RE: Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया
एक दिन मैं अपने पति के साथ लिगरी खरीदने को गयी और कुछ सेक्सी चीज़. पसंद की। मैंने मीता के लिए भी एक दो ली और अपने राजीव को दिखाई। वह समझा कि ये मेरे लिए है इसलिए उसने सुझाव दिया कि गुलाबी रंग की पुश-अप टाइप की भी ले लूं। मैंने वे पैक कराईं और कुछ चाकलेट भी ले लिए। जब हम घर पहुँचे तो मैंने पैकेट उसके हाथ में देकर उसे मीता को देने को कहा। उसे लगा कि चाकलेट का पैकेट है और वह मीता को देने लगा।
मैंने कहा कि खोलकर दो।
जब उसने पैकेट खोला तो वो गुलाबी ब्रा देखकर एकदम झेंप गया। मैं खिलखिला उठी और मीता को छेड़ने
लगी- “मीता, ये तुम्हारे भैया खुद तुम्हारे लिए पसंद करके लाये हैं…”
फिर राजीव को बोली - “अरे इतने प्यार से लाये हैं तो पहना भी दी जिये…”
मीता शरमा कर भाग गयी। राजीव भी शरमा गया था पर इतना उत्तेजित हो गया था कि कपड़े बदलते समय
उसका खड़ा लंड साफ दिख रहा था। उन्होने उसी समय मुझे झुका कर मेरी इतनी जबरदस्त चुदाई की कि
मजा आ गया।
हाँ, तो मैं कहाँ थी?
मैंने मेरी छोटी ननद के हाथ में मेंहंदी लगाने का काम पूरा कर लिया था और वह उसे सुखाने में लगी थी।
बरसात अब कम हो गयी थी और सिर्फ़ बूंदा-बांदी हो रही थी। तभी मेरी सहेली चम्पा ने आकर हमें बाहर झूला झूलने को बुलाया। हमारे घर के पीछे घनी अमराई है जहां एक पेड़ पर झूला बंधता है और अड़ोस पड़ोस की सभी औरत. और लड़कियां आकर झूला झूलते हैं और कजरी गाते हैं।
चम्पा भाभी कामुक रसीले चुटकुले सुनाने और दोहरे अर्थ की बात. करने में एक्सपर्ट थी। मेरी ननद होने की
वजह से मीता बेचारी सबका निशाना बनती थी। जब सब औरत. साथ होती तो कोई किसी तरह की शरम या
बंधन नहीं पालता था। हम अपनी रातों के अनुभव भी एक दूसरे को बताते। मीता यह जानती थी इसलिए मेरे
साथ आने में हिचकिचा रही थी। इसलिए उसने बहाना बना लिया कि हाथ की मेंहंदी सूखी नहीं है तो झूले की रस्सी वह कैसे पकड़ेगी।
चम्पा ने उसके गाल पर चुन्टी काट कर कहा- “अरे तुम्हारी भाभी तुम्हारे जोबन पकड़कर रहेगी। सारी रात
तुम्हारी ये भाभी रंजना तुम्हारे भैया के साथ झूला झूलती है, तो कौन सी रस्सी पकड़ती है। जैसे तुम्हारे भैया इसकी चूची पकड़कर झूला झुलाते हैं, वैसे ही हम आज उनकी बहन को झूला झुलाएँगे …”
जब हम अमराई को पहुँचे तो वहां तीन औरत. पहले ही झूला झूल रही थीं। सबके हाथ में मेंहंदी थी और धानी चुनरी में लिपटी , गहनों से लदी वे सुंदर नारियाँ अठखेलियां कर रही थीं। मीता को देखते ही वे उससे छेड़छाड़ करने लगीं- “क्यों ननद रानी, अभी बरसात हुई कि नहीं?”
उसे बीच में बिठाकर एक बाजू से चम्पा भाभी और एक बाजू से एक दूसरी औरत ने उसे पकड़ लिया। पकड़कर सहारा देने का तो सिर्फ़ बहाना था, असल में वे उसके कमसिन उरोजो को सहला रही थी। मुझे झूले को धक्का देने या पेंग देने का काम दिया गया।
जल्द ही हमने झूले की गति बढ़ा दी और बेचारी मीता, अपने हाथों में लगी गीली मेंहंदी के कारण अपने बचाव में कुछ नहीं कर सकी। चम्पा भाभी उसे छेड़ते हुए एक कजरी गाने लगी।
कैसे खेलन जैबो सावन में कजरिया, बदरिया घिर आयी ननदी,
तू तो जात हो अकेली, न संग न सहेली, गुंडा और छैला घेर लेहिएँ तोरी डगरिया,
बदरिया घिर आयी ननदी,
कोई तो चोलिया खोलिये और कस के जोबना मसलिएँ,
और कोई भरतपुर लूटिएँ, लुट जायी आज तोरी जवानियां, बदरिया घिर आयी ननदी.
जल्दी ही गीत और उनके हावभाव ज़्यादा कामुक और रंगीले हो गये और अब मीता भी उस माहौल में मन से शामिल हो गयी। पर अब फिर से वर्षा का जोर बढ़ गया था और इसलिए मेरी अधिकतर सहेलियां वहां से
खिसक ली । अब मैं और चम्पा भाभी ही रह गये और रह गयी हमारे बीच सेंडविच बनी मीता। चम्पा भाभी ने मुझे खूब आग्रह किया कि मेरी रात के क्रिया कलापों का विस्तृत विवरण दूं । मुझे मालूम था कि यह सब असल में मीता के लिए था और मैंने भी पूरे डिटेल में अपनी आपबीती हिन्दी में सुनायी।
मैंने बड़े मजे ले-लेकर बताया कि कैसे राजीव ने मेरे पैर अपने कंधे पर रखकर सारी रात मुझे चोदा, चोदते
समय कैसे मेरी चूंचियाँ मसल-मसलकर रगड़ी और कैसे मेरा एक निपल उनके मुँह में था, एक हाथ में था और कैसे उनकी एक उंगली मेरा क्लिट सहला रही थी। ये सब बात. करके मैं और मेरी जवान ननद बहुत उत्तेजित हो गये थे।
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