RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
बाजी की आवाज़ आई-“डीप और डीप… उफफ्र्फ… निकलना मत… थोड़ा रुक जाओ…”
लेकिन शायद सिचुयेशन डिस्चार्ज की तरफ जा रही थी इसलिए बाजी अली भाई के नीचे से निकलीं और उनको सीधा लिटाकर लंड के ऊपर घोड़ी (पीठ अली भाई की तरफ और चेहरा भाई के पैर की तरफ) पोज़ीशन में बैठ गईं और उनकी गान्ड बहुत तेज़ी से आगे और पीछे की तरफ मूव कर रही थी।
मैं किसी हद तक लंड बाजी की चूत के अंदर जाता हुआ देख रही थी। जैसे-जैसे बाजी की मूवमेंट तेज हुई अली भाई रुक गये और बाजी कुछ लम्हों बाद लंड के ऊपर बैठे-बैठे बिल्कुल मुड़ गईं, उनका चेहरा अली भाई के घुटनों को छू रहा था। बाजी की टांगें जैसे तड़प रही थीं।
अली भाई यकीनन कुछ देर पहले ही डिस्चार्ज हो चुके थे और बाजी उस वक़्त ओर्गज्म के क्लाइमेक्स का मज़ा ले रही थीं। तेज-तेज सांसें चलने की आवाज़ आ रही थी।
कुछ देर बाद जब बाजी के होश बहाल हुए तो वो लंड पर से उठीं और वाइप्स का पैकेट अली भाई को देते हुए उनके पहलू में सीधा लेट गईं। मैं अपनी जगह चकित लेटी हुई थी और मेरे चेहरे और बालों में पशीना इतना ज्यादा था जैसे मैं अभी-अभी शावर से निकलकर आई हूँ। मैं मोके की तलाश में थी कि किसी तरह लिहाफ़ को ज़रा उठाकर ताजा हवा अंदर आने दूँ।
मैं अभी इसी उलझन में थी कि पता नहीं बाजी को अचानक क्या सूझी कि वो बगैर कपड़ों के ही बेड से छलाँग लगाकर मेरी तरफ बढ़ीं और सर पर से लिहाफ़ हटाकर मेरे चेहरे को देखने लगीं। मेरा इरादा था कि आँखें फौरन बन्द कर लूँगी लेकिन ऐसा ना कर पाई और अगले ही लम्हे मैं और बाजी एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। बाजी की चेहरे पर शर्मिंदगी साफ नज़र आ रही थी लेकिन बगैर कुछ बोले उन्होंने मेरे माथे पे हाथ रखा और फिर अपना एक हाथ लिहाफ़ के अंदर करके मेरी चूत को चेक किया।
उनको ये समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि मेरा बिस्तर पशीने और चूत के पानी से गीला हो चुका है। उन्होंने मुझे माथे पर किस किया और फौरन दोनों हीटर आफ कर दिए। मेरी ऐसी हालत देखकर बाजी खुद अपने कपड़े पहनना भूल गईं। वो फौरन अली भाई की तरफ बढ़ीं और उनसे कहा-“अली कपड़े पहनो और कुछ देर रूम से बाहर रूको, शायद निदा की तबीयत खराब है। मैं उसे चेक करती हूँ…”
अली भाई ने कहा-“ख़ैरियत तो है, क्या हुआ? क्या वो जाग रही है?”
बाजी ने कहा-“पता नहीं। बस तुम 5 मिनट के लिये बाहर जाओ सिर्फ़…”
अली भाई ने एक सेकेंड जाया किये बगैर कपड़े पहने और तुरंत लपक कर बैक दरवाजे से बाहर चले गये। बाजी ने फौरन अलमारी से कपड़ा निकाला और मेरे ऊपर से लिहाफ़ हटाकर पूरे जिश्म को कपड़े से साफ किया। मुझे दूसरा नाइट ड्रेस दिया और बेड शीट उतारकर उसपर साफ बेड शीट बिछा दी। मैं खामोशी से खड़ी ये सब देखती रही।
बाजी ने नया कंबल उतारा और मेरे ऊपर डालते हुये प्यार से बोलीं-“गुड़िया तुम ठीक हो ना?”
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
तो बाजी बोलीं-“दूसरी तरफ मुँह करके सुकून से सो जाओ…”
मैं खामोशी से बाजी की हर हिदायत पर अमल करती रही। लिहाफ़, बेड शीट चेंज होने पर मैंने सुख का साँस लिया था। मुझे लिटाकर बाजी ने फौरन बैक दरवाजा खोलकर अली भाई को अंदर बुलाया और फिर से सरगोशियाँ शुरू हो गईं।
बाजी मेरी सोच, जज़्बात और जिश्म में होने वाली तब्दीलियों और कैफियत का राज जान चुकी थीं। उन्हें ये भी पता चल चुका था कि उनके बेड पर जो कुछ होता रहा, वो सब मैंने अपनी आँखों से देख लिया है। जिश्म पुरसुकून होने के बाद मुझे नींद के आगोष में जाने में ज्यादा टाइम नहीं लगा।
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