RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
जय- तुम्हें ही चुदवाने का चस्का लगा था.. अब लौड़े के लिए तड़फी हो.. तो पूरा मज़ा लो।
रश्मि- मज़ा ही तो ले रही हूँ.. मगर आप ये मेरी गाण्ड में उंगली क्यों डाल रहे थे?
जय- रश्मि सच कहूँ.. तेरी गाण्ड देख कर मन बेचैन हो गया है.. ऐसी मटकती गाण्ड.. उफ़फ्फ़ इसमें लौड़ा जाएगा.. तो मज़ा आ जाएगा.. बस यही देख रहा था कि अबकी बार मैं तेरी गाण्ड ही मारूँगा.
रश्मि- नो वे.. आज शुरूआत में ही सारे मज़े लूट लोगे क्या.. आज का मेरा हो गया.. अब कल देखते हैं.. आप चूत मारते हो या गाण्ड..
जय- अरे अभी कहाँ थक गई यार.. अभी तो बहुत पोज़ बाकी हैं.. तुम्हें आज अलग-अलग तरीके से चोदूँगा और प्लीज़ रश्मि तुम्हारी मुलायम गाण्ड मारने दो ना.. प्लीज़..
रश्मि- नो नो भाई.. आज प्लीज़.. ज़िद मत करो.. आप नहीं जानते.. मेरे पैर अकड़ कर दर्द कर रहे हैं.. चूत में भी बहुत सूजन है.. आप कल गाण्ड मार लेना.. मगर आज नहीं..
जय- ठीक है जानेमन.. जैसा तुम कहो.. मगर एक बार और तेरी चूत मारूँगा.. कसम से मन भरता ही.. नहीं तेरी चूत से..
रश्मि- हा हा हा हा.. आप तो मेरी चूत का आज भुर्ता बना के दम लोगे.. ठीक है भाई.. अब आपको मना नहीं करूँगी.. पर थोड़ा रेस्ट लेने के बाद आप आराम से चुदाई कर लेना..
जय- वाहह.. ये हुई ना बात.. अच्छा अपनी हॉस्टल लाइफ के बारे में कुछ बताओ न.. तुम्हारे अन्दर ये बदलाव कैसे आया.. ये भी बताओ..
रश्मि ऐसे ही इधर-उधर की बातें करने लगी और जय बस उसको सुनता रहा। एक घंटे तक दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद जय का मन दोबारा चुदाई का हो गया।
जय धीरे-धीरे रश्मि के जिस्म को सहलाने लगा। रश्मि ने नानुकुर की.. मगर जय कहाँ ऐसी कच्ची कली को छोड़ता.. उसने रश्मि को मना ही लिया।
इस बार वो सीधा लेट गया और रश्मि को ऊपर लेटा कर नीचे से झटके दिए, रश्मि भी मस्ती में आकर लौड़े पर कूदने लगी।
लंबी चुदाई के बाद दोनों थक गए और नंगे ही एक-दूसरे से लिपट कर सुकून की नींद में सो गए।
सुबह का सूरज निकला.. रश्मि के लिए यह सुबह एकदम नई थी.. क्योंकि रात को उसकी अपने सगे भाई के साथ जो सुहागरात मनी.. उसके बाद तो उसके जीवन की यह पहली सुबह ही थी..
मगर अभी आप रश्मि को नहीं देख सकते.. वो कहाँ इतनी जल्दी उठने वाली है। सारी रात तो चुदाई करवा रही थी.. अब आराम से सो रही है.. तो चलो आपको कहीं और ले चलती हूँ।
सुबह के 7 बजे का वक्त था.. जेम्स के हाथ में चाय थी, वो भाभी और निधि के पास जाकर उनको चाय देने लगा।
तभी डॉक्टर वहाँ आ गया और उसने बताया कि आप रात को बहुत लेट यहाँ आए थे.. तो उनको यहाँ रुकने दिया है.. मगर अब कहीं पास में कोई होटल या धर्मशाला में कमरा ले लें.. मरीज के साथ बस एक आदमी ही यहाँ रह सकता है.. बाकी सब नहीं।
जेम्स- डॉक्टर.. सब ठीक तो है ना.. हमको यहाँ कितने दिन रहना होगा?
डॉक्टर- अभी कुछ कहा नहीं जा सकता, हालत बहुत खराब है। आप कमरा किराए पर ले लो.. यही सही रहेगा.. एक हफ़्ता तो कम से कम यहाँ रुकना ही होगा.. आगे का अभी कुछ कह नहीं सकते..
डॉक्टर के जाने के बाद भाभी और निधि जेम्स की तरफ़ देखने लगीं।
भाभी- जेम्स, हम तो यहाँ किसी को जानते भी नहीं हैं.. अब तुम ही किसी कमरे का कोई बंदोबस्त करो..
जेम्स- चिंता मत करो.. मैं अभी कुछ न कुछ इन्तजाम करके आता हूँ.. आप तब तक चाय पिओ..
भाभी- मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ जेम्स..
जेम्स- जैसा आपको ठीक लगे.. चलो..
निधि- मैं अकेली यहाँ नहीं रहूँगी.. मुझे भी साथ ले चलो..
भाभी- अरे तू क्या करेगी साथ जाकर.. यहीं रुक.. तेरे भाई के पास बैठ ना..
जेम्स- अरे आने दो.. रात से बेचारी यहीं तो बैठी है।
भाभी- नहीं.. यहाँ कोई तो होना चाहिए ना.. हम कमरा देखने जा रहे हैं.. क्या पता ज्यादा वक्त लग जाए।
निधि- अच्छा जाओ.. मगर जल्दी आ जाना.. कहीं दूर मत निकल जाना।
जेम्स- अरे चिंता मत करो निधि.. तुमको छोड़कर कहीं नहीं जाएँगे..
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