RE: non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस
मैंने कहा-“अगर इस सड़क पर चार पाँच लड़के इस वक़्त मुझे बुरी तरह छेड़ रहे होते, हाथ डाल रहे होते तो आप क्या करते?”
वो मेरी तरफ देखकर बोला-“ओके, मैं एक मामूली सा इंसान हूँ लेकिन अगर कोई आपको मेरे सामने कहीं भी हाथ लगाए या छेड़े तो अगर मैंने उसका हुलिया बिगाड़कर उसकी आंतें इस सड़क पर ना फेंक दीं तो रब की कसम आप मेरी नश्लों पर लानत भेजें। ये मज़ाक नहीं है, आजमा के देखना कभी…”
मैंने अपने आँसू छुपाने के लिये सर झुका लिया।
वो फिर बोला-“अगर कोई प्राब्लम है तो बताओ दोस्त। या तो वो प्राब्लम नहीं रहेगी, या मैं नहीं रहूँगा। आपको याद है निशी के घर पहली बार मैंने आपको देखा था। मेरे साथ दोस्त भी था। आपके चेहरे पर मामूली सी घबराहट महसूस करके मैंने फौरन अपने दोस्त को रूम ही नहीं बल्की बँगलो से ही बाहर निकाल दिया था। वो उस दिन दो घंटे बाहर मेरे इंतजार में खड़ा रहा। उस दिन के बाद क्या आपने उसे दोबारा कभी देखा? नहीं ना? मैंने उस दिन के बाद किसी भी फ्रेंड को आप लोगों के करीब तक नहीं फटकने दिया। ठीक है, हम ज्यादा बुरे और थोड़े अच्छे होंगे, लेकिन आप निशी की दोस्त हो और हम दोस्ती और इज़्ज़त रखना, निभाना और संभालना खूब जानते हैं…”
मैंने कहा-“मुझे मेरी गली की नुक्कड़ तक ले जायें। पहले की तरह फासले पर ना उतारें…”
उसने मुझे घर के बिल्कुल सामने उतार दिया और जाते हुए कहा-“कोई प्राब्लम हो, सिर्फ़ निशी को इशारा दे दें, वो अगले लम्हे मुझे बता देगी। कीप इन माइंड, यू आर इन हर हार्ट सो माइन। टेक केयर…”
गली की नुक्कड़ से घर के दरवाजे तक का सफर भी मुझ पर भारी था, एक अंजाना खौफ मुझे सता रहा था। घर में घुसने तक निशी लोगों को पता चल चुका था कि मैं ख़ैरियत से पहुँच चुकी हूँ इसीलिये एक-एक करके सबके फोन आने शुरू हो गये।
रात देर तक बाजी का इंतजार किया लेकिन जब 11:00 बजे तक भी वो ना आईं तो मैंने उनको काल मिला दी और फौरन पूछा-“बाजी आप कब आओगी? मैं इंतजार कर रही हूँ…”
बाजी ने पूछा-“ख़ैरियत तो है? मैं शहर से बाहर टूर पर हूँ, अम्मी को बता चुकी हूँ, मैं तो कल दिन में 12:00 बजे तक आऊँगी। कोई प्राब्लम या इमरजेंसी तो नहीं?”
मैंने कहा-“नहीं, सब ठीक है, वैसे ही पूछ लिया था…” काल आफ हो गई क्योंकी बाजी शायद ट्रेवल में थीं।
मैंने अली भाई को फोन मिलाया तो वो ओफिस में थे। मेरी काल देखकर वो शायद परेशान हो गये, इसीलिये फौरन पूछा-“गुड़िया ख़ैरियत तो है, तुम ठीक हो ना?”
मैंने कहा-“हाँ, बस बाजी से बात कर रही थी लेकिन काल डिसकनेक्ट हो गई तो सोचा आपसे पता कर लूँ…”
अली भाई बोले-“अगर कोई प्राब्लम है तो मुझे बता दो अभी या फिर मैं 12:00 बजे फिनिश करके आ जाऊँगा और वहीं बात कर लेंगे…”
मैं बोली-“नहीं ऐसा कुछ नहीं, और आज बाजी भी शहर से बाहर हैं, रात को रूम में नहीं होंगी…”
अली भाई बोले-“ओह्ह… थ्टट्स फाइन। कोई प्राब्लम हो तो बिला झिझक किसी भी वक़्त काल कर देना…”
मैं रात देर तक जागती रही। बाजी के बेड पर लेटी रही, पता नहीं किस वक़्त आँख लगी, सारी रात सपने से बेचैन रही। सुबह जब आँख खुली तो मेरा जिश्म बुखार में तप रहा था। मेरा सर बाजी की गोद में था, अली भाई और अम्मी मेरे सिरहाने खड़े थे। मेरी आँख खुलते ही सबकी जान में जान आई।
बाजी ने कहा-“शुकर है तुम जाग गई, हम कब से तुम्हें जगाने की कोशिश कर रहे थे और अली को इसीलिये बुलाया कि तुम्हें फौरन हॉस्पीटल ले जायें…”
मेरा मोबाइल बाजी के पास था और कॉलेज से दोस्तों की कई काल्स आ चुकी थीं।
बाजी ने मुझसे धीरे से पूछा-“कुछ ऐसा हुआ है जो तुम सिर्फ़ मुझे बताना चाहती हो?”
मैं बोली-“हाँ…”
मेरे मुँह से ये सुनते ही कुछ लम्हे के लिये बाजी के चेहरे पर परेशानी के आसार आए, लेकिन उन्होंने फौरन मूड बदलते हुए कहा-“जो भी है, कोई बात नहीं। ट्रस्ट इन मी। मैं हूँ ना…” बाजी शावर लेने चली गईं और अली भाई मेरे पास बैठ गये।
मैं कुछ देर उनको देखती रही फिर धीरे से बोली-“एंजाय युवर लाइफ, कोई बात नहीं। ट्रस्ट इन मी। मैं हूँ ना…” कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि उस वक़्त शायद मुझे ये अल्फ़ाज़ नहीं बोलने चाहिए थे। क्योंकी इन अल्फ़ाज़ के अगले दो तीन दिनों में मेरी बर्बादी का आगाज़ हो रहा था, बस मेरे घर से बाहर कदम रखने की देर थी अब और फिर उस निदा ने घर लोटना ही नहीं था जो मैं उस वक़्त तक थी।
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