RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
काम्या- अच्छा किया बेटा.. तुम बैठो.. मैं खाने का इंतजाम करती हूँ.. अब घर तक आए हो तो खाना खाए बिना नहीं जाने दूँगी..
साजन कुछ बोलता उसके पहले ऊपर से दोनों नीचे आते हुए दिखाई दिए। काम्या वहाँ से रसोई की तरफ़ चली गई मगर साजन को देख कर दोनों के होश उड़ गए।
रश्मि भाग कर दोनों से मिली.. वो उनसे मिलकर बहुत खुश थी।
जय की तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी साजन को देख कर उसका गला सूख गया था।
रश्मि- अरे आप दोनों को क्या हो गया है.. ऐसे क्या देख रहे हो? ये आपका दोस्त साजन ही है.. कोई भूत नहीं.. जो आप दोनों इसे देख कर ऐसे डर रहे हो हा हा हा..
विजय- त..तो..तुम यहाँ कैस?
साजन कुछ बोलता.. उसके पहले रश्मि ने सारा हाल उनको सुना दिया।
जय- किसकी इतनी मजाल.. जो हमारी बहन को छेड़ने की हिम्मत की.. सालों को जान से मार दूँगा में..
रश्मि- अरे नहीं भाई.. इसकी जरूरत नहीं है.. साजन ने उनको अच्छा सबक़ सिखा दिया है।
साजन कुछ बोलना चाहता था.. तभी उसका फ़ोन बजने लगा, उसने फ़ोन उठाया और बस इतना कहा कि 5 मिनट में आता हूँ.. वेट करो..
साजन- सॉरी रश्मि मुझे जाना होगा.. फिर कभी आऊँगा.. तुम पर मेरा लंच उधार रहा.. ओके बाय..
रश्मि- ओह साजन.. थोड़ा रुक जाते तो अच्छा होता.. चलो अब जा ही रहे हो तो ‘थैंक्स..’ कि आपने मेरी इतनी हेल्प की..
साजन- अरे इसमें थैंक्स क्या.. तुम कोई पराई थोड़ी हो.. ओके विजय एंड जय.. चलता हूँ और हाँ शाम को मिल रहे हो ना.. या कल मिलोगे?
विजय- ओके, जाओ मैं शाम को कॉल कर दूँगा तुमको..
रश्मि- भाई आप दोनों के चेहरे ऐसे उतरे हुए क्यों हैं?
जय- अरे कुछ नहीं.. बस ऐसे ही.. तू सुना क्या चल रहा है.. तेरे एग्जाम कैसे रहे और अबकी बार तू कहीं नहीं जाएगी.. समझी अब बहुत हो गया बस.. अब तू हमारे साथ ही रहेगी..
काम्या- अरे बेटा.. मैं तो समझा कर थक गई.. हर बार मेहमान की तरह आती है और चली जाती है। अबकी बार तुम दोनों ही इसे समझाना कि यह इसका भी घर है.. ऐसे हॉस्टल में रहना अच्छा नहीं..
विजय- आप टेन्शन मत लो आंटी.. अबकी बार हम इसको नहीं जाने देंगे।
काफ़ी देर तक वहाँ बातें होती रहीं.. काम्या ने साजन के बारे में पूछा तो रश्मि ने बता दिया कि उसको कोई काम था.. वो चला गया..
रश्मि- ओके मॉम.. मैं फ्रेश होकर आती हूँ.. उसके बाद सब साथ में लंच करेंगे ओके बाय ब्रो..
रंगीला- हाँ जानता हूँ.. तुझे भी और तेरी औकात भी मुझे पता है..
साजन- रंगीला भाई.. ये बहुत ज़्यादा हो रहा है.. अब काम की बात करो..
रंगीला- देख साजन.. तुझे पैसे से मतलब होना चाहिए.. इसके अलावा तू अपना दिमाग़ लगाना बन्द कर..
साजन- बिग बॉस, अब तक तो आपने सिर्फ़ खुरचन दी है.. अब कोई तगड़ा माल दो.. तो अपना दिमाग़ चलाना तो क्या.. ताला लगा के बन्द कर दूँगा मैं..
रंगीला- मैं जानता था.. मेरा राज़ जानने के बाद तू अपना मुँह जरूर खोलेगा.. इसी लिए उसे बन्द करने का बंदोबस्त करके आया हूँ।
इतना कहकर रंगीला ने नोटों की एक गड्डी साजन के पास फेंकी।
साजन- ओह.. बिग बॉस आप महान हो.. बस ऐसे ही पैसों की बारिश करते रहो मेरे को क्या.. तुम जय की बहन को चोदो.. या उसको रंडी बनाओ..
रंगीला- क्यों अब आया ना अपनी औकात पर.. चल पहले ये बता तुझे पता कैसे लगा मेरे बारे में?
साजन- भाई बुरा मत मानना.. वैसे तो आप बहुत माइंड वाले हो.. मगर पैसे देते टाइम मैंने आपकी पिक देख ली थी और ये पहली बार होता तो शायद में कन्फ्यूज ही रहता.. मगर पहले भी अक्सर पार्टी में मैंने आपके पर्स में ये पिक देखी हुई थी.. तो बस में फ़ौरन समझ गया कि ये आप हो।
रंगीला- यदि मेरा पर्स चोरी हो गया होता और ये किसी और के पास होता तो?
साजन- नहीं भाई.. साजन इतना कच्चा नहीं है.. मुझे पता था आप अगर भाई हो तो वहाँ रहोगे.. और हुआ भी वैसा ही.. उसके बाद भी मैंने ब्लू शर्ट वाली बात बोली ताकि पक्का कनफर्म हो जाए और बस हो गई बात कन्फर्म.. हा हा हा..
रंगीला- साला पक्का कुत्ता है तू.. बस फ़र्क इतना है उसकी नाक तेज होती है और तेरी आँख तेज है।
साजन- भाई कुत्ता नहीं.. अपुन बाज है.. जो दूर से भी शिकार को देख लेता है और आप तो बहुत पास थे मेरे..
रंगीला- चल अब ये सब बातें बंद कर.. वहाँ क्या हुआ.. ये बता?
साजन ने वहाँ का सारा हाल बता दिया।
रंगीला- अब आएगा मज़ा.. साला हमारे जाल में फँस गया।
साजन- भाई बुरा ना मानना.. मगर मैं जानना चाहूँगा कि वो वजह क्या है जिसके लिए आप ये सब कर रहे हो?
रंगीला- वैसे तो तुझे बताना जरूरी नहीं है मगर आज मैं बहुत खुश हूँ इसलिए तुझे बता देता हूँ।
साजन- हाँ भाई अपुन को सुनना है..
रंगीला- मैंने तुझे झूठ कहा था कि रश्मि ने मुझे नामर्द कहा.. असली बात तो यह है कि मैं एक लड़की से सच्चा प्यार करने लगा था.. हम दोनों शादी करना चाहते थे.. मगर जय की गंदी नज़र उस पर पड़ गई और वो उसे अपनी हवस का शिकार बनाने के लिए बेताब हो गया।
साजन- ओह.. साला बहुत हरामी है।
रंगीला- हाँ साजन.. अगर उस टाइम मुझे उसकी नीयत का पता लग जाता.. तो आज मेरा प्यार मेरे साथ होता.. मगर उस कुत्ते की वजह से मैं अकेला हो गया.. मिटा दिया उसने मेरी जान को तोड़ दिया.. उसने मेरे विश्वास को.. अब में उसे बताऊँगा कि उसकी हवस का अंत उसकी अपनी बहन की चूत पर होगा.. पहले तो सबके सामने साली को नंगा करूँगा.. उसके बाद उस कुत्ते को भी बहनचोद बन जाने पर मजबूर कर दूँगा.. उसके बाद उसकी हवस ख़त्म होगी और मेरा बदला पूरा होगा..
साजन- भाई रश्मि को चोद कर उसकी हवस ख़त्म होने के बजाए बढ़ जाएगी.. वो चीज़ ही ऐसी है।
रंगीला- नहीं साजन.. रश्मि उसकी लास्ट शिकार होगी.. क्योंकि उसके बाद उसको इतना बदनाम कर दूँगा कि साला किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेगा।
साजन- मगर भाई.. विजय का क्या होगा? वो भी तो साथ होगा.. उसको भी साथ बदनाम करोगे क्या?
रंगीला- नहीं साजन.. उससे मेरी कोई दुश्मनी नहीं है.. मगर एक पुरानी कहावत है.. कि गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है.. अगर वो बीच में टांग अड़ाएगा.. तो उसका भी यही अंजाम होगा.. क्योंकि अब मैं पीछे नहीं हटूँगा अपना बदला लेकर रहूँगा।
साजन- अच्छा.. अब आगे क्या करना है?
रंगीला- तुमने बहुत बड़ी ग़लती की जो आनंद और सुंदर को यह राज़ बता दिया कहीं वो कुछ गड़बड़ ना कर दें।
साजन- नहीं भाई.. वो मेरे भरोसे के आदमी हैं वो ऐसा कुछ नहीं करेंगे..
रंगीला- ओके ठीक है.. अभी उनके पास जाओ.. उनको समझाओ.. यह राज़ नहीं खुलना चाहिए.. आगे का प्लान मैं फ़ोन पर तुमको बता दूँगा।
साजन- ठीक है भाई.. वैसे भी आज तो उन दोनों की गाण्ड फटी हुई है.. वो तो अब सोचते रहेंगे कि क्या करें..
रंगीला- नहीं वो कुछ नहीं सोचेंगे.. सीधे मुझे फ़ोन करेंगे.. वैसे अब तक उनका फ़ोन आ जाना चाहिए था.. लगता है मौका नहीं मिला होगा सालों को.. हा हा हा..
कुछ देर साजन वहीं रहा.. उसके बाद सीधा अपने दोस्तों के पास आकर उनको अच्छी तरह सब समझा दिया कि आगे बहुत ध्यान से सब करना है।
दोस्तों आप सोच रहे होंगे.. शुरू में तो बहुत गर्म पार्ट आ रहे थे.. मैंने अब आपको ये कहाँ ट्विस्ट के चक्कर में फँसा दिया.. तो चलो आपकी शिकायत अभी दूर कर देते हैं।
उधर खाना खाने के बाद रानी ने माँ से कहा- मैं जेम्स के साथ खेत पर जा रही हूँ.. जल्दी आ जाऊँगी।
उसकी माँ ने उसे भेज दिया।
दोनों बातें करते हुए खेत पर पहुँच गए.. वहाँ एक कमरा बना हुआ था.. जहाँ एक चारपाई भी थी.. दोनों वहाँ जाकर उस पर बैठ गए..
रानी- हाँ तो जेम्स, अब सुना तू अपनी कहानी शहर में क्या काम करता है.. और कोई शहरी लड़की के चक्कर में तो नहीं पड़ गया ना?
जेम्स- अरे नहीं रे.. तू भी ना कुछ भी बोल देती है.. मेरे पिता जी ने एक छोटी सी दुकान पर लगाया है.. बस सारा दिन वहीं रहता हूँ.. कभी कभार सेठ छुट्टी दे देता है.. तो उस कुत्ते की खैर-खबर लेता हूँ। मेरा असली मकसद वही था.. अब सब पता लग गया.. तो मैं कुछ दिन की छुट्टी लेकर तेरे से मिलने आ गया। मगर काकी ने बताया तू तो किसी बाबू के साथ गई है.. बस मेरा माथा ठनका.. मगर मैं कुछ करता.. तू आज आ ही गई..
रानी- धत्त तेरी की.. शहर में किसी मेम को नहीं देखा तूने?
जेम्स- अरे देखी तो बहुत.. मगर जो बात गाँव की गोरी में होती है.. वो शहर में कहाँ है पगली..
रानी- अच्छा गाँव में कोई पसन्द है क्या तुझे?
जेम्स- हाँ एक लड़की है.. बड़ी नाज़ुक सी.. मगर कहने में डरता हूँ।
रानी- अरे वाह.. बता ना कौन है वो.. मैं भी तो देखूँ कौन छिपकली है.. जो मेरे दोस्त को भा गई।
जेम्स- ओ रानी की बच्ची.. ज़ुबान संभाल.. वो तो स्वर्ग की अप्सरा है।
रानी- ऊँहह.. होगी मेरी जूती से.. मैं गाँव की सब छोरियों को जानती हूँ.. कौन कैसी है.. समझे..
जेम्स- तू अपने आपको समझती क्या है.. अपनी सूरत देखी है.. लोमड़ी लगती हो एकदम.. हा हा हा..
इतना कहकर जेम्स खड़ा हो गया और बाहर भाग गया.. वो जानता था रानी अब उसको मारने के लिए पीछे आएगी और हुआ भी वही।
रानी गुस्से में उसके पीछे भागी.. दौड़ते हुए जेम्स गिर गया और उसकी जाँघ पर कोई नुकीला पत्थर लग गया.. जिससे उसकी पैन्ट भी फट गई और हल्का सा खून भी निकल आया..
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