RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
इधर मम्मी का पापा के लंड के उपर उसका थिरकना बंद नही हुआ....अभी भी वो उसके लंड को अंदर लेकर धीरे-2 आगे-पीछे हो रही थी, .और उन दोनो के बीच जो चल रहा था उसे सुनकर और महसूस करके मेरा क्या हाल हो रहा था उसकी तो कल्पना भी नही कर सकते थे वो दोनो...मेरी चूत से गाड़े रस की धार लगातार बहकर बाहर निकल रही थी...और बिस्तर को तर कर रही थी..
पापा ने हाथ उपर करके मम्मी के मुम्मे ज़ोर से दबा दिए...मम्मी अपना सिर उपर करके चीख पड़ी : "आआआआआहह ...।धीरे दबाओ बाबा ...........।ये तुम्हारे लिए ही है.....''
मम्मी ने पापा के हाथ को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ कर लिया और उनकी लंबी-2 उंगलियाँ चूसने लगी..
''ओह ....।कितना लंबा लंड है तुम्हारा.....।उम्म्म्ममममम ....।अंदर तक महसूस हो रहा है मुझे....।ऐसा लग रहा है की मेरी नाभि तक घुसा है ये.....''
अपनी नाभि वाले हिस्से पर उन्होंने पापा के दूसरे हाथ को रख दिया और ज़ोर से दबा दिया....और एक पल के लिए तो पापा को भी यही लगा की उसके लंड की हलचल उसने महसूस की नाभि वाली जगह के आस पास...
और फिर उसी हाथ को थोड़ा और नीचे करके उन्होंने अपने अंगूठे से मम्मी की चूत के होंठ फेलाए और उसे अंदर घुसा कर वहाँ मसाज करने लगे .''उम्म्म्ममममममममम ....।क्यो तडपा रहे हो मुझे ......।हम्म्म्म्म्म ......''
मम्मी की हालत देखने वाली थी इस वक़्त....और वो बुरी तरह से अपनी चुदाई में डूब चुकी थी...ये भी नही देखा उन्होंने की उनकी बेटी कनखियो से,अपनी अधखुली आँखो से उसके चेहरे के हर इंप्रेशन देख रही है..मेने देखा की मम्मी अपना मुँह उपर करे हुए पापा द्वारा मिल रही चूत मसाज का मज़ा ले रही है...उसकी आँखे बुरी तरह से बंद थी...एक तो उसके लंबे लंड को अंदर लेकर और उपर से उसके अंगूठे से अपनी चूत के दरवाजे की रगड़ाई करवाकर..।
में तो तड़प कर रह गयी...इतनी देर से अपनी मम्मी को ऐसे मज़े लेते देखकर मेरा भी मन कर रहा था की पापा उसके शरीर को भी ऐसे ही तोड़ मरोड़ डाले..मसल डाले उसे..।
तब ही पापा ने एक पलटी मारकर मम्मी को नीचे गिरा दिया, और खुद उपर की तरफ आ गए .।उन्होंने अपना वो हाथ जिसपर चूत का रस लगा हुआ था, सीधा लेजाकर मम्मी की चूत के उपर लगाया और ज़ोर से मसल दिया...और ऐसा करते हुए वो सारा शहद जो उन्होंने मम्मी की चूत के छत्ते से इकट्ठा किया था, उसे मम्मी की चूत से निकल रहे रस के साथ मिला दिया...और फिर उस रसीली हथेली को चाट लिया...
''उम्म्म्ममममममममम ........कितना मीठा है ये....''
मम्मी ने अपनी चूत के रस की तारीफ सुनी और पापा के सिर को पकड़ कर अपनी टाँगो के बीच खींच लिया...और चिल्लाई : "उम्म्म्मम.....।तो और चाटो इसको....और पूरे मज़े लो....''
पापा को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...उन्होंने अपना मुँह खोला और मम्मी की चूत के उपर अपने होंठ लगाकर जोरों से सकक्क करने लगा...सपड़ -2 की आवाज़ सुनकर मेरी चूत में भी चींटियाँ रेंगने लगी....और पायजामे के उपर से ही मेने उसे मसलना शुरू कर दिया...मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था कुछ देर की चुसाई के बाद पापा उपर उठे और अपने लंड को लेकर थोड़ा आगे खिसक आये ...और फिर मम्मी की आँखो मे देखते हुए उसने अपना लंड एक बार फिर से उसकी गहरी और गर्म चूत में पेल दिया..
''आआआआआआआआअहह ईईर्.....।हर बार ऐसा लगता है की पहली बार जा रहा है...।कितना मोटा है तुम्हारा.....।उम्म्म्मममममम....''
पापा भी मुस्कुरा दिए, अपने पार्ट्नर से ऐसी कॉमेंट्स सुनकर मर्द का सीना और चोडा जो हो जाता है.।और धीरे-2 पापा ने अपने धक्कों की स्पीड बड़ा दी...
कुछ ही देर मे उनकी रेलगाड़ी ने स्पीड पकड़ ली और वो पूरी रफ़्तार से मम्मी की चुदाई करने लगे ...हर झटके से मम्मी के मुम्मे उपर तक उछलते और उनकी ठोडी से टकराते...और साथ ही पूरा पलंग भी ऐसे झटकों से हिल रहा था.।और इन सबसे बेख़बर मम्मी एक बार फिर से झड़ने के करीब पहुँच गयी.।और वो चिल्लाने लगी
''अहह ....उफफफफ्फ़..उम्म्म्म अहह अहह ऊगगगगगगग और ज़ोर से ....और तेज ..।और अंदर ....ह उम्म्म्मम ....''
पापा समझ गए को वो अब किसी भी वक़्त झड़ सकती है...इसलिए उन्होंने अपना लंड एक बार फिर से बाहर खींच लिया.।मम्मी ने चोंक कर अपनी आँखे खोल ली और चिल्लाई : "अभी क्यो निकाल लिया......मेरा बस होने ही वाला थापर शायद पापा के दिमाग़ मे एक और शरारत जन्म ले चुकी थी...उन्होंने मम्मी की कमर पकड़ कर उसे घुमा दिया...मम्मी भी समझ गयी की पापा उसकी डोगी स्टाइल में मारना चाहते है...वैसे तो ये पोज़ उसका भी शायद फेवरेट था, इसलिए वो भी बिना आना कानी के पलटी और अपनी गांड उपर की तरफ उभार कर लेट गयी...और बोली : "जल्दी डालो ना....अब सहन नही होता मुझसे......''
पापा ने अपना लंड ठीक निशाने पर लगाया और उनकी चौड़ी गांड के स्टेयरिंग को पकड़ कर अपना ट्रक उसके फिसलन भरे हाइवे में पहुँचा दि और फिर एक्सीलेटर देकर अपनी स्पीड एक बार फिर से बड़ा दी..। एक बार फिर से झटकों से पलंग और उन दोनो के शरीर हिचकोले खाने लगे..
अपनी चूत के अंदर से मिल रही तरंगो से मम्मी को ये एहसास हो चुका था उसे,वो अब 1-2 मिनट में ही झड़ने वाली थी ..और पापा की स्पीड भी बता रही थी की वो भी अब कभी भी झड़ सकते है।और पापा लंड का पारा उपर तक चढ़ गया और आख़िरी के 2-4 झटके ज़ोर से लगाता हुवे वो चिल्ला-चिल्लाकर झड़ने लगा..
''अहह .....।ओह ..........।ओह .....।मज़ा आ गया...........।आआआआहह .और अपनी चूत की सुरंग में गर्म पानी का बहाव महसूस करते हुए और मम्मी भी भरभराकर झड़ने लगी...पर एक करिश्मा हुआ मेरे साथ भी...आज पहली बार वो भी बिना अपनी चूत पर हाथ लगे बिना झड़ चुकी थी...जिस वक़्त पापा चीख रहे रहे थे और अपना माल मम्मी की चूत में उडेल रहे था उसी वक़्त उसे ये एहसास हुआ की जैसे वो मम्मी की चूत में नही बल्कि मेरी चूत में झड़ रहे है...
यही एहसास बहुत था मेरे रुके हुए बाँध को निकालने के लिए...ऐसा आज से पहले कभी नही हुआ था, मैं हमेशा खुद हस्तमैथुन करके झड़ी थी...आज तो बिना हाथ लगाए ही वो झड़ गयी थी..।शायद जो एरॉटिक सीन इतनी देर से उसकी बंद आँखो के सामने चल रहा था उसका ही असर था ये..
कुछ ही देर में मेरे को वहीं सोता छोड़कर मम्मी और पापा एक साथ बाथरूम में चले गये..एक बार और चुदाई की हिम्मत तो अब उन दोनो में ही नही थी..
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