02-07-2019, 01:52 PM,
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RE: Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया
“हाँ भाभी, जब थोड़ी देर बाद नींद खुली तो मैंने अपनी टांग. हटाने की कोशिस की पर मैंने पाया कि उनका तो फिर पूरी तरह खड़ा और कड़ा है, और मैंने उन्हें फिर से बाहों में भर लिया। आधी नींद में ही वे कमर चलाने लगे और थोड़ी देर बाद मैं भी उनका साथ दे रही थी। मैंने उनका हाथ भी अपने मम्मों पर रख लिया और धीरे से किस कर लिया। इससे उनकी नींद खुल गयी और फिर तो… मुझे लिटाकर वह अच्छी तरह चालू हो गये।
बत्ती तो उन्होने बंद करने नहीं दी थी। अबकी दर्द मुझे पहले दोनों बार से कम हुआ और मजा भी खूब आ रहा था। मेरा तो कई बार हुआ पर वो बहुत देर बाद… आखिर वो झड़े… लेकिन अबके उनके झड़ते ही मैंने धीरे से उनके लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी जाँघो के बीच में दबा लिया। थोड़ी देर में वह फिर सो गये थे।
मैंने बाहर देखा तो सुबह हो रही थी। इसलिए मैंने फिर फ्रोक पहनी और किचन में आ गयी…”
“वाह, बन्नो, तुमने तो पहली ही बार में हैट्रिक कर ली । बट लेट मी टेल यू वन थिग, जैसे कान छेदते हैं ना, तो उसमें रिंग पहनना ज़रूरी होता है कि फिर से छेद बंद न हो जाये, उसी तरह से यही हालत चूत की है…” कहते हुए मैंने हाथ उसकी फ्रोक में डालकर उसकी अभी-अभी चुदी कमसिन चूत पकड़कर भींच दी - “इट ओन्ली मीन्स दैट मुझे तुम्हारे लिए कोई रेगुलर इंतज़ाम करना पड़ेगा, जिससे मेरी बन्नो की चूत अब रोज-रोज चारा खाये…”
“पर भाभी, संजय तो… आज रात में चला जायेगा…”
“आइ नो…” उसकी चूत में उंगली डालकर उसकी लेबिया फैलाते हुए मैंने चिढ़ाया- “चलो मेरे भैया न सही , मेरे सैयाँ ही सही , आज उन्हीं के साथ तुम्हारा…”
“पर भाभी, आपका उपवास हो जायेगा…” मेरी बात बीच में काटकर आँख. मटकाकर खिलखिलाती हुई वह बोली ।
एक रात में छोरी कितनी बदल गयी थी।
“कोई बात नहीं, ननद भाभी मिल बाँट कर खाएँगे …” मैं हँसकर बोली ।
चाय का पानी अब उबल रहा था। मैंने चाय उड़ेलकर दो ट्रे बनायीं। एक मैंने मीता को देते हुए कहा- “हे, जरा यह मेरे भाई को दे के आओ। रात भर में तुमने उसकी सारी मलाई निकाल ली , अब थोड़ा रीप्लेनिश भी करो।
और हाँ, बेड-टी देने के पहले उसके हथियार को गुड मॉर्निंग का एक गरम-गरम किस दे के उठाना…”
“हाँ… मैं कह दूँगी कि यह किस मेरी भाभी की ओर से है…” अपने जवान नितंबों को हिलाते हुए वह बोली और जाने लगी।
“अच्छा चारा खाकर चिड़िया बहुत बोलने लगी है, आज मैंने अपने सैयाँ से तुम्हारी ये कोरी -कोरी गान्ड न मरवायी तो कहना…”
“ठीक है भाभी, आपके भैया को देख लिया, अब आपके सैयाँ को भी देख लूंगी…” किसी खिलती छिनार जैसे अपने चूतड़ मटकाकर वह बोली और चली गयी।
मैं भी अपने पति के लिए बेड-टी लेकर ऊपर आयी। उन्हें जल्दी जाना था इसलिए वे तैयार हो रहे थे। जब वे बाहर आये तो आंगन में फिर सावन भादों की झड़ी लग गयी थी। उन्हें छेड़ती हुई मैं बोली –
“तेरी दो टकिया की नौकरी, मेरा लाखों का सावन जाये।
हाय हाय ये मजबूरी, ये मौसम और ये दूरी…”
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