Nangi Sex Kahani एक अनोखा बंधन
02-20-2019, 05:42 PM,
#22
RE: Nangi Sex Kahani एक अनोखा बंधन
17

अब आगे....

मुझे सच में नहीं पता था की भाभी के अंदर मेरे प्रति इतनी वासना भरी है!!! अब जब मैं उनके दायें स्तन को निचोड़ने में लगा था भाभी ने अचानक ही अपनी कमर से मेरे लंड पे झटके मारना शुरू कर दिया| मज़ा तो बहुत आ रहा था पर मेरे अंदर का सैलाब फिर से उफान पे था... और छलकने के लिए तैयार था!!! छलकने का मतलब था भाभी का गर्भवती होना!!! ये सोचके मैं अपने आपको रोकना चाहता था परन्तु भाभी के तीव्र आक्रमण ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया| मैंने उन्हें रोकने में असमर्थ था परन्तु मैं ये गलती नहीं करना चाहता था, पिछली बार तो मैं बच गया था क्योंकि हमने सम्भोग खड़े-खड़े ही किया था जिसके कारन मेरी खुशकिस्मती से मेरा वीर्य भाभी की योनि से सीधा बहार आ गया और गर्भाशय तक नहीं पहुँचा| परन्तु इस स्थिति में वीर्य सीधा गर्भाशय तक जाता और परिणाम स्वरुप भाभी गर्भवती अवश्य होती| "भौजी.... प्लीज रुक जाओ!!! मैं झड़ने वाला हूँ!!!"

भाभी अभी भी नहीं रुकीं क्योंकि वो चरम पर लग-भग पहुँच ही गईं थी... इस कारन उनकी योनि मेरे लंड को निचोड़ ने में लगी थी| आइए लग रहा था की कोई दानव भाभी की योनि के भीतर मेरे लंड को चूस रहा हो!!!

"मानु.... प्लीज मत रोको खुद को !!! .... "

मैं: भाभी अगर मेरा आपके अंदर छूटा तो अब गर्भवती हो जाओगे|

भाभी: स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ..... अह्ह्हह्ह्ह्ह .... मैं यही चाहती हूँ की मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनू!!!

भाभी की बात सुनते ही मेरे होश उड़ गए .... इससे पहले की मैं झड़ता भाभी की योनि ने ढेर सारा रस छोड़ दिया जिसने मेरे लंड को पूरी तरह गर्म-गर्म लावे में नहला दिया ... इसके बाद भी उनकी योनि ने मेरे लंड की इर्द-गिर्द अपनी पकड़ और कस ली थी| अब मेरा किसी भी समय छूटने वाला था ... मुझे अपने पूरे शरीर की शक्ति लगानी पड़ी .... अपने लंड को उनकी योनि से बहार निकलने में!!! जैसे ही मैंने अपना लंड बहार खींचा वो एक झटके से बहार आया और मैंने भाभी की योनि पे एक जोर दार धार के साथ अपना सारा वीर्य उनकी योनि के ऊपर गिरा दिया| उनकी पूरी योनि मेरे गाढ़े वीर्य में सन गई थी!!! वीर्य की धार बहती हुई भाभी की गांड तक जा रही थी.... भाभी निढाल हो चुकी थी और मैं भी पसीने से पस्त था और उनके बगल में गिर गया| सच में मैंने ऐसे सम्भोग की कभी भी कल्पना नहीं की थी| करीब पांच मिनट बाद भाभी के शरीर ने थोड़ी हरकत की वरना मैं तो डर ही गया था की उन्हें क्या हो गया| वो उठीं और नीचे पड़ी अपनी कच्छी से अपने ऊपर गिरे वीर्य को साफ़ किया और मेरी ओर मुख कर के लेट गईं|

भाभी:मानु... तुमने मेरी बात क्यों नहीं मानी?

मैं: भौजी... आपने ही कहा था की आपने कई सालों से भैया के साथ सम्भोग नहीं किया है.. ऐसे में अगर आप गर्भवती हो जाती तो क्या होता? भैया आपको पता नहीं कितने गंदे शब्दों से अपमानित करते ओर मैं ये सब बर्दाश्त नहीं कर सकता| यदि मैं कमाने लायक होता तो मैं आपको कल ही भगा के ले जाता और आपसे शादी कर लेता|

भाभी: और नेहा?

मैं: उसे भी आपके साथ ले जाता... वो आपके बिना कैसे रहती और भले ही वो भैया की बेटी है पर वो भी मुझे आपके जितना ही प्यारी है|

भाभी: सच मानु तुम इतना प्यार करते हो मुझसे? फिर तुम मुझे छोड़ के क्यों जा रहे हो?
(ये कहते हुए फिर से उनके आँखों में आंसूं छलक आये थे|)

मैं: भौजी काश मैं इस सब को बदल पाता.... पर .....
(एक पल के लिए तो लगा की मैं भाभी को सब बता दूँ ... पर जैसे-तैसे कर के खुद को रोक|)

मैं: आपके और मेरे पास याद करने के लिए बहुत से सखद पल हैं|

भाभी: तुम दुबारा कब आओगे?

मैं: अगले साल

भाभी: अगले साल? नहीं मानु... मैं तुम्हारे बिना इतने साल नहीं रह पाऊँगी| मैं मर जाऊंगी... वादा करो तुम जल्दी आओगे.... अगले महीने ही आओगे !!!

मैं: भाभी मैं अगले महीने कैसे आ सकता हूँ... तब तो मेरे स्कूल खुल जायेंगे|

भाभी: प्लीज मानु ...

इतना कहके भाभी सुबकने लगीं मुझसे उनका ये सुबकना नहीं देखा गया और मैंने उनके गले लगा लिया ... और उनकी नंगी पीठ को सहलाने लगा| जब मुझे लगा की भाभी थोड़ा शांत हो गईं तब मैंने उन्हें अपने से अलग किया और उठ के अपने कपडे पहनने चाहे|

भाभी: तुम जा रहे हो ....

मैं: हाँ भाभी रात बहुत हो चुकी है| मुझे वापस अपने बिस्तर पे जाना होगा नहीं तो अगर किसी ने मुझे बिस्तर पे नहीं देखा तो कहीं हंगामा खड़ा ना हो जाए|

भाभी: कल सुबह तो तुम चले ही जाओगे कम से कम कुछ समय मेरे पास भी तो बैठो...

मैं भाभी को मना नहीं कर सका और बिना कपडे पहने वापस भाभी के पास आके बैठ गया| मैं दिवार से सर लगा के बैठा था और भाभी मेरी कमर के पास सर कर के लेती हुई थीं... उन्होंने एक हाथ से मेरी कमर पे झप्पी डाल रखी थी| रात के करीब ढाई बज चुके थे... भाभी को नींद आने लगी थी ... और मैं उनके सर पे हाथ फेर रहा था| मुझे भी नींद का झौंका आने लगा था... जब मुझे लगा की भाभी गहरी नींद में हैं तब मैंने धीरे से उनका हाथ उठाया और चारपाई से उठ खड़ा हुआ| सब से पहले मैंने अपना कुरता पजामा पहना ... फिर भाभी की ओर देखा तो वो बिलकुल नग्न अवस्था में थी इसलिए मैंने पास ही पड़ी हुई चादर उठाई ओर उन्हें ओढ़ा दी| उनके माथे को चूमा और चुप चाप बहार चला आया| अपने बिस्तर में घुसते ही मुझे नींद आ गई .... जब होश आया तो सुबह के आठ बज रहे थे| मैं हड़बड़ा के उठा और बड़े घर की ओर भागा... देखा तो माँ ओर पिताजी दोनों तैयार हो चुके थे|

पिताजी: उठ गए लाड-साहब? थोड़ा और सो लो?

मैं: जी वो....

माँ: अब जल्दी कर थोड़ी देर में रिक्क्षे वाला आता ही होगा|

मैंने जल्दी-जल्दी ब्रश किया और नह धो के तैयार होगया.. मैं हैरान था की आखिर भाभी कहाँ है? अब तक तो वो मुझे मिलने आ जाती थीं? मैं सर में तेल लगाने का बहन करते हुए उनके कमरे की ओर चल दिया| वहां पहुँच के देखा की भाभी चारपाई पे मुँह लटकाये बैठी है...

मैं: भौजी? आप ऐसे मुँह लटकाये क्यों बैठे हो?

भाभी: तो क्या करूँ?

मैंने उनका हाथ पकड़ के उन्हें उठाया ... और उनका चेहरा ऊपर किया| मैं: आप मुझे रट हुए विदा करोगे?

भाभी टूट पड़ीं और मैंने उन्हें गले लगा लिया....

मैं: बस-बस भौजी... चुप हो जाओ| मैं.....

मैं कुछ कहना चाहता था परन्तु अपने आपको रोकते हुए अपने वाक्य को अधूरा छोड़ दिया|

भाभी: मानु आई लव यू !!!

मैं: आई लव यू टू भौजी!!! बस अब चुप हो जाओ ... आपको मेरी कसम!

ये सुनके भाभी ने रोना बंद किया ... मैंने उनके आँसू पोछे .... भाभी के चेहरे पे थोड़े आस्चर्य के भाव थे| मैं उनके इस आस्चर्य का कारन जानता था.. क्योंकि वो ये सोच रहीं थी की आखिर मेरे मुख पे उनसे अलग होने के भाव क्यों नहीं है? मैं इस समय उन्हें कोई सफाई नहीं दे सकता था... इसका केवल एक ही उत्तर था| मैंने उनके होंठों को चुम लिया| ये चुम्बन उतना गहरा नहीं था और ना ही इसमें जूनून था! मेरा उद्देश्य केवल और केवल भाभी को सांत्वना देने का था .... इस चुम्बन के पश्चात मैंने उनसे तेल की शीशी माँगी... भाभी अंदर से तेल की शीशी ले आईं:

भाभी: लाओ मैं लगा दूँ...

मैंने उनकी बात का कोई विरोध नहीं किया क्योंकि मैंने सोचा की चलो यार एक आखरी बार उनसे तेल लगवा ही लेता हूँ उनके दिल को भी तसल्ली होगी| मैं नीचे बैठ गया और भाभी चारपाई पर बैठ के मेरे सर पे तेल लगाने लगी|

मैं: भौजी.... एक वादा करो की आप मुझे याद करके कभी राओगे नहीं?

भाभी: तुम मुझसे मेरी जान माँग लो पर ऐसा नहीं हो सकता की मैं तुम्हें याद ना करूँ.. और याद करुँगी तो मैं अपने आपको रोने से नहीं रोक सकती|

मैं: प्लीज भौजी... ऐसे मत बोलो| आप खुद सोचो की अगर आप मेरी जगह होते तो आपको कितनी ठेस पहुँचती यूए जनके की मैं आपको याद करके रो रहा हूँ|

भाभी: मानु ... मैं वादा तो नहीं करती पर कोशिश अवश्य करुँगी|

मैं: ठीक है... अब मैं चलता हूँ जाने का समय हो रहा है|

इतना कह के मैं बड़े घर की ओर चल दिया.. अपने बाल बनाये और समान उठा के बहार रख दिया| तभी रिक्क्षे वाला भी आ गया... हमें विदा करने के लिए घर के सब लोग आ गए थे.... यहाँ तक की माधुरी भी आई थी परन्तु मैंने उसपे ज्यादा ध्यान नहीं दिया| नेहा ने मेरा हाथ पकड़ लिया था और वो बहुत उदास लग रही थी... मैंने उसके गालों को चूमा और विदाई ली| मैंने ध्यान दिया की भाभी ने अपने आपको किसी तरह से संभाला हुआ था.... यदि मैं उनकी जगह होता तो अब तक टूट चूका होता| सारे रास्ता मैं बस भाभी के बारे में सोचता रहा ... दिमाग में बस रात हुई घटना के सुखद सपने आ रहे थे| मैं ये सोच के रोमांच से भर उठा की जब भाभी को असल बात का पता चलेगा तो भाभी का क्या हाल होगा? खेर हमारी यात्रा का प्रोग्राम केवाल 2 दिन का था|

अब चलिए मैं अब उस राज पर से पर्दा उठाता हूँ.... मेरे और पिताजी के बीच में जो बात हुई थी उसे मैं आप सब के समक्ष पेश करता हूँ|

मैं: पिताजी मेरी आपसे एक दरख्वास्त है...

पिताजी: बोलो लाड-साहब!

मैं: पिताजी जब आपने और मैंने घूमने का प्रोग्राम बनाया था तब आपका कहना था की पहले हम यात्रा करेंगे और उसके बाद गाँवों जायेंगे| परन्तु मेरे जोर देने पे आपने प्रोग्राम बदल के पहले गाँव आने को रखा| ये मेरी सबसे बड़ी बेवकूफी थी!!! मैंने ये सोचा ही नहीं की बड़के दादा (बड़े चाचा) और बड़की अम्मा (बड़ी चाची) कभी ऐसी यात्रा पे नहीं गए और ना ही जा पाएंगे| अब अगर हमें ये मौका मिला है तो क्यों न हम उनके लिए कुछ नहीं तो कम से कम प्रसाद ही ला के दे सकते हैं| उनके लिए यही यात्रा होगी!!!

पिताजी: बात तो तुमने पते की कि है... चलो देर से ही सही तुम्हें अकल तो आई| मैं जा के सबको बता देते हूँ कि हम यात्रा करने के बाद सीधा गाँव आएंगे और कुछ दिन रूक कर ही दिल्ली वापस जायेंगे|

मैं: नहीं पिताजी ... आप किसी को ये बात मत बताना| ये बात सिर्फ आपके और मेरे बीच ही रहेगी|| मैं माँ को समझा दूँगा| जब हम अचानक लौट के आएंगे तो घर भर के सब लोग खुश हो जायेंगे|

पिताजी: अरे वाह!!! ठीक है मैं कल के लिए रिक्क्षे वाले को बोल आता हूँ|

इतना कह के पिता जी चले गए... मैं बस भाभी के मुख पे वो ख़ुशी देखने को बेकरार था जो उन्हें मुझे दुबारा देख के मिलती| यही कारन है कि मैंने ये बात उनसे छुपाय रखी|

तीसरे दिन हम वाराणसी से निकल चुके थे ..... कोई सवारी न मिलने के कारन पिताजी ने टेम्पो किया| दोपहर के एक बजे होंगे और हमारा टेम्पो गाँवों पहुँच गया| टेम्पो की आवाज से सभी परिवारवाले आकर्शित हो देखने आये की कौन आया है? जब टेम्पो के पीछे से पिताजी निकले तो सभी के चेहरे खिल गए| सभी ने ख़ुशी-ख़ुशी हमारा स्वागत किया... परन्तु मेर नज़रें भाभी को ढूंढ रहीं थी| मन व्याकुल हो रहा था... मैंने नेहा को इशारे से अपने पास बुलाया और उससे धीमी आवाज में पूछ्ने लगा:

मैं: नेहा... बेटा इधर आओ|

नेहा: जी चाचू...

मैं: बेटा आपकी मम्मी कहाँ हैं?

नेहा: मम्मी की तबियत ठीक नहीं है| उन्हें बुखार है.... उन्होंने दो दिन से कुछ खाया भी नहीं....

ये सुनते ही मेरे पाँव तले जमीन खिसक गई!!! मैं तुरंत भाभी के घर की और भागा... वहां पहुँच के देखा तो भाभी चारपाई पर सो रहीं थी| मैंने उनके पास पहुँचा और उनके माथे पे हाथ रखा, उनका माथा तप रहा था| मेरी घबराहट के मारे हालत ख़राब हो रही थी| मैंने भाभी को पुकारा:

"भौजी.... भौजी.... प्लीज आँखें खोलो?"

मेरी आवाज सुनते ही भाभी ने अपनी आँखें धीरे-धीरे खोलीं|

"मानु....तुम वापस आगये ??? मेरे लिए..."

मैं: भाभी ये अपना क्या हालत बना रखी है?

भाभी: कुछ नहीं... ये तो बस थोड़ा सा बुखार है.... और अब तुम आगये हो तो मैं ठीक हो जाऊंगी|

मैं: थोड़ा सा बुखार? आपने दो दिन से कुछ नहीं खाया ? सिर्फ मुझे याद कर-कर के आपने ये हाल बना लिया है| ये सब मेरी वजह से हो रहा है....

मेरी आँखों में आँसूं छलक आये थे ...

मैं: भौजी मैंने आपसे एक बात छुपाई थी... दरअसल उस दिन जब पिताजी ने यात्रा पे जाने की बात की थी तो मैंने पिताजी को गाँवों दुबारा आने को मना लिया था| मैं आपको सरप्राइज देना चाहता था ... पर मुझे नहीं पता था की मेरी गैरहाज़री में आप अपना ये हाल बना लगी|

भाभी का शरीर इतना कमजोर लग रहा था की उन्हें उठ के बैठने में भी बहुत ताकत लगनी पड़ रही थी| उन्होंने मुझे अपनी ओर बुलाया... ओर कस के गले लगा लिया| उनका शरीर की गर्माहट मुझे कपड़ों के ऊपर से महसूस हो रही थी और मैं मन ही मन अपने आप को कोस रहा था की मेरे पागलपन की सजा भाभी को मिली| अब मुझे सच में भाभी की चिंता होने लगी थी... मैं दो दिन के लिए क्या गया भाभी ने खाना-पीना छोड़ दिया अगर मैं साल भर के लिए गया होता तो भाभी का क्या हाल होता.....????

मैंने पलट के देखा तो नेहा गुम-सुम खड़ी हमें देख रही थी... मैंने उसे अपनी ओर बुलाया|

नेहा: चाचू...मम्मी को क्या हो गया है?

मैं: कुछ नहीं बेटा... अब मैं आ गया हूँ ना, आपकी मम्मी अब बिलकुल ठीक हो जाएँगी| आप मेरा एक काम करोगे?

नेहा: हाँ....

मैं: पहले आप अपनी मम्मी के लिए एक थाली में भोजन ले आओ मैं उन्हें अपने हाथ से खिलाऊँगा| फिर आप जा के दूकान से अपने लिए दस रुपये के चिप्स ले आना| 
Reply


Messages In This Thread
RE: Nangi Sex Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 02-20-2019, 05:42 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,464,519 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,306 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,217,264 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 920,587 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,632,217 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,063,561 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,921,539 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,959,995 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,994,154 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,401 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)