RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
अब मेरी मॉम की कहानी उनकी जुबानी
में शालू गुप्ता, शालू माथुर से कैसे शालू गुप्ता बनी, और अनिल कैसे मेरी ज़िंदगी में आये इसकी एक बड़ी लम्बी दास्ताँ हे। बात तब की हे जब में लगभग १८ साल की हुई थी, मेरे डैड राजेश माथुर एक सरकारी डिपार्टमेंट में बड़े अफसर थे जंहा अनिल ठेकेदारी किया करते थे।
अनिल मेरे डैड के मुँह लगे ठेकेदार थे, असल में वो उस समय लफंगे टाइप के थे जो अपना काम निकलवाने के लिए अफसरों को शराब शवाब सब उपलब्ध करवाया करते थे, मेरे डैड भी इन्ही बातो के कारन उनके चंगुल में फंसे हुए थे क्यू की वो भी शराब और शवाब के शौकीन थे।
मेरी मॉम डैड की इन हरकतों की वजह से काफी परेशान थी और उनके साथ में भी अनिल को बहुत ही नापसंद करती थी, लेकिन डैड को अनिल बहुत पसंद थे इसलिए उनका ऑफिस के साथ घर भी आना बना रहता था, मेरी आँखों से ये छुपा हुआ नही था की जब भी में अनिल के सामने होती उनकी आँखों में वासना की चमक होती थी और मुझे असा लगता था की उनकी निगाहे मेरे शरीर को भेद कर मुझे निवस्त्र देख रही हे,
एक दिन की बात हे दिन का वक्त था। मैं उस समय बाथरूम में नहा रही थी।अनिल उस समय घर आये होंगे लेकिन बाहर से काफी आवाज लगाने पर भी मुझे सुनाई नहीं दिया था। शायद उसने घंटी भी बजाई होगी मगर अंदर पानी की आवाज में मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया।
मैं अपनी धुन में गुनगुनाती हुई नहा रही थी। घर के मुख्य दरवाज़े की चिटकनी में कोई नुक्स था। दरवाजे को जोर से धक्का देने पर चिटकनी अपने आप गिर जाती थी। उसने दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो दरवाजे की चिटकनी गिर गई और दरवाजा खुल गया।
अनिल ने बाहर से आवाज लगाई मगर कोई जवाब ना पाकर दरवाजा खोल कर झाँका, कमरा खाली पाकर वो अंदर दाखिल हो गया। उसे शायद बाथरूम से पानी गिरने कि और मेरे गुनगुनाने की आवाज आई तो पहले तो वो वापस जाने के लिये मुड़ा मगर फ़िर कुछ सोच कर धीरे से दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया और मुड़ कर बेडरूम में दाखिल हो गया।
मैंने घर में अकेले होने के कारण कपड़े बाहर बेड पर ही रख रखे थे। उन पर उसकी नजर पड़ते ही आँखों में चमक आ गई। उसने सारे कपड़े समेट कर अपने पास रख लिये। मैं इन सब से अन्जान गुनगुनाती हुई नहा रही थी।
नहाना खत्म कर के जिस्म तौलिये से पोंछ कर पूरी तरह नंगी बाहर निकली। वो दरवाजे के पीछे छुपा हुआ था इसलिए उस पर नजर नहीं पड़ी। मैंने पहले ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने हुस्न को निहारा। फिर जिस्म पर पाऊडर छिड़क कर कपड़ों की तरफ हाथ बढ़ाये। मगर कपड़ों को बिस्तर पर ना पाकर चौंक गई।
तभी दरवाजे के पीछे से अनिल लपक कर मेरे पीछे आया और मेरे नंगे जिस्म को अपनी बांहों की गिरफ़्त में ले लिया।
मैं एकदम घबरा गई, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। उसके हाथ मेरे जिस्म पर फ़िर रहे थे। मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथों से मसल रहा था। एक हाथ मेरी चूत पर फ़िर रहा था।
अचानक उसने अपनी अँगुलियाँ मेरी चूत में घुसाने की कोशिश की । मैं एकदम से चिहुँक उठी और उसे एक जोर से झटका दिया और उसकी बांहों से निकल गई। मैं चीखते हुए दरवाजे की तरफ़ दौड़ी मगर कुंडी खोलने से पहले फ़िर उसकी गिरफ़्त में आ गई। वो मेरे बोबो को बुरी तरह मसल रहा था। छोड़ कमीने नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी. मैंने चीखते हुए कहा। तभी हाथ चिटकनी तक पहुँच गये और दरवाजा खोल दिया। मेरी इस हरकत की उसे शायद उम्मीद नहीं थी। मैंने एक जोरदार झापड़ उसके गाल पर लगाया और अपनी नंगी हालत की परवाह ना करते हुए मैंने दरवाजे को खोल दिया।
मैं शेरनी की तरह चीखी- निकल जा मेरे घर से
और उसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया।
उसकी हालत चोट खाये शेर की तरह हो रही थी, चेहरा गुस्से से लाल सुर्ख हो रहा था, उसने फुफकारते हुए कहा- साली बड़ी सती सावित्री बन रही है
अगर तुझे अपने नीचे ना लिटाया तो मेरा नाम भी अनिल नहीं। देखना एक दिन तू आयेगी मेरे पास मेरे लंड को लेने। उस समय अगर तुझे अपने इस लंड पर ना कुदवाया तो देखना।
मैंने भड़ाक से उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया, मैं वहीं दरवाजे से लग कर रोने लगी।
शाम को जब डैड घर आये तो मेने उन्हें अनिल की हरकत के बारे में बताया, डैड अनिल की हरकत सुन सन्न रह गए उन्होंने उसी समय अनिल को वंहा बुलाया और जमकर फटकार लगते हुए चेतावनी दी की आगे से उसने मेरे साथ ऐसी कोई कोशिश करने की कोशिश की तो वो उसे जेल में भिजवा देंगे।
अनिल उस समय तो चला गया। कुछ दिनों बाद मेने देखा की डैड काफी परेशान से चल रहे हे और वो अत्यधिक ड्रिंक करने लगे हे, मेने देखा की डैड और मॉम कई बार फुसफुसा कर बात कर रहे होते हे और जैसे ही में उनके सामने आती वो चुप हो जाते।
एक दिन मेने मॉम को अपनी कसम देकर पूछा तो उन्होंने जो कहा उसे सुन तो मेरे होश ही उड़ गए। अनिल ने डैड की किसी लड़की के साथ चुदाई करते हुए वीडियो बना लिया था और वो अब उसे सबके सामने लाने को कह रहा था, उस की इस वीडियो को रोकने के लिए एक ही शर्त थी के डैड एक रात के लिए मुझे उसके पास भेजे।
में सोच भी नही सकती थी की अनिल इतने निचे भी गिर जायेगा, लेकिन मुझसे डैड की परेशानी जयदा दिनों तक देखी नही गयी और मेने फैसला किया की में अनिल से मिलने जाउंगी।
एक दिन मेने अनिल को फोन मिलाया और उस से कहा की मुझे कहा आना हे उसने मुझे शहर से बाहर अपने हाउस पर बुलाया मेने डैड मॉम से कहा की आज मुझे मेरी फ्रेंड रचना के घर रुक कर पढाई करनी हे। क्यू की में अक्सर रचना के रुक जाती थी तो उन्होंने भी कोई ऑब्जेक्ट नही किया।
शाम के लगभग आठ बज गये थे। मैं अनिल के घर पहुँची। गेट पर दर्बान ने रोका तो मैंने कहा- साहब को कहना शालू आई हैं।
गार्ड अंदर चला गया। कुछ देर बाद बाहर अकर कहा- अभी साहब बिज़ी हैं, कुछ देर इंतज़ार कीजिये।
पंद्रह मिनट बाद मुझे अंदर जाने दिया। मकान काफी बड़ा था। अंदर ड्राईंग रूम में अनिल दिवान पर आधा लेटा हुआ था। उसका खास चमचा जफ़र कुर्सी पर बैठा हुआ था । दोनों के हाथों में शराब के ग्लास थे। सामने टेबल पर एक बोतल खुली हुई थी। मैं कमरे की हालत देखते हुए झिझकते हुए अंदर घुसी।
”आ बैठ” अनिल ने अपने सामने एक खाली कुर्सी की तरफ़ इशारा किया।
वो
वो मैं आपसे डैड के बारे में बात करना चाहती थी। मैं जल्दी वहाँ से भागना चाहती थी। वो दोनों मुझे वासना भरी नज़रों से देखने लगे। उनकी आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे।
हाँ बोल क्या चाहिये?मेने कहा आप डैड को परेशान करना छोड़ दीजिये। लेकिन क्यों? मुझे क्या मिलेगा अनिल ने अपने होंठों पर मोटी जीभ फ़ेरते हुए कहा।
आप कहिये आपको क्या चाहिए
अगर बस में हुआ तो हम जरूर देंगे। कहते हुए मैंने अपनी आँखें झुका ली। मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है, अनिल अपनी जगह से उठा। अपना ग्लास टेबल पर रख कर चलता हुआ मेरे पीछे आ गया।
मैं सख्ती से आँखें बंद कर उसके पैरों की पदचाप सुन रही थी। मेरी हालत उस खरगोश की तरह हो गई थी जो अपना सिर झाड़ियों में डाल कर सोचता है कि भेड़िये से वो बच जायेगा। उसने मेरे पीछे आकर चुन्नी को पकड़ा और उसे छातियों पर से हटा दिया। फिर उसके हाथ आगे आये और सख्ती से मेरी चूचियों को मसलने लगे।
ये पहला मौका था जब किसी मर्द ने मेरे बोबो को इस तरह पकड़ा था और चुचियो को मसला था, वो बोला मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए पूरे एक रात के लिये उसने मेरे कानों के पास धीरे से कहा। मैंने रज़ामंदी में अपना सिर झुका लिया।
ऐसे नहीं अपने मुँह से बोल वो मेरे कुर्ते के अंदर अपने हाथ डाल कर सख्ती से चूचियों को निचोड़ने लगा। जफ़र के सामने मैं शरम से गड़ी जा रही थी। मैंने सिर हिलाया।
मुँह से बो
ल
हाँ मैं धीरे से बुदबुदाई।
जोर से बोल
कुछ सुनाई नहीं दिया! तुझे सुनाई दिया रे जफ़र ? उसने पूछा।
जवाब आया - नहीं ।
मुझे मंजूर है! मैंने इस बार कुछ जोर से कहा।
क्यों फूलनदेवी जी, मैंने कहा था ना कि तू खुद आयेगी मेरे घर और कहेगी कि प्लीज़ मुझे चोदो। कहाँ गई तेरी अकड़?
अब तू पूरे १२ घंटों के लिये मेरे कब्जे में रहेगी। मैं जैसा चाहूँगा, तुझे वैसा ही करना होगा। तुझे अगले १२ घंटे बस अपनी चूत खोल कर रंडियों की तरह चुदवाना है। उसके बाद तू और तेरा डैड दोनो आज़ाद हो जाओगे।
मुझे मंजूर है। मैंने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा। वो जाकर वापस अपनी जगह बैठ गया।
चल शुरू हो जा
आपने सारे कपड़े उतार
मुझे तेरी जैसी लड़कियों के जिस्म पर कपड़े अच्छे नहीं लगते! उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया। अब ये कपड़े कल सुबह के दस बजे के बाद ही मिलेंगे। चल इनको भी दिखा तो सही कि तुझे अपने किस हुस्न पर इतना गरूर है।
मैंने कांपते हाथों से कुर्ते के बटन खोलना शुरू कर दिया। सारे बटन खोलकर कुर्ते को ब्रा को आहिस्ता से जिस्म से अलग कर दिया।
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