RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
आनंद- अबे सुन तो साली.. बीच में बोलती है तू.. वो गेम कोई पैसों का नहीं होता है। वहाँ सब अपनी गर्लफ्रेण्ड को लेकर जाते हैं और हम गर्ल फ्रेण्ड के साथ टीम बना कर तीन पत्ती का गेम खेलते हैं और जो हरता है.. हर बाजी के साथ उसकी गर्लफ्रेण्ड को एक कपड़ा उतारना होता है। ऐसे धीरे-धीरे सबके कपड़े उतरते हैं और जिस लड़की के कपड़े सबसे पहले पूरे उतर जाते हैं उसकी टीम हार जाती है। फिर उस रात सभी जीतने वाले उसके साथ सुहागरात मनाते हैं।
कोमल- ओ माय गॉड.. ये तो बहुत ख़तरनाक गेम है.. एक लड़की के साथ सभी चुदाई करते हैं? उसकी जान नहीं निकल जाती.. वैसे वहाँ कितने लड़के होते हैं.?
आनंद- अरे कुछ नहीं होता.. ज़्यादा नहीं बस हर बार 6 लड़के होते हैं। जिसमें हारने वाला तो चोदता नहीं है.. तो बस रात भर 5 ही लौंडे लड़की की चुदाई का मज़ा लेते हैं। फिर दूसरे दिन सुबह वो लड़का गेम से निकल जाता है और बाकी के लोग गेम खेलते हैं। बड़ा मज़ा आता है यार..
कोमल- ओह.. ये बात है.. वैसे हर बार सभी लोग वही होते हैं या अलग-अलग होते हैं?
आनंद- नहीं.. बस तीन लड़के वही होते हैं और 3 को हर बार अलग चुना जाता है।
कोमल- ऐसा क्यों.. वो 3 कौन हैं और दूसरों को कैसे चुनते हैं?
आनंद- मेरी जान तूने रणविजय खन्ना का नाम तो सुना होगा? उसका बेटा जय ये पार्टी देता है.. तो वो तो होगा ही वहाँ और उसका भाई विजय और एक खास दोस्त रंगीला भी साथ होता है। बाकी लड़कों को पार्टी के कुछ दिन पहले यहाँ के क्लब में जमा करके मीटिंग होती है और एक खेल के जरिए वो बाकी के तीन लड़कों को चुनता है।
कोमल- हाँ खन्ना का नाम सुना है.. वो तो बहुत पैसे वाला है और वहाँ कैसी मीटिंग होती है.. और कैसे चुनते हैं?
आनंद- इतना सब तू मत पूछ.. और वहाँ का नहीं पता.. मैं खुद वहाँ पहली बार जा रहा हूँ..
कोमल- अच्छा यह तो बता.. कोई लड़की इस खेल के लिए कैसे राज़ी होती है?
आनंद- अरे मेरी जान.. पैसा चीज ही ऐसी होती है… कि इंसान ना चाहते हुए भी वो सब काम कर लेता है.. जो उसको ठीक ना लगे.. समझी, वहाँ पर हर बार 1 लाख का इनाम होता है।
कोमल- ओ माय गॉड.. 1 लाख.. मगर फिर भी कोई लड़की अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड के सामने सब कैसे करती होगी?
आनंद- अरे आजकल लड़की को पटा कर लड़का पहले चोद कर उस लड़की को लौड़े की आदी बनाता है.. और पैसे का लालच देकर उसको बड़े-बड़े सपने दिखाता है। बस इस तरह वो लड़की को मना लेता है और वैसे भी गेम शुरू होने के पहले वहाँ लड़की को इतना नशा करवा देते हैं कि उनको अच्छे-बुरे का पता ही नहीं होता यार.. और एक बात और भी समझ ले कि अधिकतर वे ही लड़कियाँ चूत चुदवाने को राजी होती हैं जिन्हें चुदने की ज्यादा भूख होती है, आजकल तो इसे मस्ती के नाम पर खुला खेल माना जाता है।
कोमल- चल सब समझ गई.. मगर पैसे कौन देता है?
आनंद- अरे जय और कौन यार..?
कोमल- अरे उसको क्या फायदा.. और वो भी तो हारता होगा.. तो पैसे भी जाते है और गर्ल-फ्रेण्ड भी?
आनंद- मेरी जान.. वो एक ठरकी लड़का है.. उसको ऐसे गेम में मज़ा आता है.. नई-नई लड़कियों को चोदना उसका शौक है। वैसे वो चाहे तो ऐसे भी रोज नई लड़की उसके पास हो.. मगर उसको ऐसे खेल का शौक है बस.. पैसा देने के बहाने सबको बुलाता है और उसको एकाध लाख से क्या फ़र्क पड़ता है.. इतने पैसे तो वे लोग रोज ही उड़ा देते हैं। हाँ.. दोनों भाई इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं. उनको आसानी से हराना मुश्किल है। सालों का नसीब भी बहुत साथ देता है।
कोमल- अच्छा.. ये बात है.. तो अब तुम्हारा बॉस मेरे को गर्लफ्रेण्ड बना कर लेकर जाएगा.. यही ना?
सुंदर- तू साली बहुत समझदार है.. जल्दी समझ गई.. हा हा हा हा..
कोमल- चल हट.. साला कुत्ता.. गर्ल-फ्रेण्ड के बहाने हम जैसी लड़कियों को ले जाते हैं वहाँ.. साले झूटे कहीं के..
आनंद- अरे तू गलत समझ रही है.. ऐसा कुछ नहीं है.. ज़्यादातर असली गर्लफ्रेण्ड ही होती हैं। इस बार बॉस का प्लान कुछ अलग है एक लड़की है रश्मि.. उसे उसको चोदना है.. तो वो एक नया गेम बना रहे हैं. जिसमें सिर्फ़ तू हमारी मदद कर सकती है।
कोमल- कैसा नया गेम रे.. ज़रा ठीक से बता मेरे को?
आनंद ने जब बोलना शुरू किया तो कोमल की आँखें फटी की फटी रह गईं.. क्योंकि आनंद ने बात ही ऐसी कहीं थी।
दोस्तो, मैंने इन दोनों की ये लंबी बात आपके लिए करवाई है.. ताकि आपको कहानी समझने में आसानी हो।
अब आखिरी में क्या बात हुई थी.. वो तो फार्म पर पता लगेगी.. तो आप यहाँ क्या कर रहे हो.. चलो वापस वहीं चलते हैं।
अरे रूको रूको.. पहले काजल के पास चलो.. वहाँ हम लोग कब से नहीं गए।
काजल ने अपने कपड़े पहने और चुपके से वापस अपने कमरे की तरफ जाने लगी। तभी उसको ऐसा लगा कि वहाँ से कोई गया है.. वो उसके पीछे चुपके से चल दी। आगे जाकर उसको साफ-साफ दिखाई दिया कि वो प्रमोद ही है.. उसने उस समय कुछ कहना ठीक नहीं समझा और वहाँ से अपने कमरे में आ गई।
तब तक रश्मि भी सो गई थी और काजल सोचने लगी कि उसने प्रमोद के साथ चुदाई की या किसी और के साथ? बस इसी उलझन में वो काफ़ी देर जागती रही और कब उसको नींद आ गई.. पता भी नहीं चला।
दोस्तो, यहाँ का हो गया.. अब रानी के पास चलते हैं मगर आपसे एक बात कहूँगी कि कहानी को अच्छी तरह से ध्यान लगा कर पढ़िएगा.. हर बात जो पॉइंट की है.. उसे नोटिस करना.. क्योंकि आगे सब कड़िया एक साथ जुड़ेंगी और कहानी का रोमांच भी बढ़ेगा.. ओके।
अब देखिए.. रानी के साथ आगे क्या हुआ..
जय के लौड़े को चाटने के बाद रानी को बड़ा अजीब लग रहा था.. उसकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी और जय इस बात को अच्छी तरह जानता था.. तो बस उसने रानी का हाथ पकड़ा और उसको बिस्तर पर बैठा दिया।
जय- तूने बहुत अच्छी तरह मालिश की है.. अब देख एक तरीका मैं बताता हूँ.. अगली बार वैसे करना.. ठीक है..
रानी- ठीक है.. आप बता दो बाबूजी कैसे करना है.. मैं सब सीख जाऊँगी।
जय ने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी जाँघों पर अपने हाथ रख दिए.. जिससे रानी सिहर गई।
रानी- इसस्सस्स.. आह.. ये आप क्या कर रहे हो बाबूजी?
जय- अरे डर मत.. तुझे सिखा रहा हूँ.. अगली बार ऐसे करना..
इतना कहकर जय बड़े सेक्सी अंदाज में रानी की जाँघों को सहलाने लगा।
रानी के जिस्म में तो बिजली दौड़ने लगी थी।
रानी- ककककक.. ठ..ठ..ठीक है.. मैं समझ गई.. आह्ह.. अब बस करो न..
जय- अरे चुप.. अभी कहाँ.. आराम से सीख.. अब बिल्कुल भी बोलना मत..
जय थोड़ा गुस्से में बोला.. तो रानी डर गई और उसने चुप्पी साध ली।
अब जय धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहला रहा था.. कभी-कभी उसकी उंगली चूत को भी टच करती जा रही थी.. बस यही वो पल था.. जब रानी जैसी भोली-भाली लड़की वासना के भंवर में फँसती चली गई।
अब रानी को बड़ा मज़ा आ रहा था.. उसकी चूत फड़फड़ा रही थी और उसने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
जय ने जब ये देखा कि रानी मज़े ले रही है.. तो उसने अपना हाथ सीधे उसकी फूली हुई चूत पर रख दिया और धीरे से चूत को रगड़ने लगा।
रानी- इसस्सस्स.. आह.. बाबूजी आह्ह.. नहीं.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह्ह.. मेरे बदन का खून.. उफ्फ.. लगता है सारा वहीं जमा हो गया.. आह्ह.. नहीं इससस्स.. उफ़फ्फ़..
दोस्तो.. रानी पहले से ही बहुत गर्म थी और जब जय ने चूत पर हाथ रखा और हल्की मालिश की.. बस बेचारी अपना संतुलन खो बैठी..। उसकी कच्ची चूत अपना पहला कामरस छोड़ने लगी। उस वक़्त रानी का बदन अकड़ गया.. उसने जय के हाथ को अपने हाथ से दबा लिया और अजीब सी आवाजें निकालने लगी और झड़ने लगी।
रानी- इसस्स्सस्स.. आह.. उऊहह.. उउओह.. बब्ब..बाबूजी आह्ह.. मुझे क्या हो रहा है.. आआह्ह.. सस्सस्स..
जब रानी की चूत शांत हुई.. तब उसके दिमाग़ की बत्ती जली.. वो झट से बैठ गई और सवालिया नजरों से जय को देखने लगी कि ये क्या हुआह्ह..
जय- अरे घबरा मत.. तेरा भी कामरस निकल गया.. जैसे मेरा निकाला था.. अब तू ठीक है और सच बता.. तुझे मज़ा आया कि नहीं..
रानी- बाबूजी.. ये सब मेरी समझ के बाहर है.. आप मेहरबानी करके अभी यहाँ से चले जाओ.. मुझे अभी बाथरूम जाना है।
जय- अरे तू यहाँ मेरी सेवा करने आई है या मुझ पर हुकुम चलाने आई है.. हाँ तेरी माँ ने यही सिखाया क्या तेरे को?
रानी- अरे नहीं नहीं.. बाबूजी.. आप गलत समझ रहे हो.. मैं तो बस ये कह रही थी.. कि मुझे जोरों से पेशाब आ रही है।
जय- तो जाओ.. मैं यहीं बैठा हूँ.. आकर मेरा सर दबाना ओके..
रानी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और बाथरूम में चली गई। वहाँ जाकर उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी.. शायद अभी जो हुआ.. वो उसको सब अच्छा लगा था।
जय अभी भी नंगा ही था और अपने लौड़े को सहलाता हुआ बोल रहा था- बेटा आज कई दिनों बाद तुझे कच्ची चूत का मज़ा मिलेगा..
कुछ देर बाद रानी वापस बाहर आ गई तो जय लौड़े को सहला रहा था.. जिसे देख कर रानी थोड़ा मुस्कुरा दी।
जय- अरे आओ रानी.. देखो तुमने अभी इसका दर्द निकाला था.. मगर इसमें दोबारा दर्द होने लगा।
रानी- कोई बात नहीं बाबूजी.. मैं फिर से इसका दर्द निकाल दूँगी।
जय- ये हुई ना बात.. आओ यहाँ आओ.. पहले मेरे पास बैठो.. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
|