RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
तो यह थी प्रीति की दास्तान.. अब इनकी चुदाई दिखाती.. तो कहानी लंबी हो जाती.. इसलिए शॉर्ट में आपको इनकी पिछली जिंदगी के बारे में बता दिया।
चलो अब यहाँ कुछ नहीं है.. वापस रंगीला के पास चलते हैं जहाँ आपके काम की बात है।
विजय के जाने के बाद रंगीला ने किसी को फ़ोन किया और उसको कहा कि जल्दी कैफे में आ जाए.. वो यहीं उसका वेट करेगा।
कुछ देर बाद एक आदमी जो करीब 40 साल के आस-पास का होगा.. वो कार से वहाँ आया। उसका नाम क्या था ये तो किसी को पता नहीं.. मगर सब उसको बिहारी कहते थे।
रंगीला- अरे आओ आओ बिहारी.. मैं तुम्हारा ही वेट कर रहा था। ये लो तुम्हारे पैसे.. मैंने कहा था ना.. तुम्हारे पैसे समय से पहले तुमको मिल जाएँगे।
बिहारी- अरे मिलेगा कैसे नहीं.. साला हम काम भी तो समय से पूरा करता हूँ ना.. और किसी की का मज़ाल जो बिहारी का पईसा खा जाए।
रंगीला- अच्छा ठीक है.. जानता हूँ तुमको.. और तुम्हारी ताक़त को.. अब सुनो ये कम बड़ी सावधानी से करना.. नहीं तो मैडम नाराज़ हो जाएगी।
बिहारी- का बात करत हो.. हम कोई बच्चा हूँ का.. जो बार-बार समझाना पड़ेगा.. हम कह दिया हूँ ना.. तुम एक बार इस बिहारी को काम दई दो.. उसके बाद भूल जाओ.. हम सब जानता हूँ.. कब क्या और कईसे करना है..
रंगीला- अच्छा ठीक है.. सुनो.. अब तक तुमने जो किया.. वो बस खेल की शुरूआत थी.. अब असली खेल का समय आ गया है.. इसमें कोई चूक हुई तो समझो.. अब तक किया सारा कम चौपट हो जाएगा और हमारी सारी मेहनत गई पानी में..
बिहारी- अरे टेन्शनवा ना लो.. हम हूँ ना.. सब संभाल लूँगा.. बस आप तो समय पर हमको पईसा देते रहो।
रंगीला ने उसको विश्वास दिलाया कि उसको समय पर पैसे मिलते रहेंगे। बस वो काम ठीक से करे।
उसके बाद बिहारी वहाँ से चला गया और रंगीला अपने रास्ते निकल लिया।
दोपहर तक ऐसा कुछ खास नहीं हुआ.. जो आपको बताऊँ।
लंच के समय रश्मि और जय आमने-सामने बैठे थे वहाँ भी रश्मि ने थोड़ी गरम शरारत की.. विजय ने कुछ महसूस किया.. मगर बोला कुछ नहीं। हाँ.. इस दौरान काका ने दोबारा वही गोली रश्मि को फिर से दे दी.. शायद वो रश्मि के सर से नशा उतरने ही नहीं देना चाहते थे।
लंच के बाद रश्मि अपने कमरे में गई.. मगर वहाँ एसी ना होने के कारण वो जय के पास चली गई।
जय- क्या हुआ.. तुम तो सोने वाली थी ना.. यहाँ क्यों आ गई?
लंच के समय रश्मि और जय आमने-सामने बैठे थे वहाँ भी रश्मि ने थोड़ी गरम शरारत की.. विजय ने कुछ महसूस किया.. मगर बोला कुछ नहीं। हाँ.. इस दौरान काका ने दोबारा वही गोली रश्मि को फिर से दे दी.. शायद वो रश्मि के सर से नशा उतरने ही नहीं देना चाहते थे।
लंच के बाद रश्मि अपने कमरे में गई.. मगर वहाँ एसी ना होने के कारण वो जय के पास चली गई।
जय- क्या हुआ.. तुम तो सोने वाली थी ना.. यहाँ क्यों आ गई..?
रश्मि- आपको पता है ना.. मेरे कमरे का एसी नहीं है.. तो वहाँ पर कैसे आराम करूँगी?
जय- ओह्ह.. सॉरी भूल गया था.. ऐसा करो.. तुम यहाँ आराम करो.. मैं विजय के पास चला जाता हूँ.. थोड़ा काम भी है मुझे..
रश्मि ने अभी टी-शर्ट और बरमूडा पहना हुआ था.. वो नाईटी उसने पहले ही बदल ली थी। अब दवा का असर तो आप देख ही चुके हो.. रश्मि के मन में बस जय ही आ रहा था।
रश्मि- अरे क्या भाई.. इतनी हसीन बहन को छोड़कर कहाँ जा रहे हो?
जय- नॉटी गर्ल.. कहीं नहीं जा रहा हूँ.. तुम आराम करो.. बस अभी वापस आ जाऊँगा.. ओके..
जय ने किसी तरह रश्मि को समझाया और वहाँ से विजय के पास चला गया।
विजय- अरे आओ भाई.. क्या चल रहा है.. हो गई शॉपिंग?
जय चुपचाप उसके पास आकर बैठ गया। वो अभी भी रश्मि के बर्ताव के बारे में ही सोच रहा था।
विजय- हैलो भाई.. कहाँ खोए हुए हो.. मैंने कुछ पूछा आपसे?
जय- कुछ नहीं यार.. यह रश्मि को क्या हो गया है.. कल से ही बहुत अजीब तरह से पेश आ रही है।
विजय- ऐसा क्या हुआ और अजीब से आपका क्या मतलब है भाई?
जय- लगता है.. हॉस्टल में किसी बिगड़ी हुई लड़की के साथ रहकर आई है.. तभी ऐसी हरकतें कर रही है।
विजय- अरे भाई.. क्या पहेलियाँ बुझा रहे हो.. सीधे से बताओ ना.. क्या हुआ और रश्मि कैसी हरकतें कर रही है?
जय- अरे यार.. वो थोड़ी बोल्ड हो गई है.. मेरे साथ शॉपिंग माल में गई.. कपड़ों के साथ ब्रा और पैन्टी भी ली.. मुझे कुछ अजीब सा लगा..
विजय- हा हा हा अरे भाई.. आप कब से इतने सीधे हो गए.. वैसे ये कोई बड़ी बात नहीं है.. हम मॉर्डन फैमिली के हैं ऐसी शॉपिंग कभी कभी हो जाती है.. जस्ट चिल..
जय को समझ नहीं आ रहा था.. कि वो विजय को पूरी बात बताए या नहीं.. फिर उसने चुप रहना ही ठीक समझा।
विजय- अच्छा भाई वो रंगीला बता रहा था.. बुलबुल पार्टी में एंट्री के लिए शाम को वहाँ जाना होगा।
जय- हाँ ठीक है.. साथ चलेंगे.. वैसे शाम को रश्मि को क्लब भी ले जाएंगे ताकि उसको खेल के लिए बता सकें.. क्यों क्या कहते हो तुम?
विजय- भाई मेरे हिसाब से तो ये खेल का आइडिया ही बेकार है। भले आप जीत जाओ.. मगर ज़रा सोचो.. रश्मि को पता तो लग ही जाएगा कि वहाँ क्या होने वाला है।
जय- देखो विजय.. अच्छा तो मुझे भी नहीं लग रहा.. मगर तुम जानते हो मेरा एक डायलॉग फिक्स है कि जय खन्ना ने ज़ुबान दे दी मतलब दे दी.. अब उसको बदलने का सवाल ही नहीं.. अब अगर में ना कहूँ.. तो साजन मेरी इज़्ज़त का भाजी-पाला कर देगा.. समझा तू?
विजय- अच्छा ठीक है.. मगर इसके ज़िम्मेदार आप ही होंगे.. प्लीज़ मुझे रश्मि को मनाने के लिए मत कहना।
जय- अरे नहीं कहूँगा तुझे.. यह मेरा काम है.. उसको कैसे मनाना है। चल तू बता कहाँ गया था और रंगीला ने क्यों बुलाया था?
विजय ने उसको वहाँ की सब बात बताई..
जय- अच्छा ये बात है.. वैसे रश्मि को मनाना.. अब मुश्किल नहीं लग रहा.. उसकी बातें कुछ बता रही हैं कि इतने साल चुप-चुप रहने वाली हमारी बहन अब खुलना चाहती है।
विजय- अरे अब वो बड़ी हो गई है.. अच्छा है ना.. थोड़ा घूमेगी-फ़िरेगी तो दिल लगा रहेगा उसका.. वैसे क्या आपने शाम के लिए उसको बता दिया?
जय- अरे नहीं बताया.. भूल गया.. चल, मैं जाता हूँ.. नहीं तो वो सो जाएगी।
विजय- भाई.. बड़े पापा का फ़ोन आया था.. आपको याद दिला दूँ कि वो पेपर अंकल को देने हैं।
जय- ओह्ह.. थैंक्स यार.. मैं तो भूल ही गया था.. ओके मैं रश्मि को शाम के लिए बता कर अभी निकलता हूँ.. तू भी साथ आ रहा है क्या?
विजय- नहीं भाई.. आप जाओ मुझे थोड़ा आराम करना है।
जय जल्दी में वहाँ से निकल गया और अपने कमरे में गया.. तो देखा रश्मि चादर ओढ़े हुए लेटी हुई थी और उसकी निगाहें दरवाजे पर ही टिकी हुई थीं.. मगर बन्द थीं जैसे बहुत देर से किसी का वेट कर रही हो और थक कर सो गई हो।
जय उसके पास गया और..
अरे यार यहाँ थोड़ा सा ट्विस्ट है.. खुद देख लो..
जय- अरे तू सोई नहीं अब तक.. मैं समझा सो गई होगी।
रश्मि- क्या भाई.. आपने कहा था बस अभी आता हूँ और आपने कितनी देर लगा दी आने में?
जय- अरे मुझे विजय से कोई जरूरी बात करनी थी यार.. वैसे तुम मेरा इन्तजार क्यों कर रही हो?
रश्मि- अरे क्या भाई.. इतनी हसीन लड़की आपका वेट कर रही है और आप उससे वजह पूछ रहे हो?
जय- रश्मि तुम्हें क्या हो गया है? मैं तुम्हारा भाई हूँ.. ब्वॉय फ्रेण्ड नहीं.. जो ऐसी बातें कर रही हो..
रश्मि- अरे आपने ही तो कहा था.. आप मेरे ब्वॉय फ्रेण्ड हो..
जय- अरे.. मैंने ऐसा कब कहा?
रश्मि- हा हा हा भाई आप भी ना देखो आपने ही कहा था कि हम फ्रेण्ड हैं.. सही है ना..
जय- हाँ कहा था.. मगर फ्रेण्ड.. ओके..
रश्मि- आप गर्ल हो या ब्वॉय.. ये बताओ?
जय- अरे ये कोई पूछने की बात है.. ब्वॉय हूँ यार..
रश्मि- गुड.. अब सुनो आप ब्वॉय हो और मेरे फ्रेण्ड भी.. तो हुए ना ब्वॉय फ्रेण्ड.. हा हा हा हा..
जय- बड़ी मजाकिया हो गई हो तुम रश्मि.. वैसे यह चादर क्यों ओढ़ी हुई है तुमने?
रश्मि- बेड पर आकर आराम से बैठो तब बताऊँगी..
जय बेड पर रश्मि के पास ठीक से बैठ गया और कहा- अब बोलो..
रश्मि ने जय का हाथ पकड़ा और धीरे से चादर के अन्दर अपने सीने पर रख दिया।
रश्मि- देखो भाई मेरा जिस्म आग की तरह जल रहा है.. अब आप खुद समझदार हो.. इस हालत में मुझे ब्वॉय फ्रेण्ड क्यों चाहिए..
जय का हाथ जब रश्मि के नर्म मम्मों से टच हुआ.. तो उसकी हालत बिगड़ गई लौड़ा बगावत पर आ गया।
जय को थोड़ी देर बाद समझ आया कि उसका हाथ रश्मि के मम्मों को सीधे स्पर्श हो रहा है.. यानि रश्मि के मम्मे एकदम नंगे हैं.. बस यह अहसास होते ही उसने जल्दी से अपना हाथ बाहर खींच लिया और खड़ा हो गया।
जय- यह क्या है रश्मि.. तुमने कपड़े नहीं पहने है क्या?
रश्मि- भाई मेरा जिस्म जल रहा है.. मुझे कपड़े काटने को दौड़ रहे थे.. मैंने निकाल दिए.. प्लीज़ कुछ करो ना.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
जय- ओह्ह.. क्या करूँ यार.. रियली तुम पागल हो गई हो.. मैं तुम्हारा भाई हूँ.. ये सब गलत है..
रश्मि- मैं जानती हूँ भाई.. इसी लिए मैंने अब तक अपने आपको रोका हुआ है.. नहीं तो कब की ये चादर हटा कर आपसे लिपट जाती.. मगर पता नहीं क्यों मुझे आप बहुत अच्छे लग रहे हो.. बस दिल करता है मैं आपसे लिपट जाऊँ.. खूब प्यार करूँ आपको..
जय- रश्मि प्लीज़.. स्टॉप दिस नॉनसेन्स.. हद होती है किसी बात की..
रश्मि- भाई अगर आप इसको गलत समझते हो.. तो क्यों आपका ‘ये’ ऐसे बिहेव करता है.. क्यों आप मेरे जिस्म को देख कर मज़े लेते हो..?
रश्मि ने जय की पैन्ट की और इशारा करते हुए ये बात कही थी.. जहाँ अभी भी तंबू बना हुआ था।
जय- ओह्ह.. क्या कहना चाहती हो तुम.. मैं ऐसा कुछ नहीं सोचता..
रश्मि ने कुछ कहने की बजाय चादर अपने ऊपर से हटा दी। वो पूरी नंगी थी.. उसके जिस्म की झलक मिलते ही जय के सोचने समझने की ताक़त फुर्र हो गई, वो बस रश्मि को निहारने लगा।
रश्मि खड़ी हुई और जय के बिल्कुल करीब आकर उससे लिपट गई। उसने अपने सुलगते होंठ जय के होंठों पर रख दिए। बस यही वो पल था जब शैतान ने अपना काम शुरू कर दिया, वो जय के दिल और दिमाग़ पर हावी हो गया, उसने एक भाई को वासना के भंवर में ऐसा फँसा दिया कि अब वो भी उसको चूमने लगाम उसके जिस्म पर हाथ घुमाने लगा.. दोनों काफ़ी देर तक एक-दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहे और किस करते रहे।
जय का दिमाग़ अब बन्द हो चुका था और होगा भी क्यों नहीं.. ऐसी हसीन अप्सरा जो उसकी बाँहों में थी।
जय ने रश्मि को बिस्तर पर धकेल दिया और उसकी मचलती जवानी को घूरने लगा। उसकी फड़कती चूत को देखकर उसके लौड़े में एक्सट्रा तनाव आ गया था.. वो बेकाबू हो गया और रश्मि पर टूट पड़ा, उसके मम्मों को दबाने लगा.. निप्पलों को चूसने लगा।
रश्मि- आह्ह.. भाई.. आह्ह.. नहीं उफ्फ.. ये सब आह्ह.. बाद में करना.. आह्ह.. पहले मेरी चूत की आ..आग मिटाओ.. आह्ह.. मसल दो मेरी चूत को.. आह्ह.. उहह..
रश्मि की तड़प देख कर जय ने फ़ौरन अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए और उसकी गुलाब की पंखुड़ी जैसे चूत के होंठों को चूसने लगा, अपनी जीभ की नोक से वो चूत को चाटने लगा।
रश्मि- आह्ह.. सस्सस्स भाई.. आह्ह.. नहीं.. यू उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया आह्ह.. ज़ोर से करो आह्ह.. मेरी चूत में तूफान मचा हुआ है.. आह्ह.. सस्स मैं गई आह्ह.. उहह..
रश्मि पहले से ही बहुत गर्म थी। जय के गर्म होंठों का स्पर्श उससे सहन नहीं हुआ.. वो मस्ती में आ गई, उसकी चूत बहने लगी। आज एक कुँवारी कली की चूत पर पहली बार किसी के गर्म होंठ लगे थे, वो मस्ती में कमर हिला-हिला कर झड़ रही थी, उसकी आँखें मज़े में बन्द हो गई थीं.. जब जय ने उसकी चूत को अच्छे से चाट-चाट कर साफ कर दिया.. तो वो उठ गया और रश्मि के मासूम चेहरे को निहारने लगा, उसके गालों पर हाथ घूमने लगा।
जय- रश्मि.. ओ मेरी प्यारी गुड़िया.. सो गई क्या.. उठो ना..
रश्मि जैसे गहरी नींद से जागी हो.. उसने मुस्कुराते हुए आँखें खोलीं और जय के हाथ को चूमने लगी।
रश्मि- ओह्ह.. थैंक्स भाई सच्ची.. आपने दुनिया का सबसे बेस्ट मज़ा मुझे आज दिया है.. थैंक्स थैंक्स भाई थैंक्स..
जय को एक झटका सा लगा कि उसने ऐसा क्या मज़ा दे दिया है रश्मि को.. जो वो ऐसे बिहेव कर रही है।
जय- ओ हैलो.. मेरी प्यारी बहना.. किस बात के लिए थैंक्स.. मैंने क्या किया है.. लगता है तुमने कोई सपना देखा है.. जिसमें मैंने तुमको कोई गिफ्ट दिया है.. हा हा हा हा.. उठो.. मुझे तुमसे कोई बात करनी है।
रश्मि को जब ये अहसास हुआ कि यह असल में एक सपना ही था.. मगर ऐसा सपना जो हक़ीक़त से भी ज़्यादा मज़ा देने वाला था। उसने अपनी चूत को छूकर देखा तो वो बहुत गीली थी। इसका साफ-साफ मतलब यही था कि उसका पानी सच में निकल गया था.. लोगों का नाइट फ़ाल होता है.. उसका चूत का फाल हो गया था और हाँ वो कोई नंगी नहीं थी, उसने अपने कपड़े पहने हुए थे।
चूत के रस से उसकी पैन्टी के साथ उसका बरमूडा भी गीला हो गया था। अगर चादर हटा दो तो देखने वाला फ़ौरन समझ जाए कि उसका अभी-अभी रिसाव हुआ है।
रश्मि ख्यालों में खोई हुई यही सोच रही थी कि जब सपने में इतना मज़ा आया तो ये रियल में होगा.. तब उसको कितना मज़ा आएगा।
जय- अरे उठो.. कहाँ खोई हुई हो.. ज़रा मुझे भी तो बताओ.. क्या सपना देखा.. मैंने ऐसा क्या गिफ्ट दिया.. जो तुम इतनी खुश हो गई।
रश्मि- ओह्ह.. भाई काश आप रियल में ऐसा करते.. सच में बहुत मज़ा आया।
जय- अरे बताओ तो.. क्या हुआ था?
रश्मि के होंठों पर क़ातिल मुस्कान थी.. अब उसका दिमाग़ सुकून में था।
रश्मि- कुछ नहीं भाई.. अभी बता दूँगी तो आप सच में मुझे वो कभी ना दे पाएँगे.. इसका वक़्त आएगा.. तब बताऊँगी। मगर प्लीज़ आप मुझे वो गिफ्ट दोगे ना.. मना तो नहीं करोगे अपनी बहन को?
जय- अरे कैसी बातें करती हो.. तुम मेरी स्वीट बहन हो.. मैं कभी तुम्हें किसी चीज के लिए मना कर सकता हूँ क्या.. जो बोलोगी दे दूँगा..
रश्मि- पक्का वादा? कहीं मुकर तो नहीं जाओगे आप?
जय- ओहो.. अच्छा पक्का वादा नहीं मुकुरूँगा.. जब चाहो माँग लेना.. बस खुश.. चलो उठो.. ये चादर हटाओ और ठीक से बैठो।
रश्मि- न्न्न..नहीं नहीं.. भाई ये रहने दो.. क्या बात है बोलो.. मैं सुन रही हूँ ना..
जय- ओके ओके.. रहने दो.. अच्छा सुनो.. शाम को क्लब में एक पार्टी है.. वहाँ मेरे साथ चलोगी ना तुम?
रश्मि- अरे मैं वहाँ जाकर क्या करूँगी भाई?
जय- अरे.. शाम को मेरे साथ क्लब चलोगी.. तो वहाँ मेरे कुछ दोस्तों से तुमको मिलवाना है।
रश्मि- मैं उनसे मिलकर क्या करूँगी?
जय- अरे बाहर जाओगी.. लोगों से मिलोगी.. तभी तो सब को पता लगेगा ना.. कि तुम जय खन्ना की बहन हो.. उसके बाद किसी की क्या मज़ाल जो तुमको परेशान करे.. जैसे उन लड़कों ने किया था.. हॉस्टल के बाहर..
रश्मि- हाँ ओके.. चलेंगे वो आपका दोस्त साजन भी आएगा क्या वहाँ?
जय- हाँ आएगा ना.. क्यों उसके बारे में क्यों पूछ रही हो तुम?
रश्मि- अब आप तो मेरे भाई हो और इस उमर में एक लड़की को ब्वॉयफ्रेण्ड की जरूरत होती है.. सोच रही हूँ साजन को ही बना लूँ लड़का अच्छा है..
जय- रश्मि तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है क्या… वो साजन ठीक नहीं है.. तुम उसको जानती ही कितना हो?
रश्मि- ओह्ह.. ये बात है.. तो ठीक है ना.. आज शाम को जान लूँगी.. क्यों ठीक कहा ना मैंने भाई?
जय- नहीं रश्मि प्लीज़.. ऐसा मत कहो वो साजन सही लड़का नहीं है.. तुम बात को समझो..
रश्मि- ठीक है भाई.. मगर एक शर्त पर.. आप मेरे ब्वॉय फ्रेण्ड तो नहीं बन सकते.. मगर मेरी हेल्प तो कर सकते हो.. कोई अच्छा लड़का चुनने में?
जय- ओके.. मैं ये कर सकता हूँ.. मगर ये अचानक तुमको ब्वॉय फ्रेण्ड की जरूरत क्यों पड़ गई.. आज से पहले तो तुम इन सब से दूर रहती थी।
रश्मि- भाई अभी सपने में मेरी आपसे बहस हो रही थी और हक़िक़त में भी आप ऐसे ही कर रहे हो.. ब्वॉय फ्रेण्ड की जरूरत नहीं होती.. ये तो एक फैशन है.. अब मुझे कहीं बाहर जाना हो.. घूमना हो.. तो सेफ्टी के लिए एक लड़का तो साथ होना चाहिए ना.. और वैसे भी आजकल की लड़कियाँ ब्वॉय फ्रेण्ड बनाती इसलिए हैं ताकि एटीएम मशीन और उसका बॉडी गार्ड उसके साथ ही रहे और ये दोनों खूबी ब्वॉय फ्रेण्ड में होती हैं।
जय- अरे ये मिडल क्लास लड़कियों की तरह क्यों सोच रही हो.. तुम्हें पैसे की क्या कमी है.. जो किसी उल्लू का सहारा लोगी.. और रही बात सेफ्टी की.. तो मैं किस लिए हूँ.. तेरा भाई हाँ?
रश्मि- ओह्ह.. भाई आपसे बहस करना बेकार है.. जाओ नहीं चाहिए ब्वॉय फ्रेण्ड.. ओके खुश लेकिन आप मेरे पक्के वाले फ्रेण्ड तो बन सकते हो ना?
जय- अरे इसमें पूछने की क्या बात है.. मैं तो हूँ ही तेरे पक्का दोस्त.. चल अब तू आराम कर.. मैं बाहर जाकर आता हूँ थोड़ा काम है..
रश्मि- क्या भाई.. अभी आए और अभी वापस जा रहे हो?
जय- अरे कुछ अर्जेंट काम है.. शाम को रेडी रहना.. ओके वहाँ जाना है..
रश्मि- ओके.. माय स्वीट ब्रो.. जाओ शाम को मिलते है बाय..
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