RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
जय आगे कुछ बोलता.. तभी काका अपने साथ डॉक्टर को ले आया और वो रश्मि के पैर की जाँच करने लगा।
डॉक्टर- डरने वाली कोई बात नहीं है बस मांस-पेशियों में थोड़ा खिंचाव आ गया है.. अक्सर उल्टी साइड पैर मुड़ने से ऐसा होता है.. मैं दर्द की दवा और ट्यूब लिख देता हूँ.. शाम तक आराम मिल जाएगा।
डॉक्टर के जाने के बाद विजय और जय ने सोचा कि वो दवा ले आएं.. तब तक रश्मि रेस्ट कर लेगी।
विजय- रश्मि तुम रेस्ट करो.. हम दवा लेकर आ जाते हैं।
रश्मि- ओके भाई.. मगर जल्दी आ जाना मैं अकेले बोर हो जाऊँगी।
दोनों के जाने के बाद काका ने पूछा- बिटिया तुम्हारा नाश्ता और जूस यहीं ले आऊँ.?
तो रश्मि ने मना कर दिया कि अभी मूड नहीं है।स
काका के जाने के बाद रश्मि कमरे में टहलने लगी ताकि उसकी चाल ठीक हो जाए और किसी को पता ना लगे।
रश्मि के सर से सारा नशा उतर चुका था, अब उसके अन्दर की बहन जाग गई थी, चलते-चलते अचानक वो रुक गई.. और बिस्तर पर बैठ कर सोचने लगी कि ये उसने क्या कर दिया? अपने ही भाई के साथ उसने सेक्स किया।
ये सब सोच कर उसकी आँखों में आँसू आ गए, वो काफ़ी देर तक वहाँ बैठी रोती रही।
उसके बाद उसने फैसला किया कि जो हुआ वो गलत हुआ.. अब बस इस बात को यहीं ख़त्म कर देगी.. और आगे से ऐसी कोई हरकत नहीं करेगी।
यही सोचते हुए वो काफ़ी देर बैठी रही.. उसके बाद उसने काका को आवाज़ देकर ऊपर बुलाया और नाश्ते के लिए उनसे कहा कि ले आए।
काका- अभी लो बिटिया.. मैंने तो आपको पहले ही कहा था। अब बस 5 मिनट में नाश्ता बना देता हूँ।
काका ने जल्दी से नाश्ता तैयार किया और रश्मि का स्पेशल जूस भी उसको दे दिया। वो कहाँ जानती थी कि अभी कुछ देर पहले जो वो सोच रही थी कि अब ऐसा नहीं करेगी। ये जूस पीते ही उसकी सारी सोच धरी की धरी रह जाएगी और वो वासना के जाल में दोबारा फँस जाएगी।
उधर विजय और जय मेडिकल स्टोर से कुछ दूर थे कि तभी रंगीला वहाँ सामने से आ गया।
रंगीला- अरे क्या बात है.. सुबह-सुबह मेरे दोनों शेर कहाँ शिकार पर जा रहे हैं।
जय- अरे कहीं नहीं यार.. सुबह-सुबह गड़बड़ हो गई। रश्मि फिसल कर गिर गई.. उसके पाँव में चोट आई है।
रंगीला- अरे बाप रे, तो तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो.. किसी डॉक्टर के पास लेके जाओ उसको यार..
विजय- अरे पूरी बात सुने बिना बोले जा रहे हो.. उसे कुछ नहीं हुआ.. बस मामूली सी चोट है.. डॉक्टर को घर बुलाया था कुछ दवा लिखी है.. वही लेने आए हैं हम।
रंगीला- ओह.. ऐसा क्या.. मैं कुछ और ही समझ बैठा.. चलो थैंक गॉड.. रश्मि को कुछ नहीं हुआ।
जय- हाँ यार.. वैसे तुम इतनी सुबह कहाँ जा रहे हो?
रंगीला- अरे कहीं नहीं.. एक प्लॉट के लिए पापा ने मैसेज किया था.. वही देखने जा रहा हूँ। अब तुम मिल गए तो चलो ना यार साथ चलते हैं.. मैं अकेला बोर हो जाता।
विजय- अरे क्या साथ चलूँ.. वहाँ रश्मि बेचारी दवाई के लिए वेट कर रही है और हम तेरे साथ चलें..
जय- अरे विजय ऐसा कर.. तू चला जा रंगीला के साथ.. मैं दवा ले जाता हूँ।
रंगीला- हाँ ये सही रहेगा, दोनों काम साथ हो जाएँगे, उसके बाद आते वक्त मैं भी रश्मि से मिल लूँगा।
विजय को बात समझ आ गई.. तो वो रंगीला के साथ चला गया और जय अकेला आगे बढ़ गया।
रश्मि ने नाश्ता ख़त्म किया और अपने बिस्तर पर टेक लगा कर बैठ गई। वो कुछ सोच रही थी कि तभी जय वहाँ आ गया।
जय- अरे क्या बात है मेरी बहना.. किस सोच में डूबी हुई हो?
रश्मि- कुछ नहीं भाई.. पता नहीं आजकल मुझे क्या हो रहा है। कुछ अजीब सी बेचैनी मन में रहती है। दिमाग़ कहाँ से कहाँ चला जाता है। देखो ना.. हमने क्या कर दिया? ये पाप हमसे कैसे हो गया.. मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा.. मैं इतनी गंदी हरकतें कैसे करने लगी हूँ.. छी:.. और आपने भी मेरा साथ दिया।
जय- हैलो.. ये क्या बोल रही हो.. जो हुआ वो तुम चाहती थीं.. मैंने तो बहुत मना किया.. मगर तुम कहाँ मानी.. अब जो हो गया.. उसको भूल जाओ और ये अचानक तुम कैसी बातें करने लगी हो। मैं गया.. तब तक तो बिल्कुल ठीक थी।
रश्मि- पता नहीं भाई.. मैं बहुत बड़ी उलझन में हूँ.. कभी तो ऐसा लगता है कि बस आप ही मेरे सब कुछ हो.. आपसे लिपट कर खूब प्यार करूँ.. कभी लगता है.. कि यह गलत है।
जय- अरे मेरी जान.. ऐसा कुछ नहीं है.. तुम वासना की आग में जल रही थीं.. तो मैंने तुम्हारी प्यास मिटाने की कोशिश की है.. मगर लगता है रात की चुदाई काफ़ी नहीं है.. तुमको दोबारा ठंडी करना होगा.. तभी तुम्हारा दिमाग़ ठिकाने पर आएगा।
रश्मि- चुप रहो भाई.. ऐसी बातें मत करो.. मुझे अजीब सा महसूस हो रहा है।
जय- अच्छा अच्छा.. नहीं करता.. ये लो ये गोली खा लो.. इससे दर्द कम होगा और ये क्रीम चूत पर अच्छे से लगा लेना.. सूजन ठीक हो जाएगी।
रश्मि- छी:.. भाई आप कितने गंदे हो.. कैसी बातें कर रहे हो.. सीधे नाम ले रहे हो.. मुझे तो बहुत अजीब सा लग रहा है।
जय हैरान हो गया कि ये रश्मि को अब क्या हो गया.. रात को तो कुछ और ही जलवे दिखा रही थी.. अब अचानक सती सावित्री कैसे बन गई?
जय- सॉरी रश्मि.. मगर तुम्हें तकलीफ़ थी.. तो ये ले आया और हाँ ये गोली भी ले लेना.. रात को हमने जो किया उससे कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए। जैसे पेट में बच्चा वगैरह.. तुम समझ रही हो ना..
रश्मि- हाँ समझ रही हूँ और वैसे विजय भी साथ गया था.. उसके सामने ये सब कैसे लिया आपने?
जय- वो रंगीला के साथ किसी काम से गया है। अब पैर में मोच का तो बहाना था.. तो उस दवा के बजाए मैं ये सब ले आया।
रश्मि- ओके ठीक है भाई.. अब आप यहाँ से जाओ.. प्लीज़ मुझे कुछ देर अकेला रहना है।
जय बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया, उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि रश्मि अचानक बदल कैसे गई, रात को तो उसका मूड कुछ और ही था और अब कुछ और?
जय अपने कमरे में जाकर मोबाइल पर टाइमपास करने लगा।
जय के जाने के बाद रश्मि ने दवा ली और बाथरूम में जाकर अपनी चूत पर अच्छे से क्रीम भी लगाई।
रश्मि पर दोबारा से गोली का असर शुरू हो गया था, वो अपने कमरे में आई और बिस्तर पर बैठ गई। उसको रात की चुदाई याद आने लगी.. उसका जिस्म वो सोच कर उत्तेजित होने लगा।
रश्मि- ओह गॉड.. यह क्या हो रहा है.. अभी मैंने सोचा था.. जो हुआ वो सब अब दोबारा नहीं करूँगी.. मगर मेरा जिस्म मेरे दिमाग़ का साथ नहीं दे रहा.. नहीं नहीं.. यह भाई और बहन की चुदाई का खेल अच्छा है.. इसमें कोई बुराई नहीं है। काजल ने भी तो अपने भाई के साथ किया था और ना जाने कितने लोग करते होंगे। अब मैंने कर लिया तो कौन सा गुनाह हो गया। नहीं.. मैंने जय को नाराज़ किया है.. अब जाकर उसको मनाती हूँ।
रश्मि कमरे से निकली और सीधी जय के कमरे में चली गई।
उस वक़्त वो मोबाइल में बिज़ी था.. तो रश्मि ने उसको पीछे से जाकर पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर एक चुम्बन कर दिया।
जय- अरे रश्मि छोड़ो मुझे.. तुम यहाँ क्यों आई हो?
रश्मि- सॉरी भाई.. मैंने आपसे ठीक से बात नहीं की। वो दरअसल मेरा दिमाग़ खराब था उस वक्त..
जय- अच्छा अब ठिकाने आ गया क्या.. खुद ही मुझे बहनचोद बना दिया और खुद ही ज्ञान देने लगी थीं।
रश्मि- भाई प्लीज़ ‘सॉरी’ कहा ना मैंने.. अब ऐसा नहीं कहूँगी.. आप तो मेरी जान हो आई लव यू भाई..
जय- आई लव यू टू मेरी जानेमन.. रात की मस्त चुदाई के बाद सुबह तक तुम ठीक थीं.. अचानक क्या हो गया था?
रश्मि- पता नहीं भाई.. मेरे दिमाग़ में अचानक बात आई कि हमने गलत किया मगर अब लगता है.. सब सही था। अभी भी मेरी चूत फड़फड़ा रही है।
जय- क्या बात है मेरी जान.. सुबह-सुबह चुदाई का मूड बना लिया.. मगर ये वक़्त और जगह सही नहीं है.. कोई भी आ सकता है। अब तुम मेरी वाइफ तो हो नहीं.. जो किसी भी वक्त तुम्हें चोद सकूँ।
रश्मि- ओह भाई.. तो रोका किसने है.. बना लो ना मुझे अपनी वाइफ..
जय- मेरी जान रात का इन्तजार करो.. आज तो पहले तेरी मस्त गाण्ड मारूँगा मैं.. बड़ा मन मचल रहा है मेरा.. तेरी गाण्ड मारने को..
रश्मि- अच्छा भाई मार लेना.. अभी प्लीज़ कुछ करो ना.. मुझे बड़ी बेचैनी हो रही है।
जय- अरे कोई आ गया तो मुसीबत हो जाएगी.. ऐसा करो बाथरूम में जाकर उंगली से काम चलाओ अभी.. रात को सुकून से तुम्हारी चुदाई करूँगा।
रश्मि ने बहुत ज़िद की.. मगर जय जानता था कि इस वक्त चुदाई करना मुश्किल होगा। फिर भी उसने हिम्मत करके रश्मि को किस किया और बाथरूम तक छोड़ आया।
रश्मि भी समझ गई कि जय नहीं मानेगा.. तो उसने अपने आप को उंगली से शान्त किया। उसकी बेचैनी तो ख़त्म हो गई.. मगर नशा नहीं उतरा। उसको अभी भी यही लग रहा था कि जब तक लौड़ा अन्दर नहीं जाएगा.. उसको चैन नहीं मिलेगा।
रश्मि अब थोड़ी ठंडी हो गई थी और वो जय को कहीं बाहर चलने को कह रही थी.. तभी विजय भी आ गया।
उसने पूछा- अब पैर का दर्द कैसा है?
तो रश्मि ने कहा- दवा से ठीक हो गया।
तीनों ने बाहर जाने का प्लान बना लिया और सब रेडी होने अपने-अपने कमरों में चले गए।
उधर जेम्स और निधि बैठे हुए बातें कर रहे थे.. भाभी थकी हुई थीं तो उनको नींद आ गई थी।
निधि- जेम्स मेरे भैया ठीक तो हो जाएँगे ना?
जेम्स- अरे होंगे क्यों नहीं.. इतने बड़े अस्पताल में ऐसे ही लेकर आए है क्या हम?
निधि- भगवान जल्दी मेरे भाई को अच्छा करे।
जेम्स- अरे फिकर मत कर.. सब अच्छा ही होगा। तू भी थोड़ा आराम कर ले.. रात से सोई नहीं.. तुझे भी नींद आ रही होगी।
निधि- तुम भी तो जागे हो हमारे साथ.. तुम भी सो जाओ.. वो दोपहर तक भाई के पास जाने भी नहीं देंगे।
जेम्स- बिस्तर पर तो भाभी सोई हैं.. ऐसा करते हैं हम दूसरे कमरे में जाकर सो जाते हैं..
निधि- हाँ ये सही रहेगा.. ऐसे तो यहाँ नींद आएगी भी नहीं।
दोनों दूसरे कमरे में चले गए और बिस्तर पर लेट गए। निधि ने करवट ली और सोने की कोशिश करने लगी। जेम्स का ध्यान निधि की गाण्ड पर गया.. तो वो सरक कर उसके पीछे चिपक गया।
निधि- क्या करते हो.. सोने दो ना..
जेम्स- मेरी रानी तुझे यहाँ सोने के लिए साथ लाया हूँ क्या.. आज तक उस खटिया पर ही तेरी ठुकाई की है। आज अच्छा मौका मिला है.. ऐसा नर्म बिस्तर और तेरी मुलायम गाण्ड देख कर मेरा लंड उछलने लगा है। चल जल्दी से कपड़े निकाल.. मुझे तेरी गाण्ड मारनी है। उसके बाद सो जाना।
निधि- क्या जेम्स… ये कोई समय है गाण्ड मारने का.. भाभी जाग गई तो?
जेम्स- अरे भाभी उठ जाएगी तो उसकी भी गाण्ड मार दूँगा। चल देर ना कर मेरी थकान लौड़े को ठंडा करके ही उतरेगी।
निधि ने सलवार निकाल दी.. मगर जेम्स को लगा ऐसे मज़ा नहीं आएगा। उसने निधि को प्यार से पूरी नंगी कर दिया।
निधि- क्या जेम्स पूरे कपड़े क्यों निकाले.. तुमको तो बस गाण्ड मारनी थी ना.. ऐसे ही मार लेते?
जेम्स- अरे मेरी बुलबुल.. चूत मारो या गाण्ड… पहले चूचे चूसने में मज़ा आता है.. लौड़े को पूरा गर्म करके ही चुदाई होती है।
निधि- अच्छा.. तो मैं भी लौड़ा चूस के मज़ा लूँगी। मुझे उसमें मज़ा आता है और हाँ तुम मेरी फुद्दी भी चाटना.. ठीक है ना..!
जेम्स- अरे मेरी बुलबुल.. ये भी कोई कहने की बात है क्या.. तेरी फुद्दी को तो चाट कर ठंडा कर दूँगा और तेरे मुलायम होंठों के रस से ही तो लौड़ा चिकना होगा और आराम से तेरी गाण्ड में जाएगा।
इतना कहकर जेम्स निधि के अनारों को चूसने लगता है, अपने हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगता है।
निधि- आह्ह.. जेम्स ससस्स.. तुम भी कपड़े निकालो ना.. मुझे मेरा प्यारा गन्ना चाहिए.. आह्ह.. धीरे दबाओ ना.. आह्ह.. दुख़ता है..
जेम्स- अरे क्या नखरे करती है.. कितनी बार तेरे चूचे दबा चुका हूँ.. चूत और गाण्ड को ढीला कर चुका हूँ.. अब भी नाटक करती है.।
निधि- तेरा गन्ना भी तो देख कितना बड़ा है.. जब भी मुँह में जाता है.. सांस गले में अटक जाती है।
जेम्स- हाँ ये तो है लौड़ा तो बड़ा ही है.. मेरा मगर तेरी भी हिम्मत की दाद देता हूँ.. साली दोनों तरफ़ से पूरा मज़ा देती है तू.. पहले तो चिल्ला-चिल्ला कर कान के पर्दे खराब कर दिए थे तूने.. अब तू मस्त मज़ा देती है।
निधि- अब बातें ही करते रहोगे या मेरा गन्ना मुझे दोगे..
जेम्स ने कपड़े निकाल दिए और निधि का हाथ पकड़ कर लौड़े पर रख दिया।
जेम्स- ये ले.. अब तू ज़्यादा बात मत करना.. जल्दी से इसे चूस कर चिकना बना दे ताकि तेरी गाण्ड में आराम से चला जाए।
निधि- मैं कहाँ बात कर पाऊँगी.. अब ये जो मेरे मुँह को बन्द कर देगा। चलो सीधे लेट जाओ.. हम उस तरह करेंगे जैसे पहले किया था। तुम मेरी फुद्दी चाटना और में तुम्हारा गन्ना चुसूंगी।
जेम्स समझ गया कि यह क्या चाहती है.. वो सीधा लेट गया। उसके पेट पर उल्टी साइड निधि भी लेट गई। अब उसकी फूली हुई चूत जेम्स के मुँह के पास थी और उसने घप से जेम्स का लौड़ा मुँह में ले लिया था।
दोनों की चुसाई का प्रोग्राम शुरू हो गया और कोई 15 मिनट तक ये चलता रहा।
जेम्स जीभ की नोक से चूत को चोद रहा था.. जिसे निधि ज़्यादा देर बर्दाश्त ना कर सकी और उसके मुँह में झड़ गई।
जेम्स उसका सारा चूतरस गटक गया और चूत को चाट-चाट कर एकदम साफ कर दिया।
जेम्स- बस मेरी बुलबुल.. अब हट भी जा.. तेरी चूत का लावा तो मैं पी गया। अब मेरे लौड़े को भी तेरी गुफा में जाने का रास्ता दे दे..
निधि ऊपर से उठते हुए बोली- तुम फुद्दी को चूत क्यों कहते हो.. मैंने कितनी बार तुम्हारे मुँह से यह सुना है?
जेम्स- मेरी जान इसका असल नाम यही है.. शहर के लोग इसको चूत ही कहते हैं यह बोलने में भी अच्छा लगता है। अब ये सवाल बाद में पूछना.. जल्दी से घोड़ी बन जा.. मुझे तेरी गाण्ड मारनी है। मेरा लौड़ा तो तूने चूस कर लोहे जैसा बना दिया है.. अब तरसा मत..
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