RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
उसके बात करने के ढंग से काजल को भी यही लगा कि यह प्रमोद नहीं हो सकता क्योंकि वो तो अलग ही अंदाज में बात करता है और इसकी आवाज़ भी उससे नहीं मिलती।
काजल- रूको तो.. तुम हो कौन?
साया- मेरी जान.. मैं तुम्हें अपने बारे में नहीं बता सकता.. मगर हाँ.. अगर तुम हाँ कह दो.. तो ऐसा मज़ा दूँगा.. कि सारी जिंदगी मेरे लौड़े को याद रखोगी।
उसकी बातों से काजल की चूत की आग भी अब तेज हो गई थी- अच्छा ये बात है.. तो ज़रा अपने लौड़े का कमाल भी दिखा दो.. कैसा मज़ा देता है ये..
साया- चलो मेरे साथ.. यहाँ ज़्यादा देर खड़े रहना ठीक नहीं..
उस साये ने काजल का हाथ पकड़ा और कॉरीडोर के अंत में एक खाली कमरा पड़ा था.. जहाँ अक्सर एग्जाम के समय लड़कियाँ पढ़ाई करती थीं.. वो काजल को उस कमरे में ले गया।
अन्दर जाते ही साये ने काजल के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगा।
काजल तो पहले ही वासना की आग में जल रही थी.. अब वो भी उसका साथ देने लगी और उसकी कमर पर हाथ घुमाने लगी।
कुछ देर बाद दोनों अलग हुए।
काजल- उफ़फ्फ़ कौन हो तुम.. आह्ह.. मेरी चूत में आग लगी है.. आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता.. जल्दी से घुसा दो अपना लौड़ा.. उफ्फ..
साया- इतनी भी क्या जल्दी है जान.. पहले अपने कपड़े तो निकाल ले..
काजल तो जैसे उसके हुकुम की गुलाम हो उठी थी.. उसने झट से अपने कपड़े निकाल दिए और तब तक उस साये ने भी कपड़े निकाल दिए थे।
कमरे में बहुत ही अंधेरा था.. बड़ी मुश्किल से दोनों एक-दूसरे को देख पा रहे थे।
साये ने काजल के कन्धों को पकड़ कर उसको नीचे बैठा दिया और अपना 8″ का लौड़ा उसके मुँह के पास कर दिया।
काजल ने लौड़े को हाथ से पकड़ कर उसकी लंबाई और मोटाई का अहसास किया.. तो वो ख़ुशी से फूली ना समाई।
काजल- वाउ.. क्या मस्त लंड है तेरा तो.. और काफ़ी बड़ा भी है..
साया- ले.. चूस मेरी जान.. तेरे आशिक से तो अच्छा ही है.. मज़ा कर।
काजल ने सुपारे को मुँह में लिया और बस मज़े से चूसने लगी।
साया- आह्ह.. चूस.. मेरी काजल रानी.. तू बड़ी कमाल की हसीना है.. आह्ह.. चूस..
कुछ देर चूसने के बाद काजल खड़ी हो गई और उस साये का हाथ पकड़ कर एक दीवार के पास ले गई- बस साले.. अब बर्दास्त नहीं होता घुसा दो अपना लंड.. मेरी दहकती चूत में.. कर दो मुझे ठंडा..
साये ने काजल को दीवार के सहारे घोड़ी बनाया और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. ‘घुप्प’ से लौड़ा चूत में आधा घुस गया।
काजल- आह.. आईई.. मर गई रे.. आह्ह.. क्या बेहतरीन लंड है तेरा.. आह्ह.. पूरा घुसा आह्ह.. मज़ा आ गया आह्ह..
उस साये ने लौड़े को पीछे किया और अबकी बार ज़ोर से झटका मारा.. पूरा लौड़ा चूत में समा गया।
काजल पहले भी अपने ब्वॉयफ्रेण्ड से चुदवा चुकी थी.. मगर आज ऐसे तगड़े लौड़े की चुदाई उसको अलग ही मज़ा दे रही थी। वो गाण्ड को पीछे धकेल कर चुद रही थी।
साया- आह ले.. मेरी काजल.. आह्ह.. आज तेरी चूत को आह्ह.. असली लौड़े का स्वाद देता हूँ.. आह्ह.. अब तक तो तू बस उस मंजनू से ही चुद रही थी आह्ह.. अब आज के बाद तुझे मेरे लौड़े की आदत आ हो जाएगी.. आह्ह.. ले.. हरामिन..
काजल- आह्ह.. आह.. फास्ट फास्ट.. मेरे अनजान हरामी आशिक.. आह्ह.. मज़ा आ गया.. आह्ह.. और ज़ोर से करो.. आह्ह.. मैं झड़ने ही वाली हूँ आह्ह..
साया- आह उहह.. ले ले आ उहह मेरी जान.. मेरा भी पानी निकलने ही वाला है.. आह्ह.. कहाँ निकालूँ.. बाहर छोड़ दूँ या अन्दर लेगी.. आह्ह..
काजल- उईई.. उईई.. उफ़फ्फ़ अन्दर ही आह्ह.. निकाल दो आह्ह.. मैं गोली ले लूँगी आह्ह.. उह.. मैं गई आह्ह..
काजल की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसके साथ ही उस साये ने भी अपना वीर्य काजल के पानी से मिला दिया।
अब चुदाई का तूफ़ान थम गया था और दोनों वहीं नीचे बैठ गए।
काजल- उफ्फ.. क्या बड़ा लंड है तेरा.. मज़ा आ गया.. अब तो बता दे.. तू है कौन.. और तुझे कैसे पता है कि मैं इतनी प्यासी हूँ.. जो मुझे चोदने चला आया।
साया- नहीं काजल डार्लिंग.. कुछ बातें छुपी रहें.. यही बेहतर होता है। अब मैं जाता हूँ.. तुम भी जाओ.. नहीं तो किसी को पता लग जाएगा..
इतना कहकर वो खड़ा हुआ और अपने कपड़े पहनने लगा।
काजल- अरे अब तो तुमने मुझे चोद कर अपना बना लिया.. तो ये छुपा-छुपी किस लिए.. बता न.. कौन हो.. और कभी मुझे तुम्हारी जरूरत होगी तो?
साया- काजल डार्लिंग.. मैंने कहा ना.. यह राज़ की बात है और जब तुम्हें जरूरत होगी.. मैं खुद आ जाऊँगा.. तुम बस अपने कमरे के बाहर सफेद कपड़ा या कोई पेपर लगा देना.. ओके बाय जान..
काजल- ओके.. छुट्टियों के बाद मिलती हूँ.. क्योंकि कल शायद मैं चली जाऊँगी।
क्यों दोस्तो, अब यहीं रहोगे क्या.. अभी तो ऐसे बहुत सीन आने है.. तो चलो गाँव में चलते हैं वहाँ रानी का क्या हो रहा है।
रानी की माँ के मलहम-पट्टी होने के बाद दोनों ने उनको घर छोड़ा.. जहाँ रानी की माँ सरिता ने उनको बहुत धन्यवाद दिया।
विजय- अरे इसमें शुक्रिया की क्या बात है.. यह तो हमारा फर्ज़ था।
रानी- माँ.. ये बाबूजी बता रहे थे कि शहर में काम के बहुत पैसे मिलते हैं।
विजय और जय ने रानी की माँ को भी अपनी बातों में ले लिया।
सरिता- बेटा तुम्हारा भला होगा.. रानी को भी कहीं लगवा दो ना..
जय- देखिए.. अभी तो हम यहाँ से कुछ दूर अपने फार्म हाउस पर जा रहे हैं कुछ दिन वहाँ रहेंगे.. उसके बाद वापस दिल्ली जाएँगे.. तब कहीं लगवा दूँगा।
विजय- हाँ आंटी ये सही रहेगा.. अच्छा तो हम चलते हैं।
विजय जब खड़ा हुआ तो जय ने उसे आँख से इशारा किया कि रानी का क्या करें?
विजय- आंटी हम कुछ दिन फार्म हाउस पर रहेंगे.. वहाँ के काम के लिए आप किसी को हमारे साथ भेज दो.. हम अच्छे पैसे दे देंगे।
सरिता- अरे बेटा कोई और क्यों.. रानी को ले जाओ.. जो ठीक लगे.. सो इसको दे देना।
जय- अरे हाँ.. ये सही है ना.. कुछ दिनों की तो बात है.. वहाँ इसका काम भी देख लेंगे.. चलो रानी कपड़े बदल लो.. तुम पूरी भीगी हुई हो।
रानी- जी बाबूजी.. अभी आई.. आप बैठो.. आपके लिए कुछ चाय-पानी लाऊँ?
विजय- अरे नहीं नहीं.. बस तुम जल्दी करो.. देर हो रही है..।
रानी बड़ी खुश थी कि बड़े लोगों के यहाँ उसको काम मिल गया। वो दूसरे कमरे में कपड़े बदलने चली गई और कुछ ही देर में दूसरे कपड़े पहन कर एक पोटली लिए आ गई।
विजय- अरे इसमें क्या है?
रानी- वो बाबूजी अब वहाँ कितने दिन रहूंगी.. तो कुछ कपड़े लिए हैं।
जय- अच्छा किया.. ये लो आंटी ये 500 रुपये अपने पास रखो.. दवा बराबर लेती रहना और बाकी के पैसे रानी को दे देंगे।
सरिता तो 500 रुपये देख कर खुश हो गई।
सरिता- अरे बेटा.. तुमने तो कहा कुछ दिन वहाँ रहोगे.. तो इतने पैसे क्यों दिए और बाद में और भी दोगे?
विजय- अरे रख लो.. आंटी ये तो पेशगी है.. आगे ऐसे और नोट रानी को मिलेंगे.. हम खून चूसने वाले नहीं हैं काम का हक़ बराबर देते हैं।
इतना कहकर वो बाहर निकल गए.. रानी भी उनके पीछे चलने लगी.. तो सरिता ने उसका हाथ पकड़ लिया।
उन दोनों के बाहर जाने के बाद सरिता ने रानी से कहा- बहुत भले लोग हैं इनको किसी भी तरह की तकलीफ़ ना होने देना.. सब काम अच्छे से करना.. तेरे भाग खुल गए हैं बेटी.. जो ऐसे भले लोगों के यहाँ काम पर जा रही है.. तू बस इनको खुश रखना..
जय दरवाजे के पास ही खड़ा था.. उसको ये बात सुनाई दे गई तो उसके होंठों पर एक मुस्कान आ गई।
विजय और जय गाड़ी में बैठ गए उनके पीछे रानी भी आ गई और पीछे बैठ गई। कार फिर से अपनी मंज़िल की और बढ़ने लगी।
जय- क्यों रानी क्या कहा माँ ने तुझे?
रानी- कुछ नहीं बाबूजी बस काम समझा रही थीं कि दिल लगा कर सब काम करना.. आपको किसी तरह की तकलीफ़ ना हो.. आपको खुश रखूँ.. यही सब..
विजय- अरे वाह.. तेरी माँ तो बड़ी समझदार हैं तेरे को बड़े अच्छे ढंग से समझाया और हमको क्या तकलीफ़ होगी.. तू बस जय को खुश रखना.. तो समझ तेरी नौकरी पक्की हो जाएगी।
रानी- हाँ बाबूजी कोशिश करूँगी।
वो तीनों बातें करते रहे और कुछ देर बाद गाड़ी एक बड़े से फार्म हाउस के अन्दर चली गई। गाड़ी से उतर कर वो अन्दर गए तो इतने बड़े घर को देख कर रानी की आँखें चकरा गईं।
रानी- अरे बापरे बाबूजी इतना बड़ा घर?
विजय- अरे डरती क्यों है.. तुझे बस हमारी सेवा करनी है.. बाकी काम के लिए तो यहाँ बहुत नौकर हैं।
उस फार्म में कुल 6 आदमी थे.. जो वहाँ की साफ-सफ़ाई खाने का बंदोबस्त आदि करते थे। वो सब इनके खास नौकर थे अक्सर जय वहाँ लड़कियों के साथ आता और रंगरेलियाँ मनाता था.. जिसकी उनको आदत थी।
जय- चल रानी तू विजय के साथ अन्दर जा.. मैं अभी आता हूँ।
विजय उसको अन्दर ले गया और एक कमरा उसको दिखा दिया कि आज से वो यहाँ रहेगी और उसको ये भी समझा दिया कि यहाँ के बाकी लोगों से वो ज़्यादा बात ना करे।
उधर जय ने सबको समझा दिया कि क्या करना है।
जय के जाने के बाद नौकर आपस में बात करने लगे कि बेचारी कहाँ इस वहशी के जाल में फँस गई.. अब ये इसको कच्चा खा जाएगा।
जय सीधा विजय के पास गया और बिस्तर पर बैठ गया।
विजय- क्यों भाई अब आगे का क्या प्लान है?
जय- प्लान क्या था.. चल बाहर निकाल.. इस ठंडे मौसम में ठंडी बहार और उसके बाद हॉट-गर्ल का मज़ा लेंगे।
विजय- क्या बात है भाई.. इतनी जल्दी.. अरे अभी नई-नई है.. पहले आराम से उसको सिख़ाओ.. नहीं तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी।
जय- अरे यार आज जबसे उसको देखा है.. साला लौड़ा बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है।
विजय- अरे मेरे यार वो कोई कॉलगर्ल नहीं.. जो तुरंत चुदने को रेडी हो जाएगी.. वो एक गाँव की सीधी-साधी लड़की है.. उसको धीरे-धीरे प्यार से पटाना होगा।
जय- विजय माय ब्रदर.. तुम मुझे नहीं जानते.. वो जितनी सीधी है.. मैं उतना ही टेढ़ा हूँ। अब तुम जल्दी से बीयर खोलो.. मेरा कब से गला सूख रहा है।
दोनों काफ़ी देर तक बियर का मज़ा लेते रहे.. उसके बाद जय उठा और बैग से एक शॉर्ट्स निकाल कर बाथरूम में चला गया.. जहाँ उसने सारे कपड़े निकाल दिए। यहाँ तक की अंडरवियर भी निकाल दी.. बस एक शॉर्ट्स पहन कर बाहर आ गया।
विजय- अरे भाई ये सलमान बनकर कहाँ जा रहे हो?
जय- तू यहाँ बैठ कर बियर का मज़ा ले.. मैं रानी से थोड़ी मालिश करवा के आता हूँ।
विजय- अपनी मालिश ही करवाना.. कहीं उसकी मालिश ना कर देना हा हा हा..
जय- अब ये तो आकर ही बताऊँगा.. चल तू बियर पी.. मैं चला..
जय वहाँ से निकल कर सीधा रानी के कमरे में पहुँच गया.. वो बिस्तर पर बस लेटी हुई सोच रही थी कि ऐसे आलीशान कमरे मैं वो कभी सोएगी.. ऐसा उसने सपने में भी नहीं सोचा था।
जय- अरे रानी.. दरवाजा लॉक क्यों नहीं किया.. ऐसे ही सो रही है..
रानी- नहीं बाबूजी.. वो मैं अभी सोई नहीं.. बस ऐसे ही लेटी हुई थी.. सोचा सोने के पहले बंद कर दूँगी।
जय- अच्छा किया.. तू सोई नहीं.. बारिस से मेरे पूरे बदन में दर्द हो गया है.. क्या तू ज़रा मेरी मालिश कर देगी?
रानी- अरे बाबूजी इसी लिए तो आपके साथ आई हूँ.. इसमें पूछने की क्या बात है.. आप यहाँ लेट जाओ.. मुझे थोड़ा सरसों का तेल चाहिए.. कहाँ मिलेगा?
जय- अरे तेल को जाने दे.. ऐसे ही दबा दे.. कल तेल भी मंगवा दूँगा..
जय पेट के बल लेट गया और रानी उसके कंधे-कमर आदि को दबाने लगी।
रानी के छोटे-छोटे और मुलायम हाथों के स्पर्श से जय के जिस्म में वासना की लहर दौड़ने लगी.. उसका लौड़ा तन गया.. तो कुछ देर बाद जय सीधा लेट गया और रानी को पैर दबाने को कहा। अब जय सीधा लेटा हुआ था और शॉर्ट्स में उसका लौड़ा तंबू बनाए हुए साफ दिख रहा था। मगर या तो रानी ये सब जानती नहीं थी.. या फिर उसने देख कर अनदेखा कर दिया।
रानी- क्यों बाबूजी.. कुछ आराम मिला आपको?
जय- आह्ह.. आराम कहाँ मिला.. दर्द अब ज़्यादा हो गया है.. लगता है जिस्म का सारा खून पैरों में आकर रुक गया है.. आह्ह.. थोड़ा ऊपर दबाओ.. यहाँ बहुत दर्द हो रहा है।
रानी- अभी लो बाबूजी.. सारा दर्द निकाल दूँगी.. आप बस बताते जाओ.. कहाँ दर्द है?
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