RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
मेरी समझ नही आ रहा की सर ने मुझे क्यू बुलाया हे, मेहबूब सर कुर्सी पर बैठ गए और उन्होंने मुझे अपने पास खड़ा कर लिया, वो मुझसे कहने लगे राज मेने स्कूल टेस्ट की तुम्हारी कॉपी चेक की हे तुम्हारी हिस्ट्री बहुत कमजोर हे और तुम्हारे काफी काम नंबर आये हे।
में रुआंसा सा हो गया, वो कहने लगे कोई बात नही में देख लूंगा, और ये कहते कहते उन्होंने अपना एक हाथ मेरे निकर के पीछे डाल दिया और वो मेरे चूतडो को सहलाने लगे, बीच बीच में वो मुझसे कहत रहे थे ये बात तुम किसी को मत बताना, में सब तुम्हारे भले के लिए कर रहा हु।
मेहबूब सर का हाथ अब तेजी से मेरे चूतडो पर चलने लगा था, वो उन्हें मसल रहे थे और कभी कभी चूतडो की दरार में अपनी अंगुली भी कर रहे थे।
मुझको भी ये सब अच्छा लग रहा था, सर ने अब मेरी नूनी को भी पकड़ लिया और वो उसे भी हिलाने लगे, मसलने लगे।
अचानक मेहबूब सर ने मुझे खीच कर अपनी गोद में बैठा लिया और वो मेरे गालो को चूमने लगे, अचानक मुझे अपने चूतडो में कोई चीज चुभती सी नजर आई, मेने उनसे कहा सर कुछ चुभ रहा हे, उन्होंने अपने पेंट की ज़िप खोली और अपना लंड बहार निकल लिया। बाप रे बाप उनका लंड तो मेरी नूनी से बहुत बड़ा था और उसके चारो और बाल ही बाल थे।
सर ने मुझसे कहा की में उनके इस खिलोने को पकङु और हिलाउ, में ये करने लगा, सर मेरे चूतडो को वैसे ही दबाते रहे और दरार में अंगुली करते रहे, धीरे धीरे सर का चेहरा लाल होने लगा वो मुझसे कहने लगे की तुम्हारे घर में कौन कौन हे मेने उन्हें बताया की पापा मॉम और मेरी बड़ी बहन हे।
सर अब कुछ बड़बड़ाने लगे थे राज तू बहुत अच्छा हे रे। तेरी मॉम खोलना मेरे पास में उनकी गांड भी ऎसे ही सहलाऊँगा तेरी बहन को लाना उसकी भी में गांड मारूंगा।
मेरी समझ नही आ रहा था सर मेरी मॉम और सिस के लिए ऐसा क्यू कह रहे हे। अचानक सर के लंड से सफ़ेद सफ़ेद एक पिचकारी से जैसे रंग निकलत हे वैसे कुछ निकला और वो सामने की और जा गिरा। मेहबूब सर अभी शांत हो गए थे, उन्होंने मेरा निकर वापस मुझे पहनाया और ये कह कर जाने दिया की ये बात में किसी को नही कहु। में घर आ गया।
असल में ये मेरे बचपन की वो बाते हे जिनसे आप मेरी मनोस्थिति को समझ पाएंगे की कहानी के आगे जो घटनाये घटित होंगी उनका इनसे कितना बड़ा ताल्लुक हे।
बात जबकि हे तब में १० वि क्लास में आ गया था और मेरे शरीर में परिवर्तन आने लगे थे, में जब भी कोई मूवी देखता और उसमे कोई सेक्सी सीन आता या किसी फीमेल को देखता तो मेरे शरीर में उत्तेजना होने लगती। मुझे ऐसा लगता की कोई मेरे लंड को पकड़ कर मसल दे और एक दिन वो हुआ जिसकी वजह से मेरी लाइफ ही बदल गयी।
में, मेरी सीस, मेरे पापा मम्मी एक पार्टी में गए थे और वहा से देर रात तक लोटे। में और प्रीति अपने अपने बैडरूम में सोने चले गए और मम्मी पापा अपने बैडरूम में।
रात को थोड़ी देर बाद मुझे प्यास सी लगी तो मेने देखा की मेरी बॉटल में पानी नही हे, में उठ कर किचन की गया। किचन से जब में पानी भरकर लोट रहा था तो मुझे मॉम डैड के रूम से कुछ सिस्कारियों की सी आवाज आई। मेरे कदम ठिठक गए और में अपने पेरेंट्स के बैडरूम के सामने रुक गया।
में थोड़ी देर तक वहां रुका रहा फिर धीरे धीरे उनके बैडरूम की और बड़ चला।
मेरा ये मानना हे हमारे रूम के जो खिड़की दरवाजे होते हे उनमे कोई ना कोई ऐसी मिस्टेक होती हे की आपको अंदर ताकझाँकि का पूरा मौका मिलता हे।
मेने भी पेरेंट्स के बैडरूम के दरवाजे में चारो और निगाहे घुमाई तो मुझे दरवाजे के उप्पर की और एक छोटा सा छेद दिखाई दिया, मेने डरते कांपते हुए छेद पर निगाहे लगायी तो मेने देखा मॉम आईने के सामने खड़ी हुई हे, और वो अपनी साडी उतार रही हे, ब्लाउस में फंसे हुए उनके मोटे बूब्स बाहर निकलने कि कोशिश कर रहें थे, उन्होंने अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका,
उन्होंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया,मेरी टाँगे जोर से काँप रही थी ये पहला मौका था जब में किसी औरत को केवल पेंटी में देख रहा था और वो भी अपनी मॉम को। उफ़ क्या शरीर था मेरी मॉम का बिलकुल तराशा हुआ, उनकी चिकनी पीठ उनके बालो से ढंकी हुई थी और उनकी ब्लैक पेंटी उनके चूतडो को समेटने की कोशिश कर रही थी। मेरा हलक सूख रहा था और मेरी समझ नही आ रहा था की ये सब देख कर में सही कर रहा हु या गलत।
अचानक मेने देखा की पापा ने मॉम को बेड पर खिंच लिया और उनके एक बूब्स को चूसने लगे, उनके हाथ मॉम के कूल्हों को मसल रहे थे।
एकाएक उन्होने एक ही झटके से उन्होंने मॉम कि पेंटी को दोनों तरफ से खींच कर उसकी चूत और गांड के बीच ऐसे फंसा दिया जैसे कोई पतली सी रस्सी, अपनी दरारों पर पेंटी का दबाव पड़ते ही मॉम तड़प उठी और अपने पंजों पर खड़ी होकर सीत्कार उठी ..''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म ''
मेरी सांसे और तेज चलने लगी, में जिन मॉम को उजालो में पूर्ण वस्त्रो में देखता था उनको इस हॉल में देख मेरा बुरा हाल हो रहा था, अब तो बस मेरी तमन्ना थी की में मॉम को पूरा नंगा देखू लेकिन अभी तक में उनके बूब्स और चूतड़ ही देख पा रहा था वो भी बिना चूतडो की दरार के।
पापा मॉम के दोनों बूब्स कोबारी बारी से चूस रहे थे, क्या शानदार बूब्स थे मेरी मॉम के, जैसे २ बड़े सेब लगे हुए हो, बिलकुल गोल और निप्पल पापा बीच बीच में मसल रहे थे तो वो और भी सख्त और बड़े हुए जा रहे थे।
दरवाजे का वो छेद इतना छोटा था की ना तो मॉम और ना ही पापा मुझे पुरे नंगे नजर आ रहे थे, वो जब अल्टा पलटी करते थे तो कभी मॉम बूब्स दिख जाते थे तो कभी चूतड़। अचानक पापा ने मॉम के पेंटी को पकड़ा और उसे खीचते हुए बोले, " चल नंगी हो भेन की लौड़ी ...!"
कुछ देर होंट चुसे, गाल चूमे फिर दोनों को कच कचा कर काट खाए !
" बोल रंडी ..तू मेरी रखेल हे ..." "चोद - चोद के तुझे हिरोइन से छिनाल रांड बना दूंगा ...चल भेन की लौड़ी मुह खोल ...!" अपना लोडा उनके खुले मुह में आधा ठूंस दिया !
" बहुत दिनों से इसमें से पेशाब की बदबू आ रही हे ...चाट कर साफ़ कर साली रांड ......
क्यू की पापा की पीठ मेरी और थी इसलिए में उनका लंड तो नही देख पा रहा था केवल उनकी आवाज सुन पा रहा था। पापा के मुह से ऐसी गन्दी भाषा सुनकर में भौचक्का सा रह गया था में सोच रहा था मॉम पापा को डाटेंगी।
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