RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
उस वक़्त मैं सोचने लगा की थोड़ी देर पहले प्रीति के ये गोरे गोरे बोबे मेरे सामने नंगे थे मैंने आज पहली बार रौशनी में प्रीति के टॉप के अंदर ध्यान से देखा था मैंने देखा की प्रीति कप वाली ब्रा नहीं पहनती वो तो सिंपल ब्रा पहनती है मैं टॉप के अंदर देखते २ सोचने लगा की प्रीति का निप्पल कहा पे होगा इस ब्रा में, मैं प्रीति के इतना पास था की आज रिस्क वाली कोई बात नहीं थी बस मुझे ध्यान से रहना था और धीरे धीरे ध्यान से सब करना था मैंने सबसे पहलेप्रीति के पेट पे अपना हाथ रखा उनका पेट बिलकुल चिकना और ठंडा था धीरे धीरे मैं अपना हाथ ऊपर लेके जाने लगा प्रीति के टॉप में मैं पूरी तरह सतर्क था की न तो प्रीति को कुछ महसूस हो और ना ही प्रीति का टॉप खिचे अब मैं धीरे धीरे अपना हाथ प्रीति के टॉप के अंदर और ऊपर लेके जाने लगा और मेरे हाथ ने प्रीति की ब्रा का नीचे का इलास्टिक टच किया मैंने धीरे से अपना दूसरा हाथ प्रीति की कमर पे रखा जहाँ उन्होंने अपनी सलवार बंद रखी थी। फिर मैंने अपना हाथ प्रीति के टॉप मे और ऊपर किया और मेरे हाथ नेप्रीति के 1 बोबे को टच किया मैंने अपना पूरा हाथ प्रीति के बोबे पे घुमाया फिर मैंने अपना हाथ प्रीति के दुसरे बोबे पे घुमाया और प्रीति के दोनों बोबो पे हाथ घुमाने लगा और ब्रा पे से प्रीति के बोबे के दोनों निप्पलो को ढूँढने लगा।
मैंने प्रीति के दोनों निप्पलों को सहलाया । प्रीति के बोबो को धीरे धीरे दबाया उन्हें सहलाया और उनके बोबे सहलाते सहलाते मैंने प्रीति के गले पे बहुत ध्यान से धीरे से किस किया फिर उनका टॉप थोडा सा हटाया और उनके नंगे कन्धों पे किस किया फिर मैंने सोचा की प्रीति की ब्रा को ऊपर किया जाए मैं अपना हाथ वापस नीचेप्रीति की ब्रा के इलास्टिक पे लाया और उसे ऊपर करने की कोशिश की लेकिन प्रीति की ब्रा का इलास्टिक बहुत टाइट था मैंने बहुत कोशिश की पर वो ऊपर ही नहीं हुआ अगर में ज्यादा जोर लगता तो प्रीति को पता चल जाता इसलिए मैंने ब्रा ऊपर न करने की सोचा और प्रीति के टॉप में से हाथ वापस बाहर निकाल लिया और प्रीति की जांघ पे अपना हाथ फेरने लगा प्रीति की पटियाला सलवार का कपडा बहुत पतला था इसलिए मुझे उनकी झांगें आराम से फील हो रही थी मैंने धीरे 2 अपना हाथ उनकी अंदरूनी जांघ पे डाला और वहां हाथ फेरने लगा मेरा लंड टाइट खड़ा था फिर मैंने अपना हाथप्रीति की दोनों जाघों के बीच डाल दिया वहां का हिस्सा थोडा गरम था और थोडा नम भी था मैं प्रीति की दोनों जाघों के बीच अपना हाथ फेरने लगा प्रीति की चिकनी जांघों को सहलाने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर लेके जाने लगा और फिर मेरे हाथ ने प्रीति की पेंटी को टच किया अब मैं खुद पे से कण्ट्रोल खोता जा रहा था।
प्रीति मेरे पास मुझे हग करके सो रही थी और मैं उनकी दोनों जांघों के बीच अपना हाथ फेर रहा था और फिर मेरा हाथ प्रीति की चूत पे टच हुआ मैं बहुत तेज तेज सांसें ले रहा था मैंने प्रीति की पेंटी पे से उनकी चूत पे अपना हाथ फेरा और मै अपने दुसरे हाथ से प्रीति की सलवार पे से उनकी गांड पे हाथ फेर रहा था आज तो मेरे दोनों हाथों में जन्नत थी १ हाथ में प्रीति की गांड दुसरे हाथ में प्रीति की चूत मैंने अपनी हथेली को सीधा किया और पूरी हथेली को प्रीति की चूत पे ऊपर नीचे फेरने लगा अब मैं धीरे २ प्रीति की चूत पे अपना हाथ ऊपर नीचे फेरते हुए उनके होठों के पास जाने लगा मैं उनके होठो पर किस करना चाहता था उनकी चूत पे हाथ फेरते हुए लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया और प्रीति की चूत पे ध्यान से और धीरे धीरे हाथ फेरने लगा फिर मैंने अपनी १ ऊँगली प्रीति की चूत की लाइन के बीच डाली लेकिन वो पूरी तरह गयी नहीं उनकी पेंटी के कारन आज मैं वो सब कर रहा था जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा थाप्रीति की चूत सहलाते सहलाते अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था मैंने सोचा की 1 बार प्रीति का हाथ अपने लंड पे टच करवाऊं मैंने प्रीति के हाथ को उठाया और धीरे धीरे अपने लंड के पास लेके आने लगा और तभीप्रीति ने करवट बदल अब मैं समझ गया की ये खतरे का संकेत है ज्यादा लालच मत कर नहीं तो जूते पड़ जायेंगे।
मैंने प्रीति का हाथ छोड़ा और उनकी पीठ पे से उनके टॉप को ऊपर करने लगा और उनकी पीठ पर धीरे से किस करने लगा फिर मैंने पीछे से प्रीति के दोनों हाथों के नीचे से अपने हाथ डाले और पीछे से ही उनके टॉप पे से धीरे २ उनके बोबे दबाने लगा अब मेरा लंड कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था मैं उठा और प्रीति के बाथरूम में गया और वहां पर मुझे प्रीति की उतरी हुई ब्रा और उतरी हुई वो पेंटी मिली जो उन्होंने पेहेन रखी थी मैंने प्रीति की पेंटी को सूंघा उसमे से बड़ी ही सेक्सी खुशबु आ रही थी मैंने प्रीति की पेंटी के अंदर देखा तो उसमे बहुत सार डिस्चार्ज लगा हुआ था उस समय मैंने प्रीति की चड्डी में लगा सारा डिस्चार्ज चाट 2 के साफ़ कर दिया और पागलो की तरह उनकी पेंटी को कभी सूंघता कभी अपने मुह पे रखता और अपना लंड हिलाता तभी मुझे 1 आईडिया आया।
मैंने प्रीति की ब्रा और पेंटी ली और प्रीति के पास जाके लेट गया प्रीति की पीठ मेरी तरफ थी तो मैं प्रीति की गांड के पास जाके लेट गया और उनकी गांड को धीरे धीरे किस करते हुए प्रीति की पेंटी अपने लंड पे लपेटी और मूट मारने लगा वो एहसास भी क्या एहसास था।
पास में प्रीति लेटी हुई थी और मैं उनके पास लेटे हुए अपना लंड बिस्तर पे निकाल के उसपे प्रीति की पेंटी लपेट के कभी उनकी गांड को किस कर रहा था कभी उनकी ब्रा को किस कर रहा था और मुट मार रहा था बिना किसी डर के मैं पागलो की तरह अपने लंड को हिलाने और थोड़ी ही देर मैं मैं झर गया मेरा इतना सार मुट निकला और मुझे इतना मजा आया की उस मजे के कारन मेरी आँखें ही बंद हो गयी और मैंने अपना सार मूट अपनी प्रीति की पेंटी पे निकाल दिया
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