RE: Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया
उधर चम्पा भाभी एक और सेक्सी कजरी गाने लगी।
बदरिया घिर आयी ननदी, अरे मोरे सैयाँ और देवर दोनों बड़े ही रसिया कैसे खेलूं कजरिया रे
देवर मोरा चोली खोले और सैयाँ साया उठाये,
देवर मोरा बडा ही रसिया जोबन मोरा दबाये, सैयाँ मोरा बात न माने कस के अंदर धँसाये
अरे दोनों संग-संग लूटे मजा सावनवां में,
बदरिया घिर आयी ननदी।
अब मीता ने भी भाभी की बात का दो टूक जवाब देते हुए कहा- “अरे भाभी, ये तो बड़ी मजेदार बात है, एक
साथ दो-दो का मजा, और क्या चाहिये…”
मैं चम्पा से बोली कि चलो, हम लोग भी आज इसको एक साथ दो का मजा देते हैं।
चम्पा भाभी हाँ बोली और तुरंत उसके हाथ मीता के टाप के अंदर घुस गये। इसके पहले कि मीता कुछ कहती या प्रतिकार करती, भाभी उसके जवान स्तनों को पकड़कर प्यार से सहलाने और दबाने लगी। मैंने मीता की स्कर्ट उठाकर उसकी पैंटी उतार दी । अब पानी फिर जोर से बरसने लगा था और हमारे कपड़े गीले होकर हमारे शरीर से ऐसे चिपक गये थे कि हर अंग का आकार साफ दिखता था।
बेचारी मीता हमारे बीच फंसी थी और वह छूटने को अपने हाथों का प्रयोग भी नहीं कर सकती थी। इतनी देर की रंगीली छेड़छाड़ ने उसे भी उत्तेजित कर दिया था। मेरी उंगली अब उसके बाहरी भगोश्ठ (लेबिया) को रगड़ रही थी और अंगूठा उसके क्लिट को छेड़ रहा था।
“ओह… नहीं भाभी, अब छोड़ दी जिये…” कहती हुई वह प्रतिरोध तो कर रही थी पर यह एकदम कमजोर प्रतिरोध था।
“अरे सावन में मजा न लोगी तो कब लोगी? फिर कहोगी कि भैया से भाभी तो मजा ले लेती हैं और मैं प्यासी रह जाती हूँ…” कहते हुए, मैने उसकी कोरी कँवारी चूत की रगड़-घिसाई और तेज कर दी ।
“अरे आज हमीं दो से मजा ले लो…” कहकर चम्पा भाभी ने उसका टाप उठाकर उसका भीगा जोबन नंगा कर
दिया- “देखो आज बताती हूँ कि तुम्हारे भैया कैसे चूची रगड़ते हैं…” कहती हुई वह अपनी दोनों हथेलियां मीता
की किशोर छातियों पर रखकर उन्हें जोर से मसलने लगी।
“हाँ और मैं बताती हूँ कि कैसे उनका लंड मेरी चूत में चुदाई करता है, कहकर मैंने अपनी उंगली की टिप
उसकी चूत में अंदर डाल दी और धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाने लगी।
“ओह भाभी, प्लीज़…” कहती हुई वह अपने चूतड़ झूले पर रगड़ रही थी। काले घने बादल फिर घिर आये थे।
हमारे पैर झूले को पेंग दे रहे थे और उसी लय में हमारे हाथ मेरी ननद की चूत और चूची को रगड़ रहे थे। मेरी एक उंगली उसकी चूत के अंदर थी और दूसरी उसकी चूत को खूब जोर से दबा रहा थी।
मेरा अंगूठा उसके क्लिट पर जमा हुआ था और उससे धींगा-मस्ती कर रहा था।
“ओह, भाभी, ओह…” कहके अब मीता सिसकारियाँ भरती हुई तड़प रही थी।
मैंने चम्पा की ओर देखा और वह समझ गयी। उसने मीता के निप्पलों पर अपना दबाव बढ़ा दिया और मैंने
उसके क्लिट को उंगली और अंगूठे के बीच लेकर रगड़कर दबा दिया। मीता शायद, पहले भी झड़ चुकी होगी पर झूले पर झूलते हुए, बरसात में भीगते हुए ओर्गज़म का उसका यह पहला अनुभव था। हम दोनों ने उसे बाहों में भींच लिया, और यह कामना की कि उसके ‘थाइलेंड़ ’ में घनघोर वर्षा होती रहे।
अब तक उसे बहुत मजा आने लगा था। बोली - “अरे भाभी, आप लोगों से बचे तब ना…”
मैंने चुटकी लेते हुए कहा- “कोई बात नहीं ननद रानी, कुछ नहीं तो मैं शेयर कर लूंगी, मैं कुछ दिन बाद चार
पांच दिन छुट्टी पर जा रही हूँ, और तुम्हारे भैया उपवास पर रहेंगे। इससे अच्छा… अरे जो केयर करते हैं वही
शेयर करते हैं…”
जैसे ही पानी कुछ थमा, हम घर की ओर भागे। मैं मीता को अपने कमरे में ले गयी। उसे छीन्क आयी तो मैंने ये कहकर कि “अरे ठंडक लग जायेगी, जल्दी ये गीले कपड़े उतारो…” ओर उसे कुछ समझ में आने के पहले ही उसका टाप उतार दिया और ब्रेजियर खोल डाली । वह बेचारी झेंप कर अपनी ब्रा पकडने की कोशिस करने लगी पर मेरे आगे उसकी क्या चलती। उसके कमसिन जवान स्तन बाहर आ गये। मैंने एक छोटा तौलिया लिया और उन्हें पोंछने का दिखावा करती हुई उन्हें जोर से रगड़ने लगी।
तभी मुझे भी छीन्क आ गयी। अब मीता की बारी थी, उसने मेरी साड़ी खींच दी और बोली - “भाभी आप भी कपड़े बदलिए…”
“ठकि है…” कहकर मैंने अपना ब्लाउज़ और ब्रा भी खोल दी ।
मीता की आँख. मेरे गर्व से तनी 36डीडी साइज़ के जोबन पर गड़ी थीं। जब उसने उनपर बने दांत के निशान,
खरोन्चे और बृजिंग के निशान देखे तो वह चौंक पड़ी- “ये क्या भाभी, ये कैसे निशान हैं?”
उसकी स्कर्ट उतारते हुए मैं बोली - “तुम्हारे भैया के, रात भर जो उन्होने काटा और चूसा है…”
“अरे मेरे भैया तो बड़े जुल्मी हैं…” कहते हुए मीता ने हल्के से मेरे उरोजो को छुआ।
मैंने उसके हाथों में अपनी चूची थमा दी और बोली - “और क्या? लेकिन बन्नो, दर्द चाहे जितना हो, मजा भी खूब आता है। मैं तो कहती हूँ कि एक बार तुम भी उनसे चुसवा कर देखो…”
मीता घबरा गयी- “ना बाबा ना, मुझे ऐसे नहीं कटवाना…”
“चलो, भैया से तो जब भैया आएँगे तब चुसवाना, अभी भाभी से चुसवा लो…” कहते हुए मैंने उसकी कुँवारी
कोमल चूची मुँह में भर ली और लगी चूसने। थोड़ी देर बाद मेरी जीभ उसके स्तन के निचले भाग को चाटती हुई उसके स्तनाग्रो की ओर बढ़ने लगी। दूसरे हाथ से मैं उसके उरोजो को पकड़कर धीरे-धीरे मसल रही थी। वह ‘नहीं भाभी, नहीं भाभी’ कर रही थी पर मैं जानती थी कि यह सिर्फ़ दिखावे का विरोध है।
मेरी जीभ अब उसके जोबन को सहलाकर चाट रही थी और उसके स्तनों को मस्त कर रही थी। बीच में ही मैं अपनी जीभ से उसके स्तनाग्रो को फ्लिक कर देती। अचानक मैंने उसके एक निपल को अपने होंठों के बीच पकड़ लिया और उसे चूसने लगी। मीता अब सिसक रही थी “भाभी ओह, हाँ, ऊह… नहीं भाभी, छोड़ दीजिये प्लीज़…”
मैंने एक मस्ती की सिसकारी भरी और उसके हाथ अपने दूधिया स्तनों पर रखकर उसे मेरे मतवाले
उरोजो को दबाने और हथेली में भरकर उनसे खेलने पर मजबूर कर दिया।
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