RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
लगभग 15 मिनट तक कोमल की जबरदस्त ठुकाई होती रही.. अब उसका दर्द गायब हो गया था और मज़ा दुगुना हो गया था, वो ‘आहें..’ भरती हुई चुदाई का मज़ा ले रही थी- आह्ह.. फक मी.. आह्ह.. फास्ट.. चोद दो.. मुझे.. आह्ह.. फाड़ दो मेरी चूत.. आह्ह.. गई.. आह्ह.. मेरा रस निकलने वाला है.. यू फास्ट.. आह्ह.. और फास्ट आह्ह..
कोमल की बातों से दोनों को जोश आ गया और ऊपर से जेम्स स्पीड से उसकी गाण्ड मारने लगा.. तो नीचे रंगीला का लौड़ा भी ‘खचाखच’ उसकी चूत को पेल रहा था।
कोमल की चूत ने रस का फव्वारा छोड़ दिया और उसके साथ ही रंगीला भी अपना कंट्रोल खो चुका था। उसका लौड़ा भी वीर्य की धारा उसकी चूत में भरने लगा।
करीब 5 मिनट तक तीनों ऐसे ही पड़े रहे रंगीला का लौड़ा मुरझा कर चूत से बाहर आ गया था.. मगर जेम्स तो अभी भी गाण्ड का भुर्ता बनाने में लगा हुआ था।
रंगीला- अरे बस कर.. अब रहम कर इस पर और मुझ पर.. हमारा हो गया है यार.. अब तो निकल दे अपना मूसल..
रंगीला की बात सुनकर जेम्स ने दोनों हाथों से कोमल को उठाया और रंगीला के ऊपर से हटा दिया और बिस्तर पर घोड़ी बना कर स्पीड से चोदने लगा। जल्दी ही उसका लौड़ा भी झड़ गया.. तब जाकर कोमल को चैन आया।
कुछ देर वो सब ऐसे ही पड़े रहे उसके बाद अपने-अपने कपड़े पहन कर जाने के लिए र हो गए।
साजन जब वापस आया.. तब तक तीनों बाहर आ चुके थे, हाँ कोमल की चाल थोड़ी बदल गई थी।
साजन- अरे बाप रे.. क्या कर दिया बॉस ये बेचारी तो सच में लंगड़ा रही है।
कोमल- चुप कर कुत्ते.. मेरा मजाक ना बना.. इतना बड़ा अगर तेरी गाण्ड में जाए ना.. तो तू हिल भी ना पाए।
जेम्स और रंगीला ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे और साजन का पोपट हो गया।
थोड़ी देर बाद रंगीला ने साजन को बताया- हम दोनों पहले जाएँगे.. बाद में तू और कोमल आ जाना.. ओके!
और वो दोनों वहाँ से निकल गए।
उनके जाने के बाद साजन ने कोमल को ऊपर से नीचे तक देखा।
कोमल- क्या देखता है रे साले..?
साजन- देख रहा हूँ कि दोनों ने तेरी चुदाई बहुत जबरदस्त की है.. तेरी आँखें बता रही हैं.. तू रोई भी है।
कोमल- बड़ा कमीना है रे तू.. तू तो सब जान गया कुत्ते!
साजन- मेरी जान अब गाली मत दे तू.. मेरी बहन का रोल कर रही है.. चल बता ना.. ऐसा क्या कर दिया उन दोनों ने कि तेरी आँखों में आँसू आ गए।
कोमल- अब क्या बताऊँ तुझे.. वो जेम्स है ना.. साला आदमी नहीं कोई घोड़ा है.. उसका ‘इतना’ लंबा और इतना मोटा है।
कोमल ने हाथ के इशारे से साजन को लौड़े के बारे में बताया।
साजन तो बस कोमल को देखता ही रह गया.. क्योंकि बताते वक़्त उसके चेहरे पर एक अजीब सा डर था।
साजन- ओह्ह.. तभी तू रोई होगी.. साला बॉस ठीक बोला था.. इसको लास्ट चान्स देंगे.. नहीं तो ये रश्मि की चूत का भोसड़ा बना देगा और हमें कुछ मज़ा नहीं आएगा।
कोमल- हाँ उसका लौड़ा है ही ऐसा तगड़ा.. कि किसी को भी रुला दे.. अब बातें ही करेगा या यहाँ से चलेगा भी?
साजन- तुझे बड़ी जल्दी पड़ी है वहाँ जाने की.. क्या बात है?
कोमल- अबे जल्दी होगी ही ना.. कब तुम लोगों का ये नाटक ख़त्म होगा और कब मुझे मेरे पूरे पैसे मिलेंगे।
साजन- तू भी ना साली पैसे के लिए मरी जा रही है.. चल अब निकलते हैं।
ये दोनों भी फार्म के लिए निकल गए। अब ज़रा हम विजय की तरफ़ चलकर देखते हैं कि वो क्या कर रहा है।
जय और रश्मि एक गाड़ी में निकले और जेम्स उनके पीछे दूसरी गाड़ी में निकला.. क्योंकि उसको तो वहाँ पर रानी को लेकर जाना था ना।
रश्मि के दिल में अब भी थोड़ा डर था कि अगर जय हार गया तो क्या होगा? बस वो रास्ते में यही सब सोचती जा रही थी। उधर रंगीला और जेम्स कुछ खाने-पीने का सामान लेकर मंज़िल की ओर चल पड़े थे।
स्तों अब रास्ते का हाल आपको क्या बताऊँ.. तो चलो सीधे फार्म का सीन ही बता देती हूँ।
सबसे पहले जय और रश्मि वहाँ पहुँचे थे। वहाँ जाकर जय ने नौकरों को कुछ हिदायत दी और उसके बाद कमरे में रश्मि को आराम के लिए भेज कर खुद बाहर सब का वेट करने लगा।
उनके कुछ देर बाद सुंदर और आनंद भी वहाँ आ गए तो जय उनसे बातें करने लगा।
उधर विजय सीधा रानी के घर पहुँच गया.. जिसे देख कर रानी बहुत खुश हुई।
रानी- अरे बाबूजी आपने आने में बड़े दिन लगा दिए?
जेम्स- वो शहर में थोड़ा काम था ना.. इसलिए.. चल अब जल्दी से तैयार हो जा हमें अभी निकलना है।
रानी- आप अन्दर तो आओ.. माँ से मिल लो.. तब तक मैं कपड़े ले लेती हूँ।
विजय उसकी माँ से बातें करने लगा और कुछ पैसे भी दे दिए।
कोई 15 मिनट बाद वो रानी को लेकर वहाँ से निकल गया।
दोस्तो, रानी याद है या भूल गए.. चलो अगर भूल गए तो कोई बात नहीं.. अभी सब याद आ जाएगा।
रानी ने एक पुरानी सी मैक्सी पहनी हुई थी.. जो उसके बदन पर बहुत टाइट थी.. अन्दर उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिससे उसके 30″ के चूचे साफ दिखाई दे रहे थे.. उसके निप्पल एकदम तने हुए थे।
विजय- अरे क्या बात है रे रानी.. तूने ये किसके कपड़े पहने हैं.. बहुत छोटे हैं ये तो.. और तेरे ये निप्पल ऐसे खड़े क्यों हो रहे हैं?
रानी का चेहरा शर्म से लाल हो गया, उसने शर्म के मारे अपना चेहरा हाथों से छुपा लिया।
विजय ने एक हाथ से उसके मम्मों को हल्के से दबाया.. तो रानी के मुँह से ‘आह्ह..’ निकल गई।
विजय- अरे क्या हुआ हूँ रानी.. तू तो ऐसे शर्मा रही है.. जैसे पहली बार मैंने इनको छुआ है।
रानी- सस्स आह्ह.. बाबूजी.. आपका हाथ लगते ही बदन में बिजली सी रेंगने लगी।
विजय- अच्छा ये बात है.. लगता है इतने दिन में तू मेरा स्पर्श भूल गई है.. अब दोबारा तुझे नंगी करके पूरे जिस्म पर अपनी छाप देनी होगी।
रानी- आह्ह.. बाबूजी भगवान के लिए ऐसी बातें ना करो.. आपको देखते ही मेरे जिस्म में हलचल पैदा हो गई.. ये चूचुक जो तने हुए से हैं ये आपको देखने से तने हैं.. अब आप ऐसी बातें कर रहे हो.. तो नीचे भी कुछ-कुछ हो रहा है।
विजय- ओह्ह.. अच्छा ये बात है.. लगता है इतने दिन बिना चुदे रही हो.. तो तेरी चूत अब लण्ड के लिए प्यासी हो गई है.. अब तो मुझे ही कुछ करना होगा.. तेरी प्यासी चूत की प्यास अब मेरा लौड़ा ही बुझाएगा।
विजय की बात सुनकर रानी की चूत से पानी रिसने लगा.. वो काफ़ी ज़्यादा उत्तेजित हो गई और विजय के लण्ड को पैन्ट के ऊपर से मसलने लगी।
विजय तो पहले ही रानी के खड़े निप्पल देख कर गर्म हो गया था.. अब रानी की ये हरकत उसको पागल बना गई।
विजय- आह्ह.. रानी.. तेरे हाथों में क्या जादू है.. देख लौड़ा कैसे बेकाबू हो गया है।
रानी- बाबूजी आप गाड़ी आराम से चलाओ.. तब तक आपके लौड़े को मैं काबू में लाती हूँ।
इतना कहकर रानी ने विजय की पैन्ट का हुक खोल दिया और तने हुए लौड़े को बाहर निकाल लिया।
लौड़ा एकदम टाइट हो रहा था.. रानी ने देर ना करते हुए अपने होंठ लण्ड पर रख दिए और बड़े प्यार से पूरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी।
विजय- आह ससस्स.. रानी आह्ह.. मज़ा आ गया.. चूस.. आह्ह.. तेरे होंठ भी क्या कमाल के हैं.. आह्ह.. चूस मेरी जान।
विजय का लौड़ा एकदम फड़फड़ा रहा था.. अब उसकी साँसें तेज हो गई थीं। विजय ने रानी को अपने से अलग किया और गाड़ी को एक साइड में खड़ा करके वो रानी के मम्मों को कपड़ों के ऊपर से चूसने लगा।
रानी- आह्ह.. बाबूजी.. अब बर्दास्त नहीं हो रहा आह्ह.. मेरी चूत किसी भट्टी की तरह जल रही है.. आह्ह.. अपने लौड़े की बरसात कर दो.. आह्ह.. मेरी चूत में.. इससस्स.. आह्ह.. आहह..
विजय- रानी मेरा हाल भी ऐसा ही है.. अब तो तेरी चूत चोद कर ही सुकून आएगा.. चल पीछे की सीट पर चल.. आज तुझे गाड़ी में ही चोदूँगा।
रानी तो चुदने को बेकरार थी.. जल्दी से वो पीछे चली गई और विजय भी सीट को एड्जस्ट करके पीछे चला गया और रानी पर टूट पड़ा।
विजय ने रानी को जल्दी से नंगा किया और उसके निप्पल चूसने लग गया।
रानी- आह्ह.. बाबूजी.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.. ओह्ह आह्ह.. घुसा दो अपना डंडा.. मेरी चूत में.. आह्ह.. कर दो मुझे शान्त..
विजय- चल मेरी जान अब तू घोड़ी बन जा.. अब मेरा लौड़ा भी बेताब है तेरी चूत में जाने के लिए।
रानी घोड़ी बन गई और विजय ने एक ही झटके में पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया।
रानी काफ़ी दिनों की प्यासी थी, उसकी चूत में लौड़ा जाते ही वो ‘आह्ह..’ भरने लगी और गाण्ड को पीछे करके चुदवाने लगी।
विजय- आह्ह.. मेरी जान तू तो बड़ी चुदक्कड़ बन गई रे.. आह्ह.. ले साली.. एक बात तो बता.. गाँव में तो किसी से नहीं चुदी ना… इतने दिन.. आह्ह..
रानी- आह्ह.. फाड़ दो.. चोदो आह्ह.. नहीं बाबूजी.. आह्ह.. ये आप कैसी बात करते हो.. आह्ह.. आपके अलावा में किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती आह्ह..
विजय- आह ले आह्ह.. अच्छा किया.. नहीं तो साली मज़ा खराब हो जाता मेरा.. आह्ह.. ले आह्ह..
विजय स्पीड से रानी की चूत को चोद रहा था.. वो भी उसका पूरा साथ दे रही थी। लगभग 20 मिनट तक ये तूफान जोरों पर था.. उसके बाद रानी की चूत नामक बाँध में दरार पैदा हो गई.. वो बाँध कभी भी फट सकता था।
रानी- आह्ह.. तेज तेज करो.. आह्ह.. मेरी चूत आह्ह.. गई.. आआ एयेए..
रानी का झरना फूट पड़ा और उसके साथ ही विजय का लौड़ा भी झड़ गया.. दोनों के पानी का संगम हो गया।
कुछ देर दोनों ऐसे ही पीछे की सीट पर पड़े रहे.. उसके बाद इस चुप्पी को रानी ने तोड़ा- अच्छा बाबूजीm अपने बताया नहीं.. आप अकेले क्यों आए हो.. जय जी कहाँ हैं?
विजय- क्यों साली.. मेरा लौड़ा कम पड़ गया तेरे को.. जो जय को याद कर रही है तू हाँ?
रानी- अरे बाबूजी.. आप भी ना बस.. मैं तो ऐसे ही पूछ रही हूँ और वैसे भी अब वहाँ तो आप दोनों मुझे कहाँ सुकून लेने दोगे.. वहाँ तो दोनों मेरी जमकर चुदाई करोगे ना..
विजय- मेरी भोली रानी.. वहाँ हम दो के अलावा 5 दोस्त और हैं.. तू बच के रहना.. कहीं सभी तेरे पीछे ना पड़ जाएं हा हा हा।
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