RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
एक चूतिया कहानी पार्ट--1
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शादी के बाद सुषमा अपने ससुराल आई. उसके ससुराल मे उसकी 45 साल की सास 50 साल का ससुर रहते थे. उसका पति दब्बु किस्म का आदमी था उम्र उसकी 22 साल थी और कद काठी से ठीक ठाक थी मगर लोग उसके पति को मीठा कह के पुकारते थे जबकि उसका नाम सुरेश था. उसकी एक ही ननद थी जो शादी कर के ससुराल चली गयी थी. गाओं मे सुषमा का छ्होटा सा घर था और ज़मीन नहीं थी. उसके सास ससुर गाओं के ज़मींदार के खेत पेर काम करते थे जबकि उसका पति एक दूधवाले की गायों की देख रेख करता था.
शुरू शुरू में वो घर के सारे काम करती और घर के पिछवारे बँधी अपनी तीन गायों की देखभाल करती और उनका दूध निकालती.. घरवाले तड़के घर से निकलते थे जो शाम को ही लौटते थे. एक दिन सुषमा ने सोचा कि वो अपने पति सुरेश को दोपहर में खाना दे आए. खाना बाँधकर वो निकली तो पता चला कि सुरेश गायों को चराने के लिए गाओं से बाहर गया है. वो भी पूछते पूछते उसी दिशा मे चल पड़ी. कोई दो कोस चलने के बाद उसे गाएँ दिखाई दी और एक झाड़ी के पास सुरेश के चप्पल और धोती दिखाई दी उसने झड़ी के पीछे देखा तो दंग रह गयी. उसे समझ मे नही आया ये क्या हो रहा है. सुरेश नंगा था और घोड़ी बना हुआ था एक 17-18 साल का लरका घुटनो के बल बैठ कर उसकी गांद मार रहा था. सुरेश की आवाज़ उसको साफ सुनाई दे रही थी,' चोद मुझे ज़ोर से चोद राजा, फाड़ दे मेरी गांद तेरे मूसल जैसे लंड से..' और वो ऊहह आ करता जा रहा था. सुनीता ने देखा कि वो लरका कुत्ते की तरह उसके पति की गांद मार रहा था उसका मोटा काला लंड बार बार उसके पति की गंद से बाहर आ कर अंदर जा रहा था. उसने देखा कि नीचे सुरेश की छ्होटी सी लुल्ली लटक रही थी जिसके पीछे चिपके हुए मूँगफली जैसे छ्होटे आँड थे. जबकि उसके पति को चोद रहे उस लरके के अंडकोष किसी सांड के जैसे भारी भरकम थे. सुषमा के मूह से चीख निकल पड़ी और उसको सुनते ही दोनो मूड गये लरके ने अपना लंड सुरेश की गांद से बाहर निकाला और सुरेश ने अपने हाथो से अपने गुप्तँग को ढक लिया,' क्या कर रहे थे आप ये?” सुषमा ने पूछा. “ कुछ नही रानी ये यासीन है मेरा दोस्त,' घबराया हुआ सुरेश बोला. उधर सुषमा की नज़र उस लरके के चिकने लंड से हट ही नही रही थी और ये देख कर उस लरके को लगा कि मौका अछा है और उसने तुरंत आगे बढ़ कर सुषमा को दबोच लिया.. सुषमा कुछ समझती उस से पहले तो उसने उसको मसलना शुरू कर दिया और उसके होठ खुद के होंठो मे दबा लिए. एक झटके मे उस लरके ने सुषमा की सारी उप्पेर कर दी चड्डी तो वो पहनती नही थी और उसकी चूत मे उंगली करने लगा. सुषमा के होश उड़ गये. उसे समझ मे नही आ रहा था ये क्या हो रहा है.
सुषमा उस लरके से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी तब तक सुरेश ने अपने कपड़े वापस पहन लिए थे और उसके सामने वो झुक कर उस लरके का लंड चूस रहा था. एक झटके मे उस लरके ने सुषमा को नीचे मिट्टी पर गिरा दिया उसकी सारी उप्पेर की और अपने लंड को उसकी चूत के मूह पर अड़ा दिया. सुषमा की बालो वाली चूत के मूह पर उसका मोटा काला कटा हुआ लंड दस्तक दे रहा था और सुरेश उसे पकड़ कर उसकी बीवी की चूत मे घुसा रहा था. घबराई हुई सुषमा एक झटके मे उस लरके की गिरफ़्त से छूटी और भाग छूटी. सरपट दौरती हुई पाँच मिनिट मे हफ्ती हुई घर पहुच गयी. सुषमा इतनी परेशान थी कि उसे कुछ समझ मे नही आया ये क्या हुआ. रात के आठ बजे तक उसका पति लौट कर घर नही आया. सुषमा से रहा नहीं गया उसने घबराते हुए सास को चुपचाप सारी बात बताई,' बेटा एक दिन तो तुझे ये सब पता चलना ही था,' सुषमा की सास रुक्मणी बोली. रुक्मणी ने कहा कि चिंता की बात नही सुरेश घर आ जाएगा. रुक्मणी सुषमा को छत पर ले गयी और बोली बेटा अब मे तुझे सारी कहानी बता देती हू.
रुक्मणी ने सुषमा को बताया की सुरेश उसके ससुर से पैदा नही हुआ बल्कि ज़मींदार के भाई का बच्चा है,' शादी के बाद में ज़मींदार के घर का काम करने जाती तो उसकी पत्नी मुझे रोज़ अपने कमरे मे बुला कर अपनी चूत चटवाती और उसमे केला कद्दू वगेरह डलवाती. बाद मे ज़मींदार के छ्होटे भाई की पत्नी रानी भी मुझसे ये सब करवाने लगी. ज़मींदार के छ्होटे भाई विकलांग थे और वीलचेर पर बैठे रहते थे. मुझे बाद मे उन लोगो ने छ्होटे मलिक की ज़िम्मेदारी दे दी मे उनको नहलाती उनकी कपड़े बदलती और उनका पाखाना मूत वगेरह सॉफ करती ग़रीबी में और कोई चारा भी नहीं था'. रकमणी कहने लगी कि छ्होटे मालिक धीरे धीरे उसके बूब्स दबाने लगते और उसको किस करते,' उनका शरीर कमर से उप्पेर स्वस्थ था और वो मुझे बिस्तर के कोने पर लिटा कर मेरी चूत चाट कर मुझे मज़ा देते,' सास कहने लगी. रुक्मणी ने सुषमा को बताया कि धीरे धीरे छ्होटे मालिक को नहलाता समय वो उनके सुस्त और नरम लंड कि भी मालिश करती,' एक बार एक वैध्य उनके लिए एक दवाई लाया और मुझे कहा गया कि मैं उसको छ्होटे मालिक के लंड पर दिन में तीन बार लगाउ,' रुक्मणी बोली. “ एक दिन में मालिश कर रही थी कि छ्होटे मलिक के निर्जीव लंड मे हल्का सा तनाव आया और वो उसकसे ज़ोर ज़ोर से उसको हिलाने का कहने लगे. मैने उसको हिलाया तो दो चार बूंदे निकली मगर उनको बड़ा मज़ा आया. धीरे धीरे छ्होटे मालिक के लंड मे तनाव आने लगा और मे उनकी मूठ मारती रही. एक दिन उन्होने मुझे नीचे लिटा कर उप्पेर चढ़ कर लंड को अंदर डालने की कोशिश की मगर पूरी ताक़त नही होने से वो डाल नहीं पाए. उनको बहुत गुस्सा आया उन्होने अपनी पत्नी और तेरे ससुर को बुलाया साथ ही उनका भयंकर कुत्ता भी मँगवाया,' रुक्मणी बोली. सुषमा अवाक से सब सुन रही थी उसकी सास ने बताया कि उसके बाद सुषमा के ससुर यानी लल्लू लालजी रुक्मणी की चूत चाट कर गीली करते और छ्होटे मालिक की पत्नी छ्होटे मालिक का लंड चूस चूस कर बड़ा करती फिर लल्लू लाल रुक्मणी की टाँगे चौड़ी करता और छ्होटी मालकिन अपने पति का लंड पकड़ कर अंदर डालती,' ऐसे वो मुझे रोज़ चोद्ते रहे और बाद में तो अपने कुत्ते से मेरी चूत चत्वाते थे,' रुक्मणी बोली. छोटे मालिक ने सख़्त हिदायत दे रखी थी कि जब तक मुझे गर्भ नहीं ठहर जाए तब तक मेरा पति मुझे नहीं चोदेगा. कोई तीन महीने की इस चुदाई के बाद मुझे बच्चा ठहर गया तब कहीं जाकर छ्होटे मालिक खुश हुए बदले मे उन्होने मेरे पति यानी तेरे ससुर को छ्होटी मालकिन को चोदने की इजाज़त दी लेकिन मेरा बच्चा गिर ना जाए इसलिए वो मुझे छ्छू भी नहीं सकते थे,' रुक्मणी ने बताया.
सुषमा साँस रोके ये सब सुन रही थी,' इसका मतलब हमारे पति सुरेश ससुरजी के वीर्य से नहीं पैदा हुए?' उसने पूछा.' नहीं बेटी सुरेश तो छ्होटे मिल्क की ही औलाद है ,' रुकमनि ने बताया. रुक्मणी आगे का हाल बताने लगी,' रात होते ही कमरे में मे तेरे ससुर छ्होटे मालिक छ्होटी मालकिन और उनका कुत्ता कमरे में आ जाते फिर सबसे पहले छ्होटी मालकिन उस कुत्ते का लंड चाट कर खड़ा करती फिर वो छ्होटे मालिक पर चढ़ कर उनको चोद्ता जब उसकी गाँठ छ्होटे मालिक की गंद मे फस जाती तब वो तेरे ससुर से कहते को वो छ्होटी मालकिन को चोदे,' रुक्मणी बोली. “ कभी कभी वो तेरे ससुर से भी अपनी गंद मरवाते उस से पहले छ्होटी मालकिन तेल लगा कर उनकी गंद के छेद को चिकना कर देती,' रुक्मणी बोली. “ तेरे ससुर जैसा लंड गाओं में शायद ही किसी का होगा बहू, पूरा 9 इंच का मोटा और काला और एक बार किसी पर चढ़ जाएँ तो उसको आधे घंटे चोदे बिना नीचे नहीं उतरते और उनके आँड तो सांड से कम नहीं एक बार वीर्य किसी चूत में डाल दे तो गर्भ तो ठहरा हुआ समझो बेटी,' ये सुन कर सुषमा की आँखों मे चमक आ गयी. रुक्मणी कहने लगी कि लल्लू लाल की चुदाई से छ्होटी मालकिन को भी गर्भ ठहर गया और उनका बच्चा जो अब 18 साल का है इसका नाम राहुल है असल में तुम्हारे ससुर का बेटा है.
रुक्मणी बताने लगी कि बड़े मालिक यानी ज़मींदार गांद मरवाने के शौकीन थे और सुरेश के पिता उनकी गांद मारा करते थे बदले में वो भी उनको अपनी पत्नी को चुड़वाते थे,' मालकिन को एक लरका और एक लर्की हुए वो दोनो भी तुम्हारे ससुर के वीर्य से ही पैदा हुए बेटी,' रुक्मणी बताने लगी. “लेकिन सुरेश का लंड इतना छ्होटा कैसे मा?” सुषमा ने पुचछा,' बेटी इसकी बड़ी दुखद कहानी है एक दिन जब सुरेश 6 साल का था तो छ्होटी मालकिन नहाने के बहाने उसके छ्होटे लंड से खेलने लगी और छ्होटे मालिक ने देख लिया वो गुस्से में आग बाबूला हो गये और कपड़े धोने की सोटी लाकर सुरेश के छोटे से लंड पर ज़ोर से मारी और वो बेहोश हो गया सुरेश बच तो गया मगर डॉक्टर ने कह दिया अब वो कभी बाप नही बन पाएगा उसके आँड का कच्मर बन गया था,' रुक्मणी बोली. सुषमा रोने लगी बोली,' मा मेरा जीवन नरक क्यू बनाया मेरी शादी नपुंसक से क्यू की?' रुक्मणी ने उसे गले लगाया और बोली चिंता मत कर बेटी में हू ना तेरे ससुर मुझे बच्चा नहीं दे पाए तो क्या अपनी बहू को तो दे सकेंगे एक साथ वो बाप भी बनेंगे और दादा भी और घर की बात घर में रह जाएगी. सुषमा को कुछ समझ नही आया वो बोली ऐसा कैसे हो सकता है मा?' चिंता मत कर बेटी में हू ना और सुरेश की चिंता मत कर वो इस काम में सहयोग करेगा?” सुषमा चौंकी,' सहयोग वो कैसे मा?” उसने पूछा. “ अब तुझसे क्या छुपाना बेटा सुरेश गांद मरवाने का इतना आदि हो गया है कि उसने तुम्हारे ससुर का लंड भी नहीं छ्चोड़ा एक बार लिए बगैर रात में सोता तक नहीं वो,' रुक्मणी बोली.' क्या मा सच में?' उसने पूछा.' हां बेटा मेरे सामने ही तो होता है हर रोज़,' रुक्मणी बोली. सुरेश मेरी चूत भी चाट लेता है कई बार तुम्हारे ससुर का लंड चूस कर मेरे लिए कड़क करता है फिर मेरी चूत में भी डालता है और जब तुम्हारे ससुर मुझे चोद्ते है तो उनकी गांद और आंड चाट ता है फिर उनके झड़ने के बाद मा की चूत का सारा वीर्य चाट कर सॉफ कर देता है. सुषमा को अब कुछ कुछ समझ आने लगा था. “ आज रात तू नहा धो कर तय्यार रहना तेरी सुहाग रात मैं आज तेरे ससुर के साथ,' रुक्मणी आख मार कर बोली.
रात को खाना वाना खाने के बाद सुषमा ने नयी सारी पहनी पर्फ्यूम लगाया और तय्यार हो गयी. दस बजे उसकी सास उसके रूम में आई,' चल बेटी घबराना मत में तेरे पास हूँ,' ये कह कर वो उसे ले गयी. सुषमा अंदर गयी तो देखा कि उसके ससुर बिस्तेर पर नंगे लेटे हैं और सुरेश भी नंगा होकर उनकी तेल मालिश कर रहा है. उष्मा ने आँखे इधर फेर ली. रुक्मणी ने सुषमा को बिस्तर पर लिटाया और धीरे धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगी हो गयी सुषमा आँखे मुन्दे लेटी रही. थोड़ी देर में उसने देखा कि सुरेश उसकी तेल मालिश कर रहा है और बाद मे उसकी चूत को चाटने लगा.' चूत एकदम गीली होने के बाद सुरेश ने उस पर खूब सारा तेल लगाया. सुषमा ने देखा की नीचे चटाई पर रुक्मणी ससुर का लंड चूस रही है और उस पर तेल लगा रही है. सुषमा की आँखे ससुर के हथियार को देख फटी रह गयी,' सास सच कह रही थी ये लंड नही हाथोरा है,'उसने सोचा. थोड़ी देर में रुक्मणी उसके पास आई और बोली बेटी तय्यार हो जा. लल्लू लाल भी बिस्तर पर आ गये और सुषमा के बड़े बड़े गोल स्तन सहलाने और दबाने लगे. उधर रुक्मणी ने सुषमा की टाँगे चौड़ी कर दी और सुरेश उसकी चूत में पूरी जीभ डाल कर उसको कुत्तो की तरह चाट रहा था.
सुषमा आँखे बंद कर लेटी हुई थी तभी उसको लगा उसके ससुर उसके उप्पेर आ गये हैं. उसके होठ ससुर के होंठो से मिले वो उसको पागलो की तरह चूमने लगे और अपने मज़बूत हाथो से सुषमा के बड़े बड़े स्तन दबाने और मसल्ने लगे सुषमा के स्तन पहली बार कोई मर्द इस तरह दबा रहा था. उसकी चूत धीरे धीरे एकदम गीली हो चुकी थी. ससुर को शायद इस बात का एहसास था उन्होने अपने मोटे लंड को सुषमा की चूत के मूह पर रखा और उस दिन की तरह सुरेश उसको पकड़ कर उसकी चूत मे घुसाने लगा.' सुषमा की चूत के दरवाज़े पर जैसे ही लल्लू लाल का मोटा तगड़ा लंड पहुचा उसको दर्द महसूस हुआ मगर उसकी सास उसकी दोनो टाँगे पकड़े हुए थी और दर्द से बचना नामुमकिन था. उधर तेल की वजह से लल्लू का लंड भीतेर सरकने लगा और सुषमा के होठ भिचने लगे,' बेटा चिंता मत करो सहयोग करो एक दो बार का ही दर्द है फिर मज़ा आएगा,' ससुरजी बोले. रुकमनि ने थोड़ी टाँगे और चौड़ी कर दी और ससुरजी से बोली आप तो एक झटके में पूरा लंड पेल दो फिर कुछ नही होगा मगर ससुरजी धीरे धीरे लंड सरकाते रहे सुषमा की चूत दर्द से फट रही थी टाँगे दुखने लगी थी. मगर लल्लू लाल अनारी नही थे चूमते रहे और धीरे धीरे लंड सरकाते रहे सुषमा चिल्लाति रही,' ससुरजी रहम कीजिए फिर कर लीजिएगा मेरी चूत फट जाएगी,' वो चिल्लाते चिल्लाते बोली. मगर लल्लू लाल कहा रुकने वाले थे 5 मिनिट बाद उन्होने अपने पूरा चिकना लंड बहू की चूत में पेल ही दिया अब सिर्फ़ आँड बाहर रह गये. जैसे ही सुषमा का दर्द थोडा कम हुआ और वो नॉर्मल हुई उन्होने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,' लल्लू लाल बहू की चूत के खून से रंगा लंड अंदर बाहर करते रहे सुषमा की चीखे सुनाई देती रहीं,' बेटा तू बापू की गांद चाट में आँड चाटती हू नही तो ये बहू को चोद चोद कर मार डालेंगे,' रुक्मणी बोली. सुषमा ने देखा कि उसका पति उसके ससुर की गांद चाट रहा था और सास ससुर के मोटे काले अंडकोष चाट रही थी. लल्लू लालजी उत्तेजना के शिखर पर थे,' बहू भर दू तुम्हारी कुँवारी चूत मेरे ताक़तवर वीर्य से?” उन्होने पूछा. सुषमा ने बोला ही था कि वो गर्र गर्र करते हुए झाड़ गये,' ओह ओह आपने तो कोई आधा कप पानी बहू की चूत में छोड़ दिया है बच्चा हो कर रहेगा,' रुक्मणी बोली. ससुरजी उप्पेर से हट कर बिस्तेर के कोने पर बैठ गये और सुषमा को सहलाने लगे. उधर सुरेश नीचे जाकर रुक्मणी की चूत चाट रहा था,' चाट मेरे लाल चाट मेरे बेटे तेरी जीभ तो लंड से भी ज़्यादा मज़ा देती है.' रुक्मणी बोल रही थी. उधर लल्लू लालजी भी नीचे पहुच गये उन्होने और सुरेश की गांद में तेल लगा कर उसको उंगली से चोदना शुरू कर दिया,' हा बापू फाडो मेरी गंद,' सुरेश गांद नचाते हुए बोल रहा था. ससुर ने सुषमा को नीचे खेंचा और उसका मूह अपने लंड से अड़ा दिया,' इसको चूस चूस कर बड़ा कर बहूरानी ताकि में तेरे पति की सेवा कर सकु,' उन्होने कहा. सुषमा ने उनके मोटे काले लंड को कस के पकड़ा और जीभ फेरने लगे धीरे धीरे लल्लू लालजी का सुपरा चीकू जितना बड़ा हो गया और लंड एकदम हाथोरे जैसा. ससुरजी ने बहू को धन्यवाद दिया और वापस से सुरेश की गंद पर अपने हथियार तान दिया. किसी मंजे हुए खिलाड़ी की तरह सुरेश ने गांद को अड्जस्ट किया और एक ही झटके में लल्लू लालजी का आधा लंड उसकी गांद में चला गया सुरेश ज़ोर से चीखा मर गया बापू,' अभी पूरा कहा मारा है अभी तो आधा ही मारा है,' लल्लू लालजी बोले और पूरा लंड पेल दिया. सुषमा सोचने लगी सुरेश की गांद क्या उतनी बड़ी है? उधर सुरेश अपनी मा की चूत चाट रहा था. रुक्मणी उछल रही थी,' बेटा में झड़ने वाली हू पूरी जीभ डाल दे तेरी मा के भोस्डे में,' वो बोली और दो मिनिट में हाफते हुए अपना पानी छ्चोड़ दिया. उधर लल्लू लालजी की रफ़्तार बढ़ गयी थी.
रुक्मणी पीछे आ गयी,' मेरे बेटे की गांद फाड़ दोगे क्या अब रहम करो,' वो बोली और सुरेश के नीचे लेट गयी. सुषमा ने देखा कि रुक्मणी सुरेश की लुल्ली को चूस रही थी और अपने हाथो से ससुरजी के बड़े बड़े आंडो को मसल रही थी,' अब अपने बेटे की चूत अपने पानी से भर दो,' रुक्मणी बोली. ये सुनते ही लल्लू लालजी तेज़ हो गये और बोले,' हा जान ये ले तेरे बेटे की गांद में अपना पानी डालता हू,' कहकर वो झाड़ गये. सुषमा थक कर सो गयी.
क्रमशः.........................
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