Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
02-06-2019, 05:14 PM,
#16
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
काजल- वाह यार.. तू भी कमाल की है.. आंटी को रंडी और पापा को कुछ नहीं.. ये भेदभाव क्यों?
रश्मि- मेरे पापा शुरू से अच्छे थे और अब भी अच्छे हैं.. उस रंडी ने उनको बहका दिया.. उसमें पापा का क्या कसूर? मेरी माँ ओल्ड टाइप की हैं.. और वो रंडी मॉर्डन.. बला की खूबसूरत.. जिसे देख कर वो क्या.. कोई भी बहक जाए.. खास कर जब कि वो अपने हुस्न के जलवे दिखाए.. समझी?
काजल- अच्छा तो ये बात है.. तेरी आंटी जलवा दिखाती हैं.. मगर ये तो बता तेरे अंकल कहाँ हैं? वो कैसे कुछ नहीं कहते?
रश्मि- यार अब बस भी कर.. क्या बकवास टॉपिक लेकर बैठ गई? तू अपनी सुना ना.. कैसे तूने पहली बार सेक्स किया था और किसके साथ किया था?
काजल- अरे ये टॉपिक तो तेरे टॉपिक से भी ज़्यादा बकवास है.. तू सुन नहीं पाएगी और वैसे भी तेरी नज़र में मेरी इज्जत कम है.. वो बात सुनकर तो तू मेरे को थर्ड क्लास रंडी का दर्जा दे देगी।
रश्मि- अरे नहीं नहीं.. ऐसा कुछ नहीं है.. मैं क्यों तुझे गलत समझूँगी.. यार तेरी लाइफ है.. तू जैसे चाहे जिए.. चल बता..
अब काजल आराम से सीधे होकर बैठ गई और वो बोली- अब पूरी बात सुनने के बाद ही कुछ बोलना समझी..
रश्मि ने कुछ सोचा और खड़ी हो गई।
काजल- अरे क्या हुआ.. तेरे को मेरी बात नहीं सुनना क्या?
रश्मि- अरे नहीं नहीं.. सुन रही हूँ ना.. लेकिन तू शुरू करे उसके पहले मैं बाथरूम जाकर आती हूँ.. ताकि बाद में तेरी बात काटकर ना जाऊँ.. बड़े जोरों की लगी है यार..
काजल- अरे अभी असली मज़ा शुरू भी नहीं हुआ और तेरी चूत रिस गई क्या.. हा हा हा हा.. जा जल्दी आना..
रश्मि- तू बहुत बेशर्म है.. अब बाथरूम जाने में भी गंदी बात बोल दी.. तू नहीं जाती क्या..
काजल- अच्छा बाबा सॉरी.. अब जा जल्दी आ जाना ओके..
रश्मि के जाने के बाद काजल वहीं बैठ कर पुराने लम्हों को याद करके मुस्कुराने लगी।
दोस्तो, अब रश्मि जब तक नहीं आ जाती.. यहाँ हम क्या करेंगे.. चलो हमारे दोनों हीरो को देख लेते हैं।
जय और विजय खाने के बाद अपने कमरे में बैठे थे.. तभी वहाँ रानी आ गई.. जिसे देख कर दोनों के होश उड़ गए क्योंकि रानी ने अपने जिस्म पर सिर्फ़ एक तौलिया लपेटा हुआ था।
जय- अरे रानी.. ये क्या.. ऐसे अधनंगी क्यों घूम रही हो.. क्या इरादा है तुम्हारा.. क्यों हमारा ईमान खराब कर रही हो तुम?
रानी- बाबूजी.. आप बुरा ना मानना.. मगर आप जैसे बेईमान का ईमान कहाँ होता है.. मुझे काम के बहाने यहाँ लाए और यहाँ मुझसे दूसरा ही काम करवा रहे हो।
विजय- हा हा हा मेरी जान.. ऐसे तो ना कहो.. हमने काम ही कहा था और मालिश की बात की थी.. उसके अलावा क्या बेईमानी की.. बता तू?
रानी- अब रहने दो.. आप लोगों ने तो इतना बड़ा बम्बू मेरी छोटी से जगह में घुसा दिया.. ये कौन सा काम हुआ?
जय- अरे अभी भी तेरी शर्म नहीं निकाली क्या.. जगह नहीं चूत बोल चूत.. हा हा.. और ये तो बता ऐसे क्यों आई है?
रानी- अब कपड़े पहने का फायदा ही क्या.. कुछ देर बाद तो आप निकाल ही दोगे.. मैंने सोचा ऐसे ही आपके पास चली आती हूँ.. और एक बात भी पूछनी है।
विजय- आ जाओ मेरी जान.. यहाँ आओ.. सही कहा.. जब नंगी होना ही है तो कपड़े पहने का फायदा क्या.. बोल क्या बात पूछनी थी तेरे को?
रानी- वो आप कल चले जाओगे तो मैं यहाँ अकेली क्या करूँगी.. आप मुझे अपने साथ शहर ले चलो ना..
जय- अरे रानी रानी.. तुझसे अब दूर कहाँ रहा जाएगा.. बस कुछ दिन की बात है.. हम वापस आ रहे हैं ना.. और तू यहाँ मत रहना तुझे वापस गाँव छोड़ देंगे.. जब दोबारा आएँगे तू साथ आ जाना समझी..
रानी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और खुश हो गई। अब वो दोनों के बीच में बैठी हुई थी और शर्मा रही थी।
जय धीरे-धीरे उसके गालों को सहला रहा था और विजय उसकी जाँघों को दबा रहा था। रानी ने आँखें बन्द कर ली थीं.. और आने वाले पलों के बारे में सोच कर मज़ा ले रही थी।
जय- उफ़फ्फ़ रानी.. तेरे ये पतले होंठ मुझे पागल बना रहे हैं कल क्या मज़ा दिया था तूने.. अपने इन मुलायम होंठों से मेरे लंड को.. आह्ह..
विजय- हाँ.. रानी तू लौड़ा बहुत अच्छा चूसती है.. चल आज तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा में.. और तू भाई का लौड़ा चूस के मज़ा ले.. चल आ जा..
रानी- नहीं बाबूजी.. मैंने कहा था ना.. दोनों एक साथ मत करना.. मुझे बहुत दुःखता है।
विजय- अरे यार दोबारा वही बाबूजी.. बड़ा अजीब लगता है.. नाम लो यार तुम.. उसमें ज़्यादा मज़ा आएगा।
जय- अरे रानी.. दो का मज़ा ही कुछ और होता है.. आज तेरे को डबल का असली मज़ा देंगे.. तू बस देख और विजय ठीक कहता है.. नाम ले हमारा..
रानी- अच्छा जय जी.. आप जैसा कहो.. ठीक है.. अब मैं मना नहीं करूँगी.. जैसे चाहे चोद लो मुझे.. बस खुश.. अब शुरू हो जाओ..
विजय- ये हुई ना बात मेरी जान.. अब आएगा असली मज़ा..
रानी- विजय जी.. एक बात कहूँ.. मुझे आज पूरा मज़ा दे दो.. ताकि कल जब आप लोग चले जाओ.. तो मैं बस आपको याद करके दिन बिताऊँ..
विजय- हा हा हा हा.. देखा भाई.. यह है लंड का चस्का.. साली एक दिन में ही हमारी गुलाम हो गई।
जय- हाँ.. अब ऐसे मस्त लौड़े इसे कहाँ मिलेंगे.. चल मेरी जान.. पहले हम दोनों के लौड़े को चूस कर चिकना कर.. उसके बाद तेरी चुदाई करेंगे..
इतना कहकर दोनों ने अपने कपड़े निकाल दिए और बिस्तर पर सीधे लेट गए, रानी ने भी अपना तौलिया उतार दिया, अब वो भी नंगी थी और दोनों के पैरों के बीच बैठ कर दोनों हाथों से एक साथ दोनों के लौड़े सहला रही थी।
जय- आह्ह.. तेरे हाथ भी कमाल के हैं लंड को छूते ही इसमें करंट पैदा हो जाता है.. देख ये कैसे अकड़ने लग गया है..
रानी- जय जी.. आप भी बहुत उतावले हो.. विजय जी को देखो कैसे आँखें बन्द किए हुए मज़ा ले रहे हैं अब बस आप चुप रहो.. मुझे प्यार से सब करने दो..
उसके बाद कोई कुछ ना बोला और रानी बारी-बारी दोनों के लंड चूसने लगी.. जो अब पूरे विकराल रूप में आ गए थे।
रानी एक्सपर्ट तो नहीं थी मगर अपनी पूरी कोशिश कर रही थी कि किसी तरह दोनों को पूरा मज़ा दे सके।
जय- उफ्फ.. जालिम ऐसे ना चूस.. नहीं लौड़ा चूत में जाने से पहले ही ठंडा हो जाएगा..
विजय- आह्ह.. मज़ा आ रहा है भाई.. इसके 2 होल तो खोल दिए हमने.. आज तीसरा भी खोल ही देते हैं।
उन दोनों की बात सुनकर रानी ने लौड़ा मुँह से निकाला और सवालिया निगाहों से उनको देखने लगी।
जय- अरे क्या हुआ.. चूस ना मेरी रानी रुक क्यों गई..
विजय- लगता है थक गई भाई.. या इसकी चूत बहुत गीली हो गई है शायद..
रानी- आप दोनों ना बस गंदी बातें करना जानते हो.. ये होल का क्या मतलब है.. ये तो बताओ?
विजय- अरे होल नहीं जानती.. हा हा हा अरे जानेमन.. हम तेरे छेद की बात कर रहे हैं देख एक तेरा मुँह भी एक छेद है.. जिसका मज़ा हमने ले लिया.. दूसरा छेद है.. तेरी फड़कती चूत.. जिसको हमने खोल दिया। अब आख़िर का छेद बचा तेरी गाण्ड का.. आज उसको भी खोल कर तुझे पूरी तरह औरत बना देंगे हा हा हा हा..
रानी- नहीं नहीं बाबूजी.. भगवान के लिए आज ऐसा कुछ ना करना.. वरना कल माँ के सामने नहीं चल पाऊँगी.. मेरी फुद्दी में ही अभी बहुत दर्द है.. इसका दर्द तो ख़त्म होने दो.. अगली बार आऊँगी तो जो चाहे कर लेना.. मगर आज नहीं..
जय- अरे डरती क्यों है.. कुछ नहीं होगा.. तू हमें जानती नहीं है.. चोदने के पक्के खिलाड़ी है हम..
रानी- नहीं जय जी.. बस मेरी ये बात मान लो.. आपको भगवान की कसम है.. अगर मेरी बात ना मानी तो..
विजय- अरे डर मत.. जा आज नहीं करेंगे.. मगर जल्दी ही तेरी मुलायम गाण्ड का मुहूरत मैं ही करूँगा.. ठीक है..
जय- अरे तू क्यों.. मैं करूँगा.. इतनी प्यारी गाण्ड को तो मैं ही खोलूँगा..
विजय- नहीं भाई अपने चूत को खोला है ना.. अब गाण्ड की बारी मेरी है.. समझे आप..
रानी- हा हा हा दोनों लड़ाई मत करो.. सिक्का उछाल कर तय कर लेना कि कौन पहले करेगा..
विजय- अगर ऐसी ही बात है तो सिक्का क्यों.. हम ताश का गेम खेल कर तय करे लेंगे.. क्यों भाई क्या कहते हो.?
जय- अरे हार जाएगा.. तू जानता है ना.. किस्मत हमेशा मेरे साथ होती है तीन इक्के लाऊँगा हा हा हा..
विजय- वो तो समय आने पर पता लगेगा भाई.. कि कौन जीतेगा.. अभी क्यों मूड खराब करना.. इतनी प्यारी कन्या चूत फैलाए पड़ी है.. इसका तो इन्तजाम कर दे पहले..
जय को विजय की बात समझ आ गई उसने रानी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके निप्पल चूसने लगा।
इधर विजय ने उसकी चूत को अपना निशाना बनाया और चाटने लगा..
रानी- आह्ह.. नहीं उफ्फ.. विजय जी आह्ह.. दुःखता है.. आह्ह.. ऐसे ना करो ना.. आ…
विजय चूत के दाने को जीभ से हिला रहा था.. कभी पूरी चूत को होंठों में दबा कर ज़ोर से चूसने लगता.. जिससे रानी की सिसकी निकल जाती.. ऊपर से जय उसके निप्पल को दाँतों से दबा कर मज़ा दे रहा था।
उन दोनों के लौड़े उफान खाने लगे थे.. अब वासना का तूफान अपने चरम पर पहुँच गया था।
विजय- उफ्फ.. नारियल पानी से भी ज़्यादा टेस्टी रस है तेरी चूत का.. चल जानेमन अब तेरी चूत को ठंडा करता हूँ.. जल्दी से बन जा घोड़ी.. देर मत कर..
जय बिस्तर से टेक लगा कर बैठ गया और रानी जय के पैरों की तरफ़ मुँह करके घोड़ी बन गई।
अब जय का खड़ा लंड उसके मुँह के पास था, उधर पीछे विजय लौड़े को चूत पर टिका कर शॉट लगाने की तैयारी में था।
जय- अरे रानी रानी.. तू तो बहुत ज़बरदस्त घोड़ी बनी है रे.. चल.. सोच क्या रही है.. चारा तेरे सामने है.. तो खा ना.. हा हा हा..
रानी मुस्कुरा कर लौड़े को मुँह में लेके चूसने लगी और विजय ने सुपारा चूत में घुसा कर धक्का मारा.. तो दर्द के मारे रानी आगे को सरक गई। मगर विजय ने उसकी कमर को मजबूती से पकड़ कर ज़ोर का धक्का मारा.. पूरा लौड़ा चूत में समा गया और रानी दर्द से कराह उठी। मगर जय का लौड़ा मुँह में था तो बस बेचारी कसमसा कर रह गई..
विजय- आह्ह.. रानी.. तेरी चूत तो मक्खन जैसी है.. मज़ा आ गया रानी.. अब घोड़ी ठीक से बनी रहना.. मैं रफ़्तार बढ़ा रहा हूँ.. तेरी सवारी का मज़ा आराम से लेने में मज़ा नहीं आएगा.. जितनी स्पीड तेज होगी.. उतना ज़्यादा लुत्फ़ मिलेगा मेरी जान..।
विजय अब चूत में लौड़े की ठोकमठोक करने लगा था.. उधर बेचारी रानी आगे जय के लौड़े से और पीछे विजय के लौड़े से चुद रही थी। फ़र्क ये था जय आराम से बैठा था और रानी मुँह आगे-पीछे करके उसके लौड़े को चूस रही थी और विजय अपनी कमर को स्पीड से हिला रहा था।
जय- आह्ह.. चूस जान उफ्फ.. तेरा मुँह भी चूत जैसा मज़ा दे रहा है आह्ह..
विजय 10 मिनट तक स्पीड से चुदाई करता रहा। इधर जय भी लौड़े की चुसाई से बेहाल हो गया था। अब दोनों ने पोज़ चेंज किया। विजय सामने बैठा और जय चूत को पेलने लगा।
विजय- आह तेरी चूत में जो मज़ा है.. आ अब मुँह से वैसा ही मज़ा दे.. होंठ भींच कर चूस मेरी जान…
जय स्पीड से लौड़े को आगे-पीछे करने लगा.. वो झड़ने वाला था। इधर विजय का भी हाल बुरा था.. वो रानी के मुँह को ज़ोर से चोदने लगा.. कमर को झटके देने लगा। तभी उसके लौड़े ने रानी के मुँह में माल गिरा दिया.. इधर जय भी चूत में लावा भरने लगा।
इस दौरान रानी 2 बार झड़ चुकी थी उसकी कमर दुखने लगी थी। उसकी चूत का तो हाल पूछो मत.. पहले ही सूजी हुई थी.. अब तो और सूज गई, वो बेहाल सी होकर एक तरफ़ लेट गई..
दोस्तो, रानी ने तो दो का मज़ा एक साथ ले लिया.. अब यहाँ रुकने का फायदा नहीं.. इनको थोड़ा आराम करने दो.. वहाँ रश्मि वापस आ गई होगी.. तो वहाँ चलते हैं।
रश्मि आकर काजल के पास बैठ गई और कहा- अब सुना तेरी कहानी..
काजल- ठीक है सुन.. अब से 3 साल पहले की बात है.. जब मैं 18 साल की थी.. घर में मॉम-डैड के अलावा मेरा बड़ा भाई पुरषोत्तम उर्फ रेशू और छोटा भाई राजू भी है। रेशू उस समय 22 का था और कॉलेज में लास्ट इयर की पढ़ाई कर रहा था और राजू कम उम्र का था।
रश्मि- छी: पुरषोत्तम.. इतना पुराना नाम है तेरे भाई का?
काजल- ओए.. मेरे भाई के बारे में कुछ मत बोलो.. आई लव माय ब्रदर और यह मेरे दादा का नाम था.. सो डैड ने भाई को ये नाम दिया.. मगर सब उसे रेशू ही कहते हैं समझी..!
रश्मि- अच्छा अच्छा आगे बता क्या हुआ कैसे तू सेक्स की
काजल- हाँ.. सुन ना यार.. मेरा भाई मुझे बहुत प्यार करता था। वो बहुत स्मार्ट ब्वॉय है.. और मेरा फिगर भी उस समय 28-24-30 का था। एरिया के सब लड़के मुझे देख कर कमेन्ट करते थे कि इसके अमरूद छोटे हैं कौन खुशनसीब होगा जो इन्हें सेब बनाएगा.. मगर मैं समझ नहीं पाती थी। तू तो शायद अभी इतनी नादान नहीं है.. मगर मैं बहुत भोली थी।
Reply


Messages In This Thread
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम - by sexstories - 02-06-2019, 05:14 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,489,028 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 543,060 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,226,986 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 928,001 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,646,991 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,074,693 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,940,928 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,024,195 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,019,538 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,738 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)