RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
***** *****अध्याय 04-खटमलनी
किस दा दोष सी किस दा नईं सी
आय गलान हूँ कारण दाइयन नईं
वाइले लंग गये टोबा वाले
रातन हूके पारण दाइयन नईं
कुंज इंज वी रावें ओकियां सुन
कुंज गाल विच घाम दा टोक वी सी
कुंज शेर दे लोग वी जालउं सुन
कुंज मैनउ मारन दा शौक वी सी
मैं हमेशा देर कर देती हूँ या वक़्त से पहले मुँह खोल देती हूँ। जिंदगी के वो लम्हात जहाँ मुझे खामोशी इख्तियार करनी होती थी, मैं बागें देना शुरू कर देती थी और जहाँ खतरे को महसूस करके फौरन बताना होता था वहाँ मेरी ज़ुबान को ताले लग जाते थे।
उस रोज जब मैंने अली भाई से कहा-“एंजाय युवर लाइफ, कोई बात नहीं। ट्रस्ट इन मी। मैं हूँ ना…”
मुझे उसी लम्हे एहसास हुआ कि शायद मुझे ये नहीं कहना चाहिए था। क्योंकी उसके बाद अली भाई के चेहरे पर एक अजीब सी उलझन के भाव दिखना होना शुरू हो गये थे। वो ये फैसला नहीं कर पा रहे थे कि मेरे इस बचपने को किस तरीके से हेंडल करें। मुझे वक़्त गुजरने के साथ-साथ अली भाई से कुछ लगाव हो गई थी जिसकी एक वजह ये भी थी कि मैंने हर मुश्किल और तकलीफ के वक़्त में उन्हें बाजी की वजह से अपने आस-पास ही पाया।
ताया से नफ़रत अहिस्ता-अहिस्ता अब ताया की शख्सियत तक ही सिमट चुकी थी।
मैंने टोपिक बदलते हुए अली भाई से पूछा-“बाजी ने तो लेट आना था फिर वो इतनी सुबह-सुबह कैसे वापिस आ गईं?”
अली भाई ने बताया-“आंटी (मेरी मोम) ने सुबह तेरी तबीयत खराब होने पर सोबिया को फोन किया, जिस पर वो बिज्निस मीटिंग अधूरी छोड़कर घर आ गई…”
मुझे अचानक याद आ गया कि मेरी तबीयत क्यों इतनी खराब हो गई थी, एक लम्हे के लिये सोचा कि अली भाई को सब बता दूँ लेकिन फौरन ये खयाल अपने जेहन से झटक दिया कि इस काम के लिये बाजी से बेहतर कोई नहीं हो सकता।
अली भाई कुछ देर मेरे साथ बैठे रहे फिर बाजी के कंप्यूटर पर टाइम पास करने लगे। बाजी शावर लेकर आईं तो उन्होंने अली भाई की रूम में मौजूदगी के बावजूद एक कोने में जाकर ड्रेस चेंज किया और कुछ देर बाद वो दोनों बाहर कहीं चले गये। मेरी सब दोस्तों की काल आई, वो मुझसे मिलने आना चाहती थीं। लेकिन मैंने सबको मना कर दिया क्योंकी कॉन्स्टरेक्सन की वजह से घर की हालत कोई ऐसी शानदार नहीं थी।
मैं बाजी की वापसी का इंतजार करती रही ताकी उनसे अपनी प्राब्लम डिस्कस कर सकूँ। दो बजे के करीब बाजी मेरे लिये कुछ जूसेज और मेडीशन लिये जब वापिस आईं तो उनके चेहरे पर थकावट के असर नुमाया थे, शायद बिज्निस टूर की वजह से वो रात भर सो नहीं सकी थीं। इसीलिये वो आते ही मेरे साथ बिस्तर में घुसीं और सो गईं। बाजी ने एक आध घंटा ही आराम किया होगा। जॉब से उन्होंने आफ की और घर के कामों में अम्मी का हाथ बटाने ऊपर चली गईं
सर्दी का मौसम था और सर-ए-शाम ही हमारे घर में सन्नाटा छा जाता था। मैं कोई ऐसी बीमार भी नहीं थी कि बिस्तर से लग जाती। लेकिन आराम करना अच्छा लग रहा था। डिन्नर के बाद बाजी लाइटस आफ करके मेरे पास आईं, और मुझे अपने पहलू में समेटकर बोलीं-“अब सुकून से बता कि प्राब्लम क्या है?”
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