RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
जय- ये तो बहुत अच्छी बात है.. अब हम रोज मज़ा ले सकेंगे.. मगर घर में किसी को पता ना लगने देना.. नहीं तो क़यामत आ जाएगी।
रश्मि- अरे भाई आप कैसी बात कर रहे हो.. मैं पागल थोड़े हूँ जो ऐसी बात किसी को बताऊँगी। बस आप ख्याल रखना.. कहीं विजय को पता ना लग जाए.. सारा दिन आप उसी के साथ घूमते रहते हो.. कहीं आप उसको ना बोल दो।
जय- अरे नहीं नहीं.. मैं क्यों बोलूँगा तुम ख्याल करना.. कि विजय को पता ना लग जाए… नहीं वो पापा को बता देगा। वैसे भी वो तुम्हारा कुछ ज़्यादा ही ख्याल रखता है.. अगर ऐसी बात उसको पता लग गई.. तो हम दोनों की खैर नहीं..
रश्मि- ओके भाई.. अब सिर्फ बातें ही करोगे या मेरी जवानी का मज़ा भी लोगे।
जय- अरे तेरी जवानी तो ऐसी है.. कि लंड अपने आप इसे सलामी देने लगता है। पहली बार तो सब जल्दबाज़ी में हुआ तो ठीक से मैं तुम्हारे इन रसीले होंठों का मज़ा नहीं ले पाया। इन कच्चे अनारों का जूस नहीं पी पाया.. अब सुकून से इनको चूस कर मज़ा लूँगा, तेरी महकती चूत को चाट कर उसकी सूजन कम करूँगा।
जय की बातों से रश्मि उत्तेज़ित होने लगी थी। वो जय की जाँघों पर सर रख कर लेट गई और उसके लौड़े को सहलाने लगी।
जय- आह.. तुम्हारे हाथ भी बहुत सॉफ्ट हैं.. लौड़े पर लगते ही करंट पैदा हो जाता है।
रश्मि कुछ बोली नहीं और लौड़े पर जीभ फेरने लगी.. वो बहुत ज़्यादा मस्ती में आ गई थी। उसकी चूत लौड़े के लिए दोबारा तैयार हो गई थी।
जय- आह.. रश्मि उफ़.. तेरे ये मखमली होंठ आह.. मेरे लौड़े को पागल बना रहे हैं.. तुम मुझे पागल बना रही हो आह..
रश्मि- भाई आप देखते जाओ.. इतने सालों से मैं शराफत का नकाब पहने जी रही थी.. मगर मुझे अब पता चला जो मज़ा नंगेपन में है.. वो शराफ़ात में नहीं.. उफ़.. आपका ये गर्म लौड़ा मुझे चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है। आपकी बहन अब पूरी आपकी है.. आ जाओ नोंच डालो मेरे जिस्म को.. कर दो मुझे अपने इस लौड़े से ठंडी.. आह.. अब मेरा जिस्म जलने लगा है।
रश्मि सीधी होकर बाँहें फैलाए बिस्तर पर लेट गई.. जय समझ गया कि अब उसको क्या करना है।
जय उसके पास लेट गया और उसके एक निप्पल को दबाने लगा.. उसके होंठों को चूसने लगा। अब दोनों एक-दूसरे को चूमने और चाटने में बिज़ी हो गए थे।
जय अब ज़ोर-ज़ोर से उसके मम्मों को दबाने और चूसने लग गया।
रश्मि- आह.. भाई उफ़.. आराम से आह.. चूसो.. आह.. सारा रस पी जाओ.. आह.. मज़ा आ रहा है भाई.. आह.. आह..
दस मिनट तक इनकी मस्ती चलती रही। अब दोनों ही वासना की आग में जलने लगे थे। जय का लौड़ा टपकने लगा।
रश्मि- आह.. भाई.. उफ़फ्फ़.. मेरी चूत जलने आ लगी है.. आह.. आपके गर्म होंठों से इ..ससस्स.. उसकी मालिश कर दो न..
जय- अभी लो मेरी रश्मि रानी.. आज तो तेरी चूत की ओपनिंग हुई है.. उसकी मालिश ऐसे करूँगा कि लाइफ टाइम याद रखोगी.. अपने प्यारे भाई को..
जय ने रश्मि के पैर मोड़े और टाँगों के बीच लेट गया। रश्मि की डबल रोटी जैसी फूली हुई चूत पर उसने धीरे से अपनी जीभ रख दी।
रश्मि- सस्सस्स आह.. भाई.. दर्द हो रहा है आह.. प्यार से मालिश करना.. आह.. आपकी बहन हूँ आह.. उफफ्फ़..
जय- पता है मेरी जान.. तू आँख बन्द करके मज़ा ले.. मैं प्यार से ही तेरी मालिश करूँगा..
जय अब बड़े प्यार से चूत को चाटने लगा था। अपनी जीभ की नोक धीरे-धीरे अन्दर घुसा रहा था.. जिससे रश्मि की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, वो बस आनन्द की दुनिया में कहीं गोते लगा रही थी।
रश्मि- आह.. उहह.. भाई मज़ा आ रहा है.. इससस्स.. आह.. खूब चूसो.. आह.. और दबा के.. ससस्स चूसो.. आह.. मज़ा आ गया।
जय अब आइस्क्रीम की तरह चूत को चाट रहा था.. रश्मि की चूत से रस टपकना शुरू हो गया था.. वो अब तड़पने लग गई थी।
रश्मि- आह..ससस्स.. भाई.. आह.. मेरी चूत की आग बहुत बढ़ गई है.. आह.. अब उफफफ्फ़.. सस्सस्स.. भाई आह.. लौड़ा घुसा दो.. आह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह.. प्लीज़ भाई.. आह.. फक मी आह.. फक मी.. सस्सस्स आह…
जय भी अब बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसके लौड़े से भी रस की बूँदें टपकने लगी थीं.. वो बैठ गया और लौड़े को चूत पर टिका कर धीरे से दबाने लगा।
रश्मि- आह.. फक मी ब्रो.. आह.. उई घुसा दो आह.. पूरा डालो.. आह.. मेरी चूत को फाड़ दो आज.. आह.. आईई..
जय ने धीरे-धीरे अब कमर को हिलाना शुरू कर दिया था। हर झटके के साथ वो लौड़े को थोड़ा आगे सरका देता और रश्मि की आह.. निकल जाती। कुछ ही देर में उसने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और रश्मि के ऊपर लेटकर उसके निप्पल को चूसने लगा।
रश्मि- आह.. भाई अब चुदाई शुरू कर दो.. मुझे दर्द नहीं हो रहा है.. आह.. करो न.. आह.. चोद दो मुझे.. आह.. आज मेरी सारी गर्मी निकाल दो आह..
जय स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा। रश्मि भी गाण्ड उठा कर उसका साथ देने लगी। चुदाई जोरों से शुरू हो गई.. कमरे का तापमान बढ़ने लगा।
‘ठप.. ठप.. पूछ..फ्छ.. आह.. उहह.. इससस्स.. आह.. उहह.. उहह..’ की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं।
रश्मि- आह फक मी ब्रो.. आह.. फक मी डीप.. आह.. फक हार्ड.. आईईइ ओउ सस्स..
जय- ले रश्मि.. आह.. आज तेरे भाई का आह.. पॉवर देख.. आह.. तेरी चूत का आह चूरमा बना दूँगा मैं.. आह.. आज के बाद तू जब भी उहह.. चूत को देखेगी.. आह.. मेरी याद आएगी तुझे..
दस मिनट तक जय स्पीड से रश्मि को चोदता रहा। अब जय तो पक्का चोदू था। पहले 2 बार झड़ चुका था इसलिए अबकी बार कहाँ वो जल्दी झड़ने वाला था। अब तो उसका टाइम और बढ़ गया। मगर रश्मि की चूत लौड़े की चोट ज़्यादा देर सह ना पाई और उसके रस की धारा बहने को व्याकुल हो गई।
रश्मि- आई आई.. आह.. भाई फक मी फास्ट.. आई एम कमिंग.. आह.. गई.. आह.. भाई.. ज़ोर से पेलो.. आहह.. उहह आह..
जय ने और तेज़ी से लौड़े को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। रश्मि का बाँध टूट गया.. वो झड़ने लगी। कुछ देर बाद वो शान्त पड़ गई.. मगर जय का अभी बाकी था.. वो धीरे-धीरे कमर को हिला रहा था।
रश्मि अब शान्त लेट गई थी.. उसका सारा जोश ठंडा हो गया था। जय ने अचानक लौड़ा बाहर निकाला और रश्मि के पेट पर बैठ गया। उसके मम्मों के बीच लौड़े को रख कर कमर हिलाने लगा।
रश्मि समझ गई कि जय उसके मम्मों को चोदना चाहता है। उसने दोनों हाथों से अपने मम्मों को कस कर दबा लिए जिससे लौड़ा मम्मों के बीच अब टाइट होकर अन्दर-बाहर हो रहा था।
कुछ देर तक ये चलता रहा.. उसके बाद जय ने पोज़ चेंज कर लिया। वो घुटनों के बल बिस्तर पर खड़ा हो गया.. जिसे देख कर रश्मि मुस्कुराई।
रश्मि- क्या हुआ भाई.. मज़ा आ रहा था.. खड़े क्यों हो गए?
जय- मेरी जान लौड़े को थोड़ा चूस कर चिकना कर दे.. उसके बाद तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा.. तेरी चूत की गर्मी तो निकल गई.. अभी मेरा रस निकलना बाकी है।
रश्मि हँसती हुई लौड़े को चूसने लगी.. अपने मुँह में पूरा लौड़ा लेकर अच्छी तरह उसको थूक से तर कर दिया।
जय- आह्ह.. आह्ह.. बस रश्मि.. अब बन जा घोड़ी.. आज तेरी सवारी करूँगा.. आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता आह्ह.. आह्ह..
रश्मि घुटनों के बल अच्छी तरह पर फैला कर घोड़ी बन गई.. वैसे तो ये उसका पहली बार था.. मगर जिस तरह वो घोड़ी बनी थी.. जय को बहुत अच्छा लगा कि उसकी बहन एकदम पर्फेक्ट घोड़ी बनी है।
जय- वाह.. रश्मि क्या जबरदस्त घोड़ी बनी है तू.. अब ठुकाई का मज़ा आएगा.. तेरी चूत कैसे फूली हुई है.. उफ़फ्फ़ साली ऐसी चूत देख कर लौड़े की भूख ज़्यादा बढ़ जाती है।
जय ने लौड़े को चूत पर टिकाया और पूरा एक साथ अन्दर धकेल दिया।
रश्मि- आईईइ.. भाई आराम से.. आह्ह.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. आह्ह.. आज तो आराम से करो.. कल से जैसे चाहो चोद लेना..
जय- अरे सॉरी यार.. तेरी चूत देख कर बहक गया था.. अब ख्याल करूँगा।
जय अब रश्मि की कमर पकड़ कर चोदने लगा.. उसके हाथ रश्मि की मुलायम गाण्ड को भी सहला रहे थे। बीच-बीच में वो रश्मि की गाण्ड के छेद में उंगली भी घुमा रहा था।
थोड़ी देर की मस्ती के बाद रश्मि भी गरम हो गई और गाण्ड को पीछे धकेल कर जय के मज़े को दुगुना बनाने लगी।
रश्मि- आह.. आह.. छोड़ो भाई.. आह्ह.. आज की रात हर तरीके से मुझे चोदो.. आह.. आह.. फास्ट करो.. और तेज भाई आह्ह.. मज़ा आ रहा है।
जय अब तेज़ी से चोदने लगा। उसका लौड़ा अब फूलने लगा था। कितना से पता वो चूत की गर्मी को आख़िर कर जय के लौड़े ने रस की धारा चूत में मारनी शुरू कर दी। उसका अहसास पाकर रश्मि की चूत भी झड़ गई। दो नदियों के मिलन के जैसे उनके कामरस का मिलन हो गया।
अब दोनों ही शान्त पड़ गए.. रश्मि की कमर में दर्द हो गया। जैसे ही जय ने लौड़ा बाहर निकाला.. वो बिस्तर पर कमर के बल लेट गई और लंबी साँसें लेने लगी। जय भी उसके पास ही लेट गया।
रश्मि- उफ़फ्फ़ भाई.. इस बार तो आपने बहुत लंबी चुदाई की.. आह्ह.. आपने तो मेरी चूत की हालत बिगाड़ दी।
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