RE: Chudai Story अजब प्रेम की गजब कहानी
डिंपल- अवी तू बहुत बदमाश हो गया है
अवी- मुस्कुराता हुआ, दीदी तुमने ही मुझ पर जादू किया है
डिंपल- मुस्कुरा कर क्या मैं कोई जादूगर हू जो तुझ पर जादू करूँगी
अवी- दीदी तुम्हे तो बहुत कुछ अपने बारे मे पता नही है
डिंपल- उसको देखती हुई, क्या पता नही है
अवी- यही कि तुम कितनी खूबसूरत हो
डिंपल- अवी मुझे लगता है तू पागल हो गया है
अवी- दीदी तुमसे बेहतर मुझे कौन जान सकता है, मैं सचमुच पागल हो गया हू
डिंपल- मुस्कुराते हुए कही पूरा पागल मत हो जाना और कॉफी का कप रख कर अब उठ यहा से और चल और डिंपल जैसे
ही पलट कर जाने लगती है अवी उसका हाथ पकड़ लेता है और डिंपल उसकी ओर जब घूम कर देखती है तो
अवी- बिल्कुल सीरीयस चेहरा बना कर डिंपल की आँखो मे देखता हुआ, दीदी मैं सचमुच पूरा पागल हो जाना चाहता हू
डिंपल का चेहरा एक दम से उसकी आँखो को देख कर और बातो को सुन कर सीरीयस हो जाता है और वह कुछ नरम पड़ती
हुई धीरे से अवी छ्चोड़ मेरा हाथ सब देख रहे है
अवी- पहले कहो मैं पागल हो जाउ ना
डिंपल- इधर उधर देखती हुई मंद-मंद मुस्कुराते हुए, मुझे नही मालूम,
अवी- प्लीज़ दीदी एक बार कह दो कि अवी तू पागल हो जा
डिंपल- अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई अवी यह क्या बच्पना है छ्चोड़ मेरा हाथ सब देख रहे है
अवी- नही पहले कहो अवी तू पागल हो जा
डिंपल- उसे घुरती हुई, मैं नही कहूँगी
अवी- दीदी तुम्हे कहना पड़ेगा
डिंपल- पहले हाथ छ्चोड़
अवी- नही पहले कहो
डिंपल- मुस्कुरकर अच्छा अवी भैया जाओ पागल हो जाओ
अवी- किसके लिए
डिंपल- मुझे नही मालूम
अवी- खड़ा होकर उसके पास आकर, दीदी तुम जानती हो मैं किसके लिए पागल हो जाना चाहता हू
डिंपल- इधर उधर देखती हुई अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने की कोशिश करती हुई, मुझे नही मालूम
अवी- डिंपल की हाथ को अपने हाथ से कस कर दबा लेता है और डिंपल उसकी ओर घूर कर देखने लगती है
अवी- दीदी मैं तुम्हारे लिए पागल हो जाना चाहता हू
डिंपल- उसको गुस्से से देखती हुई, अवी यह सब क्या पागलपन है और अपना हाथ एक झटके से छुड़ाते हुए, अब चल यहा से
और दूसरी ओर चल देती है, उसकी आँखो गुस्से से लाल हो रही थी और अवी जाकर कॉफी के पैसे देकर जल्दी से डिंपल के
पीछे-पीछे चलता हुआ,
अवी-दीदी सुनो तो
डिंपल- रुक कर, अवी बहुत हो गई तेरी बकवास अब अपना मूह बिल्कुल बंद रख और जा रिक्शा ले कर आ
अवी- आगे कुछ ना कह कर सीधे रिक्शे वाले को लेकर आता है और डिंपल उसमे बैठ जाती है और फिर अवी भी बैठ जाता है
और रिक्शा चल देता है, दोनो सारे रास्ते खामोश रहते है और फिर जैसे ही घर आता है डिंपल उतर कर लॉक खोल कर
सीधे अपने बेडरूम मे जाकर पेट के बल धड़म से गिर कर अपने चेहरे पर तकिया रख कर लेट जाती है और अवी चुपचाप
सोफे पर बैठ कर सोचने लगता है, लगता है मैने दीदी को बहुत ज़्यादा नाराज़ कर दिया है, पर मैं क्या करू कहा तक अपने
दिल का हाल उससे छुपा कर रखू, अगर मैं उसे इतना प्यार करता हू तो कौन सा ग़लत करता हू, क्या प्यार करना गुनाह है, और
मैं यह भी जानता हू कि वह भी मुझे चाहती है पर पता नही क्यो डरती है,
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