RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मेरे साथ बाजी ज्यादातर लाइटस आफ करके बातचीत करती थीं ताकी रोशनी और उनके चेहरे के एक्सप्रेशन्स की वजह से मैं कुछ बताने में हिचकिचाहट महसूस ना करूँ। उनका ये तरीका हमेशा कामयाब रहा। इसीलिये उस रोज भी मैंने बाजी को सब कुछ बता देने का फैसला कर लिया।
मैंने अपनी बात कुछ यूँ शुरू की-“कभी मुझे बहुत सुहाने ख्वाब आते थे लेकिन अब सपने आने लगे हैं और इसकी वजह शायद ये है कि मेरे आस-पास का माहौल बदल रहा है। कॉलेज आते जाते मैं खुद को गैर महफूज कल्पना करने लगी हूँ, सुबह के वक़्त तो कोई खास प्राब्लम नहीं होती लेकिन वापसी पर लड़कों के कई ग्रुप मेरा पीछा करते हैं और आवाज़ें कसते हैं। अगर बात किसी हद तक रहती तो मैं बर्दाश्त कर लेती लेकिन अब पानी मेरे सर के ऊपर से गुजर रहा है और मैं खौफ का शिकार होने लगी हूँ। वो कोई आम लड़के नहीं बल्की प्रॉपर गुंडे लगते हैं…”
बाजी ने मुझसे मेरा काले रूट पूछा और कहा-“ओके, दो दिन इंतजार करो, मैं कुछ करती हूँ…”
बाजी ने फिर पूछा-“सिर्फ़ यही कुछ था या कुछ ऐसा भी है जो तुम बताना चाहो और ना बता पा रही हो? देखो इसीलिये मैंने लाइट आफ की है ताकी तुम खुलकर बोल सको…”
मैंने कहा-“ऐसा तो कुछ नहीं फिलहाल…”
“कोई लड़का वड़का?” बाजी ने फुसफुसाकर पूछा।
मैंने कहा-“अभी तो नहीं है, कोई हुआ तो बता दूँगी…”
बाजी ने काफी हैरत से पूछा-“ढूँढ़ रही हो क्या?”
मैंने कहा-“ढूँढ़ तो नहीं रही लेकिन जवान हो गई हूँ, अब लड़कियों से थोड़ी काम चलता है…”
बाजी ये बात सुनकर चौंक उठी और फौरन पूछा-“लड़कियों से काम? कौन सा काम और किनके साथ?”
मैंने ब्रीफ़ सा जवाब देते हुए कहा-“छोड़ें बाजी, बस हम कॉलेज दोस्तों है आपस में मस्ती कर लेती हैं थोड़ी बहुत…”
बाजी ने पूछा-“कुछ अंदर तो नहीं डाला ना?”
मैंने कहा-“वो तो जब आपकी उमर पे पहुँचूंगी तब की बात होगी। आप तो अली भाई से ही शादी करोगी ना? अन डाक्युमेन्टेड तो हो चुकी है। डाक्युमेन्टेड कब करवाओगी? मैं तो वैसे ही आजकल कबाब में हड्डी बनी हुई हूँ…”
बाजी हँस पड़ी और कहा-“तू कबाब में हड्डी नहीं बल्की पूरा कबाब है। डोंट वरी, गुजारा हो जायेगा हमारा…”
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