RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
जब मुँह में और आ नहीं पाया तो काफी सारा वीर्य मुँह से चूचियों पर टपकने लगा। उसने कुछ वीर्य मेरे चेहरे पर भी टपका दिया। बॉस का एक बूंद वीर्य भी बेकार नहीं जाये
जफ़र ने कहा।
उसने अपनी अंगुलियों से मेरी चूचियों और मेरे चेहरे पर लगे वीर्य को समेट कर मेरे मुँह में डाल दिया। मुझे मन मार कर भी सारा गटकना पड़ा।
इस रंडी को बेडरूम में ले चल
अनिल ने कहा।
जफ़र मुझे उठाकर लगभग खींचते हुए बेडरूम में ले गये। बेडरूम में एक बड़ा सा पलंग बिछा था। मुझे पलंग पर पटक दिया गया। अनिल अपने हाथों में ग्लास लेकर बिस्तर के पास एक कुर्सी पर बैठ गया।
थोड़ी देर में अनिल उठा और मेरे पास अकर मुझे खींच कर उठाया और बिस्तर के कोने पर चौपाया बना दिया। फिर उसने बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लंड मेरी टपकती चूत पर लगाया और एक झटके से अंदर डाल दिया।
चूत में पहली बार लंड जाने की वजह से उसका मूसल जैसा लंड ऐसा लग रहा था मानो वो मेरे पूरे जिस्म को चीरता हुआ मुँह से निकल जायेगा।
फिर वो धक्के देने लगा, मजबूत पलंग भी उसके धक्कों से चरमराने लगा। फिर मेरी क्या हालत हो रही होगी इसका तो सिर्फ अंदज़ा ही लगाया जा सकता है!
मैं चीख रही थी- आहहह ओओओहहह प्लीज़ज़। प्लीज़ज़ मुझे छोड़ दो। आआआह आआआह नहींईंईंईं प्लीज़ज़ज़। मैं तड़प रही थी मगर वो था कि अपनी रफ़्तार बढ़ाता ही जा रहा था।
पूरे कमरे में फच फच की आवाजें गूँज रही थी। जफ़र मेरी चुदाई का नज़ारा देख रहे थे।
मैं बस दुआ कर रही थी कि उसका लंड जल्दी पानी छोड़ दे। मगर पता नहीं वो किस चीज़ का बना हुआ था कि उसकी रफ़्तार में कोई कमी नहीं आ रही थी। कोई आधे घंटे तक मुझे चोदने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया। मैं मुँह के बल बिस्तर पर गिर गई। मेरा पूरा जिस्म बुरी तरह टूट रहा था और गला सूख रहा था।पानी
मैंने पानी माँगा तो जफ़र ने पानी का ग्लास मेरे होंठों से लगा दिया। मेरे होंठ वीर्य से लिसड़े हुए थे। उन्हें पोंछ कर मैंने गटागट पूरा पानी पी लिया।
पानी पीने के बाद जिस्म में कुछ जान आई।मैं बिस्तर पर चित्त पड़ी हुई थी। दोनों पैर फ़ैले हुए थे और अभी भी मेरे पैरों में ऊँची हील के सैंडल कसे थे। मेरी चूत से वीर्य चूकर बिस्तर पर गिर रहा था। मेरे बाल, चेहरा, चूचियाँ, सब पर वीर्य फ़ैला हुआ था। चूचियों पर दाँतों के लाल-नीले निशान नजर आ रहे थे।अनिल पास खड़ा मेरे जिस्म की तस्वीरें खींच रहा था मगर मैं उसे मना करने की स्थिति में नहीं थी। गला भी दर्द कर रहा था। अनिल ने बिस्तर के पास आकर मेरे निप्पलों को पकड़ कर उन्हें उमेठते हुए अपनी ओर खींचा। मैं दर्द के मारे उठती चली गई और उसके जिस्म से सट गई।मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे होंठों पर अपने मोटे-मोटे भद्दे होंठ रख कर चूमने लगा। फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे मुँह का अपनी जीभ से मोआयना करने लगा। फिर वो सोफ़े पर बैठ गया और मुझे जमीन पर अपने कदमों पर बिठाया। टाँगें खोल कर मुझे अपनी टाँगों के जोड़ पर खींच लिया।
मैं उसका इशारा समझ कर उसके लंड को चूमने लगी। वो मेरे बालों पर हाथ फ़िरा रहा था। फिर मैंने उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसके लंड को चूसने लगी और जीभ निकाल कर उसके लंड के ऊपर फ़िराने लगी। धीरे-धीरे उसका लंड हरकत में आता जा रहा था। कुछ ही देर में लंड फ़िर से पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था। वापस उसे चूत में लेने की सोच कर ही झुरझुरी सी आ रही थी। चूत का तो बुरा हाल था। ऐसा लग रहा था मानो अंदर से छिल गई हो। मैं इसलिए उसके लंड पर और तेजी से मुँह ऊपर नीचे करने लगी जिससे उसका मुँह में ही निकल जाये। मगर वो तो पूरा साँड कि तरह स्टैमिना रखता था। मेरी बहुत कोशिशों के बाद उसके लंड से हल्का सा रस निकलने लगा। मैं थक गई मगर उसके लंड से वीर्य निकला ही नहीं।
थोड़ी देर बाद अनिल ने अपना लंड मेरे मुह से निकल लिया और जफ़र को कहा की वो अब थोड़ा मज़ा मुझसे लेले। जफ़र ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और मुझे चूमने लगा। मुझे तो अब अपने ऊपर घिन्न सी आने लगी थी। जफ़र मेरे जिस्म पर हाथ फ़ेर रहा था। और मेरी चूचियों को चूमते हुए मुझे फ़िर अपनी गोद से उतार कर जमीन पर बिठा दिया। मैंने उसके पैंट की ज़िप खोली और उसके लंड को निकाल कर उसे मुँह में ले लिया। अपने एक हाथ से अनिल के लंड को सहला रही थी। बारी-बारी से दोनों लंड को मुँह में भर कर कुछ देर तक चूसती और दूसरे के लंड को मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करती। फ़िर यही काम दूसरे के साथ करती। फ़िर जफ़र ने उठ कर मुझे एक झटके से गोद में उठा लिया और बेड रूम में ले गया। बेडरूम में आकर मुझे बिस्तर पर पटक दिया। अनिल भी साथ-साथ आ गया था। वो तो पहले से ही नंगा था। जफ़र भी अपने कपड़े उतारने लगा।
मैं बिस्तर पर लेटी उसको कपड़े उतारते देख रही थी। मैंने उनके अगले कदम के बारे में सोच कर अपने आप अपने पैर फ़ैला दिये। मेरी चूत बाहर दिखने लगी। जफ़र का लंड अनिल की तरह ही मोटा और काफी लंबा था। वो अपने कपड़े वहीं फ़ेंक कर बिस्तर पर चढ़ गया। मैंने उसके लंड को हाथ में लेकर अपनी चूत की ओर खींचा मगर वो आगे नहीं बढ़ा। उसने मुझे बांहों से पकड़ कर उल्टी कर दिया और मेरे चूतड़ों से चिपक गया। अपने हाथों से दोनों चूतड़ों को अलग करके छेद पर अँगुली फ़िराने लगा। मैं उसका इरादा समझ गई कि वो मेरे गाँड को फाड़ने का इरादा बनाये हुए था।
मैं डर से चिहुँक उठी क्योंकि इस गैर-कुदरती चुदाई से मैं अभी तक अन्जान थी। सुना था कि गाँड मरवाने में बहुत दर्द होता है और जफ़र का इतना मोटा लंड कैसे जायेगा ये भी सोच रही थी।
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