RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैं बाजी के रूम का दरवाजा लाक करके उनके बिस्तर में घुस गई और टीवी देखने लगी। लेकिन टीवी पर जो चल रहा था वो देखने में कुछ मज़ा नहीं आ रहा था। मूवी मेरे पास कोई थी नहीं जो देखती। सोचा बाजी की अलमारी को एक मर्तवा फिर खंगालती हूँ, हो सकता है कोई डीवीडी हाथ आ जाये क्योंकी बाजी अगर इस रूम में सेक्स करती थीं तो वो पॉर्न भी देखती होंगी।
उनकी मजबूत ताले वाली दराज को खींचकर खोलने की बहुत कोशिश की लेकिन नाकाम रही। थक हार के बेड पे दोबारा लेटी तो जिश्म में सेक्स की ख्वाहिश ज्यादा जोश के साथ सर उठाने लगी। फ्रेंड के साथ देखा गया पॉर्न, लड़कियों की आपस की मस्तियाँ और फिर बाजी के सेक्स की कल्पना मेरे जिन्सी जज़्बात को बहुत बढ़ावा दे रहा था। मैं समझने लगी थी कि अगर लड़की का होंठों और उंगलियों से ही काम चलता तो लड़कियाँ शादी या लड़कों के साथ सेक्स का रिस्क ही क्यों लेतीं और बाजी इस तरह अली भाई को रूम में ना बुलातीं। लड़के का कुछ ना कुछ ऐसा मज़ा यकीनन होगा जो लड़कियों में नहीं है और फिर लड़की तो एक साथ तीन- तीन लड़कों के साथ सेक्स कर रही होती है।
ऐसे खयाल ज्यों-ज्यों बढ़ते गये मेरी सेक्स की तलब बढ़ती गई। लेकिन मुझे खुद को संतुष्ट करने की कोई राह नहीं सूझ रही थी। मैंने आत्म-संतुष्टि की कोशिश कई दफा की थी लेकिन वो मैं कभी एंजाय नहीं कर पाई, वजह शायद ये हो कि मैं अपनी चूत में कुछ अंदर नहीं करती थी और महज उंगली से चूत पर रगड़ाई के साथ लड़के के लंड का कल्पना मेरे जेहन में आ नहीं पाती थी। रात के 10:00 बजते ही मेरी बेचैनी बढ़ने लगी और मैं अपने कपड़े उतारकर बाजी के लिहाफ़ में लेट गई।
टीवी के चनेल काफी इधर-उधर घुमाए लेकिन वैसा कुछ नहीं आ रहा था जो मैं उस वक़्त देखना चाहती थी। अपनी चूत पर काफी देर तक उंगलियाँ फेरकर ये सोचती रही कि लंड अंदर जाने का कितना मज़ा होता होगा और बाजी कितना एंजाय करती होंगी। इसी उलझन में रात के 11:00 बज गये और मैं सोचने लगी कि बाजी को फोन करूँ कि अगर सुबह कॉलेज जाना है तो अपनी चीज़ें अभी से तैयार कर लूँ।
नंबर मिला ही रही थी कि अली भाई की काल आ गई और उन्होंने कहा-“सोबिया के रूम का पीछे का दरवाजा खोलो क्योंकी वो बाहर खड़े हैं…”
मैं परेशान हो गई कि बाजी हैं नहीं तो फिर उनका मेरे साथ भला क्या काम? और मैं रूम का दरवाजे क्यों खोलूं? सोचा कि बाजी को फोन करके पर्मीशन ले लूँ लेकिन फिर ये इरादा इस वजह से तकद कर दिया कि अली भाई को पता चल गया तो वो मेरी इस हरकत को बहुत माइंड करेंगे। मैंने अपना नाइट ड्रेस पहना और दरवाजे का लाक खोलकर अपने बेड में घुस गई।
अली भाई रूम में आते ही मेरे पास बैठ गये और कहा-“सोबिया से मेरी बात हो गई है, तुम कल कॉलेज चली जाना। वो खुद तो कल लोकल नहीं होंगे लेकिन मास्क के नीचे एक लड़का है जिसका नाम पीरू है, उसके साथ उनकी अच्छी सलाम दुआ है और वो आस-पास के क्षेत्रों के लड़कों को भी जानता है। उन्होंने पीरू से बात कर ली है और वो कल कॉलेज से वापसी पर मुझ पर नज़र रखेगा और जो लड़के तंग करते हैं उनको ट्रेस करके सारी इन्फमेशन निकालेगा। फिर मैं उन लड़कों का कोई इलाज ढूँढ़ लूँगा, तुम बेफिकर सुबह कॉलेज जाना, कोई तुम्हें हाथ नहीं लगा सकेगा…”
मैं कुछ बौखलाई हुई थी इसलिए ज्यादा तफसील नहीं पूछ सकी।
अली भाई ने ये कहकर प्यार से मेरे सर पे हाथ रखा और बाहर की तरफ चल पड़े।
मैंने रोकते हुए पूछा-“बाजी किस वक़्त आयेंगी?”
उन्होंने कहा-“वो उसको लेने जायेंगे आधी रात के बाद…”
मैंने पूछा-“आप फिर उनके साथ आयेंगे?” संकलन
अली भाई ने इस सवाल का जवाब देने की बजाय कहा-“गुड़िया, तुम सो जाओ अब, सुबह कॉलेज भी जाना है तुमने…” ये कहकर वो रूम से निकल गये।
मुझे कभी कभार काफी उलझन होती थी कि इतनी बड़ी घोड़ी होने के बावजूद परिवार के लोग मुझे बच्चों की तरह क्यों ट्रीट करते हैं? खैर… मैंने कॉलेज के लिये ड्रेस निकाला, बैग तैयार किया और अपने बिस्तर में घुस गई। जेहन में उलझनें बढ़ने की वजह से मेरी नींद दिन-बा-दिन कम होती जा रही थी। अब मैं वो निदा नहीं रही थी, जो बिस्तर पर गिरते ही ख्वाब-ए-खरगोश में चली जाती थी। मेरे जेहन पर सेक्स सवार रहता था, कभी उसका लुत्फ उठाने और कभी खुद सक्ता फरार के रास्ते ढूँढ़ती रहती। मुझे जब से नंगा रहने का मज़ा पड़ा था तब से अब तक मुझे नंगा होने का बहुत ज्यादा शौक है।
उस रात भी मैंने बिस्तर में घुसते ही ट्राउजर उतार दिया। अभी जेहन सेक्स की तरफ घूम ही रहा था कि घर में कुछ आहटें महसूस हुईं और फिर कुछ लम्हों में बाजी रूम में दाखिल हो गईं। मैं उनसे बात के लिये उठने का सोच ही रही थी कि वो लाइट ओन के बगैर रूम के पिछले दरवाजे की तरफ बढ़ीं, जहाँ अली भाई उनका इंतजार कर रहे थे।
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