँसने लगे, तो माँ चाची को चिढ़ाते हुए बोली “ तू तो सिर्फ़ अपने उस पाँच उंगल के चमड़े पे ध्यान दे जो तेरी बुर से बाहर लटकता रहता है और काकी से तेल लगवाया कर, मेरे बेटे का चमड़ा मैं देख लूँगी”.


चाची ने भी पलट कर जवाब देते हुए कहा कि “ तुम्हारी बुर कौन सी काली है पूरे एक बित्ते की बुर और उसमे से पूरे हथेली जितना लटकता हुआ चमड़ा, दिन भर बुर खुजलाती रहती हो और कहती हो कि तेरे जीजाजी का लंड तो मेरी पुट्टियों मे ही फँस जाता है, वो तो मैने जीजाजी के लंड की प्यास बुझाई नही तो जाने क्या होता”, और ज़ोर से सब के सब हंस पड़े. मेरी समझ मे कुछ भी नही आया सिवा लटकते हुए चमड़े के तो मैने माँ से पूछा कि “माँ क्या तुम्हारा चमड़ा भी नही खुलता है”, तो चाची खूब ज़ोर से हंसते हुए बोली “अरे बेटा तेरी माँ का चमड़ा तो इतना खुलता है कि तू अभी भी आधा अंदर चला जाए”,


तो मैं माँ से ज़िद करने लगा कि वो मुझे अपनी बुर का चमड़ा दिखाए, तो काकी हंसते हुए बोली कि “ये लो आ दिखाओ तुम दोनो बैठ कर अपनी अपनी बुर और लटकती हुई पुट्टिया उसे नही तो कल से ये मेरी बुर के पीछे पड़ जाएगा कि काकी तुम्हारे तो बुर है ही नही फिर मुतती कैसे हो” ये सुन कर सब ज़ोर से हंस पड़े, तो माँ ने चाची से कहा कि “छोटी तू ने ही ये सब शुरू किया है चल तू ही सब से पहले अपनी बुर और पुट्टियों की लंबाई दिखा” “बस मेरा बेटा रोना नही चाहिए नही तो मैं तुझे इसके लंड को छूने नही दूँगी”.


तो चाची ने हंसते हुए अपने पैरो को फैला दिया और काकी से कहा कि “काकी ज़रा मेरी पुट्टियों को बाहर की तरफ खींच कर निकालना ताकि बिटुवा भी देख ले कि उसकी चाची का चमड़ा भी कुछ कम नही है” तो माँ ने मुझसे कहा कि “देख बेटा अपनी मौसी की बुर को फिर मैं तुझे तेरा जन्म स्थान दिखाउन्गी और तू बताना कि किसकी बुर ज़यादा अच्छी है ताकि इसकी ग़लतफहमी दूर हो जाए, फिर ये चाट ती रहे अपने बेटी की बुर, मैं तेरे लंड को छूने भी नही दूँगी”


और माँ ने भी अपने पैरो को फैला कर खोल दिया और उनकी पूरे एक बित्ते की बुर और उसमे से लटकती हुई लंबी सी पुट्टियों को फैला कर पता नही कैसे पीछे खींचा कि उनकी बुर के उपर वाले हिस्से मे से एक छोटा सा लाल सुपाडा बाहर निकल आया, ये देख कर मैं हँसने लगा” तभी काकी हंसते हुए बोली तुम दोनो का नोक झोंक देख कर मुझे मेरी जवानी याद आ गई .


तो चाची ने काकी से कहा कि “क्या काकी तुम कौन सा बूढ़ी हो गयी हो अरे थोड़ा सा उमर मे ही तो बड़ी हो हम दोनो से ज़्यादा से ज़्यादा 3-4 साल बस, तो भी 42-43 की ही हुई ना, अब तुम्ही अपनी बुर को झान्टो से ढँके रखती हो कोई क्या करे.” तभी अचानक मैं बोल पड़ा कि मुझे काकी का सूसू देखना है. तो चाची ने ज़ोर से हंसते हुए कहा कि “देखो इसको दो दो खुली हुई पूरी जवान बुर इसके सामने दिखाई दे रही है और ये है कि काकी की ही बुर के पीछे पड़ा हुआ है अब तो काकी इसे दिखा ही दो अपनी बुर के जलवे और वैसे भी सच तो ये है कि हम दोनो की बुर तो तुमने खूब देखी है पर हम दोनो ने ही तुम्हारी बुर कभी खुली हुई नही देखी.” 


तो काकी बोली कि “अरे बेटा मेरी बुर देख कर तुम दोनो क्या करोगी, तुम्हारी बुर की मस्ती को तो मैं हाथ से झाड़ देती हूँ” तो माँ बोली “ अरे काकी तभी तो हम दोनो बिना कुछ कहे और सोचे तुम्हारे सामने नंगे हो जाते है और मज़ाक कर लेते है लेकिन ये बात तो छोटी सच ही कह रही है हम दोनो मे से किसी ने भी तुम्हारी बुर नही देखी है, चलो अब दिखा भी दो” तो काकी शरमाते हुए बोली अरे अभी तो मेरे बाल काफ़ी बड़े हैं कल जब आउन्गि तो तुम दोनो की ये तम्माना भी पूरी कर दूँगी, और टॉपिक बदलते हुए कहा कि अभी तुम दोनो इसका चमड़ा खोलने पर ध्यान दो बस ज़यादा ज़ोर से खोलने की कोशिश मत करना नही सुपाडा फॅट जाएगा, ऐसा तुम दोनो को रोज करना पड़ेगा,” कह कर काकी खड़ी हो ने की कोशिश करने लगी. 


चूँकि उनकी साड़ी पहले से ही उठी हुई थी जिसकी वज़ह से उनके चूतड़ और बुर दिखाई देने लगी, उसके बाद हम लोग भी उठे और नंगे ही नीचे चलने लगे मैं माँ का हाथ पकड़ कर चल रहा था,


नीचे पहुचने के बाद काकी जाने लगी तो माँ ने कहा कि काकी चाइ पिलो फिर चली जाना और माँ किचन मे जाने लगी, मैं भी पीछे पीछे जाने लगा तो चाची ने मुझसे कहा कि “कहाँ अपनी माँ की बुर मे घुसा चला जा रहा है आजा बेटा इधर आके बैठ मेरे पास और मुझे पास बुलाकर अपने नंगे बदन पर गोद मे बैठा लिया, चाची काकी के सामने ही चटाई पर पालती मार कर बैठी हुई थी और बाते कर रही थी, मुझे गोद मे बैठाने के बाद चाची मेरे लंड को हाथ मे पकड़ कर सहलाने लगी तो काकी ने कहा कि इसका सुपाडा बहुत ध्यान से खोला करो.
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Hindi Sex Stories By raj sharma - by sexstories - 02-24-2019, 01:16 PM
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma - by Pinku099 - 03-07-2019, 10:48 PM
RE: Hindi Sex Stories By raj sharma - by sexstories - 02-26-2019, 09:39 PM

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