RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
अब राज की ज़ुबानी…
मेरे मंन में अफ़सोस इसी बात का था की में चाह कर भी मम्मी की चूत नही देख पाया था। मेरे मन में अभी भी यही प्रश्न चल रहा था की आखिर ये चूत केसी होती हे, केसी दिखती होती होगी, कैसे उसमे लंड घुसता होगा, कैसे धक्के लगाये जाते होंगे।
सुबह हुई तो में रात के खयालो से बाहर आया।में रूम से बाहर आया तो मॉम नाश्ता लगा रही थी, पापा नाश्ता कर जा चुके थे और प्रीति नाश्ता कर रही थी।
अब मेरे दिमाग में तो एक ही बात चल रही थी की किसी तरह किसी की भी चूत देखनी हे।
हमारे फ्लैट में ३ बैडरूम के आलावा उनसे जुड़ा हुआ एक खुला एरिया था जन्हा कपडे धोये जा सकते थे और सुखाये भी जा सकते थे, ये एरिया उप्पर से बिलकुल ओपन था, इस एरिया के बहार एक दरवाजा भी लगा हुआ था, वैसे तो फ्लैट के सभी रूम में अटैच्ड लेट बाथ थे लेकिन मॉम और प्रीति को कभी जल्दी टॉयलेट जाना हो तो वो इस छेत्र का उपयोग कर लिया करती थी।
मेरे दिमाग में यही आया की यही से अपनी मॉम और बहन की चूत देखी जा सकती हे, लेकिन दूसरे पल ही मुझे आत्मग्लानि होती की में अपनी मॉम और बहन के बारे में ऎसे कैसे सोच सकता हु।
लेकिन हवस ने रिश्तो पर विजय पायी और में इसी तक में रहने लगा की किसी भी तरह भी चूत दर्शन हो जाये।
लेकिन ये काम इतना आसान नही था जैसे मेने समझा था, क्यू की हमेशा इस बात का इंतजार करना की वो कब टॉयलेट जाये, और टॉयलेट जाये तो वो उस समय अकेली ही हो कोई आस पास नही हो ये होना भी असंभव होना सा ही था।
लेकिन एक दिन मुझे थोड़ी सफलता मिली, माँ जैसे ही से उस एरिया में गयी तो उन्होंने जल्दबाजी में दरवाजा बंद नही किया और दरवाजा थोड़ा खुला रह गया, क्यू की मोम का मुँह सामने दिवार की और था तो मुझे केवल उनका पीछे का हिस्सा दिखाई दे रहा था।
मेने नजरे गड़ाई तब तक मॉम पेशाब करने बैठ चुकी थी, मुझे केवल गोरे गोरे उनके चूतड़ दिख रहे थे, चूतडो के बीच गुलाबी दरार गज़ब ढा रही थी, उन्होंने दोनों हाथो से अपनी साड़ी उप्पर कर राखी थी लेकिन उनकी ब्लैक पेंटी जांघो में फांसी हुई थी, उनकी मूत्र धरा की सीटी मारती आवाज एक अलग सा नशा पैदा कर रही थी, २-३ मिनट के बाद ही मॉम पेशाब कर के उठ गयी उन्होंने जल्दी से अपनी पेंटी उप्पर चढ़ा ली, और में जल्दी से वंहा से खिसक लिया।
अब तो में और पागल हो गया, मॉम के चूतडो ने तो मुझे दीवाना कर दिया, अब तो में जैसे ही मॉम को देखता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता, में अब मॉम के साथ रिश्तो की सारी मर्यादाये भूल चूका था और रोजाना ४-५ बार उनकी गांड और चूत की कल्पना कर में खूब हस्त मैथुन करता।
लेकिन एक दिन मुझे सफलता मिल ही गयी, उस दिन में मॉम को देखता हुआ उनके रूम में गया तो वो मुझे कंही नही दिखाई दी, मेने उनको आवाज भी लगायी लेकिन कोई जवाब नही मिला। अचानक मुझे बाथरूम से उनके गुनगुनाने की आवाज आई, में समझ गया की वो बाथरूम में हे। बस फिर क्या था मेरे मन का चोर सक्रिय हो गया और मेने बाथरूम के दरवाजे पर ऐसी जगह तलाशना शुरू कर दिया जन्हा से में अंदर का नजारा देख सकु, और मुझे दरवाजे में एक झिर्री मिल ही गयी जहा से अंदर का नजारा देखा जा सकता था।
,मुझे बाथरूम का पूरा नजारा दिखने लगा मॉम शोवेर के निचे नहा रही थी में उन्हें देखता ही रह गया उफ्फ..।क्या मस्त हिरनी जैसी गोरी-चिट्टी नाज़ुक कमसिन कली की तरह, जैसे कोई सपना ही मेरी आँखों के सामने खड़ा हो। सुराहीदार गर्दन, पतली सी कमर मानों लिम्का की बोतलको एक जोड़ा हाथ और पैर लगा दिए हों। संगमरमर सा तराशा हुआ सफाक़ बदन किसी फरिश्तेका भी ईमान डोल जाए।
फिर मेरा ध्यान उनकी कमर पर गया जो२८ इंच से ज्यादा तो हरगिज़ नहीं हो सकती। पतली-पतली गोरी गुलाबी जाँघें। उनके बाहर झाँटों के छोटे-छोटे । हे भगवान, मैं तो जैसे पागल ही हो जाउँगा। मुझे तो लगने लगा कि मैं अभी बाथरूम का दरवाजा तोड़कर अन्दर घुस जाऊँगा और..।और...।।
मॉम ने बड़े नाज़-ओ-अन्दाज़ से अपनी ब्रा के हुक़ खोले और दोनों क़बूतर जैसेआज़ाद हो गए। जैसे गुलाबीरंग के दो सिन्दूरी आम रस से भरे हुए हों। चूचियों का गहरा घेरा कैरम की गोटी जितना बड़ा, बिल्कुल चुर्टलाल। घुण्डियाँ तो बस चने के दानेजितनी। सुर्ख रतनार अनार के दाने जैसे, पेन्सिल की नोक की तरह तीखे। । या अल्लाह..।मुझे लगा जैसे अब क़यामत ही आ जाएगी।उनके चूतड जैसे दो पूनम के चाँद किसी ने बाँध दिए हों। और उनके बीच की दरा रएक लम्बी खाई की तरह। पैन्टी उस दरार में घुसी हुई थी। उन्होंने अपनेचुत्डो पर एक हल्की सी चपत लगाई और फिर दोनों हाथों को कमर की ओर ले जाकर अपनी काली पैन्टी नीचे सरकानी शुरु कर दी।
मुझे लगा कि अगर मैंने अपनी निगाहें वहाँ से नहीं हटाईं तो आज ज़रूर मेरा हार्ट फेल हो जाएगा। जैसे ही पैन्टी नीचे सरकी हल्के-हल्के मक्के के भुट्टे के बालों जैसे रेशमी नरम छोटे-छोटे रोयें जैसे बाल नज़र आने लगे। उसके बाद दो भागों में बँटेमोटे-मोटे बाहरी होंठ, गुलाबी रंगत लिए हुए। चीरा तो मेरे अंदाजे के मुताबिक ३ इंचसे तो कतई ज़्यादा नहीं था। अन्दर के होंठ बादामी रंग के। अन्दर के होंठ बिल्कुल चिपके हुए-आलिंगनबद्ध। और किशमिश का दाना तो बस मोती की तरह चमक रहा था। गाँड का छेद तो नज़र आया पर मेरा अंदाजा है कि वोभी भूरे रंग का ही था और एक चवन्नी के सिक्के से अधिक बड़ा क्या होगा! दाईं जाँघपर एक छोटा सा तिल। उफ्फ..।क़यामत बरपाता हुआ। मेरा लंड तो ऐसे अकड़ गया जैसे किसी जनरल को देख सिपाही सावधान हो जाता है। मुझे तो डरलगने लगा कि कहीं ये बिना लड़े ही शहीद न हो जाए। मैंने प्यार से उसे सहलाया पर वह मेरा कहा क्यों मानने लगा।
मम्मी नज़ाक़त से वो हल्के-हल्के पाँव बढ़ाते हुए शावर की ओर बढ़ गई। पानी की फुहार उनके गोरे बदन पर पेट से होती हुई उसकी बुर के छोटे-छोटे बालों से होती हुईनीचे गिर रही थी, जैसे वो पेशाब कर रही हो। मैं तो मुँह बाए देखता ही रह गया। कोई १० मिनट तक वो फव्वारे के नीचे खड़ी रही, फिर उन्होंने अपनी चूत को पानी से धोया। उन्होंने अपनी उँगलियों से अपनी फाँकें धीरे से चौड़ी कीं जैसे किसी तितली ने अपने पंख उठाए हों।
गुलाबी रंग की नाज़ुक सी पंखुड़ियाँ। किशमिश के दाने जितनी मदन-मणि (टींट), माचिस की तीली जितना मुत्र-छेद और उसके एक इंच नीचे स्वर्ग का द्वार, छोटा सा लाल रतनार। मुझे लगा कि मैं तो गश खाकर गिर हीपड़ूँगा।
मेरा लंड अब मेरे काबू में नही रहा था, अपनी मॉम की चूत देख कर मेरा लंड अब दर्द करने लगा था, में धीरे धीरे उसे हिलाने लगा, चूत दर्शन ने मेरे दिल ही नही पुरे शरीर में एक आग लगा दी थी। क्या चूत थी मेरी मॉम की। अब तो मेरे मन में शैतान जनम ले चूका था और मेरे मन में ये ही ख्याल आ रहा था की मॉम की चूत का कैसे रसस्वादन किया जाये।
थोड़ी देर में मेरे लंड ने वीर्य को बाहर निकल फेंका और में अपने रूम में वापस आ गया।
अब तो मेरा पूरा फोकस इसी बात को लेकर रहता था की मॉम या प्रीति को टॉयलेट जाते समय पेशाब करते देखा जाये या वो जब बाथरूम में हो तब उनके नंगे बदन का मजा लिया जाये।
एक दिन की बात हे जब में और प्रीति दोनों बाजार से आ रहे थे की एकदम बारिश आ गयी और हम दोनों भीग गए, घर पहुंच कर मुझे पता था की प्रीति बाथरूम मैं जाएंगी कपडे चेंज करने और ये मेरे लिए अच्छा मौका था उसे पूरी नंगी देखने का।
प्रीति अपने गीले कपड़ो को चेंज करने के लिए बाथरूम मे गई ये मेरे लिए अच्छा मौका था प्रीति को कपडे चेंज करते हुए पूरी नंगी देखने काप्रीति के बाथरूम का दरवाजा बंद करने के थोड़ी देर बाद मै बाथरूम के बाहर आकर खड़ा हुआ और बाथरूम के अंदर देखने की कोशिश करने लगा मेरे दिमाग मे ये चल रहा था कीप्रीति अब अपना टॉप उतार रही होंगी अब प्रीति केवल ब्रा मे होंगी मेरा लंड पूरा खड़ा था और मै बाथरूम के दरवाजे मे कोई छोटा सा छेद या दरार ढूँढ रहा था जहा से मुझे बाथरूम के अंदर का बेहतरीन नजारा सामने आ जाए लेकिन मेरे फूटी किस्मत साला दरवाजे मे कोई दरार या छेद ही नहीं था तो मैंने नीचे झुक के दरवाजे और ज़मीन के बीच के गैप मे से अंदर देखने के कोशिश की मुझे नीचे बाथरूम की टाइल्स के अंदर से कुछ धुन्दला सा नजर आया लेकिन कुछ दिखा नहीं बस प्रीति की टांगें दिखी फिर प्रीति का टॉप नीचे गिरा फिर कैपरी फिर प्रीति की काली ब्रा नीचे गिरी फिर पेंटी नीचे गिर मै झुके हुए ही अपने लंड को सहलाने लगा की अब प्रीति बाथरूम मे पूरी नंगी होगी मै अपना लंड हाथ मे लेके इधर उधर घूम रहा था की कही से तो बाथरूम के अंदर देखने की जगह मिल जाए लेकिन कही कुछ जगह नहीं मिली मै वापस नीचे के गैप मे से देखने लगा ।
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